उत्तर: सही उत्तर है (c) 33
हिंदी वर्णमाला में 33 मुख्य व्यंजन होते हैं।
- क से म तक (क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग) 25 व्यंजन हैं। इन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं।
- य, र, ल, व 4 व्यंजन हैं। इन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहते हैं।
- श, ष, स, ह 4 व्यंजन हैं। इन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं।
इस प्रकार, मुख्य रूप से 33 व्यंजन होते हैं।
इसके अलावा:
- संयुक्त व्यंजन (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) 4 होते हैं। ये दो व्यंजनों के मेल से बनते हैं, इसलिए इन्हें मूल व्यंजनों में नहीं गिना जाता।
- अतिरिक्त व्यंजन (ड़, ढ़) 2 होते हैं। इन्हें उत्क्षिप्त व्यंजन भी कहते हैं।
अगर आपसे पूछा जाए कि व्यंजन कितने होते हैं, तो सही उत्तर 33 है। संयुक्त और अतिरिक्त व्यंजनों को मिलाकर कुल 39 व्यंजन होते हैं, लेकिन मुख्य व्यंजनों की संख्या 33 ही मानी जाती है।
विस्तृत उत्तर:
हिंदी भाषा में वर्णों को दो मुख्य भागों में बांटा गया है: स्वर और व्यंजन। स्वर वे ध्वनियाँ हैं जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के स्वतंत्र रूप से बोली जा सकती हैं। व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण में स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है।
मुख्य व्यंजनों को उनकी उच्चारण की विधि और स्थान के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बांटा गया है। ये वर्ग इस प्रकार हैं:
स्पर्श व्यंजन (Sparsh Consonants): ये व्यंजन कंठ, तालु, मूर्धा, दंत और ओष्ठ के स्पर्श से बोले जाते हैं। इनकी संख्या 25 है और इन्हें पाँच वर्गों में बांटा गया है:
- क वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ (कंठ्य – कंठ से उच्चारित)
- च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ (तालव्य – तालु से उच्चारित)
- ट वर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण (मूर्धन्य – मूर्धा से उच्चारित)
- त वर्ग: त, थ, द, ध, न (दंत्य – दांतों से उच्चारित)
- प वर्ग: प, फ, ब, भ, म (ओष्ठ्य – होंठों से उच्चारित)
अन्तःस्थ व्यंजन (Antahstha Consonants): ये व्यंजन स्वर और व्यंजन के बीच की स्थिति वाले होते हैं। इनकी संख्या 4 है: य, र, ल, व।
ऊष्म व्यंजन (Ushma Consonants): इन व्यंजनों के उच्चारण में हवा मुख से रगड़ खाकर निकलती है, जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है। इनकी संख्या 4 है: श, ष, स, ह।
इन मुख्य 33 व्यंजनों के अलावा, हिंदी में कुछ अन्य व्यंजन भी प्रयोग किए जाते हैं, जिन्हें संयुक्त व्यंजन और आगत व्यंजन कहा जाता है:
- संयुक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan): ये दो अलग-अलग व्यंजनों के मेल से बनते हैं। इनकी संख्या 4 है: क्ष (क् + ष), त्र (त् + र), ज्ञ (ज् + ञ), श्र (श् + र)। इन्हें मुख्य व्यंजनों में नहीं गिना जाता है।
- आगत व्यंजन (Aagat Vyanjan): ये अन्य भाषाओं से हिंदी में आए हैं और इनकी ध्वनि हिंदी के मूल व्यंजनों से थोड़ी अलग होती है। इनमें मुख्य रूप से ‘ज़’, ‘फ़’, ‘क़’, ‘ख़’, ‘ग़’ शामिल हैं। इन्हें भी मुख्य व्यंजनों में नहीं गिना जाता है।
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