उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता की खोज आर. डी. बैनर्जी ने की थी, इसलिए सही उत्तर (c.) है। बता दें कि सिंधु घाटी सभ्यता की खोज आर. डी. बैनर्जी ने की थी। उन्होंने वर्ष 1921 में हड़प्पा की खुदाई की, जिससे यह सभ्यता सामने आई।
विस्तृत उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज सबसे पहले वर्ष 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की थी, जो उस समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India – ASI) के अधिकारी थे। बता दें कि उन्होंने उस समय हड़प्पा नाम की पुरानी जगह की खुदाई शुरू करवाई थी। यह जगह आज के पाकिस्तान में है और यह सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे बड़े शहरों में से एक थी। इसके बाद, वर्ष 1922 में राखालदास बनर्जी नाम के एक और पुरातत्वविद् ने मोहनजोदड़ो की खोज की, जो हड़प्पा के पास ही एक और बड़ा शहर था।
इन खोजों से पता चला कि भारत में भी बहुत पुरानी और विकसित सभ्यता थी, जिसके बारे में पहले लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं थी। इसलिए, इन दोनों को ही सिंधु घाटी सभ्यता की खोज का श्रेय दिया जाता है, हालाँकि सबसे पहले हड़प्पा की खुदाई दयाराम साहनी ने शुरू की थी।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख तथ्य
यह सभ्यता मुख्य रूप से आज के पाकिस्तान और भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में फैली हुई थी। भारत में इसकी प्रमुख साइटें लोथल (गुजरात), कालीबंगा (राजस्थान), राखीगढ़ी (हरियाणा), और ढोलावीरा (गुजरात) हैं। इस सभ्यता के नगर बहुत ही योजनाबद्ध ढंग से बने हुए थे, जिनमें सीधी सड़कों, जल निकासी की सुव्यवस्था, और ईंटों से बने मजबूत घरों की पूरी व्यवस्था थी।
बता दें कि सिंधु घाटी के लोगों की एक विशेष लिपि थी, जिसे आज तक पूरी तरह पढ़ा नहीं जा सका है। इस वजह से इनके सामाजिक और धार्मिक जीवन की पूरी जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है। इसके साथ ही यह लोग व्यापारिक रूप से भी काफी उन्नत थे। इस सभ्यता में होने वाले समुद्री व्यापार के प्रमाण लोथल बंदरगाह से मिले हैं, और इसके साथ ही मोहनजोदड़ो से मिले मोहरों पर मेसोपोटामिया (आज का इराक) के साथ व्यापार के संकेत मिलते हैं।
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