Hindi Varnamala: वर्णमाला किसे कहते हैं और इसका प्रयोग कहाँ किया जाता है?

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Hindi Varnamala : वर्णमाला किसी भी भाषा के अक्षरों का एक समूह होता है, जिसे हम शब्दों और वाक्यों को बनाने में इस्तेमाल करते हैं। हिंदी की वर्णमाला में कुल 52 अक्षर होते हैं, जो हमें भाषा बोलने और लिखने में मदद करते हैं। हिंदी में इन अक्षरों का सही उपयोग हमारी भाषा को स्पष्ट और समझने में आसान बनाता है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) क्या है, इसके कौन से प्रमुख भाग हैं, और इसका प्रयोग हमारी दिनचर्या, शिक्षा और अन्य जगहों पर कैसे किया जाता है।

वर्णमाला किसे कहते हैं?

किसी भी भाषा की अभिव्यक्ति ध्वनियों के माध्यम से जानने को मिलती है। जब हम जो बोलते हैं उसे ध्वनि कहा जाता है। इसी के माध्यम से हम अपने विचारों और भावनाओं को प्रकट करते हैं और सामने वाले व्यक्ति तक पहुंचाते हैं। दूसरी तरफ देखा जाए तो अगर हम विचार और भावनाएं लिखना चाहे तो इन्हें ध्वनि को लिखने के लिए हमें चिन्ह का उपयोग करना पड़ता है। ध्वनि के इन्हीं चिन्हों को वर्ण कहते हैं। भाषा के अंदर सबसे छोटी इकाई ध्वनि या वर्ण होता है। वर्णों के समूह को अक्षर के नाम से जाना जाता है। सभी वर्णो या अक्षरों को मिलाकर varnamala बनती है। वर्णों को व्यवस्थित समूह में रखने को वर्णमाला कहते हैं। 

हिंदी Varnmala
Source – Pinterest

हिंदी वर्णमाला के प्रकार

हिंदी व्याकरण में हिन्दी वर्णमाला (Hindi Varnamala) को दो भागो में बाटा गया है।

  1. स्वर (Swar)
  2.  व्यंजन (Vyanjan)

स्वर

वे वर्ण ,जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती है या स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण ,स्वर (Vowels) कहलाते हैं।

  • हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnmala) में पहले स्वरों की संख्या 14 थी।

अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ लृ ए ऐ ओ औ ऋ और लृ एवं लृ दोनों का प्रयोग अब नहीं होता है। इस प्रकार अब Hindi Varnamala में स्वरों (Vowels) की संख्या 11 है। 

 स्वर – मात्रा 

  •  अ  
  •  आ  – ा 
  •  इ –   ि 
  •  ई – ी
  •  उ – ु
  •  ऊ – ू
  •  ऋ – ृ
  •  ए – े
  •  ऐ – ैै
  •  ओ – ो
  •  औ – ौ

 हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या 10 है।

स्वर के प्रकार

हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में उच्चारण के आधार पर स्वर (Swar) के तीन भेद होते हैं।

  • ह्रस्व स्वर –  जिस वर्ण के उच्चारण में बहुत कम समय लगे (एक मात्रा का), उसे ह्रस्व स्वर कहते है।जैसे – अ इ उ
  • दीर्घ स्वर – जिनके उच्चारण में एक मात्रा (ह्रस्व स्वर) का दूना समय लगे, उसे द्विमात्रिक या दीर्घ स्वर कहते है।
    जैसे- आ ई ऊ ऋ ए ऐ ओ औ
  • प्लुत स्वर – जिसके उच्चारण में सबसे अधिक समय (दीर्घ स्वर से भी ज्यादा) लगता है। सामन्यतः इसके उच्चारण में एक मात्रा का  तिगुना समय लगता है। जैसे – बाप रे !  रे मोहना !

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स्वरों का वर्गीकरण

हिंदी व्याकरण में स्वरों का वर्गीकरण निम्न है।
1- जिह्वा की ऊचाई के आधार पर –

  •  विवृत – आ
  •  अर्द्ध विवृत – ऐ औ
  • अर्द्ध संवृत – ए   ओ
  •  संवृत – इ ई उ ऊ

2- जिह्वा की उत्थापित भाग के आधार पर –

  • अग्रस्वर – इ ई ए ऐ
  •  मध्य स्वर – अ
  • पश्चस्वर – आ उ  ऊ  ओ  औ

3- ओष्ठों की स्थिति के आधार पर –

  •  प्रसृत – इ ई ए ऐ
  •  वर्तुल – उ ऊ ओ औ
  •  अर्धवर्तुल – आ

4- जिह्वा पेशियों के तनाव के आधार पर –

  •  शिथिल – अ इ उ 
  •  कठोर – आ ई  ऊ

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व्यंजन

जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं हो पाता है ,उन्हें व्यंजन वर्ण (Hindi Vyanjan) कहते है। 
जैसे – क (क्+अ)

  • प्रत्येक व्यञ्जन अ से मिलकर उच्चारित होता है।
  •  हिंदी Varnmala में कोई भी व्यंजन बिना ‘अ’ स्वर के उच्चरित नहीं होता है।

व्यंजन दो तरह से लिखे जाते हैं :

  •  खड़ी पाई के साथ
    क ख ग घ च ज झ ञ ण त थ ध न प फ ब भ म य ल व श ष स क्ष त्र ज्ञ
  •  बिना खड़ी पाई के साथ-
    ङ छ ट ठ ड ढ द र
Varnamala

व्यंजन के प्रकार

हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnmala/Alphabet) में व्यंजन निम्न 3 प्रकार के होते हैं।

  1. स्पर्श व्यंजन
  2. अन्तस्थ व्यंजन
  3. ऊष्म व्यंजन
  • स्पर्श व्यंजन –

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ो से निकलते हुए किसी विशेष स्थान (कण्ठ्य,तालु,मूर्धा,दन्त एवं ओष्ठ) को स्पर्श करे ,स्पर्श व्यंजन कहलाते है। 

जैसे –

  •  व्यंजन –              वर्ग 
  • क ख ग घ ङ –  क
  • च छ ज झ ञ –   च
  • ट ठ ड ढ ण        ट
  • त थ द ध न –  त 
  • प फ ब भ म –  प

Hindi Varnmala (वर्णमाला) में स्पर्श व्यंजन की कुल संख्या 25 है।

  • अन्तस्थ व्यंजन –

जिन वर्णो का उच्चारण वर्णमाला के बीच (स्वर एवं व्यंजन के मध्य) स्थित हो ,अन्तस्थ व्यंजन कहलाते है।
जैसे – अन्तस्थ व्यंजन – य र ल व 

  •  उष्म/संघर्षी व्यंजन –

जिन व्यंजनों के उच्चारण में हवा मुख में घर्षण /रगड़ती हुई महसूस हो ,उसे उष्म/संघर्षी व्यंजन कहते है।
जैसे – उष्म/संघर्षी व्यंजन – श ष स ह 

व्यंजन का वर्गीकरण

Hindi Varnmala में उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजन का वर्गीकरण निम्न है –

  • कण्ठ्य – क ख ग घ ङ ह
  • तालव्य – च छ ज झ ञ य श
  • मूर्धन्य – ट ठ ड ढ ण ष र
  • दन्त्य – त थ द ध न ल स
  • ओष्ठ्य – प फ ब भ म
  • दन्तोष्ठ – व
  • अनुनासिक – ङ ञ ण न म 

FAQ

हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं?

वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 52 वर्ण होते हैं। इनमें 11 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं। लेखन के आधार पर 56 वर्ण होते हैं इसमें 11 स्वर , 41 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।

हिंदी में कुल कितने व्यंजन है?

हिंदी में कुल 39 व्यंजन होते हैं, जिसमें 33 व्यंजन मानक हिंदी व्यंजन होते हैं, चार संयुक्त व्यंजन (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र ) होते हैं और दो उत्क्षिप्त व्यंजन होते हैं।

क से ज्ञ तक कितने अक्षर होते हैं?

क से तक ज्ञ 36 अक्षर होते हैं।

उम्मीद है कि हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) का यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा। हिंदी ग्रामर से जुड़े ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

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12 comments
  1. बहुत ही सुंदर तरीके से समझाया गया है ।

  2. Am very happy to read and know in detail it’s very useful hope you make more such informative notes

  3. सभी हिंदी भाषी को हिंदी के वर्णमाला की जानकारी होनी चाहिए।यहां मुझे हिंदी वर्णमाला के बारे में बहुत अच्छी जानकारी मिली।
    Thanks a lot 😊

  4. बहुत बहुत आभार ऐसे ही अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी साइट पर बने रहे

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