Usha Priyamvada: नई कहानी आंदोलन की प्रसिद्ध लेखिका उषा प्रियंवदा का जीवन परिचय

1 minute read
उषा प्रियंवदा का जीवन परिचय

उषा प्रियंवदा (Usha Priyamvada) हिंदी साहित्य में नई कहानी आंदोलन की प्रमुख लेखिका मानी जाती हैं। वह नई कहानी आंदोलन के दौर की चर्चित महिला कहानीकारों ‘मन्नू भंडारीऔर ‘कृष्णा सोबती में से एक थीं। उन्होंने अपने जीवन की अर्जित अनुभूतियाँ, स्मृतियाँ और कल्पनाओं की अभिव्यक्ति को अपनी रचनाओं का विषय बनाया जिससे पाठक वर्ग जुड़ा हुआ महसूस करता हैं। इसके साथ ही आधुनिक हिंदी साहित्य में उषा प्रियंवदा जी ने कथा साहित्य और उपन्यास विधा में अपना विशेष योगदान दिया था। उषा प्रियंवदा को हिंदी साहित्य में अपनी अनुपम रचनाओं के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका हैं। 

उषा प्रियंवदा  (Usha Priyamvada) हिंदी साहित्य की उन चर्चित लेखिकाओं में से एक हैं, जिनकी कई रचनाओं को स्कूल व कॉलेजों के सिलेबस में पढ़ाया जाता है। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी उषा प्रियंवदा का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्यनन करना आवश्यक हो जाता है।

आइए अब उषा प्रियंवदा का जीवन परिचय (Usha Priyamvada Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नामउषा प्रियंवदा (Usha Priyamvada) 
जन्म 24 दिसंबर 1930 
जन्म स्थान कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश
शिक्षा एम.ए , पीएचडी 
पति का नाम श्री किम.विल्सन 
पेशा लेखिका, अध्यापिका 
भाषा हिंदी 
विधाएँ उपन्यास, कहानी 
साहित्य काल आधुनिक काल 
उपन्यास पचपन खंभे लाल दीवारें, रूकोगी नहीं राधिका, शेष यात्रा आदि। 
कहानी मेरी प्रिय कहानियाँ, जिन्दग़ी और गुलाब के फूल, एक कोई दूसरा आदि। 
सम्मान ‘पद्म भूषण’ और ‘डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार’

उषा प्रियंवदा का प्रारंभिक जीवन – Usha Priyamvada Ka Jivan Parichay

उषा प्रियंवदा का जन्म 24 दिसंबर, 1930 को कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वहीं इनकी आरंभिक शिक्षा उनके गृह क्षेत्र में ही पूरी हुई थी। उषा जी का बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगाव था इसलिए उन्होंने अपने स्कूल के दिनों से ही मुंशी प्रेमचंद, ‘शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय’, उपेन्द्रनाथ अश्क व अपने गुरु ‘प्रकाशचंद्र गुप्त’ के साथ-साथ अन्य साहित्यकारों की रचनाओं को पढ़ना शुरू कर दिया था। वहीं अपने कॉलेज के दिनों से ही उषा जी ने कहानियां लिखनी शुरू कर दी थी। उनकी पहली कहानी का नाम ‘लालचूनर’ था जो ‘सरिता’ पत्रिका में छपी थी।  

अमेरिका से प्राप्त की पोस्ट-डॉक्टल की उपाधि 

इसके बाद उषा प्रियंवदा ने ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ से एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। फिर उन्होंने कुछ समय तक यहीं रहते हुए अंग्रेजी विभाग में अध्यापन कार्य किया और साथ साथ अपनी अंग्रेजी विषय में पीएचडी कंप्लीट की। उन्होंने कुछ वर्षों तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘मिरांडा कॉलेज’ और ‘लेडी श्रीराम कॉलेज’ में अध्यापन कार्य किया जिसके बाद वह ‘फुलब्राइट स्कालरशिप’ पर पोस्ट-डॉक्टल करने अमेरिका के ब्लूमिंगटन, इंडियाना गईं।  

यह भी पढ़ें – वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला गर्ग का संक्षिप्त जीवन परिचय

भाषाविद किम.विल्सन से हुआ विवाह 

अपने अध्ययन दौरान उषा प्रियंवदा (Usha Priyamvada) की मुलाकात विश्वविद्यालय के भाषाविद ‘डॉ. किम. विल्सन’ से हुई, जिसके कुछ समय बाद दोनों ने विवाह कर लिया। इसके बाद उषा जी ने दो वर्षों तक पोस्ट-डॉक्टल की स्टडी की और ‘विस्कांसिन विश्वविद्यालय’ में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर अध्यापन कार्य किया और यहीं से सेवानिवृत हुई। वर्तमान समय में वह लेखन कार्य और देश विदेश का भ्रमण कर रही हैं। 

यह भी पढ़ें – मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम का संपूर्ण जीवन परिचय

उषा प्रियंवदा की साहित्यिक रचनाएं – Usha Priyamvada Ki Rachnaye

उषा प्रियंवदा ने अपनी रचनाओं में मुख्य रूप से स्त्री विषयक और मध्यवर्गीय जीवन पर केंद्रित विषय पर साहित्य का सृजन किया है। उन्होंने अमेरिका में लिखी अपनी पहली कहानी ‘बनवास’ में संकुचित दायरे में रहने वाली भारतीय नारी की समस्याओं के बारे में बताया है। उषा प्रियंवदा ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में रचनाएँ की हैं। आइए अब उषा प्रियंवदा की प्रमुख साहित्यिक कृतियों के बारे में जानते हैं:-

कहानी संग्रह 

  • जिंदगी और गुलाब के फूल – 1961
  • एक कोई दूसरा – 1966
  • कितना बड़ा झूठ – 1972
  • मेरी प्रिय कहानियां
  • मीराबाई – अंग्रेज़ी में लिखित 
  • सूरदास – अंग्रेज़ी में लिखित

उपन्यास 

  • पचपन खंभे लाल दीवारें – 1961
  • रुकोगी नहीं राधिका – 1967
  • शेष यात्रा – 1984
  • अंतर्वंशी – 2000
  • भया कबीर उदास – 2007
  • नदी – 2013 

यह भी पढ़ें – मशहूर अफ़साना निगार ‘कृष्ण चंदर’ का जीवन संपूर्ण परिचय

पुरस्कार एवं सम्मान

उषा प्रियंवदा (Usha Priyamvada) को आधुनिक हिंदी साहित्य में कहानी और उपन्यास विधा में विशेष योगदान देने के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं। जो कि इस प्रकार हैं:-

  • पद्म भूषण 
  • डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार 
  • प्रेमचंद्र पुरस्कार – वर्ष 1976
  • हिंदी चेतना का अंतरराष्ट्रीय साहित्य सम्मान – (ढींगरा फाउंडेशन द्वारा)

FAQs 

उषा प्रियंवदा का जन्म कहाँ हुआ था?

उषा प्रियंवदा जी का जन्म 24 दिसंबर 1931 को कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

रुकोगी नहीं राधिका किसका उपन्यास है?

यह उषा प्रियंवदा का चर्चित उपन्यास है।

उषा प्रियंवदा की प्रथम कहानी का नाम क्या है?

उषा जी की प्रथम कहानी का नाम ‘लालचूनर’ था  जो ‘सरिता’ पत्रिका में छपी थी। 

उषा प्रियंवदा के पति का नाम क्या है?

बता दें कि उषा जी के पति का नाम डॉ. किम. विल्सन है।

पचपन खंभे लाल दीवारें कब प्रकाशित हुआ?

यह उषा जी प्रथम उपन्यास है जिसका प्रकाशन वर्ष 1961 में हुआ था। 

आशा है कि आपको उषा प्रियंवदा का जीवन परिचय (Usha Priyamvada Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*