छात्रों के लिए 10वीं क्लास सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, इसलिए NCERT अपने सिलेबस में उन टॉपिक्स को शामिल करती हैं जो परीक्षा के लिहाज़ से काफी महत्वपूर्ण होती हैं। हिंदी कक्षा 10 के “संचयन भाग-2” के पाठ-3 “टोपी शुक्ला” कहानी के लेखक परिचय , कठिन-शब्दों के अर्थ और NCERT की किताबों के अनुसार प्रश्नों के उत्तर, इन सभी को शामिल कर रहें हैं। चलिए जानते हैं Topi Shukla class 10 के बारे में विस्तार से।
बोर्ड | CBSE |
पाठ्यपुस्तक | NCERT |
कक्षा | कक्षा 10 |
विषय | हिंदी संचयन |
पाठ | पाठ -3 |
पाठ का नाम | टोपी शुक्ला |
लेखक | राही मासूम रज़ा |
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लेखक परिचय
लेखक – राही मासूम रज़ा
जन्म – 1 सितम्बर 1927 पूर्वी उत्तर प्रदेश , ग़ाज़ीपुर (गंगौली)
मृत्यु – 15 मार्च 1992
टोपी शुक्ला पाठ के लेखक राही मासूम रज़ा जी हैं | इनका जन्म 1 सितम्बर 1927 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर के गंगौली गाँव में हुआ था। इन्होंने गाँव में ही शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद अलीगढ़ विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में अपनी PhD पूर्ण की। वहीं पर कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य भी करते रहे। फिर रज़ा साहब मुंबई चले गए, जहाँ पर उन्होंने सैंकड़ों फिल्म स्क्रीप्टस , संवाद और लिरिक्स लिखे। भारत के प्रसिद्ध धारावाहिक ‘महाभारत’ की स्क्रिप्ट , डायलॉग और लिरिक्स ने उन्हें इस क्षेत्र में कभी न मिटने वाली प्रतिष्ठा दिलाई।
राही साहब ने अपने लेखन के माध्यम से जनता को बाँटने वाली ताकतों, राजनैतिक पार्टियां, विभिन व्यक्ति तथा संस्थानों का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने अहंकार, अंधविश्वास, और राजनीती के स्वार्थी गठबंधन आदि को भी बेनकाब किया है| राही साहब एक ऐसे कवी-कथाकार थे, जिनके लिए भारतीय मानवता हमेशा अधिक महत्वपूर्ण रही। राही साहब की लेखन भारतीयों की परेशानियों पर आधारित थीं। इनकी मृत्यु 15 मार्च 1992 को हुई थी।
टोपी शुक्ला का सारांश
इस कहानी के माध्यम से लेखक बचपन की बात करता है। बचपन में बच्चे को जहाँ से अपनापन और प्यार मिलता है वह वहीं रहना चाहता है।
नामों का जो चक्कर होता है वह बहुत ही अजीब होता है। परन्तु खुद देख लीजिए कि केवल नाम बदल जाने से कैसी-कैसी गड़बड़ हो जाती है। यदि नाम कृष्ण हो तो उसे अवतार कहते हैं और अगर नाम मुहम्मद हो तो पैगम्बर (अर्थात संदेश देने वाला)। कहने का अर्थ है कि एक को ईश्वर और दूसरे को ईश्वर का संदेश देने वाला कहा जाता है। नामों के चक्कर में पड़कर लोग यह भूल जाते हैं कि दोनों ही दूध देने वाले जानवरों को चराया करते थे। दोनों ही पशुपति, गोवर्धन और ब्रज में रहने वाले कुमार थे।
प्रस्तुत पाठ में भी लेखक ने दो परिवारों का वर्णन किया है जिसमें से एक हिन्दू और दूसरा मुस्लिम परिवार है। दोनों परिवार समाज के बनाए नियमों के अनुसार एक दूसरे से नफ़रत करते हैं परन्तु दोनों परिवार के दो बच्चों में गहरी दोस्ती हो जाती है। ये दोस्ती दिखती है कि बच्चों की भावनाएँ किसी भेद को नहीं मानती।
आज के समाज के लिए ऐसी ही दोस्ती की आवश्यकता है। जो धर्म के नाम पर खड़ी दीवारों को गिरा सके और समाज का सर्वांगीण विकास कर सके।
Topi Shukla class 10 कठिन-शब्दों के अर्थ
Topi Shukla class 10 से संबंधित कठिन शब्द इस प्रकार हैं:
- घपला – गड़बड़
- डेवलपमेंट – विकास
- परम्पराएँ – रीती रिवाज़
- अटूट – जिसे तोड़ा न जा सके
- मौलवी – इस्लाम धर्म का आचार्य
- काफ़िर – गैर मुस्लिम
- वसीयत – अपनी मृत्यु से पहले ही अपनी सम्पति या उपभोग की वस्तुओं को लिखित रूप से विभाजित कर देना
- करबला – इस्लाम का एक पवित्र स्थान
- नमाजी – नियमित रूप से नमाज पढ़ने वाला
- सदका – एक टोटका
- पाबंद – नियम, वचन आदि का पालन करनेवाला
- छठी – जन्म के छठे दिन का स्नान/पूजन/उत्सव
- जश्न – उत्सव/ख़ुशी का जलसा
- नाक-नक्शा – रूप-रंग
- हाँडियाँ – मिट्टी का वह छोटा गोलाकार बरतन
- मियाँ – पति
- कस्टोडियन – जिस सम्पति पर किसी का मालिकाना हक़ न हो उसका सरक्षण करने वाला विभाग
- बीजू पेड़ – गुठली की सहायता से उगाया गया पेड़
- बेशुमार – बहुत सारी
- पाक – पवित्र
- परवरदिगार – परमेश्वर
- मुलुक – देश
- अलबत्ता – बल्कि
- अमावट – पके आम के रस को सूखाकर बनाई गई मोटी परत
- तिलवा – तिल के बने व्यंजन
- चुभलाना – मुँह में कोई खाद्य पदार्थ रखकर उसे जीभ से बार-बार हिलाकर इधर-उधर करना
- गज़ब – मुसीबत
- चौका – चार वस्तुओं का समूह
- घिन्न – नफ़रत
- असलियत – सच्ची बात
- चुगलखोर – शिकायत करने वाला
- बदन – शरीर
- वास्ते – नाते, लिए
- जुग़राफ़िया – भूगोल शास्त्र
- सरक गए – निकल गए
- अय्यसा – ऐसा
- तोहरी – तुम्हारी
- सकत्यो – सकता
- फ़िकर – चिंता
- मसहूर – प्रसिद्ध
- क्लम्ज़ी – भद्दा
- अकड़ – घमंड
- लप्पड़ – थपड़
- शुशकार – कुत्ते को किसी के पीछे लगाने के लिए नीलाले जाने वाली आवाज़
- भुकीं – चुभी
- रुख – चेहरा
- दाज – बराबरी
- जाड़ा – ठण्ड
- उतरन – किसी के द्वारा पहनकर उतारे हुए वे पुराने कपड़े जिनका उपयोग अब वह न करता हो
- बदतमीज़ी – अपमान
- आसमान सिर पर उठाना – बहुत अधिक शोर मचाना
- पापड़ बेलना – बहुत मेहनत करना
- इन्टरमीडिएट – माध्यमिक
- ज़बान की नोक पर रखना – लगातार किसी की बात करना
- गाउदी – मुर्ख, मन्दबुद्धि
- दर्जे – कक्षा
- सितम – ज़ुल्म
- मिसाल – उदाहरण
- गीली मिट्टी का लौंदा – गीली मिट्टी का पिंड
- बरस – साल
- इम्तिहान – परीक्षा
- पारसाल – आने वाला साल
- तमाम – सभी
- रिसेज़ – लंच, स्कूल में दोपहर के भोजन का समय
- बिलबिला- बहुत अधिक गुस्से में आना
- मॉनीटर – मुखिया
- सन्नाटा – शांति
Topi Shukla Class 10 के ज़रूरी प्रश्न-उत्तर
Topi Shukla Class 10 के ज़रूरी प्रश्न-उत्तर निम्नलिखित है-
इफ्फ़न ‘टोपी शुक्ला’ कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि टोपी शुक्ला की पहली दोस्ती इफ्फ़न के साथ ही हुई थी। इफ्फ़न के बिना टोपी शुक्ला का जीवन अधूरा है। इफ्फ़न के बिना टोपी की कहानी को समझा नहीं जा सकता। दोनों अलग-अलग मज़हब के होते हुए भी एक-दूसरे से अटूट रूप से जुड़े हुए हैं।
टोपी शुक्ला के घरवाले आधुनिक होने के साथ-साथ कट्टर हिंदू भी थे। ‘अम्मी’ शब्द मुसलमानों के घर में इस्तेमाल होता है किंतु जब टोपी शुक्ला के मुख से “अम्मी” शब्द सुना गया तब घरवालों के होश उड़ गए। उनकी परंपराओं की दीवार डोलने लगी। उनका धर्म संकट में पड़ गया। सभी की आँखें टोपी के चेहरे पर जम गईं कि उनकी संस्कृति के विपरीत यह शब्द घर में कैसे आ गया। जब टोपी ने बताया कि यह उसने अपने दोस्त इफ़्फ़न के घर से सीखा है तो उसकी माँ व दादी ने उसकी खूब जमकर पिटाई की।
इफ्फ़न की दादी पीहर इसलिए जाना चाहती थीं क्योकि वे जमींदार परिवार की बेटी थीं। उनके पीहर में घी, दूध व दही की भरमार थी। उन्होंने शादी से पहले पीहर में खूब दूध-दही खाया था। बाद में वे लखनऊ के मौलवी से ब्याही गई थीं जहाँ उन्हें अपनी मौलवी पति के नियंत्रण में रहना पड़ता था। पीहर जाने पर वे स्वतंत्र अनुभव करती थीं, और लपड़-शपड़ जी भर कर दूध-दही खाती थीं। इसी कारण उनका मन हर समय पीहर जाने को तरसता था।
टोपी की दादी का स्वभाव अच्छा न था। वह हमेशा टोपी को डॉटती-फटकारती थीं व कभी भी उससे प्यार से बात न करती थीं। टोपी की दादी परंपराओं से बँधे होने के कारण कट्टर हिंदू थीं। वे टोपी को इफ्फ़न के घर जाने से रोकती थीं। दूसरी ओर इफ्फ़न की दादी बहुत नरम स्वभाव की थीं जो बच्चों पर क्रोध करना नहीं जानती थीं। इसी स्नेह के कारण टोपी इफ्फन से अपनी दादी बदलने की बात करता है। उनकी बोली भी टोपी को अच्छी लगती थी।
इफ़्फ़न की दादी स्नेहमयी थीं। वह टोपी को बहुत दुलार करती थीं। टोपी को भी स्नेह व अपनत्व की जरूरत थी। टोपी जब भी इफ्फन के घर जाता था, वह अधिकतर उसकी दादी के पास बैठने की कोशिश करता था क्योंकि उस घर में वही उसे सबसे अच्छी लगती थीं। दादी के देहांत के बाद टोपी के लिए वहाँ कोई न था। टोपी को वह घर खाली लगने लगा क्योंकि इफ्फ़न के घर का केवल एक आकर्षण था जो टोपी के लिए खत्म हो चुका था। इसी कारण टोपी को इफ्फन की दादी का देहांत के बाद उसका घर खाली-खाली-सा लगने लगा।
इफ़्फ़न के दादा परदादा बहुत प्रसिद्ध मौलवी थे। वे काफ़िरों के देश में पैदा हुए और काफ़िरों के देश में मरे। वे यह वसीयत करके मरे कि लाश करबला ले जाई जाए। उनकी आत्मा ने इस देश में एक साँस तक न ली। उस खानदान में जो पहला हिंदुस्तानी बच्चा पैदा हुआ वह बढ़कर इफ़्फ़न का बाप हुआ। इसके बाद इफ़्फ़न और अन्य सदस्यों के रूप में यह परिवार भारत को होकर रह गया।
मृत्यु के करीब आने पर इफ़्फ़न की दादी को अपना घर याद आया।
टोपी जबे इफ्फ़न के घर जाता तो वह इफ्फ़न की दादी के पास ही बैठने की कोशिश करता। वह इफ्फ़न की अम्मी और उसकी बाजी के पास न जाता न बैठता। वे दोनों प्रायः टोपी को उसकी बोली के लिए छेड़ती और हँसती। जब बात बढ़ने लगती तो दादी ही बीच-बचाव करती और कहती कि तू उधर जाता ही क्यों है। इस तरह वे टोपी को अपने परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए उपहास से टोपी को बचाती थी।
टोपी और इफ्फ़न की दादी में घनिष्ठ प्रेम था। टोपी कट्टर हिंदूवादी ब्राहमण परिवार का था तो इफ्फ़न की दादी पक्की रोज़ा-नमाज़ रखने वाली। यह भेद भी इन दोनों को एक-दूसरे से प्रेम करने से न रोक सका। एक ओर टोपी आठ साल का था तो इफ्फ़न की दादी बहत्तर साल की थी। इस पर दोनों ने एक-दूसरे को अपना समझा और प्रेम के अटूट बंधन में बँधे। इससे स्पष्ट होता है कि प्रेम जाति और उम्र का बंधन नहीं स्वीकारता है।
‘टोपी शुक्ला’ पाठ से पता चलता है कि टोपी को अपने मित्र इफ्फ़न, उसकी दादी और घर की नौकरानी सीता से अपनापन मिलता है। टोपी और इफ्फ़न सहपाठी हैं जो सम-वयस्क हैं और इतने निकट आ जाते हैं कि उन्हें अपनापन मिलने लगता है। इसी प्रकार इफ्फ़न की दादी और सीता ही इफ़्फ़न के दुख को समझती हैं और अपनत्वपूर्ण व्यवहार करती हैं। हाँ, आज के समय में भी ऐसा अपनेपन की प्राप्ति संभव है क्योंकि अपनेपन’ की राह में जाति, धर्म और उम्र आड़े नहीं आ सकते हैं। यह दो लोगों के सोच-विचार और व्यवहार पर निर्भर करता है।
Topi Shukla Class 10 के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
Topi Shukla Class 10 के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर निम्नलिखित है।
टोपी शुक्ला नामक पाठ से ज्ञात होता है कि टोपी के घर में उसकी दादी उसके माता-पिता के अलावा एक बड़ा और एक छोटा भाई भी है। उसके घर में काम करने वाली सीता और केतकी नामक दो नौकरानियाँ हैं पर टोपी के लिए इस घर में कोई प्रेम नहीं है। टोपी को यह प्रेम अपने मित्र इफ़्फ़न उसकी दादी और अपने घर की नौकरानी सीता से मिलता है।
इस प्रेम के कारण जाति, धर्म, उम्र, पद, मालिक-नौकरानी का भेद नहीं आने पाता है। प्रेम के अभाव में वह अपने घरवालों से रिश्ता नहीं बना पाता है जबकि जहाँ उसे प्रेम मिलता है वहाँ नए रिश्ते बन जाते हैं। टोपी का अपने परिवार के सदस्यों से खून का रिश्ता है पर वहाँ प्रेम नहीं है और जहाँ रिश्ता नहीं है वहाँ प्रेम के कारण नए रिश्ते का अंकुरण हो जाता है। इस प्रकार नि:संदेह कहा जा सकता है कि प्रेम मानवीय रिश्तों की बुनियाद है जो आपको व्यक्ति के भाव और उसकी मानवता से प्रेम करना सिखातें हैं ना की रिश्तो के आधार पर।
टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग जाति-धर्म से संबंध रखती हैं , पर उनमें इतना गहरा प्रेम और आत्मीय भाव था कि जाति-धर्म का बंधन इसके आगे कहीं ठहर न सका। दोनों ही एक-दूसरे का दुख-दर्द समझते थे। टोपी और दादी के संबंध को इफ्फ़न के दादा जीवित होते तो वह भी इस संबंध को बिलकुल उसी तरह न समझ पाते जैसे टोपी के घरवाले न समझ पाए थे।
दोनों का लगाव इतना था कि दोनों अलग-अलग अधूरे थे। एक ने दूसरे को पूरा कर दिया था। दोनों प्यासे थे। एक ने दूसरे की प्यास बुझा दी थी। दोनों अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे। दोनों ने एक-दूसरे का अकेलापन मिटा दिया था। इसी प्रेममयी आत्मीय संबंध के कारण टोपी ने कहा कि तुम्हारी दादी की जगह मेरी दादी मर गई होती तो अच्छा रहता।
इफ्फ़न के परिवार में उसकी दादी, उसके अब्बू-अम्मी और दो बहनें थीं। इफ़्फ़न को अपने अब्बू, अपनी अम्मी, अपनी बाजी और छोटी बहन नुजहत से भी प्यार था ही परंतु दादी से वह ज़रा ज्यादा प्यार किया करता था। अम्मी तो कभी-कभार डाँट मार लिया करती थीं। बाजी का भी यही हाल था। अब्बू भी कभी-कभार घर को कचहरी समझकर फैसला सुनाने लगते थे।
नुजहत को जब मौका मिलता उसकी कापियों पर तसवीरें बनाने लगती थीं। बस एक दादी थी जिन्होंने कभी उसका दिल नहीं दुखाया। वह रात को भी उसे बहराम डाकू, अनार परी, बारह बुर्ज, अमीर हमजा, गुलबकावली, हातिमताई, पंच फुल्ला रानी की कहानियाँ सुनाया करती थीं। बच्चे धर्म ,ज़ात, उम्र नहीं देखते वे साफ़ मनके होते है। मैं इससे पूर्णतः सहमत हूँ कि बच्चे प्यार के भूखे होते हैं। और वे उसी के होकर रह जाते हैं, जिनसे उन्हें प्यार मिलता है।
इफ्फ़न के पिता कलेक्टर थे। उनका तबादला हो जाने के कारण उनके स्थान पर नए कलेक्टर हरनाम सिंह आए। वे उसी बँगले में रहने लगे जिसमें इफ़्फ़न का परिवार रहता था। जब इफ़्फ़न को याद करके टोपी उस बँगले में पहुँचा तो चौकीदार ने उसे अंदर जाने दिया। वहाँ नए कलेक्टर के तीनों बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। उन्होंने टोपी से अभद्रता से बातचीत ही नहीं की बल्कि मारपीट भी की।
इतना ही नहीं, उन्होंने टोपी पर अपना अलसेशियन कुत्ता भी छोड़ दिया जिसके कारण टोपी को सात सुइयाँ लगवानी पड़ीं। ऐसा उन्होंने अपने कलेक्टर पिता के पद और हैसियत के घमंड में किया। मानवीय संबंधों पर इसका यह असर होता है कि वे चूर-चूर हो जाते हैं।
ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति और बढ़ते घमंड को रोकने के लिए बच्चों को प्रेम, सद्भाव, भाई-चारा, पारस्परिक सद्भाव, सभी को समान समझने की भावना, त्याग जैसे मानवीय मूल्यों की शिक्षा देनी चाहिए तथा इन मूल्यों को बनाए रखते हुए उनके सामने अनुकरणीय उदाहरण भी प्रस्तुत करना चाहिए।
इफ़्फ़न से दोस्ती करने के कारण जब टोपी की पिटाई हो रही थी तभी उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू ने दादी से शिकायत करते हुए कहा था कि यह (टोपी) एक दिन रहीम कबाबची की दुकान पर कबाब खा रहा था तो टोपी को बहुत गुस्सा आया, क्योंकि वह कबाब को हाथ तक नहीं लगाता है। कबाब तो स्वयं मुन्नी बाबू ने खाया था। यह बात घर न बताने के लिए उसने इकन्नी रिश्वत दी थी। इसका मजा चखाने के लिए टोपी मुन्नीबाबू से बड़ा होना चाहता था।
Worksheet
Topi Shukla Class 10: MCQs
A) गुरदयाल सिंह
B) खुशवंत सिंह
C) राही मासूम रज़ा
D) कोई नहीं
उत्तर: C) राही मासूम रज़ा
A) अपने मित्र की दादी माँ से
B) अपने परिवार की नौकरानी से
C) दोनों से
D) कोई नहीं
उत्तर: C) दोनों से
A) इफ़्फ़न
B) उसकी माता जी
C) उनकी नौकरानी
D) कोई नहीं
उत्तर: A) इफ़्फ़न
A) नौकरानी के पास
B) इफ़्फ़न के पास
C) किसी के पास नहीं
D) कोई नहीं
उत्तर: B) इफ़्फ़न के पास
A) आठवीं
B) दसवीं
C) नौवीं कक्षा में
D) कोई नहीं
उत्तर: C) नौवीं कक्षा में
A) नौवीं कक्षा में फेल होने से
B) माता जी को अम्मी बुलाने से
C) किसी बात से नहीं
D) दोस्तों के साथ खेलने से
उत्तर: B) माता जी को अम्मी बुलाने से
A) खुली हवा में सांस लेने के लिए
B) दूध दही और घी खाने के लिए
C) दोनों
D) कोई नहीं
उत्तर: C) दोनों
A) टोपी
B) इफ़्फ़न
C) इफ़्फ़न की दादी
D) नौकरानी
उत्तर: A) टोपी
A) बचपन की मासूमियत और प्रेम भाव में अपनापन दर्शाना
B) बचपन की लड़ाईया दिखाना
C) कोई नहीं
D) प्रेम भाव
उत्तर: A) बचपन की मासूमियत और प्रेम भाव में अपनापन दर्शाना
A) क्यूंकि सुंदर नहीं है
B) लड़ती है
C) डांटती रहती है
D) कोई नहीं
उत्तर: C) डांटती रहती है
A) हिंदवी
B) फ़ारसी
C) कोई नहीं
D) उर्दू
उत्तर: A) हिंदवी
A) क्यूंकि सब उसको डांटे है
B) मुन्नी बाबू और भैरव भी सब को उसके विरुद्ध भटकाते हैं
C) दोनों
D) कोई नहीं
उत्तर: C) दोनों
A) पैगंबर मोहम्मद और अवतार श्री कृष्ण
B) टोपी और इफ़्फ़न
C) कोई नहीं
D) अवतार
उत्तर: A) पैगंबर मोहम्मद और अवतार श्री कृष्ण
A) क्यूंकि नाम से किसी का स्वरूप नहीं बदलता
B) क्यूंकि नाम सभी भाषा में होते है
C) कोई नहीं
D) क्यूंकि नाम नाम होते हैं
उत्तर: A) क्यूंकि नाम से किसी का स्वरूप नहीं बदलता
A) अपनी माँ के कारण
B) अपनी खूबसूरत यादो और वहाँ बिताए अच्छे समय के कारण
C) कोई नहीं
D) अच्छे समय के कारण
उत्तर: B) अपनी खूबसूरत यादो और वहाँ बिताए अच्छे समय के कारण
FAQs
‘टोपी शुक्ला’ की कहानी ‘डॉ .राही मासूम रज़ा’ साहब ने लिखी है।
टोपी ने कसम खाई कि वह कभी ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा जिसके पिता का transfer हो जाता हो।
‘अम्मी’ शब्द को सुनते ही सबकी नज़रें टोपी पर पड़ गईं क्योंकि यह मज़हबी शब्द था और टोपी हिंदू था। इस पर टोपी की जमकर पिटाई हुई।
इफ़्फ़न की दादी टोपी की माँ की तरह ईस्टर्न UP एक्सेंट में बोलती थीं | इफ़्फ़न की दादी टोपी से बड़े प्यार से बातें करती,उसका तथा माँ का हाल-चाल पूछा करतीं थीं। एक वही थीं जो टोपी को समझती थीं|
इफ्फुन ‘टोपी शुक्ला’ कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि टोपी शुक्ला की पहली दोस्ती इफ्फुन के साथ ही हुई थी। इफ्फ़न के बिना टोपी शुक्ला का जीवन अधूरा है। इफ्फ़न के बिना टोपी की कहानी को समझा नहीं जा सकता। दोनों अलग-अलग मज़हब के होते हुए भी एक-दूसरे से अटूट रूप से जुड़े हुए हैं।
राम दुलारी की मार का टोपी शुक्ला पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।
उसका अंग-अंग दुखने लगा था। उसे अपनी दादी से घृणा हो गई थी, क्योंकि उसकी दादी ने ही उसकी माँ रामदुलारी को भड़काया था और उसकी माँ रामदुलारी ने उसकी पिटाई कर दी। … इसी कारण उसे दूसरे धर्म का शब्द ‘अम्मी’ माँ के रूप में सुनना गवारा नहीं हुआ।
टोपी शुक्ला पाठ समाज को सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देता है। इस पाठ मैं टोपी और इफ़्फ़न अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते हैं लेकिन फिर भी दोनों के बीच एक अटूट संबंध है। हिंदुस्तान में हिंदू और मुसलमानों के बीच प्रेम और भाईचारे से भरे एक वातावरण की चाह रखने वालों के लिए है एक प्रेरणा पद है।
उनके पिता फ़ारसी भाषा के अच्छे विद्वान थे। वे प्राचीन हिंदी भाषा के प्रशंसक थे। वे फ़ारसी भाषा में लिखी उक्तियों के साथ हिन्दी भाषा में लिखी गई उक्तियों को मिलाने के शौकीन थे। वे प्रायः रात में सारे परिवार को रामचरितमानस तथा रामचंद्रिका का बड़ा चित्रात्मक ढ़ंग से वर्णन करके सुनाते थे।
शुक्ल जी के बचपन का साहित्यिक वातावरण –
शुक्ल जी को बचपन से घर में साहित्यिक वातावरण मिला। क्योंकि उनके पिता फारसी भाषा के अच्छे ज्ञाता थे , तथा पुरानी हिंदी कविता के प्रेमी थे। वह प्रायः रात्रि में घर के सब सदस्यों को एकत्रित करके रामचरितमानस तथा रामचंद्रिका को पढ़कर सुनाया करते थे।
दादी के पीहर वाले जब पाकिस्तान में रहने लगे तो भारत में उनके घर की देखभाल करने वाला कोई नहीं रहा। इस पर मालिकाना हक भी न रहा। इसलिए वह घर सरकारी कब्जे में चला गया।
इफ्फ़न ‘टोपी शुक्ला’ कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि टोपी शुक्ला की पहली दोस्ती इफ्फ़न के साथ ही हुई थी।
राम दुलारी की मार का टोपी शुक्ला पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उसका अंग-अंग दुखने लगा था। उसे अपनी दादी से घृणा हो गई थी।
आशा करते हैं कि इस ब्लॉग से आपको Topi Shukla class 10 chapter के बारे में जानकारी मिली होगी। ऐसे और अन्य तरह के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।