शिक्षा का अधिकार (Right to Education)

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Shiksha ka Adhikar

आज शिक्षा का अर्थ हम सभी लोग जानते हैं और शिक्षा ही हमारी सफलता का कारण बनती है। बचपन से ही शिक्षा हम लेने लगते हैं चाहे वह घर पर दी गई शिक्षा हो या स्कूल और कॉलेजों दी जाने वाली शिक्षा। जिस तरह से हमें जीने का अधिकार है उसी तरह हमें शिक्षित होने का भी अधिकार है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमें Shiksha ka adhikar सरकार की ओर से दिया गया है। इससे पहले हमें यह जानना ज़रूरी है कि Shiksha ka Adhikar कब लागू हुआ? Shiksha ka Adhikar हमें कौन-कौन से अधिकार प्रदान करता है? Shiksha ka Adhikar से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां नीचे दी गई हैं।

शिक्षा का अधिकार

shiksha ka adhikar किसी भी देश की सर्वोच्च संपत्ति है। shiksha ka adhikar संभावित मानव संसाधन के लिए दृढ़ता से जानकारी और देश को प्रगति सक्षम पूर्ण किए जाने के लिए उपयोग होता है।shiksha ka adhikar और शिक्षा का महत्व हर एकमनुष्य के जीवन में प्राणों के समान महत्वपूर्ण होता है। आज के समय में शिक्षा के बिना आदमी का जीवन बेकार है। RTE अधिनियम विभिन्न विशेषताओं के साथ दिया गया है। इसलिए इसे सामने आने में इतना लम्बा समय लगा और साथ ही सभी के लिए शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता सपना लाने के लिए shiksha ka adhikar लागू किया गया है। भारत देश में कुल 66 प्रतिशत लोग साक्षरता प्राप्त किए हुए हैं। यह रिपोर्ट 2007 में संयुक्त राष्ट्र शिक्षक सांस्कृतिक संगठन और वैज्ञानिक द्वारा दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट 2009 में शामिल होने के साथ भारत विश्व साक्षरता रैंकिंग में 149 स्थान पर है। शिक्षा एक संवैधानिक अधिकार है। shiksha ka adhikar का विकास कुछ इस प्रकार हुआ है:

  • वर्ष 1950 में भारत के संविधान के शुरुआत हुई
  • शिक्षा के अधिकार को अनुच्छेद 41 के तहत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत मान्यता दी गई थी।
  • “राज्य अपने आर्थिक क्षमता विकास की सीमाओं के भीतर शिक्षा और बेरोजगारी भत्ता अवस्था बीमारी और विकलांगता के मामले में सार्वजनिक सहायता करने के लिए काम करते हैं।

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Education Quotes in Hindi

मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का आश्वासन

मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का आश्वासन भारत देश के राज्य के नीति निर्देशक अनुच्छेद 45 में वर्णित किया गया है।

Shiksha ka adhikar के तहत 14 साल तक के बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान संविधान के द्वारा दिया गया है।

shiksha ka adhikar – मौलिक अधिकार के रूप में

संविधान के अधिनियम shiksha ka adhikar का माध्यम 2002, के द्वारा शिक्षा के अधिकार को पहचान मिली। इसमें कहा गया है कि आया ,”राज्य इस तरीके से विधि द्वारा निर्धारित कर सकते हैं कि राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा।” We should punish those teachers who will Sit in the classes not teaching the students 

अतः उन्नीकृष्णन जी टीवी राज्य आंध्र प्रदेश के शिक्षा का एक मौलिक अधिकार में लाया और निर्माण कर दिया गया था। फिर यह सब के बाद ,यह शामिल संघर्ष की एक बहुत अनुच्छेद 21A के बारे में लाने के लिए और बाद में शिक्षा अधिकार अधिनियम के लिए , RTE आरटीआई अधिनियम के लिए ,एक कच्चा मसौदा विधेयक प्रस्ताव किया गया था 2005 के समय में। बच्चों के अधिकार को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम लोकप्रिय shiksha ka adhikar अधिनियम का रूप 2010 अप्रैल के एक प्रभाव में लाया गया था। RTE अधिनियम 2009 4 अगस्त को भारत के संसद द्वारा 2 जुलाई 2009 निदान पर कैबिनेट मंत्रालय द्वारा 20 जुलाई 2009 के राज्य सभा में अनुमोदन के बाद प्रेरित किया गया और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने विधेयक को मंजूरी दी और साथ ही इसके राज्य पत्र में निशुल्क बच्चे को अधिकार पर अनिवार्य shiksha ka adhikar अधिनियम के रूप में अनुसूचित किया गया 2009 ३ सितंबर। 2010 1 अप्रैल भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरा करने के लिए अस्तित्व लागू में आ गया।

प्राथमिक शिक्षा कोर्स

Shiksha ka adhikar: शिक्षा विधेयक 2009

अंत में एक बहुत महत्वपूर्ण अधिकार की यह स्थिति में वसूली के बाद आकर लाया गया ।निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक 2009,भारतीय सम्मान द्वारा सन 2009 के प्रारूप शिक्षा संबंधी एक विधायक है। यह वह विधायक है, जिसके पास होने से बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया जाएगा। निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक 2009 एक मुख्य प्रधान 2 कमियां एवं आलोचना भी देखा चार बाहरी कड़ियां मुख्य प्रधान 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करवाई जाएगी निजी स्कूल को 6 से 14 साल के बच्चों के 25% गरीब बच्चे मुफ्त पढ़ाई करेंगे। इन ,बच्चों की फीस वसूलने पर 10 गुना जुर्माना लगेगा नहीं मानने पर मान्यता रद्द करवा दी जाएगी ,मान्यता निरस्त होने पर स्कूल चलाया तो एक लाख और इनके बाद रोजाना 10000 जुर्माना भी लगाया जाएगा। विकलांग बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा के लिए उम्र बढ़ कर 18 साल की दी गई थी और बच्चों को मुफ्त शिक्षा मोहे करवाना राज्य और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होगी शिक्षा अधिकार के विधायक में 10 मामलों का पूरा करने की बात कही गई थी

 इसके अंदर मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने स्कूल पाठ्य देश के संविधान की दिशा निर्देशों के अनुरूप शिक्षा महुआ कराने का दायित्व, राज्य सरकार पर होना और सामाजिक जिम्मेदारी पर केंद्रित होने के लिए और एडमिशन प्रक्रिया में लालफीताशाही कम करना भी शामिल किया था प्रवेश के समय कई स्कूल कंपटीशन फीस भी मांगते हैं और बच्चों और माता-पिता को इंटरव्यू की प्रक्रिया से गुजरना भी पड़ता है। इस प्रक्रिया को बदलने का वादा भी विधायक में किया गया था और बच्चों को स्क्रीनिंग अभिभावकों की परीक्षा लेने पर 25000 का जुर्माना होगा दोहराना 50000 । शिक्षक ट्यूशन नहीं पढ़ाएंगे ,कमियां एवं आलोचक इस विधायक को आलोचना में बातें कहीं जा रही है कुछ इस प्रकार की है।

Source: Study with KD

मुफ्त और अनिवार्य (शिक्षा)

Shiksha ke adhikar में मुफ्त और अनिवार्य से जरूरी है समान शिक्षा अच्छा होता है ।सरकार मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का बिल लाने पर जोर देने की बजाय कॉमन स्कूल का बिल  पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही है ।सरकार यह क्यों घोषणा नहीं करती, के देश का हर बच्चा एक ही तरह के स्कूल में जाए और पूरे देश में एक ही पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इस बात पर सवाल उठाया गया ।मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के तहत सिर्फ 25 फ़ीसदी सीटों पर ही समाज के कमजोर वर्ग के छात्रों को दाखिला दिया जाएगा, यानी शिक्षा के जरिए समाज के गैर बराबरी पटना के महान सपना देखा है, वह बच्चा पूरा नहीं कर पाएगा। मुफ्त शिक्षा की बात धोखा है, क्योंकि इसके लिए बजट प्रावधान का जिक्र विधायक में नहीं किया गया ।विधेयक में 6 साल तक के 17 करोड़ बच्चों को की कोई बात नहीं कही गई है और संविधान के 6 साल तक के बच्चों को संतुलित आहार पूर्व प्राथमिक शिक्षा स्वास्थ्य अधिकार दिया गया है इस विधेयक के जरिए छीन लिया गया है किसी भी बच्चों को ऐसी कोई फीस नहीं देनी होगी जो ,उसको 8 साल तक प्रारंभिक शिक्षा देने से रोक सकती है। इस घुमावदार भाषा का शिक्षा के विभिन्न अवसरों मनमाने ढंग से उपयोग किया जा रहा है। इस साल उनका प्रिय मन कैसे होगा यह स्पष्ट अभी तक नहीं हुआ है निशुल्क शिक्षा  तक परिभाषित नहीं किया जा सकता परंतु इसमें शिक्षण सामग्री से लेकर संपूर्ण शिक्षा है या नहीं यह देखना अभी बाकी है।

Courtesy: Let’s Learn

आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (EWS) के लिए मुफ्त शिक्षा के लिए तर्क

  • बच्चों के माता-पिता को 9वीं कक्षा के बाद निजी स्कूलों में अत्यधिक फीस चुकानी पड़ती है, जिसका वह खर्च नहीं उठा सकते।
  • 8वीं के बाद बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूल से सरकारी स्कूल में बदलाव से बच्चों की मनःस्थिति और शिक्षा प्रभावित हो सकती है और इस प्रकार शिक्षा के अधिकार के लाभों का विस्तार बेहतर शिक्षा को सुनिश्चित करेगा।

उच्च शिक्षा में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लिए आरक्षण

  • 103वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम ने अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करके EWS के लिए शिक्षा संस्थानों, नौकरियों और दाखिले में आर्थिक आरक्षण (10% कोटा) की शुरुआत की।
  • इस संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 15 (6) और अनुच्छेद 16 (6) जोड़ा गया।
  • यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए बनाई गई 50% आरक्षण की नीति में कवर नहीं हुए गरीबों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई थी।
  • यह समाज के EWS वर्ग को आरक्षण प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों को सक्षम बनाता है।

FAQ

प्रश्न 1: शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 क्या है?

उत्तर: निशुल्‍क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम, 2009 में बच्‍चों का अधिकार, जो अनुच्‍छेद 21क के तहत परिणामी विधान का प्रतिनिधित्‍व करता है, का अर्थ है कि औपचारिक स्‍कूल, जो कतिपय अनिवार्य मानदण्‍डों और मानकों को पूरा करता है।

प्रश्न 2: शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 कब लागू हुआ?

उत्तर: भारत देश में 6 से 14 वर्ष के हर बच्चे को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा आधिकार अधिनियम 2009 बनाया गया है। यह पूरे देश में अप्रैल 2010 से लागू किया गया है।

प्रश्न 3: 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का अभियान कब लागू किया गया?

उत्तर: संविधान के अनुच्छेद 21में 6 से 14 बर्ष तक के बच्चों के लिये अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गयी है तथा 86 वें संशोधन द्वारा 21 (क) में प्राथमिक शिक्षा को सब नागरिको का मूलाधिकार बना दिया गया है।

प्रश्न 4: RTE Act 2009 में कुल कितने अध्याय हैं?

उत्तर: जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ । इस अधिनियम में 7 अध्याय तथा 38 खण्ड हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत 6-14 वर्ष के लगभग 22 करोड़ बच्चों में से 92 लाख (4.6%) बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते हैं, जिनकी शिक्षा के लिए 1.71 लाख करोड़ रुपये की 5 वर्षों में आवश्यकता होगी।

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4 comments
  1. एक बेहतरीन पोस्ट जो शिक्षा से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान करती है इसके लिए हम आपका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। 🙏

  1. एक बेहतरीन पोस्ट जो शिक्षा से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान करती है इसके लिए हम आपका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। 🙏