सावन हरे न भादो सूखे मुहावरे का अर्थ (Savan Hare Na Bhado Sukhe Muhavare Ka Arth) ‘सदा एक समान रहना’ होता है। जब कोई व्यक्ति सदा ही एक समान व्यवहार करता है, तो ऐसी स्थिति को हम कहते हैं – सावन हरे न भादो सूखे। इस ब्लाॅग में आप मुहावरे का अर्थ, वाक्यों में प्रयोग और इसके भाव के बारे में जानेंगे।
मुहावरे किसे कहते हैं?
किसी विशेष शब्द के अर्थ को आम जन की भाषा में समझाने के लिए जिस वाक्यांश का प्रयोग किया जाता है उसे ‘मुहावरा’ कहते हैं। इसमें वाक्यांश का सीधा-सीधा अर्थ न लेकर बात को घुमा फिराकर कहा जाता है। इसमें भाषा को थोड़ा मजाकिया, प्रभावशाली और संक्षिप्त रूप में कहा जाता है।
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सावन हरे न भादो सूखे मुहावरे का अर्थ क्या है?
सावन हरे न भादो सूखे मुहावरे का हिंदी अर्थ (Savan Hare Na Bhado Sukhe Muhavare Ka Arth) ‘सदा एक समान रहना’ होता है।
सावन हरे न भादो सूखे मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग
सावन हरे न भादो सूखे मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग (Savan Hare Na Bhado Sukhe Muhavare Ka Arth) इस प्रकार है –
- राकेश की पढ़ाई का हाल ऐसा है जैसे ‘सावन हरे न भादो सूखे’, वह चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, उसके नंबर कभी अच्छे नहीं आते।
- मुकेश के व्यापार की स्थिति ‘सावन हरे न भादो सूखे’ जैसी है, वह चाहे कितनी भी नई-नई स्कीम ले आए, उसको लाभ में कोई वृद्धि नहीं होती।
- रमेश का आलस्य ऐसा है कि ‘सावन हरे न भादो सूखे’, तभी उसको चाहे कितनी भी डाट-फटकार क्यों न पड़े, वह कभी सक्रिय नहीं होता।
- सुरेश की सेहत का हाल ‘सावन हरे न भादो सूखे’ जैसा है, फिर चाहे वह कितने भी डॉक्टर को दिखा ले, उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं होता।
- महेश ‘सावन हरे न भादो सूखे’ जैसा है, वह न किसी बात पर ज्यादा खुश होता है और न ही बहुत ज्यादा दुखी।
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आशा है कि आपको सावन हरे न भादो सूखे मुहावरे का अर्थ (Savan Hare Na Bhado Sukhe Muhavare Ka Arth) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। हिंदी मुहावरों के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।