Nazish Pratapgarhi Shayari : नाज़िश प्रतापगढ़ी के चुनिंदा शेर, शायरी और गजल

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Nazish Pratapgarhi Shayari

नाज़िश प्रतापगढ़ी 20वीं सदी के एक प्रतिष्ठित उर्दू शायर थे, जिनकी रचनाओं में सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर तीखे व्यंग्य और आलोचनात्मक दृष्टिकोण का बखूबी चित्रण देखने को मिलता है। नाज़िश प्रतापगढ़ी के शेर, शायरी और गजले आपका परिचय उर्दू साहित्य की खूबसूरती से करवाने के साथ-साथ, आपमें उर्दू साहित्य की समझ को बढ़ाने का प्रयास करेंगी। इस ब्लॉग के माध्यम से आप कुछ चुनिंदा Nazish Pratapgarhi Shayari पढ़ पाएंगे।

नाज़िश प्रतापगढ़ी का जीवन परिचय

नाज़िश प्रतापगढ़ी का जन्म 12 जुलाई 1924 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था, उनका मूल नाम मोहम्मद अहमद था। साहित्यिक जगत में उन्हें नाज़िश प्रतापगढ़ी के नाम से लोकप्रियता मिली। नाज़िश प्रतापगढ़ी की प्रारंभिक शिक्षा प्रतापगढ़ में ही हुई और बाद में उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। नाज़िश प्रतापगढ़ी के साहित्यिक योगदान के कारण ही उन्हें उर्दू शायरी के महत्वपूर्ण शायरों में गिना जाता है, जिनकी रचनाएं देशप्रेम और राष्ट्रप्रेम की भावनाओं का अनोखा समावेश हैं। नाज़िश प्रतापगढ़ी की प्रमुख रचनाएं “फूट चुकी हैं सुब्ह की किरनें सूरज चढ़ता जाएगा”, “बे-चेहरगी-ए-ग़म से परेशान खड़े हैं”, “यूँ लोग चौंक चौंक कर उँगली उठाए हैं”, “कुछ दूर साथ गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर गई” हैं। नाज़िश प्रतापगढ़ी का निधन 10 अप्रैल 1984 को लखनऊ में हुआ था। 

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नाज़िश प्रतापगढ़ी की शायरी – Nazish Pratapgarhi Shayari

नाज़िश प्रतापगढ़ी की शायरी पढ़कर आप उर्दू साहित्य की खूबसूरती से रूबरू होंगे, उनकी चुनिंदा शायरियां यहाँ दी गई हैं :-

“सलाम ऐ उफ़ुक़-ए-हिन्द के हसीं तारो
सलाम तुम पे सिपहर-ए-वतन के मह-पारो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“सुनो कनहैया की बंसी पुकारती है तुम्हें
अब और देर भी करनी न चाहिए यारो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“उठो ज़माना-ए-हाज़िर है इक पयाम-ए-अमल
उठो कि काँप रही है नवा-ए-साज़-ए-ग़ज़ल…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“उठो कि माँद न हो जाए हुस्न-ए-ताज-महल
उठो कि सीनों में फिर रौशनी जिए यारो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“मिटाओ फ़िरक़ा-परस्ती के हर अँधेरे को
बचाओ देश को भगवान के लिए यारो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“जहाँ भी छानूँ घनी हो क़याम करते चलो
अदब जहाँ भी मिले एहतिराम करते चलो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“ज़बाँ के बाब में मन और तू की हद कैसी
कोई ज़बान हो इंसाँ को उस से कद कैसी…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“ज़बान पाक है गाँव की गोरियों की तरह
ज़बाँ अज़ीम है माओं की लोरियों की तरह…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“ज़बाँ तसलसुल-ए-तारीख़-ए-ज़िंदगानी है
ज़बान मनाज़िल-ए-तहज़ीब की कहानी है…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“नज़र में हो जो बुलंदी भी और वुसअ’त भी
तो हर ज़बान में इक हुस्न भी है अज़्मत भी…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

Nazish Pratapgarhi Shayari

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मोहब्बत पर नाज़िश प्रतापगढ़ी की शायरी

मोहब्बत पर नाज़िश प्रतापगढ़ी की शायरियाँ जो आपका मन मोह लेंगी –

“भूला-बिसरा हुआ सा इक चेहरा
मेरे अश्कों में डूब कर निकला…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“सज गया एक आह की सूरत
ऐसी लम्बी कराह की सूरत…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“तेरी बातों में तिरा फ़न तेरे फ़न में तेरी बात
क्यूँ हो तेरे बाब में फिर काविश-ए-ज़ात-ओ-सिफ़ात…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“पहूँची ग़म की रूह तक जिन की न कोई एक बात
इश्क़ में झेले हैं तू ने ऐसे भी कुछ सानेहात…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“ज़िंदगी को ज़िंदगी करना कोई आसाँ न था
हज़्म कर के ज़हर को तू ने किया आब-ए-हयात…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“सिर्फ़ उसी की तर्जुमानी है तिरे अशआ’र में
जिस सुकूत-ए-राज़-ए-रंगीं को कहें जान-ए-हयात…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

Nazish Pratapgarhi Shayari

नाज़िश प्रतापगढ़ी के शेर

नाज़िश प्रतापगढ़ी के शेर पढ़कर आप उनकी लेखन शैली से रूबरू हो सकेंगे। नाज़िश प्रतापगढ़ी के चुनिंदा शेर यहां दिए गए हैं :-

“न होगा राएगाँ ख़ून-ए-शहीदान-ए-वतन हरगिज़
यही सुर्ख़ी बनेगी एक दिन उनवान-आज़ादी…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“जवानो नज़्र दे दो अपने ख़ून-ए-दिल का हर क़तरा
लिखा जाएगा हिन्दोस्तान को फ़रमान-ए-आज़ादी…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“ख़ुदा ऐ काश ‘नाज़िश’ जीते-जी वो वक़्त भी लाए
कि जब हिन्दोस्तान कहलाएगा हिन्दोस्तान-ए-आज़ादी…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“तह बह तह जमती चली जाती है सन्नाटों की गर्द
हाल-ए-दिल सब देखते हैं पूछता कोई नहीं…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“सलाम तुम पे मिरे बच्चो ऐ मिरे प्यारो
भुलाए बैठे हो तुम मुझ को किस लिए यारो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“सुनो कि मादर-ए-भारत की आबरू तुम हो
सुनो कि अम्न-ए-ज़माना की जुस्तुजू तुम हो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“सलाम तुम पे कि मेरे चमन के फूल हो तुम
मिरी नज़र मिरी फ़ितरत मिरा उसूल हो तुम…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“मगर ये क्या हुआ किस वास्ते मलूल हो तुम
ये तुम ने चंद ग़लत काम क्यूँ किए यारो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“ये तुम ने किस लिए तेग़-ओ-तबर से काम लिया
तुम्हारे हाथों में ख़ंजर हैं किस लिए यारो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“तुम्हारे ज़ेहनों में मकरूह साज़िश और फ़साद
दिलों में नफ़रत-ओ-कीना है और बुग़्ज़-ओ-इनाद…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

Nazish Pratapgarhi Shayari

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नाज़िश प्रतापगढ़ी की दर्द भरी शायरी

नाज़िश प्रतापगढ़ी की दर्द भरी शायरियाँ कुछ इस प्रकार हैं :-

“जलाओ मेरे पयामात के दिए यारो
सुनो कि मेरी तमन्ना-ओ-आरज़ू तुम हो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“ख़मोश बैठे हो क्यूँ अपने लब सिए यारो
जलाओ मेरे पयामात के दिए यारो…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“धरती आज़ार हो कर भी ताराज है
ज़िंदगी की कहीं कोई आहट नहीं…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“दूर तक मौत ही मौत का राज है
आदमी इक तबस्सुम को मुहताज है…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

“मंज़र-ओ-मर्सिया-ओ-रज़्म-ओ-सरापा क्या क्या
न लिखा मीर-अनीस आप ने तन्हा क्या क्या…”
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

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नाज़िश प्रतापगढ़ी की गजले

नाज़िश प्रतापगढ़ी की गजले आज भी प्रासंगिक हो कर बेबाकी से अपना रुख रखती हैं, जो नीचे दी गई हैं-

यूँ लोग चौंक चौंक कर उँगली उठाए हैं

यूँ लोग चौंक चौंक कर उँगली उठाए हैं
जैसे हम आज पहले-पहल मुस्कुराए हैं

अक्सर खुली फ़ज़ाओं में भी सनसनाए हैं
हम पर हमारे घर ने वो पत्थर चलाए हैं

ऐ मौज-ए-गुल इधर का अभी रुख़ न कीजियो
कुछ लोग ताज़ा ताज़ा बयाबाँ में आए हैं

महरूमियों के ज़हर से हम कब के मर चुके
ये तो अब अपने जिस्म का लाशा उठाए हैं

हाँ हम को ए'तिराफ़ है इस का कि ज़ीस्त को
आदाब हम ने जुर्म-ए-वफ़ा के सिखाए हैं

दौड़े हैं लोग संग-ए-तग़ाफ़ुल लिए हुए
हम जब भी अपने शहर के नज़दीक आए हैं

फ़ुर्सत कहाँ नसीब क़याम-ओ-क़रार की
हम लोग वक़्त-ए-शाम दरख़्तों के साए हैं

इस दर्जा भीड़ इतनी घुटन है कि अल-अमाँ
यादों का शहर छोड़ के हम भाग आए हैं

वीराना-ए-ख़याल की वहशत न कम हुई
हालाँकि बात बात पे हम मुस्कुराए हैं

चेहरे पे पड़ रही है तिरी बे-रुख़ी की धूप
सीने में हर तरफ़ तिरी यादों के साए हैं

रफ़्तार-ए-ज़िंदगी है कि माँगे है बिजलियाँ
हम हैं कि बे-हिसी को गले से लगाए हैं

यारों को हाल वादी-ए-ग़ुर्बत का क्या लिखें
महसूस हो रहा है हम अपने घर आए हैं

ज़ब्त-ए-ग़म-ए-हयात भी जिन को न पी सका
'नाज़िश' वो अश्क हम ने ग़ज़ल में छुपाए हैं
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

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फूट चुकी हैं सुबह की किरनें सूरज चढ़ता जाएगा

फूट चुकी हैं सुबह की किरनें सूरज चढ़ता जाएगा
रात तो ख़ुद मरती है सितारो तुम को कौन बचाएगा

जो ज़र्रा जनता में रहेगा वो तारा बन जाएगा
जो सूरज उन को भूलेगा वो आख़िर बुझ जाएगा

तन्हा तन्हा रो लेने से कुछ न बनेगा कुछ न बना
मिल-जुल कर आवाज़ उठाओ पर्बत भी हिल जाएगा

माना आज कड़ा पहरा है हम बिफरे इंसानों पर
लेकिन सोचो तिनका कब तक तूफ़ाँ को ठहराएगा

क्यूँ चिंता ज़ंजीरों की हथकड़ियों से डरना कैसा
तुम अंगारा बन जाओ लोहा ख़ुद ही गल जाएगा

जनता की आवाज़ दबा दे ये है किस के बस की बात
हर वो शीशा टूटेगा जो पत्थर से टकराएगा

पूँजी-पतियों याद रखो वो दिन भी अब कुछ दूर नहीं
बंद तिजोरी में हर सिक्का अंगारा बन जाएगा

दुख में रोना-धोना कैसा मूरख इंसाँ होश में आ
तू इस भट्टी में तप-तप कर कुंदन बनता जाएगा

तन के नासूरों को उजले कपड़ों से ढाँपा लेकिन
किस पर्दे में ले जा कर तू मन का कोढ़ छुपाएगा

किस ने समझा है ढलते सूरज का ये संदेश यहाँ
जो भी बोल बड़ा बोलेगा इक दिन मुँह की खाएगा
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

बे-चेहरगी-ए-ग़म से परेशान खड़े हैं

बे-चेहरगी-ए-ग़म से परेशान खड़े हैं
हम फिर भी वो ज़ालिम हैं कि जीने पर अड़े हैं

ग़म से जो बुलंद और मसर्रत से बड़े हैं
ऐसे भी कई दाग़ मिरे दिल पे पड़े हैं

तारीख़ के सफ़्हों पे जो इंसान बड़े हैं
उन में बहुत ऐसे हैं जो लाशों पे खड़े हैं

क्या क्या न हमें घर की उदासी से गिला था
अब शहर से निकले हैं तो हैरान खड़े हैं

आई न शिकन मेरी जबीं पर रह-ए-ग़म में
कुछ आबले पड़ने थे सो तलवों में पड़े हैं

यादों के घने शहर में क्यूँकर कोई निकले
हर फ़र्द के पीछे कई अफ़राद खड़े हैं

रोना तो ये है हल्क़ा-ए-ज़ंजीर की सूरत
हालात के पैरों में हमीं लोग पड़े हैं

सूरज जो चढ़ेगा तो सिमट जाएँगे ये लोग
साए की तरह क़द से जो दो हाथ बड़े हैं

हम पर जो गुज़रती है उसे किस को बताएँ
तन्हाई की आग़ोश में सदियों से पड़े हैं

हालात के पथराव से बच निकलें तो जानो
शीशे की तरह हम भी फ़्रेमों में जड़े हैं

इस दौर-ए-ख़िरद का ये अलमिय्या है कि इंसान
आप अपनी ही लाशें लिए काँधों पे खड़े हैं

सदियाँ हैं कि गुज़री ही चली जाती हैं 'नाज़िश'
हैं रोज़-ओ-मह-ओ-साल कि चुप-चाप खड़े हैं
-नाज़िश प्रतापगढ़ी

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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको Nazish Pratapgarhi Shayari पढ़ने का अवसर मिला होगा। नाज़िश प्रतापगढ़ी की रचनाएं पढ़कर आप उर्दू साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को जान पाए होंगे। इसी तरह की अन्य उर्दू शायरी पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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