लीलाधर मंडलोई आधुनिक हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि और लेखक हैं। हालांकि मुख्य रूप से उनकी पहचान एक कवि के रूप में है। ‘समकालीन हिंदी कविता’ के प्रतिष्ठित कवि के रूप में उनकी 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वहीं उनकी रचनाओं का भारतीय और कई विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘वसुंधरा सम्मान’, ‘पुश्किन सम्मान’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘नागार्जुन सम्मान’ और ‘रामविलास शर्मा सम्मान’ आदि से सम्मानित किया जा चुका है। इस लेख में आप लीलाधर मंडलोई का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में जानेंगे।
| नाम | लीलाधर मंडलोई |
| जन्म | सन् 1954 |
| जन्म स्थान | गुढ़ी गाँव, छिंदवाड़ा जिला, मध्यप्रदेश |
| पेशा | साहित्यकार एवं संपादक |
| भाषा | हिंदी |
| साहित्य काल | आधुनिक काल |
| विधाएँ | कवि, यात्रा वृतांत, डायरी, रिपोर्ताज व आलोचना |
| पुरस्कार एवं सम्मान | वसुंधरा सम्मान’, ‘पुश्किन सम्मान’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘नागार्जुन सम्मान’ और ‘रामविलास शर्मा सम्मान’ आदि |
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मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में हुआ था जन्म
सुप्रसिद्ध साहित्यकार लीलाधर मंडलोई का जन्म सन 1954 में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में गुढी नामक गांव में हुआ था। वहीं उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा भोपाल और रायपुर में हुई। फिर वे प्रसारण की उच्च शिक्षा के लिए वर्ष 1987 में कॉमनवेल्थ रिलेशंस ट्रस्ट, लंदन की ओर से आमंत्रित किए गए। बता दें कि उनके शुरूआती जीवन के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र
लीलाधर मंडलोई दूरदर्शन और आकाशवाणी के महानिदेशक रहे हैं। इसके अलावा वे प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं। वहीं नौकरी के साथ ही उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया है। उनकी कई रचनाओं में छत्तीसगढ़ के जन जीवन का सजीव चित्रण देखने को मिलता है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह की जनजातियों की लोककथाओं पर लिखा गया उनका गद्य एक समाज शास्त्रीय अध्ययन का अत्यंत प्रामाणिक दस्तावेज है।
वहीं अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में भी तमाम तरह के किस्से मशहूर हैं, जिनमें से कुछ को उन्होंने फिर से लिखा है। ऐसी ही एक कथा ‘तताँरा-वामीरो’ है, जिसे भारत के विभिन्न विद्यालयों में पढ़ाया जाता है।
लीलाधर मंडलोई की रचनाएँ
लीलाधर मंडलोई ने हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं जिनमें, कविता, लोककथा,यात्रा वृतांत, डायरी, मीडिया, रिपोर्ताज, आलोचना और कथेतर गद्य को अपनी लेखनी से समृद्ध किया हैं। यहां उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं की सूची दी गई है:-
काव्य-संग्रह
- घर-घर घूमा
- रात-बिरात
- मगर और आवाज
- देखा-अदेखा
- ये बदमस्ती तो होगी
- देखा पहली दफा अदेखा
- उपस्थित है समुंद्र
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गद्य-साहित्य
- अंडमान-निकोबार की लोक कथाएँ
- पहाड़ और परी का सपना
- चाँद का धब्बा
- पेड़ भी चलते हैं
- बुंदेली लोक रागिनी
संपादन
- पचास कविताएँ नयी सदी के लिए चयन
- भीजै दास कबीर
- स्त्री मुक्ति का सपना
- आपदा और पर्यावरण
- जलावतन
- पास पड़ोस
- सरहद
- विस्मृत निबन्ध
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पुरस्कार एवं सम्मान
लीलाधर मंडलोई को साहित्य, शिक्षा और संपादन में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है, जिनमें प्रमुख हैं:–
- वसुंधरा सम्मान
- पुश्किन सम्मान
- शमशेर सम्मान
- नागार्जुन सम्मान
- मध्य प्रदेश साहित्य परिषद के ‘रामविलास शर्मा सम्मान’ से पुरस्कृत
- रज़ा सम्मान
FAQs
लीलाधर मंडलोई का जन्म 1954 में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के गुढ़ी गांव में हुआ था।
लीलाधर मंडलोई हिंदी जगत के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं।
यह सुविख्यात साहित्यकार लीलाधर मंडलोई का लोकप्रिय काव्य-संग्रह है।
आशा है कि आपको लीलाधर मंडलोई का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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