Karpoori Thakur Ka Jivan Parichay: वर्ष 2024 में देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से जननायक ‘कर्पूरी ठाकुर’ को नवाजा जाएगा। बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी और अध्यापक के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले कर्पूरी ठाकुर एक बार बिहार के उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके साथ कर्पूरी ठाकुर दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे हैं।
वहीं अपनी लोकप्रियता और गरीबों की आवाज बनने के कारण उन्हें जीते जी जन नायक की उपाधि मिली थी। इस वर्ष भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती मनाई जा रही हैं। आइए अब हम जननायक कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय (Karpoori Thakur Ka Jivan Parichay) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) |
जन्म | 24 जनवरी, 1924 |
जन्म स्थान | कर्पूरीग्राम, समस्तीपुर, बिहार |
शिक्षा | पटना विश्वविद्यालय |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ |
पार्टी | सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘भारत रत्न’ |
निधन | 17 फरवरी, 1988 |
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बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ जन्म
जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले में पितौंझिया गांव (वर्तमान कर्पूरीग्राम) में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई और वर्ष 1942 में ‘पटना विश्वविद्यालय’ में आने के बाद वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बन गए।
1952 में जीता विधानसभा चुनाव
क्या आप जानते हैं कि भारतीय गणतंत्र के प्रथम आम चुनाव में कर्पूरी ठाकुर समस्तीपुर की ताजपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। वहीं इसके बाद वह कभी बिहार विधानसभा का चुनाव नहीं हारे और दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे।
दो बार रहे बिहार के मुख्यमंत्री
कर्पूरी ठाकुर अपने राजनितिक जीवन में एक बार बिहार के उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख़्यमंत्री रहे। किंतु दोनों बार ही मुख़्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा न कर सके। वर्ष 1970 में उन्होंने प्रथम बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली लेकिन उनका कार्यकाल केवल 163 दिन का रहा। वहीं दूसरी बार जब वह सन 1977 में जीत कर आए उस दौरान भी उनका कार्यकाल अधूरा ही रहा। किंतु ईमानदार छवि और गरीबों की आवाज बनने वाले कर्पूरी ठाकुर ने जो छाप बिहार के समाज पर छोड़ी उससे उनका नाम बिहार की राजनीति में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया।
अंग्रेजी की अनिवार्यता को किया समाप्त
वर्ष 1967 में जब कर्पूरी ठाकुर बिहार के उप-मुख्यमंत्री थे उस दौरान केंद्र सरकार का राज्य सरकारों से पत्राचार अंग्रेजी भाषा में हुआ करता था। जिसका कर्पूरी ठाकुर ने विरोध किया और बिहार में अंग्रेजी में पत्राचार की अनिवार्यता को समाप्त किया। इसके बाद से ही बिहार के सभी विभागों में हिंदी में पत्राचार का दौर शुरू हुआ। इसके अलावा उन्होंने उर्दू को राज्य की दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा देने का कार्य किया था।
क्या आप जानते हैं कि कर्पूरी ठाकुर देश के पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने अपने राज्य में मैट्रिक तक मुफ्त पढ़ाई की घोषणा की थी। इसके साथ ही उनके अथक प्रयासों द्वारा मिशनरी स्कूलों में हिंदी पढ़ाना शुरू हुआ था।
दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन
कर्पूरी ठाकुर कई दशकों तक बिहार की राजनीति का अहम हिस्सा रहे। इसके साथ ही वह गरीब-गुरबों की आवाज बने। वहीं अपने जीवन काल में ही उन्हें जननायक की उपाधि से सुशोभित किया गया। कर्पूरी ठाकुर का दिल का दौरा पड़ने से 17 फरवरी, 1988 को 64 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इस वर्ष जननायक कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती मनाई जाएगी।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ जननायक कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय (Karpoori Thakur Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले में पितौंझिया गांव (वर्तमान कर्पूरीग्राम) में हुआ था।
कर्पूरी ठाकुर को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा।
बता दें कि कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे।
कर्पूरी ठाकुर का 64 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से 17 फरवरी 1988 को निधन हो गया था।
आशा है कि आपको जननायक कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय (Karpoori Thakur Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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कर्पूरी ठाकुर की पत्नी का क्या नाम था
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