संस्कृत, हिंदी, और अन्य भारतीय भाषाओं में संज्ञा एक महत्वपूर्ण वाक्यांश है जो किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, गुण या विचार का नाम देता है। संज्ञा के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से जातिवाचक संज्ञा और भाववाचक संज्ञा का महत्वपूर्ण स्थान है। इस लेख में जातिवाचक संज्ञा और भाववाचक संज्ञा के बारे में विस्तार से जानने के अलावा यह भी समझेंगे जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना।
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जातिवाचक संज्ञा की परिभाषा क्या है?
जिन शब्दों से एक जाति के सभी प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जातिवाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जो किसी विशेष प्रकार या वर्ग की वस्तु, व्यक्ति, स्थान या जीव का नाम देती है। यह संज्ञा समूह या वर्ग को दर्शाती है, न कि किसी विशेष या व्यक्तिगत वस्तु को। जातिवाचक संज्ञाओं का उपयोग उस वर्ग के हर सदस्य के लिए किया जाता है। जैसे- बच्चा, जानवर, नदी, अध्यापक, बाजार, पहाड़, खिड़की आदि।
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भाववाचक संज्ञा की परिभाषा क्या है?
भाववाचक संज्ञाएँ किसी विशेष स्थिति, भावना, या मानसिक स्थिति को व्यक्त करती हैं और इनका भौतिक रूप नहीं होता। भाववाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जो किसी भाव, विचार, गुण, अवस्था या स्थिति को व्यक्त करती है। यह संज्ञा किसी ठोस या भौतिक रूप में नहीं होती, बल्कि यह अमूर्त होती है। जैसे: मिठास, बुढ़ापा, गरीबी, आजादी, साहस, वीरता, आदि।
जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा कैसे बनाते हैं?
जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए कुछ विशेष प्रत्ययों का प्रयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया बहुधा किसी विशेष गुण, अवस्था, या विचार को व्यक्त करने के लिए की जाती है। उदाहरण के साथ जातिवाचक से भाववाचक संज्ञा बनाना यहां बताया जा रहा है-
- ता (Ta) प्रत्यय- इस प्रत्यय का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए किया जाता है। यह प्रत्यय किसी गुण, अवस्था या स्थिति को व्यक्त करता है। उदाहरण: सज्जन (जातिवाचक संज्ञा) → सज्जनता (भाववाचक संज्ञा)
यहाँ ‘सज्जन’ एक व्यक्ति को दर्शाता है, और ‘सज्जनता’ उस गुण को व्यक्त करता है, जो किसी व्यक्ति के पास होता है। मित्र (जातिवाचक संज्ञा) → मित्रता (भाववाचक संज्ञा) ‘मित्र’ व्यक्ति के वर्ग को दर्शाता है, और ‘मित्रता’ उस संबंध या भावना को व्यक्त करता है जो मित्रों के बीच होती है। - पण (Pan) प्रत्यय– यह प्रत्यय भी किसी व्यक्ति के गुण या स्थिति को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह प्रत्यय जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाने में सहायक होता है। उदाहरण: कवि (जातिवाचक संज्ञा) → कविपण (भाववाचक संज्ञा) यहां ‘कवि’ एक व्यक्ति को दर्शाता है और ‘कविपण’ उस व्यक्ति के काव्यकला के गुण को व्यक्त करता है।
- वत्ता (-watta) प्रत्यय- यह प्रत्यय किसी गुण या विशेषता को व्यक्त करता है। इसका प्रयोग विशेषत: गुणसूचक भाववाचक संज्ञाएँ बनाने के लिए किया जाता है। उदाहरण: धन (जातिवाचक संज्ञा) → धनवत्ता (भाववाचक संज्ञा)। यहां ‘धन’ वस्तु का नाम है और ‘धनवत्ता’ उस वस्तु के धन होने के गुण को व्यक्त करता है।
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जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना
उदाहरण के साथ जातिवाचक से भाववाचक संज्ञा बनाना यहां बताया जा रहा है-
जातिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञा |
इंसान | इंसानियत |
ईमान | ईमानदारी |
ईश्वर | ईश्वरत्व |
क्षत्रिय | क्षत्रियत्व |
गुरु | गुरुत्व |
घर | घरेलू |
चोर | चोरी |
ठग | ठगी |
डाकू | डकैती |
दानव | दानवता |
देव | देवत्व |
दोस्त | दोस्ती |
नर | नरत्व |
नारी | नारीत्व |
नेता | नेतृत्व |
पशु | पशुता/पशुत्व |
पुरुष | पुरुषत्व |
प्रभु | प्रभुता/प्रभुत्व |
बंधु | बंधुत्व |
बच्चा | बचपन |
बाल | बालपन |
बूढ़ा | बुढ़ापा |
भ्रातृ | भ्रातृत्व |
मनुष्य | मनुष्यता/मनुष्यत्व |
मर्द | मर्दानगी |
माता | मातृत्व |
मानव | मानवता |
मित्र | मित्रता/मैत्री |
राष्ट्र | राष्ट्रीयता |
लड़का | लड़कपन |
वक्ता | वाक्तृत्व/वक्तृता |
वत्स | वात्सल्य |
विद्वान | विद्वत्ता |
वीर | वीरत्व/वीरता |
व्यक्ति | व्यक्तित्व |
शत्रु | शत्रुता |
शिशु | शैशव/शिशुता |
संस्कृति | संस्कार |
सज्जन | सज्जनता |
सेवक | सेवा |
स्त्री | स्त्रीत्व। |
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50+ जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना
यहां 50 उदाहरण दिए गए हैं, जिनमें जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाई गई है:
जातिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञा | उदाहरण |
पुस्तक | पुस्तकिता | पुस्तक का महत्व (पुस्तकिता) |
बालक | बालकत्व | बालक का व्यवहार (बालकत्व) |
विद्यार्थी | विद्यार्थीपन | विद्यार्थी का अनुशासन (विद्यार्थीपन) |
राजा | राज्याधिकार | राजा का शासन (राज्याधिकार) |
पुस्तकालय | पुस्तकालयता | पुस्तकालय में शांति (पुस्तकालयता) |
फूल | फूलपन | फूलों की सुंदरता (फूलपन) |
आदमी | मानवता | मानवता का पालन (मानवता) |
सेना | सैन्यशक्ति | सेना की शक्ति (सैन्यशक्ति) |
कलम | कलमकारिता | लेखक की कलमकारिता (कलमकारिता) |
कवि | कवित्व | कवि का उत्कृष्ट कवित्व (कवित्व) |
लड़की | ललितता | लड़की का सौंदर्य (ललितता) |
आदमी | पुरुषत्व | आदमी की ताकत (पुरुषत्व) |
चित्र | चित्रकला | चित्रकार की चित्रकला (चित्रकला) |
गाना | गायन | गायक का गायन (गायन) |
मनुष्य | मनुष्यता | मनुष्य का धर्म (मनुष्यता) |
विद्यार्थी | अध्ययनशीलता | विद्यार्थी की मेहनत (अध्यानशीलता) |
सिख | सिखता | सिख की निष्ठा (सिखता) |
मित्र | मित्रता | दोस्तों के बीच मित्रता (मित्रता) |
बच्चा | बचपन | बचपन की यादें (बचपन) |
शिक्षक | शिक्षकता | शिक्षक का कार्य (शिक्षकता) |
गुलाब | गुलाबिता | गुलाब की सुगंध (गुलाबिता) |
किसान | किसानता | किसान का परिश्रम (किसानता) |
घोड़ा | घोड़ापन | घोड़े की चाल (घोड़ापन) |
छात्रा | छात्रत्व | छात्रा का अनुशासन (छात्रत्व) |
व्यक्ति | व्यक्तित्व | व्यक्ति का स्वभाव (व्यक्तित्व) |
नेता | नेतृत्व | नेता का विचार (नेतृत्व) |
फूलों | फूलत्व | फूलों की खुशबू (फूलत्व) |
बच्चा | बचपना | बचपन का अनुभव (बचपना) |
इंसान | इंसानियत | इंसानियत का पालन (इंसानियत) |
शिव | शिवत्व | शिव की भक्ति (शिवत्व) |
देवता | देवत्व | देवता की पूजा (देवत्व) |
कला | कला रूप | कला का महत्व (कला रूप) |
सन्त | संतत्व | सन्त की तपस्या (संतत्व) |
त्याग | त्यागीपन | त्याग का आदर्श (त्यागीपन) |
राजा | राजतंत्र | राजतंत्र की व्यवस्था (राजतंत्र) |
जीवन | जीवन्तता | जीवन की सुंदरता (जीवन्तता) |
खिलाड़ी | खेलभावना | खिलाड़ी की मेहनत (खेलभावना) |
खग | खगत्व | खगों की उड़ान (खगत्व) |
आदमी | आदमीयत | आदमी की समझ (आदमीयत) |
सैनिक | सैनिकी | सैनिक का कर्तव्य (सैनिकी) |
कर्मचारी | कर्मचारिता | कर्मचारी की कार्यक्षमता (कर्मचारिता) |
परिवार | परिवारिकता | परिवार की एकता (परिवारिकता) |
स्त्री | स्त्रीत्व | स्त्री की शक्ति (स्त्रीत्व) |
बच्चा | बचपनपन | बच्चे की मुस्कान (बचपनपन) |
लेखक | लेखन | लेखक का लेखन (लेखन) |
युवा | यौवन | युवा का जोश (यौवन) |
बुद्धि | बुद्धिमत्ता | बुद्धि का विकास (बुद्धिमत्ता) |
कर्मी | कर्मठता | कर्मी का परिश्रम (कर्मठता) |
उत्सव | उत्सविता | उत्सव की खुशी (उत्सविता) |
गाय | गायिका | गाय का महत्व (गायिका)। |
FAQs
उत्तर: जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए हम कुछ विशेष प्रत्ययों का प्रयोग करते हैं। ये प्रत्यय गुण, अवस्था, या स्थिति को व्यक्त करने वाले शब्दों का निर्माण करते हैं। प्रत्यय: -ता (-ta), -पन (-pan), -वत्ता (-watta), -त्व (-tva), -भावना (-bhavana), आदि।
आमतौर पर भाववाचक संज्ञा से जातिवाचक संज्ञा नहीं बनाई जाती क्योंकि भाववाचक संज्ञा किसी अमूर्त विचार, भावना या गुण को व्यक्त करती है, जबकि जातिवाचक संज्ञा भौतिक वस्तुओं, स्थानों या व्यक्तियों के वर्ग का नाम देती है। लेकिन कुछ विशेष स्थितियों में यह संभव हो सकता है।
हां, जातिवाचक संज्ञाएँ और भाववाचक संज्ञाएँ दोनों का ही उपयोग भाषा में विभिन्न प्रकार के वाक्य बनाने के लिए किया जाता है। जबकि जातिवाचक संज्ञाएँ किसी वस्तु या व्यक्ति की श्रेणी या वर्ग को दर्शाती हैं, वहीं भाववाचक संज्ञाएँ मानसिक या भावनात्मक अवस्थाओं को व्यक्त करती हैं।
हां, भाववाचक संज्ञाओं का प्रयोग वाक्य में सीधे किया जा सकता है। उदाहरण: उसने सच्चाई को स्वीकार किया।
उम्मीद है कि आपको इस ब्लॉग में जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना अच्छा लगा होगा। हिंदी व्याकरण से जुड़े अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।
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v.good
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