क्या आप जानते हैं जयपुर के जंतर मंतर का यह रहस्य?

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Jantar Mantar

हमारे देश भारत में 33 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित  विश्व धरोहर स्थल है। आपको बता दें कि UNESCO World Heritage Sites में सबसे पहले 1983 में अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, ताजमहल और आगरा के किले को शामिल किया गया था। उसके बाद धीरे धीरे कई स्थल जुड़ते चले गए। इसी कड़ी में आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे जंतर मंतर के बारे में। तो आईये जानते हैं इसके बारे में:

जंतर मंतर का संक्षिप्त इतिहास और रहस्य

राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित जंतर-मंतर को कौन नहीं जानता। यह भारत के खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है जिसका निर्माण सवाई जयसिंह II द्वारा 1724 से 1734 के बीच किया गया था। सवाई जयसिंह एक खगोलीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने इस विशाल वेधशाला का निर्माण अंतरिक्ष और समय के बारे में जानकारी इकट्ठा करने और उसका अध्यन करने के लिए किया। उस समय के दौरान हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों के बीच ग्रहों की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई थी। इसी बहस को खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण किया। जयपुर में स्थित यह वेधशाला 2010 में यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में भी शामिल हुआ।

जंतर मंतर कितने राज्य में है?

जंतर मंतर यानी ‘गणना के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण’। महाराजा जयसिंह II ने भारत में कुल 5 जंतर मंतर का निर्माण करवाया है, जिनमें से सबसे बड़ा जयपुर में है, यहाँ दुनिया की सबसे बड़ी सूर्यघड़ी भी है। जयपुर के अतिरिक्त उज्जैन, मथुरा, दिल्ली और वाराणसी में भी है। आपको बता दें कि पहली वेधशाला का निर्माण 1725 में दिल्ली में हुआ और इसके बाद 1734 में जयपुर में जंतर मंतर का निर्माण करवाया गया।

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