अनौपचारिक पत्र (इनफॉर्मल लेटर) लेखन लगभग सभी कक्षाओं की परीक्षा में पूछा जाता है। अच्छा पत्र लिखना भी एक कला है जिसके अनुसार ही परीक्षा में अंक दिए जाते हैं। आपको परीक्षा में इस टॉपिक में पूरे अंक प्राप्त हों इसलिए इस ब्लॉग में informal letter in Hindi से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण नियम, फॉमेट और कुछ सैंपल्स दिए गए हैं।
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जरूर पढ़ें: Formal Letter in Hindi
पत्र के प्रकार
पत्र दो प्रकार के होते हैं, जैसे –
- अनौपचारिक पत्र– जिन लोगों से निजी संबंध होते हैं, उन्हें अनौपचारिक पत्र (इनफॉर्मल लेटर) लिखे जाते हैं। इस प्रकार के पत्रों में व्यक्ति अपने मन की बातों, भावनाओं सुख-दुख की बातों आदि को लिखते हैं। अतः इन पत्रों को ‘व्यक्तिगत पत्र’ भी कहा जाता है। इन पत्रों की भाषा-शैली में अनौपचारिकता का पुट देखा जा सकता है।
- औपचारिक पत्र– ये पत्र औपचारिक संदर्भों में लिखे जाते हैं। जिन लोगों के साथ इस तरह का पत्राचार किया जाता है, उनके साथ हमारे निजी संबंध नहीं होते। औपचारिक माहौल होने के कारण इस प्रकार के पत्रों में तथ्यों और सूचनाओं को अधिक महत्व दिया जाता है।
अनौपचारिक पत्र क्या होते हैं?
अपने माता-पिता, जानने वाले, दोस्तों या सगे संबंधियों के लिए अनौपचारिक पत्र (इनफॉर्मल लेटर) लिखा जाता है। ये पत्र पूरी तरह से निजी या व्यक्तिगत होते हैं। इस तरह के पत्रों में व्यक्ति अपनी भावनाओं, विचारों व सूचनाओं को अपने चाहने वालों को भेजते हैं। इन पत्रों में भाषा बहुत ही सिंपल और आसान होती है। अनौपचारिक पत्र (इनफॉर्मल लेटर) में हालचाल पूछने या उन्हें निमंत्रण भेजने, धन्यवाद देने या कोई महत्वपूर्ण सूचना देने के लिए लिखे जाते हैं। वहीं इस तरह के पत्रों में शब्दों की संख्या लिखने वाले व्यक्ति पर निर्भर करती है।
अनौपचारिक पत्र लिखने हेतु मुख्य बिंदु
- अनौपचारिक पत्र में शब्द सीमा नहीं होती है इस पत्र में कितने भी शब्द लिख सकते हैं क्योंकि इस पत्र में कोई पाबन्दी नहीं होती है।
- अनौपचारिक पत्र में पृष्ठों की संख्या एक से अधिक हो सकती है।
- अनौपचारिक पत्र स्वतंत्र होते हैं, इनमें भाषा और भावनाओं की पाबन्दी नहीं होती है।
- इस प्रकार के पत्र में सुख-दुःख, मन की बात और भावनाओं को व्यक्त कर लिख सकते हैं।
- पत्र में भाषा साधारण बोलचाल की भाषा होनी चाहिए जिससे प्रापक को पत्र में लिखी बाते आसानी से समझ में आ जाये।
- पत्र प्रेषक और प्रापक का पता स्पष्ट व साफ लिखा होना चाहिए।
अनौपचारिक पत्र के प्रकार
Informal letter in hindi (अनौपचारिक पत्र) के प्रकार नीचे दिए गए हैं-
- बधाई पत्र
- शुभकामना पत्र
- निवेदन पत्र
- संवेदना/सहानुभूति/सांत्वना पत्र
- नाराजगी/खेद पत्र
- सूचना/वर्णन संबंधी पत्र
- निमंत्रण पत्र
- आभार-प्रदर्शन पत्र
- अनुमति पत्र
- सुझाव/सलाह पत्र
- क्षमायाचना एवं आश्वासन संबंधी पत्र
अनौपचारिक पत्राचार
Informal letter in Hindi (इनफॉर्मल लेटर) लिखे जाने का सही तरीका हिंदी में भी अंग्रेजी पत्रों के अनुसार ही पत्र लिखे जाते हैं। पत्र के निम्नलिखित अंग होते हैं-
पत्र लेखक का पता
पत्र के सबसे ऊपर बाई ओर पत्र लेखक को अपना पता लिखना चाहिए। यदि छात्रों को परीक्षा भवन’ में पत्र लिखने के निर्देश दिए गए हैं, तो उन्हें अपना पता न लिखकर ‘परीक्षा ‘भवन’ तथा नगर का नाम, जहाँ परीक्षा हो रही है, लिख देना चाहिए। छात्रों को ऐसा कोई भी संकेत नहीं देना चाहिए, जिससे उनके बारे में कोई भी जानकारी किसी को भी मिल सके।जैसे- परीक्षा भवन, नई दिल्ली
दिनांक
पत्र लेखक को चाहिए कि पता लिखने के बाद ठीक उसके नीचे उस दिन का दिनांक लिखें I जैसे- दिनांक: 15 अप्रैल, 20xx या 15-04-20xx
संबोधन
Informal letter in hindi (अनौपचारिक पत्रों) में ‘संबोधन’ का विशेष महत्व होता है क्योंकि पत्र पढ़ने वाला सबसे पहले इसी को पढ़ता है। इन संबोधनों के माध्यम से पत्र लेखक पाठक के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है। संबोधनों को देखकर ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पत्र अपने से छोटे को लिखा गया है या बड़े को तथा कितना प्यार या सम्मान व्यक्त किया गया है। संबोधन के कुछ सैम्पल्स इस प्रकार हैं:
- पूज्य पिता जी/माता जी/गुरु जी आदि।
- आदरणीय चाचा जी/मामा जी/भाई साहब/दीदी/भाभी जी आदि।
- श्रद्धेय चाचा जी/गुरुवर आदि।
- प्रिय भाई/मित्र आदि।
- शिष्टाचार सूचक पदबंध/अभिवादन की उक्तियाँ- शिष्टाचार या अभिवादन के वाक्य इस बात पर निर्भर करते हैं कि संबोधन किस प्रकार का है शिष्टाचार के कुछ पदबंध इस प्रकार हैं- चरणस्पर्श, प्रणाम, नमस्कार, वंदे, सस्नेह/सप्रेम नमस्ते, प्रसन्न रहो, चिरंजीवी रहो आदि।
- विषयवस्तु या मूल कथ्य- शिष्टाचार सूचक शब्दों के बाद पत्र की मूल विषयवस्तु आती है। इसे पत्र का कथ्य भी कहते हैं। इसके अंतर्गत लेखक वे सभी बातें, विचार आदि व्यक्त करता है, जिन्हें वह पाठक तक संप्रेषित करना चाहता है। इसी से लेखक की अभिव्यक्ति क्षमता, भाषा, कथ्य को प्रस्तुत करने का तरीका आदि का पता चलता है।
- समापन निर्देश या स्वनिर्देश- कथ्य की समाप्ति के बाद पत्र के समापन की बारी आती है। पत्र-समापन से पहले आत्मीय जनों के विषय में पूछताछ, आदर-सम्मान आदि का भाव व्यक्त किया जाता है। अंत में ‘स्वनिर्देश के अंतर्गत पत्र लेखक तथा पाठक के मध्य के संबंधों के आधार पर संबंधसूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है; जैसे- आपका… आपका ही… तुम्हारा अपना स्नेहाकांक्षी… आदि।
- पत्र लेखक का नाम- ‘स्वनिर्देश’ के नीचे पत्र लेखक को अपना नाम लिखना चाहिए। परीक्षा भवन में पत्र लिखते समय नाम के स्थान पर ‘क०ख०ग/अ०ब०स’ आदि लिख सकते हैं।
यह देखें:पत्र लेखन
अनौपचारिक पत्र का फॉर्मेट
Informal Letter in Hindi (इनफॉर्मल लेटर) का फॉर्मेट नीचे दिया गया है-
- पता- सबसे ऊपर बाईं ओर प्रेषक (पत्र भेजने वाले) का नाम व पता लिखा जाता है।
- दिनांक- जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है, उस दिन की तारीख।
- विषय- (सिर्फ औपचारिक पत्रों में, अनौपचारिक पत्रों में विषय का प्रयोग नहीं किया जाता है |
- संबोधन- प्रापक (जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है) के साथ संबंध के अनुसार संबोधन का प्रयोग किया जाता है। (जैसे कि बड़ों के लिए पूजनीय, पूज्य, आदरणीय आदि के शब्दों का प्रयोग किया जाता है और छोटों के लिए प्रिय, प्रियवर, स्नेही आदि का प्रयोग किया जाता है।)
- अभिवादन- जिस को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार, जैसे कि सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, नमस्ते, नमस्कार, मधुर प्यार आदि |
- प्रमुख विषय- मुख्य विषय को मुख्यतः तीन अनुच्छेदों में विभाजित करना चाहिए। पहले अनुछेद की शुरुआत कुछ इस प्रकार होनी चाहिए- “हम/मैं यहाँ कुशल हूँ, आशा करता हूँ कि आप भी वहाँ कुशल होंगे।”
अनौपचारिक पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें
इनफॉर्मल लेटर (Informal Letter in Hindi) लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें इस प्रकार हैं-
- भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।
- पत्र लेखक तथा प्रापक की आयु, योग्यता, पद आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए।
- पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए।
- पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
- भाषा और वर्तनी (ग्रामर)-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ होना चाहिए।
- पत्र प्रेषक व प्रापक वाले का पता साफ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
- कक्षा/परीक्षा भवन से पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क० ख० ग० तथा पते के स्थान पर कक्षा/परीक्षा भवन लिखना चाहिए।
- अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए।
- पत्र में काट छांट नही होनी चाहिए।
अनौपचारिक पत्र के उदाहरण
इनफॉर्मल लेटर के उदाहरण नीचे दिए गए हैं-
बधाई पत्र – मित्र के बड़े भाई को नौकरी मिलने की खुशी में बधाई देने के लिए मित्र को पत्र।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक : 15 अप्रैल, 20XX
प्रिय मुकेश
सप्रेम नमस्ते!
कैसे हो मित्र? तुमने तो मुझे सूचित नहीं किया लेकिन तुम्हारे चाचा जी एक दिन मेरे घर आए थे। उन्हें दिल्ली में कल काम था। वे एक रात मेरे घर पर रुके भी थे। शायद वापस लौटकर जाने के बाद उन्होंने तुम्हें बताया भी होगा।उन्होंने ही सूचना दी कि मुंबई की एक बड़ी कंपनी में तुम्हारे बड़े भाई अमित भैया की नौकरी लग गई है। यह जानकर बहुत खुशी हुई। अमित भैया शुरू से ही परिश्रमी और होनहार थे। उनकी नौकरी लग जाने के बाद अब तुम्हारे परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाएगी और तुम्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने में कठिनाई नहीं होगी। अमित भैया को मेरी ओर से तथा मेरे मम्मी-पापा की ओर से बधाइयाँ देना।
शेष सब सामान्य है। अपनी माता जी और दीदी को मेरा प्रणाम निवेदित करना। उत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा अपना
क० ख० ग०
निमंत्रण पत्र – बड़े भाई के विवाह का निमंत्रण देते हुए अपने मित्र को पत्र।
परीक्षा भवन
उज्जैन
दिनांक: 18 अक्टूबर, 20xx
प्रिय सुमीत
सस्नेह नमस्ते!
तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरे बड़े भाई का विवाह 16 नवंबर 20xX को होना निश्चित हुआ है। तुम्हें यह तो मैं अपने पिछले पत्र में बता ही चुका हूँ कि मेरे बड़े भैया ने पिछले साल ‘कंप्यूटर इंजीनियरिंग’ का कोर्स पूरा कर लिया था और तभी से वे बेंगलुरु की एक आई०टी० कंपनी में नौकरी कर रहे थे। मेरी होनेवाली भाभी बेंगलुरु के कॉलेज में लेक्चरर हैं।
इस विवाह में तुम्हें और तुम्हारे परिवार के सभी लोगों को अवश्य शामिल होना है। मेरे मम्मी-पापा भी निवेदन कर रहे हैं कि आप सब लोग विवाह में अवश्य उपस्थित हों। अपने मम्मी-पापा से मेरी ओर से कहना कि अभी से ही आरक्षण करा लें, जिससे उस समय कठिनाई न हो। तुम तो जानते ही हो कि हमारे घर की यह पहली शादी है। शादी के अवसर पर बहुत से काम होंगे। मुझे आशा है कि तुम एक-दो दिन पहले आ जाओगे और काम में मेरा हाथ बटाओगे। शेष सब आनंद है। पत्र के उत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा मित्र
क० ख० ग०
शुभकामना पत्र – आपके बड़े भाई डॉक्टर बनना चाहते हैं। ‘मेडिकल प्रवेश परीक्षा’ की तैयारी में लगे हैं वे परीक्षा उत्तीर्ण हों, ऐसी शुभकामना व्यक्त करते हुए उनको पत्र।
परीक्षा भवन
इंदौर
दिनांक : 15 अप्रैल, 20xx
आदरणीय बड़े भैया
सादर प्रणाम!
आशा है कि आप स्वस्थ होंगे तथा इन दिनों मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारियों में पूरी तरह से लगे होंगे।
बड़े भैया, आप तो स्वयं समझदार हैं, मैं आपको क्या लिखूं? पर फिर भी आप तो जानते ही हैं कि माँ और पिता जी की आशाएँ आपसे जुड़ी हुई हैं। इन दिनों आप अपने होस्टल में अकेले ही होंगे और पढ़ाई में लगे होंगे। पिता जी कह रहे थे कि आपको किसी अच्छे कोचिंग सेंटर में प्रवेश ले लेना चाहिए। वे लोग प्रवेश परीक्षाओं की अच्छी तैयारी कराते हैं।
मुझे विश्वास है कि ईश्वर आपको अवश्य सफलता देगा और आपका दाखिला किसी अच्छे ‘मेडिकल कॉलेज’ में होगा। आशा है अपने छोटे भाई की शुभकामनाओं को स्वीकार करेंगे तथा प्रवेश लेने के बाद कुछ दिनों के लिए घर लौटेंगे।
शुभकामनाओं सहित।
आपका छोटा भाई
क० ख० ग०
आभार-प्रदर्शन पत्र – मोहसिन ने अपने बड़े भाई के द्वारा आपका खोया हुआ बैग भिजवा दिया है। इसके उपलक्ष्य में आभार-प्रदर्शन करते हुए पत्र।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक : 15 जनवरी, 20xx
प्रिय मोहसिन
प्रेम नमस्ते!
यद्यपि मेरी तुमसे मुलाकात नहीं है तथापि तुम्हारी ईमानदारी को देखते हुए यह कल्पना कर सकता हूँ कि तुम किस प्रकार के बच्चे होगे। आज की दुनिया में कहाँ कोई किसी के लिए इतनी तकलीफ़ उठाता है? मेरा बैग बस में रह गया था, इस बात को लेकर मैं बहुत परेशान था। मेरी मम्मी ने तो मुझे बहुत डाँटा था। मैं खुद अपनी लापरवाही पर बहुत दुखी था। यह तो अच्छा हुआ कि बैग तुम्हें मिला। तुमने उसमें से मेरी डायरी निकालकर मेरा पता खोज निकाला और अपने बड़े भाई के हाथों मेरे घर पर भिजवा दिया। मैं किन शब्दों में तुम्हारा शुक्रिया अदा करूँ। अब तो मेरा दिल तुमसे मिलने के लिए बेचैन है। मेरा फ़ोन नंबर xxxxxxxxxx है। पत्र मिलते ही तुम मुझे .फोन पर बताना कि मैं तुमसे मिलने कहाँ और कब आ सकता हूँ।
अंत में मैं तुम्हें तथा तुम्हारे बड़े भाई के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ और तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि यदि कभी मेरे सामने ऐसी ही स्थिति आई तो मैं भी दूसरों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ंगा।
पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद।
तुम्हारा नया मित्र
क० ख० ग०
यह पढ़ें: निबंध लेखन
FAQs
वो पत्र औपचारिक पत्र कहलाता है, जो एक पेशेवर भाषा में लिखा गया हो, जो एक औपचारिक उद्देश्य के लिए निर्धारित प्रारूप के साथ हो जबकि अनौपचारिक पत्र (इनफॉर्मल लेटर) वो पत्र होते हैं, जिन्हे किसी ऐसे व्यक्ति के लिए लिखा जाता है, जिसके साथ हमारा इनफॉर्मल रिलेशन होता है।
अनौपचारिक को पारिवारिक पत्र भी कहा जाता है क्योंकि इनके माध्यम से हम अपनी संवेदना, आभार, कृतज्ञता इत्यादि व्यक्त करते हैं।
अनौपचारिक पत्र उन व्यक्तियों को लिखे जाते हैं, जिनसे पत्र लेखक का व्यक्तिगत या निजी संबंध होता है। अपने मित्रों, माता-पिता, अन्य संबंधियों आदि को लिखे गए पत्र अनौपचारिक-पत्रों के अंतर्गत आते है। अनौपचारिक पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है तथा व्यक्तिगत बातों का उल्लेख भी किया जाता है।
अनौपचारिक पत्र के प्रकार दिए गए हैं: बधाई पत्र, शुभकामना पत्र, निवेदन पत्र, संवेदना/सहानुभूति/सांत्वना पत्र, नाराजगी/खेद पत्र, सूचना/वर्णन संबंधी पत्र, निमंत्रण पत्र, आभार-प्रदर्शन पत्र, अनुमति पत्र, सुझाव/सलाह पत्र, क्षमा याचना एवं आश्वासन संबंधी पत्र।
हिंदी में अनौपचारिक पत्र (informal letter in Hindi) लिखते हुए सबसे पहले ऊपर में अपना खुद का पूरा पता लिखा जाता है।
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Last me jo aapka Sab e likha hai usko kya bola jata hai
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भूपेंद्र जी, आपका आभार। आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है।
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Last me jo aapka Sab e likha hai usko kya bola jata hai
भूपेंद्र जी, आपका आभार। आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है।
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