फीचर लेखन क्या है? फीचर लेखन एक अच्छी पत्रकारिता है। एक उत्तम फीचर उसे ही माना जाता है जो उचित विषय पर आधारित हो, आकर्षक रूप में तथ्यों को प्रस्तुत करें, शैली में शालीनता हो तथा पत्र-पत्रिका में अपनी पहचान बनाये रखे। Feature lekhan में यह अपेक्षा की जाती है कि वह सहज एवं उचित शब्दों का प्रयोग करे। फीचर लेखन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी इस ब्लॉग में दी गई है।
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फीचर का अर्थ
‘फीचर‘ को अंग्रेजी शब्द Feature (फीचर) का पर्याय कहा जाता है। फीचर शब्द को हिंदी में “रूपक” काहा जाता है। लेकिन आम भाषा में फीचर को ज्यादातर लोग फीचर ही कहते है। फीचर का अर्थ होता है– “किसी प्रकरण संबंधी (Sectional) विषय पर प्रकाशित आलेख है। लेकिन यह लेख संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित एक महत्वपूर्ण लेख की तरह एक महत्वपूर्ण लेख नहीं है।”
फीचर की परिभाषा
फीचर की कुछ परिभाषाएं नीचे दी गई है:
- डी. एस. मेहता के अनुसार– “रोचक विषयों की विस्तृत व मनोरम प्रस्तुति ही फीचर है। इसका उद्देश्य सूचना देना, मनोरंजन करना व जनता को जागरूक बनाना है। फीचर का अंतिम लक्ष्य ट्रेनिंग, मार्गदर्शन करना है।”
- डॉ. अर्जुन तिवारी अनुसार– “मानवीय रुचि के विषयों के साथ सीमित समाचार जब चटपटा लेख बन जाता है तो वह फीचर की संज्ञा ले लेता है।”
- बी. डी. टंडन के अनुसार– “फीचर एक प्रकार का गधगति है जो निरस, लंबा और गंभीर नहीं हो सकता है। यह मनोरंजक हो सकता है।”
- डॉ विजय कुलश्रेष्ठ के अनुसार– “फीचर एक ऐसा आलोक है जो समाचार के परिवाशों से समाचार रहित, सम्मोहक, वैचारिक क्षितिज का मनोरंजन सस्पर्श लिए हुए सरस एवं संक्षिप्त अभिव्यक्ति से संपन्न होता है।”
- डॉ मधु धनन के अनुसार– “फीचर को शब्द चित्र कहा जा सकता है। फीचर लेख एक ऐसा शब्द चित्र होता है। जिसमें तथ्यों का स्पष्ट एवं प्रभावशाली विश्लेषण होता है।”
फीचर लेखन का आयोजन चार चरणों में संपूर्ण होता है –
1. विषय वस्तु का चयन
2. सामग्री का चयन
3. फीचर का चयन
4. शीर्षक
5. निष्कर्ष
Feature lekhan आरंभ में बहुत अच्छा होना चाहिए और मध्य घटना को विस्तार कर समझाने का प्रयत्न किया जाना चाहिए। अंत निष्कर्ष की तरह होता है , इसमें आरंभ और मध्य का निचोड़ होना चाहिए।
फीचर लेखन के प्रकार
फीचर लेखन के प्रकार के बारे में नीचे बताया गया है:
- व्याख्यान – प्रत्येक बिंदु पर व्याख्या विश्लेषण करना व्याख्यान कहलाता है।
- ऐतिहासिक – किसी ऐतिहासिक घटना पर फीचर लेखन करना ऐतिहासिक लेखन कहा जाता है।
- मानवी रुचि परक – फीचर लेखन आम आदमी के रूचि के अनुसार समसामयिक होना चाहिए।
- व्यक्ति परक – किसी विशिष्ट व्यक्ति पर आधारित भी फीचर लेखन किया जाता है।
- विज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में विशिष्टता के कारण विज्ञान के क्षेत्र पर फीचर लेखन लिखा जा सकता है।
- खेलकूद – फीचर का विषय खेलकूद भी हो सकता है।
- पर्व तथा उत्सव – किसी विशिष्ट त्यौहार आदि आधार पर फीचर लेखन का विषय पर्वोत्स्व भी हो सकता है।
- पारिवारिक – किसी के परिवार पर आधारित लेखन परिवारिक फीचर लेखन कहा जा सकता है।
- रेडियो फीचर लेखन – ध्वनि व संगीत पर आधारित होती है शब्द होते हैं मगर लिखे हुए।
- टेलिविजन – ध्वनि संगीत चित्र।
- फोटो फीचर –चित्रों के माध्यम से इतिहास को समझाना फोटो फीचर लेखन का एक माध्यम है।
नोट – फैशन, स्त्री, यात्रा, समाज आदि विषयों पर भी फीचर लेखन किया जा सकता है।
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जर्नलिज्म में फीचर के प्रकार
जर्नलिज्म में फीचर 7 प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार है:
- प्रोफ़ाइल फ़ीचर आलेख
- राउंड-अप फ़ीचर आलेख
- हाउ टू फीचर आर्टिकल
- पर्सनल एक्सपीरियंस फीचर आर्टिकल
- रिव्यु फीचर आर्टिकल
- ट्रेवल फीचर आर्टिकल
- ऑबिच्युरि फीचर आर्टिकल
एक अच्छे फीचर लेखन की विशेषता
एक अच्छे फीचर लेखन की कुछ विशेषताएं नीचे दी गई है:
- मनोरंजक होना चाहिए।
- ज्ञानवर्धक होना चाहिए।
- मानवीय रुचि पर आधारित होना चाहिए।
- चित्रात्मक भाषा शैली होनी चाहिए।
- कल्पना का समावेश भी आवश्यक है।
- लंबा व घुमाउदार ना हो।
- जिससे रुचि उत्पन्न हो।
- भावात्मक हो।
- तर्कसंगत हो।
- गतिशील शैली हो।
- विचित्रता, रोचक होना चाहिए।
- तथ्य व उनके प्रभाव सही हो, आंकड़ा सही हो अन्यथा झूठा वह अविश्वसनीय माना जाता है। इसलिए तथ्य ठीक रहना चाहिए।
- ज्ञान व भावना , संवेदना जगाने की कला है भी निहित हो।
फीचर लेखन विधा
फीचर लेखन विधा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें निचे बताई गई है:
- फीचर लेखन पत्रकारिता की एक महत्वपूर्ण विधा है।
- फीचर लेखन समाचार लेखन के विपरीत होता है।
- समाचार तत्कालिक घटनाओं पर लिखा जाता है। जबकि फीचर अकस्मात आने वाले समाचार पर आधारित होता है।
- आधुनिक युग में फीचर अर्थात रूपक की परिभाषा बदल गई है।
- फीचर अंग्रेजी शब्द है , जिसका हिंदी पर्याय रूपक है। लेकिन हिंदी पत्रकारिता में भी रूपक के स्थान पर फीचर शब्द ही प्रचलित है।
- फीचर वह पत्रकारिता की रचना है , जिसके माध्यम से उसका लेखक , पाठक को अपने अनुभव और अपने से भिन्न व्यापक जनसमूह की भावना से साक्षात्कार कराता है।
- पुरानी मान्यता है कि जो समाचार नहीं है , वह फीचर है। लेकिन आधुनिक युग में फीचर की यह परिभाषा उपयुक्त नहीं है।
- प्रख्यात अमेरिकन पत्रकार रोबोट रिचर्ड्स के अनुसार ” मानवीय संवेदनाओं का संस्पर्श ही सफल फीचर का रहस्य है
- कुछ लेखकों का मानना है कि मानव की भावनाओं तथा मन को प्रेरित करने वाला लेख ही फीचर है।
- वास्तव में फीचर किसी ना किसी मानवीय भावना जैसे– प्रेम, करुणा, घृणा आदि के इर्द-गिर्द घूमता है।
- फीचर किसी रोचक विषय का मनोरंजक शैली में विस्तृत विवेचन है।
- फीचर समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाला किसी विशेष घटना , व्यक्ति , जीव – जंतु , स्थानीय परिवेश से संबंधित व विशिष्ट आलेख है। जो कल्पनाशीलता और सृजनात्मक कौशल के साथ मनोरंजक और आकर्षक शैली में प्रस्तुत किया जाता है।
- फीचर पत्रकारिता की आधुनिक विधा है।
- हमारे देश में पत्रकारिता का जन्म आजादी के आंदोलन में एक हथियार के रूप में हुआ था।
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फीचर लेखन की तकनीकें
किसी भी समाचार पत्र व पत्रिका में किसी विषय विशेष पर कई प्रधान लेख प्रकाशित होता है, तो वह फीचर कहलाता है। फीचर संवादों की गहराई में प्रवेश करता है। जहां समाचार में संक्षिप्तता होती है। वहीं फीचर में विस्तार ही उसकी स्थिति को प्रबल बनाता है। फीचर लेखन की विशिष्ट शैली होती है। जिसकी तकनीक के प्रमुख आधार इस प्रकार है।
- समाचार साधारण व जनभाषा में प्रस्तुत होता है। जबकि फीचर की विशिष्ट शैली होती है। वह एक विशेष वर्ग व विचारधारा पर केन्द्रित होता है।
- समाचार हर पत्र में एक ही स्वरूप में होते हैं। क्योंकि उसके तथ्य अपरिवर्तनीय हैं। जबकि एक ही विषय पर अलग-अलग पत्रों में लिए गए फीचर अलग-अलग प्रस्तुति लिए होते हैं।
- फीचर के साथ लेखक का नाम प्रकाशित किया जाता है।
- फीचर में अतिरिक्त साज-सज्जा से लेकर तथ्य व कल्पना का रोचक सम्मिश्रण होता है।
- घटना के परिवेश, विविध प्रतिक्रियाएं व उनके दूरगामी परिणाम फीचर में समाविष्ट होते हैं।
- उद्देश्यपरक रूप में फीचर तथ्यों की गवेषणा या खोज (Exploration) के साथ लक्ष्य प्रशिक्षण (Training), मार्गदर्शन (Guide) व मनोरंजन (Entertain) का संसार प्रस्तुत करता है।
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समाचार और फीचर लेखन में भेद
समाचार तथ्यात्मक रिपोर्ट मात्र होता है। जबकि फीचर आलेख , तथ्यों का ललित भाषा और व्यक्ति की शैली में भावनात्मक प्रस्तुतिकरण है। फीचर की भाषा अधिक चुस्त , जटिल और साहित्यिक होती है। Feature lekhan में लेखक अपनी भावनाओं , धारणाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होता है। जबकि समाचार में ऐसा नहीं किया जा सकता।
फीचर लेखन का फॉर्मेट
फीचर लेखन का फॉर्मेट नीचे बताया गे है:
विषय प्रतिपादन या भूमिका
फीचर लेखन की संरचना के इस भाग में फीचर के मुख्य भाग में व्याख्यायित करने वाले विषय का संक्षिप्त परिचय या सार दिया जाता है। इस संक्षिप्त परिचय या सार की कई प्रकार से शुरुआत की जा सकती है। किसी प्रसिद्ध कहावत या उक्ति के साथ, विषय के केन्द्रीय पहलू का चित्रात्मक वर्णन करके, घटना की नाटकीय प्रस्तुति करके, विषय से संबंधित कुछ रोचक सवाल पूछकर। भूमिका का आरंभ किसी भी प्रकार से किया जाये इसकी शैली रोचक होनी चाहिये मुख्य विषय का परिचय इस तरह देना चाहिये कि वह पूर्ण भी लगे लेकिन उसमें ऐसा कुछ छूट जाये जिसे जानने के लिये पाठक पूरा फीचर पढ़ने को बाध्य हो जाये।
विषय वस्तु की व्याख्या
फीचर की भूमिका के बाद फीचर के विषय या मूल संवेदना की व्याख्या की जाती है। इस चरण में फीचर के मुख्य विषय के सभी पहलुओं को अलग – अलग व्याख्यायित किया जाना चाहिये। लेकिन सभी पहलुओं की प्रस्तुति में एक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष क्रमबद्धता होनी चाहिये। फीचर को दिलचस्प बनाने के लिये फीचर में मार्मिकता, कलात्मकता, जिज्ञासा, विश्वसनीयता, उत्तेजना, नाटकीयता आदि का समावेश करना चाहिये।
निष्कर्ष
अंत में पुरे फीचर को निष्कर्ष रूप में बताना होता हैं। इसमें आप समाधान, अपनी राय बताते हुए पुरे ब्लॉग का सार बताते हैं।
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फीचर लेखन और लेख में अंतर
फीचर लेखन और लेख में अंतर नीचे बताया गया है:
- लेख और फीचर लेखन में बहुत कुछ समानताएं होती है , लेकिन फिर भी इन दोनों का अपना अलग अस्तित्व होता है।
- दोनों में एक समानता यह होती है , कि दोनों की लेखन शैली समाचार लेखन से पूर्णता भिन्न होती है।
- Feature lekhan के लिए विशेष तौर पर अनुभूतियों , भावनाओं , अवलोकन तथा कल्पनाशीलता की आवश्यकता होती है।
- फीचर को मजेदार दिलचस्प और दिल पकड़ होना चाहिए।
- लेख हमें शिक्षा देता है , जबकि फीचर हमारा मनोरंजन करता है।
- फीचर में हास्य व कल्पना का भी सहारा लिया जाता है।
फीचर लेखन के प्रकार
फीचर लेखन के प्रकार नीचे बताये गए हैं:
- विभिन्न सामाजिक घटनाओं , व्यक्तियों , स्थानों , पदार्थों , जीव-जंतुओं , वैज्ञानिक तथा सामाजिक अनुसंधानों आदि सभी में फीचर लेखन के बीज निहित है।
- घटनाओं में निहित मानवीय रुचि के पहलुओं से लेकर , विशिष्ट व्यक्तियों का जीवन , साधारण व्यक्तियों की विशिष्ट उपलब्धियों , ऐतिहासिक स्मारकों , नगर , नदी , पहाड़ , आभूषण , परिधान आदि से लेकर पर्यावरण और प्रदूषण तक फीचर के विषय हो सकते हैं।
- कुछ फीचर विवरणात्मक या विश्लेषणात्मक ना होकर चिंतन प्रधान भी होते हैं।
फीचर की रचना और लेखन
Feature lekhan पत्रकारिता की एक ऐसी विधा है जिसमे लेखन को किसी खास सीमा मे नही बाधा जा सकता। फीचर रचना का मुख्य नियम यह है कि फीचर आकर्षक, तथ्यात्मक और मनोरजक होना चाहिए, मोटे तौर पर फीचर लेखन के लिए पाच मुख्य बातो का ध्यान रखा जाता है।
- तथ्यो का संग्रह– जिस विषय या घटना पर फीचर लिखा जाना है, उससे जुड़े, तथ्यों को एकत्र करना सबसे जरुरी काम है। जितनी अधिक जानकारी होगी, फीचर उतना ही उपयोगी और रोचक बनेगा। तथ्यो के सग्रह मे इस बात का भी खास ध्यान रखा जाना चाहिए कि तथ्य मूल स्रोत से जुटाए जाए और वह एकदम सही हो।
- फीचर का उद्देश्य– फीचर लेखन का दूसरा महत्वपूर्ण बिदु फीचर के उद्देश्य का निर्धारण है। किसी घटना या विषय पर लिखे जाने वाले फीचर का उद्देश्य तय किये बिना फीचर लेखन स्पष्ट नही हो सकता।
- प्रस्तुतीकरण– फीचर लिखने के लिए यह जरुरी चीज हैं। मुख्य रूप से फीचर लेखन में इस बात का महत्वपूर्ण तरीके से ध्यान रखना चाहिए कि फीचर मनोरन्जन के लिए हो। उसे सरल और आम बोलचाल में प्रयोग किया जाता हैं।
- शीर्षक और आमुख– किसी भी समाचार अथवा फीचर के लेखन के लिए उसका शीर्षक और आमुख को अच्छे तरीके से लिखा जाना चाहिए। एक अच्छे फीचर में यह खूबी होनी चाहिए कि वह न सिर्फ पाठकों को आकर्षित करने योग्य हो बल्कि जिज्ञासा और सार्थक हो।
- साज सज्जा– एक अच्छे फीचर लेखन में जब तक पूर्ण ना माना जाए कि वह जिसमें साज सज्जा ना हो। साथ ही एक अच्छे फीचर की विशेषता यह भी हैं कि इसमें उपयोग किये जाने वाले चित्र, रेखाचित्र और ग्राफिक्स आवश्यक पहलू हैं।
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फीचर लेखन का वर्गीकरण
फीचर लेखन का यदि प्रवृत्ति मूलक वर्गीकरण किया जाए तो उन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है –
- घटना मूलक फीचर लेखन
- विशिष्टता मूलक
- विचित्रता मूलक
- चिंतन मूलक
विषय की विविधता और उसके विस्तार की दृष्टि से फीचर लेखन निम्न प्रकार के भी हो सकते हैं –
- समाचारों पर आधारित
- सांस्कृतिक
- विशिष्ट घटनाओं जैसे – युद्ध , अकाल , दुर्घटना , दंगे आदि पर आधारित
- राजनीतिक घटनाओं पर आधारित
- सामाजिक घटनाओं पर आधारित
- वाद – विवाद संबंधी चिंतातमक
- आंचलिक
- व्यक्ति विशेष पर आधारित
घटना मूलक
पत्रकारिता की भाषा में जिसे समाचार फीचर कहा जाता है। वास्तव में वह घटना मूलक फीचर ही है। क्योंकि समाचार के मूल में कोई ना कोई घटना अवश्य होती है।
घटना मूलक फीचर का लेखन समाचार पत्रों का बड़ा सूक्षम निरीक्षण करता है , और वह उन समाचारों की तलाश में रहता है , जिसमें एक फीचर के बीज होते हैं।
विशिष्ट मूलक
जीवन के कई क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें कुछ व्यक्तियों ने अपने कर्म से अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्हें विशिष्ट फीचर लेखन में समाहित किया जाता है। समाज सेवा , राजनीति , कला , साहित्य , व्यापार एवं उद्योग आदि क्षेत्रों में चारित्रिक एवं व्यक्ति की विशेषताओं तथा अपनी उपलब्धियों से अपने आप को विशिष्ट व्यक्तियों के उपलब्धि को विशिष्ट फीचर लेखन के तहत लिखा जा सकता है। कुछ विशेष वस्तुएं भी अपनी विशेषताओं के कारण विशेष अवसरों और विशेष स्थानों पर ऐसा स्वरूप ग्रहण कर लेती है। विषय वस्तु के आधार पर इस प्रकार के फीचरों को इन भागों में बांटा जा सकता है। व्यक्ति परक फीचर लेखन , स्थान परक फीचर लेखन और वस्तु परक फीचर लेखन।
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व्यक्तिगत फीचर
जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपने कर्म से विशेष उपलब्धियां प्राप्त करने वाले लोग काफी चर्चित होते हैं। महापुरुषों और प्रसिद्ध हस्तियों के जन्म दिवस तथा पुण्यतिथि भी फीचर लेखन के विषय हो सकते हैं।
स्थान आधारित फीचर
विशिष्ट व्यक्तियों की भांति ही कुछ ऐतिहासिक स्मारक , पर्यटक स्थल , दुर्ग , मंदिर , नदी , पहाड़ , झील आदि भी अपनी विशेषताओं के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध होते हैं। यह स्थान पर फीचर लेखन के अंग हो सकते हैं।
वस्तु आधारित फीचर
अनेक बार कुछ वस्तुएं भी अपनी प्राचीनता ऐतिहासिकता अद्वितीयता और विशेषता के कारण चर्चा का विषय बन जाती है। इन वस्तुओं का ऐतिहासिक उनके स्वामियों का विवरण और उनकी विशेषताएं फीचर लेखन का विषय वस्तु बन जाती है।
विचित्रता आधारित फीचर
संपूर्ण विश्व विविधताओं और विचित्रताओं से भरा हुआ है। जो सामान्य से अलग हटकर है , वह विचित्र है। प्रकृति ने व्यक्तियों को कुछ असाधारण क्षमताएं दी है। विचित्रता मूलक फीचरों में समाचार पत्रों की अच्छी खपत है।
चिंता आधारित फीचर
चिंता मूलक फीचर वे फीचर लेखन होते हैं , जो किसी विशेष परिस्थिति प्रसंग अथवा वातावरण के प्रति फीचर लेखक के मन और चिंतन को प्रस्तुत करते हैं। चिंता मूलक फीचर लेखन किसी विशेष परिस्थिति संकट आदि को आधारभूत बनाकर कभी अपने विचारों को प्रकट करता है।
FAQs
जर्नलिज्म में मुख्यत: फीचर 7 पप्रकार के होते हैं:
1 प्रोफ़ाइल फ़ीचर आलेख
2 राउंड-अप फ़ीचर आलेख
3 हाउ टू फीचर आर्टिकल
4 पर्सनल एक्सपीरियंस फीचर आर्टिकल
5 रिव्यु फीचर आर्टिकल
6 ट्रेवल फीचर आर्टिकल
7 ऑबिच्युरि फीचर आर्टिकल
समाचार तथ्यात्मक रिपोर्ट मात्र होता है। जबकि फीचर आलेख , तथ्यों का ललित भाषा और व्यक्ति की शैली में भावनात्मक प्रस्तुतिकरण है। फीचर की भाषा अधिक चुस्त , जटिल और साहित्यिक होती है। Feature lekhan में लेखक अपनी भावनाओं , धारणाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होता है। जबकि समाचार में ऐसा नहीं किया जा सकता।
‘फीचर‘ को अंग्रेजी शब्द Feature (फीचर) का पर्याय कहा जाता है। फीचर शब्द को हिंदी में “रूपक” काहा जाता है। लेकिन आम भाषा में फीचर को ज्यादातर लोग फीचर ही कहते है। फीचर का अर्थ होता है– “किसी प्रकरण संबंधी (Sectional) विषय पर प्रकाशित आलेख है। लेकिन यह लेख संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित एक महत्वपूर्ण लेख की तरह एक महत्वपूर्ण लेख नहीं है।”
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6 comments
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