हिंदी बाल साहित्य के प्रकाशस्तंभ द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन परिचय

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द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन परिचय

‘वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो’ जैसी तमाम प्रेरणादायक कविताओं के रचयिता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात बाल साहित्यकार थे। बाल साहित्य में उनके योगदान के कारण उन्हें ‘बच्चों का गांधी’ भी कहा जाता था। उनकी कविताएँ आज भी बच्चों के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने नवसाक्षरों के लिए भी कुछ पुस्तकें लिखी थीं। वहीं साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 1977 में उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा बाल साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया गया, जो उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से प्राप्त किया था। इस लेख में द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई है।

नाम द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
जन्म 01 दिसंबर, 1916 
जन्म स्थान आगरा 
शिक्षा एम.ए. 
पिता का नाम प्रेमसुख
कार्य क्षेत्र उप-शिक्षा निदेशक (सेवानिवृत), बाल साहित्यकार 
विधा काव्य 
भाषा हिंदी 
पुस्तकें दीपक, ज्योतिकिरण, फूल और शूल, शूल की सेज व गीत गंगा (काव्य-संग्रह) क्रौंच वध और सत्य की जीत (खंड काव्य) आदि।  
पुरस्कार बाल साहित्य भारती (1992)
निधन 29 अगस्त, 1998 

आगरा में हुआ था जन्म

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जन्म 01 दिसंबर, 1916 को उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के रोहता गांव में हुआ था। यह गांव आगरा से दक्षिण की ओर 8 किलोमीटर की दूरी पर है। माहेश्वरी जी के पिता का नाम ‘प्रेमसुख’ था। वह अपने माता-पिता की तीन संतानों में सबसे छोटे थे। उनकी शिक्षा आगरा में हुई थी।

विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र 

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने उच्च शिक्षा के उपरांत अपने करियर की शुरुआत शिक्षण कार्य से की थी। बाद में वह उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग से जुड़े तथा अनेक उच्च पदों पर रहते हुए अपनी सेवाएं दी। फिर उत्तर प्रदेश के उप-शिक्षा निदेशक के पद से सेवानिवृत होने के बाद वे कुछ समय के लिए आलमबाग लखनऊ की साक्षरता संस्‍था ‘लिटरेसी हाउस’ के निदेशक भी रहे। बाद में वह वर्ष 1978 के आसपास अपने पैतृक गाँव वापस आ गए और पूर्ण रूप से साहित्य सृजन में जुट गए। 

माहेश्वरी जी ने साहित्य सृजन के साथ ही शिक्षा के व्‍यापक प्रसार और स्‍तर के उन्‍नयन के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्‍होंने कई कवियों के जीवन पर वृत चित्र बनाकर उन्‍हें याद करते रहने के उपक्रम दिए थे। सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जैसे महाकवि पर उन्‍होंने वृत चित्र बनाया था। यह एक कठिन कार्य था, लेकिन उसे उन्होंने पूरा किया। 

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की प्रमुख रचनाएँ

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में अपनी लेखनी चलाकर साहित्य को समृद्ध करने का उल्लेखनीय कार्य किया हैं। उनकी लगभग 40 से अधिक बाल पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें बालगीत, बाल कथागीत, गीत, कविता व संस्मरण आदि पुस्तकें शामिल हैं। उनका प्रथम काव्य-संग्रह ‘दीपक’ वर्ष 1949 में प्रकाशित हुआ था। जबकि पहला बालगीत संग्रह ‘कातो और गाओ’ वर्ष 1949 में प्रकाशित हुआ। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:-

कविता संग्रह

  • दीपक 
  • ज्योतिकिरण
  • फूल और शूल
  • शूल की सेज
  • गीत गंगा
  • शंख और बाँसुरी 

खंड काव्‍य

  • क्रौंच वध  
  • सत्य की जीत

बालगीत संग्रह

  • कातो और गाओ – वर्ष 1949 
  • सोच समझ कर दोस्ती करो 
  • माखन-मिसरी 
  • हाथी घोड़ा पालकी, 
  • सोने की कुल्हाड़ी 
  • अंजन खंजन
  • हम सब सुमन एक उपवन के 
  • सतरंगा फुल 
  • प्यारे गुब्बारे 
  • हाथी आता झूम के 
  • बाल गीतायन 
  • आई रेल आई रेल 
  • सीढ़ी-सीढ़ी चढ़ते हैं 
  • हम हैं सूरज चांद सितारे 
  • जल्दी सोना जल्दी जगना 
  • मेरा वंदन है
  • नीम और गिलहरी
  • चांदी की डोरी
  • ना-मौसी-ना
  • चरखे और चूहे 
  • धूप और धनुष

कथा-कहानी की पुस्तकें

  • श्रम के सुमन 
  • बाल रामायण 
  • शेर भी डर गया

पुरस्कार एवं सम्मान 

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए विभिन्न सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं, जिनकी सूची इस प्रकार है:-

  • वर्ष 1977 में उनको उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा बाल साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया गया था। यह पुरस्कार तथा ताम्रपत्र उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से ग्रहण किया था। 
  • वर्ष 1992 में उन्हें पुनः उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा बाल साहित्य के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार ‘बाल साहित्य भारती’ से सम्मानित किया गया। 

81 वर्ष की आयु में हुआ था निधन 

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी ने कई दशकों तक हिंदी साहित्य में अनुपम कृतियों का सृजन किया, और उनका यह साहित्यिक सफर जीवन के अंतिम समय तक निरंतर बना रहा। संभवतः यही एक संयोग था कि आत्मकथा ‘सीधी राह चलता रहा’ को पूर्ण करने के केवल दो घंटे बाद ही उन्होंने इस संसार को सदा के लिए अलविदा कह दिया।

आज भी वे अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए साहित्य जगत में स्मरणीय हैं। क्या आप जानते हैं कि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की स्मृति में, हिंदी भाषा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को उनके नाम पर सम्मान प्रदान किया जाता है।

FAQs

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उनका जन्म 01 दिसंबर, 1916 को उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के रोहता गांव में हुआ था।

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का प्रथम कविता-संग्रह कब प्रकाशित हुआ था?

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का पहला कविता संग्रह ‘दीपक’ वर्ष 1949 में प्रकाशित हुआ था। 

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के पहले बालगीत संग्रह का नाम क्या है?

‘कातो और गाओ’, द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का पहला बालगीत संग्रह था जिसका प्रकाशन वर्ष 1949 में हुआ था। 

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?

वर्ष 1992 में द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा बाल साहित्य के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार ‘बाल साहित्य भारती’ से सम्मानित किया गया था।  

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का निधन कब हुआ था?

29 अगस्त, 1998 को 81 वर्ष की आयु में माहेश्वरीजी का निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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