अगर आपको जानवरों से प्यार है और उनके इलाज व देखभाल में करियर बनाना चाहते हैं, तो BVSc (बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस) आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह एक प्रोफेशनल कोर्स है जिसमें छात्रों को पशु चिकित्सा की गहरी जानकारी दी जाती है, जैसे जानवरों की बीमारियों का इलाज, सर्जरी, टीकाकरण, पोषण और उनकी देखभाल। इस कोर्स को पूरा करने के बाद आप एक वेटरनरी डॉक्टर बन सकते हैं और सरकारी व निजी दोनों सेक्टर में काम करने के मौके मिलते हैं। भारत में पेट-केयर इंडस्ट्री 22% वार्षिक दर से बढ़ रही है और देश में वेटरनरी डॉक्टरों की भारी कमी है। इसी वजह से BVSc कोर्स की मांग लगातार बढ़ रही है। इस ब्लॉग में आप BVSc की योग्यता, फीस, सिलेबस, एडमिशन, कॉलेज, इंटर्नशिप, नौकरी के अवसर, सैलरी और भविष्य के करियर विकल्पों को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
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BVSc कोर्स क्या है और इसे क्यों चुनें?
BVSc को अक्सर BVSc & AH (एनिमल हसबैंड्री) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अंडरग्रेजुएट प्रोफेशनल कोर्स है जिसमें पशुओं की बीमारियों का इलाज, सर्जरी, पोषण और देखभाल से जुड़ी पढ़ाई कराई जाती है। इसे चुनने का सबसे बड़ा कारण यह है कि पशु चिकित्सा का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और डेयरी, पोल्ट्री से लेकर पालतू जानवरों की देखभाल तक वेटरनरी डॉक्टरों की मांग लगातार बढ़ रही है। इस कोर्स को पूरा करने के बाद छात्रों को सरकारी अस्पतालों, प्राइवेट क्लिनिक, रिसर्च संस्थानों और फार्मा कंपनियों में रोजगार के अच्छे अवसर मिलते हैं। साथ ही, यह कोर्स उन छात्रों के लिए बेहतरीन विकल्प है जो पशुओं से लगाव रखते हैं और उनके कल्याण में योगदान देना चाहते हैं।
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BVSc कोर्स के लिए आवश्यक योग्यता
BVSc कोर्स करने के लिए कुछ जरूरी शैक्षणिक और अन्य योग्यताओं को पूरा करना होता है जो इस प्रकार हैं:
- उम्मीदवार ने 12वीं कक्षा साइंस स्ट्रीम (फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी) से पास की हो।
- 12वीं में कम से कम 50%–60% अंक होना जरूरी है (SC/ST/OBC उम्मीदवारों को कुछ छूट मिल सकती है)।
- एडमिशन के लिए राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा NEET-UG या राज्य स्तरीय वेटरनरी एंट्रेंस एग्जाम पास करना जरूरी है।
- BVSc कोर्स के लिए NEET कट-ऑफ आमतौर पर MBBS की तुलना में कम होता है और सामान्य श्रेणी के लिए औसतन 300–420 अंकों के बीच रहता है।
- न्यूनतम आयु 17 वर्ष और अधिकतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए (आरक्षित वर्ग को आयु सीमा में छूट मिलती है)।
- छात्र का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है, क्योंकि कोर्स में फील्ड वर्क और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग अधिक होती है।
BVSc कोर्स का सिलेबस
BVSc कोर्स में छात्रों को पाँच वर्षों में थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल और फील्ड ट्रेनिंग भी दी जाती है। प्रत्येक वर्ष में अलग-अलग विषय शामिल होते हैं, जिसमें पशु शरीर रचना, पोषण, दवाएँ, रोग, सर्जरी और फार्म मैनेजमेंट जैसे प्रमुख विषय पढ़ाए जाते हैं। नीचे कोर्स में शामिल मुख्य विषय दिए गए हैं:
पहला वर्ष (1st Year Syllabus)
पहले वर्ष में छात्र पशु शरीर, कोशिकाएँ, बुनियादी विज्ञान और पशुपालन के आधार सीखते हैं।
1. पशु शरीर रचना (Veterinary Anatomy)
- हड्डियों का अध्ययन
- जोड़
- मांसपेशियों का अध्ययन
- आंतरिक अंगों की रचना
- रक्त और रक्त वाहिकाएँ
- तंत्रिका तंत्र
- इंद्रिय तंत्र
- ऊतक विज्ञान / हिस्टोलॉजी
- भ्रूण विज्ञान
2. शरीर क्रिया विज्ञान और बायोकैमिस्ट्री (Physiology & Biochemistry)
- रक्त और परिसंचरण प्रणाली
- पाचन तंत्र और भोजन अवशोषण
- श्वसन तंत्र
- हार्मोन और अंतःस्रावी ग्रंथियाँ
- गुर्दे का कार्य
- प्रजनन क्रियाएँ
- एंजाइम और बायोकैमिकल अभिक्रियाएँ
- कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन का चयापचय
3. पशुपालन एवं प्रबंधन (बेसिक)
- गाय, भैंस, भेड़, बकरी आदि की नस्लें
- पशु आवास और फार्म निर्माण
- भोजन और चारा देने के सिद्धांत
- स्वच्छ दुग्ध उत्पादन
- फार्म प्रबंधन और रिकॉर्ड मेंटेनेंस
दूसरा वर्ष (2nd Year Syllabus)
दूसरे वर्ष में छात्रों को पशुओं में होने वाले रोगों, सूक्ष्मजीवों, परजीवियों और पोषण संबंधी विषयों की गहरी जानकारी दी जाती है। इस वर्ष का फोकस पशु बीमारियों की पहचान, उनके कारण और रोकथाम को समझना होता है।
1. पशु सूक्ष्मजीव विज्ञान
- बैक्टीरिया विज्ञान
- वायरस विज्ञान
- फफूंद विज्ञान
- प्रतिरक्षा विज्ञान
- रोग पहचान हेतु माइक्रोबायोलॉजिकल तकनीकें
- स्टेरिलाइज़ेशन और कीटाणुशोधन
2. पशु रोग विज्ञान
- सामान्य रोग विज्ञान
- विभिन्न अंगों का रोग विज्ञान
- रक्त परीक्षण और हेमेटोलॉजी
- क्लीनिकल पैथोलॉजी
- पोस्टमार्टम तकनीकें
3. परजीवी विज्ञान
- हेल्मिंथ परजीवी
- प्रोटोजोआ परजीवी
- आर्थ्रोपोड परजीवी
- परजीवी जनित रोग और निदान
4. पशु पोषण
- भोजन का बायोकैमिकल विश्लेषण
- जुगाली करने वाले और न करने वाले पशुओं का पाचन
- चारा सामग्री और पोषक तत्व
- संतुलित आहार बनाना
- खनिज और विटामिन की कमी
5. पशु आनुवंशिकी और प्रजनन
- आनुवंशिक सिद्धांत
- आबादी आनुवंशिकी
- प्रजनन प्रणाली
- नस्ल सुधार के तरीके
तीसरा वर्ष (3rd Year Syllabus)
तीसरे वर्ष में छात्र दवाइयों, विषाक्तता, जनस्वास्थ्य, पशु प्रजनन, रोग रोकथाम और क्लिनिकल मेडिसिन जैसे उन्नत विषय सीखते हैं। इस स्तर पर विद्यार्थियों को व्यावहारिक केसों और वास्तविक उपचार पद्धतियों से परिचित कराया जाता है।
1. औषधि विज्ञान और विष विज्ञान
- दवाओं का परिचय
- एनेस्थेटिक दवाएँ
- एंटीबायोटिक और एंटी–इंफेक्टिव दवाएँ
- पशु विषाक्तता और उपचार
- पौधों और रसायनों से होने वाले ज़हर
2. सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता
- मानव–पशु संक्रमण
- मांस निरीक्षण और सफाई
- दूध की स्वच्छता
- पर्यावरणीय स्वच्छता
- फार्म कचरा प्रबंधन
3. महामारी विज्ञान और रोग रोकथाम
- रोग निगरानी
- रोग प्रकोप की जांच
- टीकाकरण कार्यक्रम
- बायोसिक्योरिटी
- संक्रामक रोग नियंत्रण
4. स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान
- प्रजनन तंत्र
- गर्भ परीक्षण
- बाँझपन के कारण और उपचार
- प्रसव और कठिन प्रसव
- प्रसूति उपकरणों का उपयोग
5. क्लिनिकल मेडिसिन (छोटे और बड़े पशु)
- पाचन, श्वसन, मूत्र संबंधी रोग
- त्वचा रोग
- तंत्रिका तंत्र के रोग
- मेटाबॉलिक विकार
चौथा वर्ष (4th Year Syllabus)
चौथा वर्ष कोर्स का सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है, जहाँ छात्र सर्जरी, रेडियोलॉजी, वन्यजीव चिकित्सा, पशु उत्पाद तकनीक और ग्रामीण विस्तार शिक्षा जैसे विशेषज्ञ विषय पढ़ते हैं। यह वर्ष छात्रों को प्रोफेशनल वेटरनरी प्रैक्टिस के लिए तैयार करता है।
1. शल्य चिकित्सा एवं रेडियोलॉजी
- सामान्य शल्य चिकित्सा
- एनेस्थीसिया और सिडेशन
- ऑर्थोपेडिक सर्जरी
- नरम ऊतकों की सर्जरी
- एक्स-रे तकनीक
- अल्ट्रासाउंड का उपयोग
2. पशु उत्पाद तकनीक
- मांस प्रसंस्करण
- दूध प्रसंस्करण
- पशु उप-उत्पादों का उपयोग
3. विस्तार शिक्षा और ग्रामीण विकास
- किसानों को प्रशिक्षण
- ग्रामीण विकास कार्यक्रम
- संचार कौशल
- समुदाय आधारित फार्म गतिविधियाँ
4. आपदा प्रबंधन और पशु कल्याण
- बाढ़/सूखे में पशु बचाव
- आपदा के समय उपचार
- आश्रय प्रबंधन
- पशु कल्याण अधिनियम और कानून
5. वन्यजीव और दुर्लभ पशु चिकित्सा
- जंगली जानवरों को पकड़ना और नियंत्रित करना
- चिड़ियाघर के पशुओं के रोग
- पक्षियों का उपचार
- वन्य जीवों में ज़ूनोसिस
इंटर्नशिप (6 महीने अनिवार्य इंटर्नशिप)
अंतिम 6 महीनों में छात्र वास्तविक फील्ड कार्य सीखते हैं:
- इंटर्नशिप गतिविधियाँ
- सरकारी अस्पतालों में ड्यूटी
- छोटे व बड़े पशुओं की क्लीनिकल प्रैक्टिस
- सर्जरी प्रशिक्षण
- टीकाकरण कार्यक्रम
- पशु स्वास्थ्य शिविर
- डेयरी और पोल्ट्री फार्म प्रशिक्षण
- दवाइयों/वैक्सीन कंपनियों का विज़िट
- ज़ू और वाइल्डलाइफ केंद्र प्रशिक्षण
BVSc कोर्स की अवधि और संरचना
BVSc कोर्स की अवधि आमतौर पर 5 साल होती है। इसमें 4.5 साल तक थ्योरी क्लास और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग होती है, और आखिरी 6 महीने की अवधि इंटर्नशिप के लिए रखी जाती है। इस दौरान छात्रों को एनाटॉमी, एनिमल न्यूट्रिशन, माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी, फार्माकोलॉजी और क्लिनिकल ट्रेनिंग जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। कोर्स की संरचना इस तरह बनाई गई है कि छात्र न सिर्फ थ्योरी में मजबूत हों बल्कि फील्ड वर्क और प्रैक्टिकल अनुभव भी हासिल करें।
BVSc कोर्स के लिए प्रवेश प्रक्रिया
BVSc कोर्स में एडमिशन के लिए सबसे पहले छात्रों को 12वीं कक्षा में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी (PCB) विषयों के साथ पास होना जरूरी है। इसके बाद एडमिशन मुख्य रूप से NEET-UG परीक्षा या फिर राज्य स्तरीय वेटरनरी एंट्रेंस एग्जाम के जरिए होता है। NEET-UG क्वालिफाई करने के बाद छात्रों की रैंक और स्कोर के आधार पर कॉलेज अलॉट किए जाते हैं। कुछ राज्य अपने-अपने अलग एंट्रेंस टेस्ट भी करवाते हैं। एडमिशन प्रक्रिया में आवेदन फॉर्म भरना, एंट्रेंस एग्जाम देना, काउंसलिंग में भाग लेना और कॉलेज का चयन करना शामिल होता है। BVSc एडमिशन में 15% सीटें आल इंडिया कोटा (VCI काउंसलिंग) के तहत होती हैं और बाकी 85% सीटें राज्य काउंसलिंग से भरती जाती हैं। कुछ निजी विश्वविद्यालय NEET स्कोर के आधार पर अलग आवेदन भी लेते हैं।
बीवीएससी कोर्स के लिए टॉप कॉलेज
भारत में कई ऐसे कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ हैं जहाँ से आप यह कोर्स कर सकते हैं। इन कॉलेजों में एडमिशन आमतौर पर प्रवेश परीक्षा (NEET-UG या राज्य स्तरीय एंट्रेंस टेस्ट) के जरिए होता है। नीचे भारत के कुछ प्रमुख बीवीएससी कॉलेजों के नाम दिए गए हैं:
- महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नागपुर
- जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, जूनागढ़
- केरल पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, वायनाड
- पी. वी. नरसिम्हा राव तेलंगाना वेटरनरी यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
- उड़ीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
- नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी
- नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर
- नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
- सरदार कृषि नगर दांतीवाडा कृषि विश्वविद्यालय, सरदारकृषिनगर (गुजरात)
- सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ (उत्तर प्रदेश)
BVSc कोर्स करने के बाद करियर स्कोप और सैलरी
BVSc की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों के पास सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टर में काम करने के बहुत मौके होते हैं। आप सरकारी वेटरनरी डॉक्टर, प्राइवेट क्लिनिक, फार्मा कंपनियों, रिसर्च संस्थानों या फिर डेयरी और पोल्ट्री इंडस्ट्री में काम कर सकते हैं। नीचे टेबल में करियर स्कोप और औसत शुरुआती सैलरी दी गई है:
| करियर विकल्प | कार्य का क्षेत्र | औसत शुरुआती सैलरी (प्रति माह) |
| सरकारी वेटरनरी ऑफिसर | सरकारी अस्पताल, एनिमल हेल्थ सेंटर | ₹40,000 – ₹60,000 |
| प्राइवेट वेटरनरी डॉक्टर | प्राइवेट क्लिनिक, पालतू जानवरों की देखभाल | ₹30,000 – ₹50,000 |
| फार्मा इंडस्ट्री | दवाइयाँ और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियाँ | ₹35,000 – ₹55,000 |
| डेयरी/पोल्ट्री इंडस्ट्री | दूध और पोल्ट्री उत्पादन, एनिमल हसबेंड्री | ₹30,000 – ₹45,000 |
| रिसर्च और हाईयर स्टडीज (MVSc/PhD) | रिसर्च संस्थान और यूनिवर्सिटीज़ | ₹40,000 – ₹70,000 |
यह भी पढ़ें: VLDA कोर्स डिटेल्स: आवश्यक योग्यता, सिलेबस, कॉलेज और करियर स्कोप
FAQs
12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी होना जरूरी है और अधिकतर जगह न्यूनतम 50% से 60% अंक चाहिए।
हाँ, 90% कॉलेज NEET स्कोर पर ही प्रवेश देते हैं।
भारत में यह कोर्स आमतौर पर 5 से 5.5 साल का होता है, जिसमें 1 साल की इंटर्नशिप भी शामिल होती है।
हाँ, बिल्कुल। लड़कियों के लिए यह एक बहुत अच्छा करियर विकल्प है और इसमें समान अवसर उपलब्ध हैं
हाँ, पशुपालन विभाग, पशु चिकित्सा अधिकारी और LDO जैसे पदों पर नौकरी मिलती है।
हमें आशा है कि आप इस लेख के माध्यम से BVSc कोर्स की जानकारी प्राप्त कर पाए होंगे। अन्य कोर्स से संबंधित लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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