महाराष्ट्र में आज भी कई प्राचीन किले हैं जो भारतीय सरकार द्वारा देख-रेख में हैं। ऐसा ही महाराष्ट्र में एक किला बेलापुर किला। बेलापुर किले का निर्माण 16वीं सदी में सिद्धि आदिवासियों के द्वारा किया गया था। इस किले का निर्माण सिद्धि जनजाति एक लोगों ने अपने हितों की रक्षा के लिए किया था। बेलापुर का किला ब्रिटिश काल और मराठा साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण किला है। यह समुद्री चट्टानों और मुहाना की रेत से चारों ओर से घिरा हुआ है। यहाँ बेलापुर का किला के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
किला | बेलापुर का किला |
निर्माण | 16वीं शताब्दी |
निर्माता | सिद्धि |
स्थान | पनवेल (महारष्ट्र) |
किले के प्रमुख दर्शनीय स्थल | तोपखाने, प्रवेश द्वार, स्तम्भ, सुरंग |
अंतिम शासक | ईस्ट इंडिया कम्पनी |
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बेलापुर के किले का इतिहास
1560-70 के दशक में बेलापुर किला पुर्तगालियों से सिद्धियों के नियंत्रण में आ गया था। सिद्धियों ने तब इस किले का निर्माण अपने हिसाब से करना शुरू किया। 1682 में पुर्तगालियों ने इसे वापस अपने शासन में ले लिया। वर्ष 1737 में नारायण जोशी के नेतृत्व में मराठियों ने इस किले को अपने कब्जे में ले लिया और 22 अप्रैल 1737 को किले पर शासन करना शुरू कर दिया।
12 अप्रैल 1780 को अंग्रेज़ कप्तान कैंबेल ने बेलापुर किला फिर जीता; किन्तु 1782 को अंग्रेज फिर हार गये और अंग्रेजों को किले को मराठों को फिर वापस देना था। 23 जून 1817 को कप्तान चार्ल्स ग्रे ने किले को अन्ततः जीता और बेलापुर का किला ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल हो गया।
बेलापुर के किले पर शासन करने वाली शक्तियां
यहां बेलापुर के किले पर शासन करने वाली शक्तियों के नाम बताए जा रहे हैं-
- पुर्तगाली
- सिद्धि
- मराठा
- अंग्रेज
बेलापुर के किले की स्थापत्य कला
यहाँ बेलापुर के किले की स्थापत्य कला के बारे में बताया जा रहा है-
- बेलापुर किला पूरी तरह से ग्रेनाइट ब्लॉक और चूना पत्थर से बना है।
- किले में कई तोपखाने छेद और अंतराल टीले हैं जो बहुत खूबसूरती से डिजाइन किए गए हैं।
- किले का प्रवेश द्वार विशाल पत्थर के खंडों से बना एक धनुषाकार प्रवेश द्वार है। इसकी दीवारों को सहारा देने के लिए इसमें बहुत अच्छे घुमावदार बुर्ज हैं।
- इसके दरवाजे और खंभे भारतीय पारंपरिक निर्माण शैली में डिजाइन किए गए हैं।
बेलापुर किले के प्रमुख दर्शनीय स्थल
यहाँ बेलापुर किले के अंदर स्थित प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में बताया गया है-
तोपखाने
बेलापुर किले के अंदर बहुत से तोपखाने मौजूद हैं। इन तोपखानों की मदद से आप प्राचीन काल की युद्धकला और उससे जुड़े हथियारों आदि के बारे में अच्छे से समझ सकते हैं।
प्रवेश द्वार
बेलापुर किला अपने सुंदर प्रवेश द्वार के लिए बहुत ही मशहूर है। इसका प्रवेश द्वार धनुष के आकार का है। इसके अलावा इसको सहारा देने के लिए इसकी दीवारों पर घुमावदार बुर्ज बनाए गए हैं जो देखने में बहुत ही सुंदर लगते हैं।
स्तम्भ
बेलापुर किला अपने सुंदर स्तभों के लिए भी जाना जाता है। इसके स्तम्भ प्राचीन भारतीय निर्माण शैली के अनुसार डिजाइन किए गए हैं। इन पर बहुत ही सुंदर नक्काशी भी की गई है जो देखने में बहुत ही आकर्षक लगती है।
सुरंग
बेलापुर के किले में एक प्राचीन और विशाल सुरंग भी मौजूद है। इसके बारे में कई स्थानीय लोगों का मानना है कि यह इसे एलीफेंटा गुफाओं के स्थल घरपुरी द्वीप से जोड़ती है।
बेलापुर के किले से जुड़े रोचक तथ्य
यहाँ बेलापुर के किले से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बताया जा रहा है-
- बेलापुर किला बेलापुर की मुहाना भूमि के नीचे एक पहाड़ी पर बना है।
- बेलापुर का किला शहर और औद्योगिक विकास निगम (सिडको) के अधिकार क्षेत्र में आता है।
- किले की दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है जो कुछ सार्थक संदेशों के बारे में बताती है।
- यहां एक भूमिगत सुरंग भी मौजूद है, जिसके बारे में कई स्थानीय लोगों का मानना है कि यह इसे एलीफेंटा गुफाओं के स्थल घरपुरी द्वीप से जोड़ती है।
- बेलापुर किला पनवेल क्रीक के मुहाने के पास एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।
- बेलापुर किला डचों, मराठों और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा तीन बार जीता गया था।
FAQs
बेलापुर का किला सिद्धियों ने अपनी रक्षा के लिए बनवाया था।
बेलापुर का किला महाराष्ट्र के पनवेल में स्थित है।
बेलापुर किले का अंतिम शासक ईस्ट इंडिया कम्पनी थी।
आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में बेलापुर का किला इस बारे में पता चल गया होगा। इसी प्रकार के अन्य ऐतिहासिक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।