Top 10 Slokas of Bhagavad Gita in Hindi : भगवत गीता जिसे किसी परिचय की जरूत नहीं है, जिसने ना केवल देश में बल्कि विदेश में भी काफी प्रभाव छोड़ा है। भगवत गीता को जीवन के सार के रूप में जाना जाता है। इस प्राचीन भारतीय ग्रंथ में, भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को भजनों की एक श्रृंखला संबोधित की। महाभारत के युद्ध के समय भगवन श्री कृष्ण के सभी उपदेश इसमें विद्यमान हैं। भगवत गीता भारतीय महाकाव्य महाभारत का एक हिस्सा है। आइए जानते हैं भगवत गीता को वो 10 श्लोक जो है सबसे प्रसिद्ध हैं।
संस्कृत में श्लोक 1
क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ॥
हिंदी में अर्थ : क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है। और इसी समय मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि के नाश हो जाने पर मनुष्य को कुछ नहीं समझ आता और वह खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।
संस्कृत में श्लोक 2
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
हिंदी में अर्थ : कर्म पर ही सिर्फ तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फल में नहीं, इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो।
संस्कृत में श्लोक 3
मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः।।
हिंदी में अर्थ : जो महात्मा मुझे प्राप्त हो गए हैं, वे दुःखों के भंडार इस अशाश्वत संसार में फिर कभी जन्म नहीं लेते है। क्योंकि वे सर्वोच्च पूर्णता की स्थिति तक पहुँच चुके हैं।
संस्कृत में श्लोक 4
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
हिंदी में अर्थ : भगवन कृष्ण कहते है, जब-जब धर्म का पतन होता है और अधर्म का उद्भव होता है। तब-तब मैं अवतार लेकर आता हूँ।
संस्कृत में श्लोक 5
श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
हिंदी में अर्थ : श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य और साधन करने वाले अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं और ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति भी प्राप्त हो जाती हैं।
संस्कृत में श्लोक 6
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥
हिंदी में अर्थ : श्रीकृष्ण कहते हैं, (हे अर्जुन) सभी धर्मों को त्याग कर अर्थात हर आश्रय को त्याग कर सिर्फ मेरी शरण में आओ, मैं तुमको सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो।
संस्कृत में श्लोक 7
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
हिंदी में अर्थ : सज्जन मनुष्यों के कल्याण, दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं श्रीकृष्ण प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।
संस्कृत में श्लोक 8
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥
हिंदी में अर्थ : भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, हे पार्थ। आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत है। आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है। न ही पानी उसे भिगो सकता है और न हवा सुखा सकती है।
संस्कृत में श्लोक 9
मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव।
मामेकं शरणं व्रज विश्वात्मन्मा शुचः स्थिरम्॥
हिंदी में अर्थ : इस संसार की वस्तुएँ मणियों की माला में पिरोए हुए मोतियों की तरह सभी मुझमें पिरोई हुई हैं। अतः हे विश्वात्मन् मेरी शरण में आओ, मुझमें ही तुम्हारा कल्याण है।
संस्कृत में श्लोक 10
हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥
हिंदी में अर्थ : हे अर्जुन, अगर तुम युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो, तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और यदि विजयी होते हो तो धरती का सुख पा जाओगे। इसलिए उठो, हे पार्थ और निश्चय करके युद्ध करो।
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