Pradhanacharya Mein Kaunsa Samas Hai : जानिए प्रधानाचार्य में कौन सा समास है?

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Satyavrat Mein Kaun Sa Samas Hai (1)

क्या आप सोच रहे हैं Pradhanacharya Mein Kaunsa Samas Hai? तो आपको बता दें कि प्रधानाचार्य में बहुव्रीहि समास है। यह जानने से पहले की बहुव्रीहि समास क्या होता है, यह जानते हैं कि समास किसे कहते हैं? अलग अर्थ रखने वाले दो शब्दों या पदों (पूर्वपद तथा उत्तरपद) के मेल से बना तीसरा नया शब्द या पद समास या समस्त पद कहलाता है तथा वह प्रक्रिया जिसके द्वारा ‘समस्त पद’ बनता है, समास-प्रक्रिया कही जाती है। Pradhanacharya Mein Kaunsa Samas Hai यह तो आप जान गए हैं, आप इस ब्लॉग में आगे जानेंगें प्रधानाचार्य का समास विग्रह, प्रधानाचार्य में बहुव्रीहि समास क्यों हैं, बहुव्रीहि समास क्या होता है साथ ही बहुव्रीहि समास के कुछ अन्य उदाहरण। 

समास की परिभाषा क्या है?

अलग अर्थ रखने वाले दो शब्दों या पदों (पूर्वपद तथा उत्तरपद) के जोड़ से बना तीसरा नया शब्द या पद समास (Samas in Hindi) या समस्त पद कहलाता है और वह प्रक्रिया जिसके द्वारा ‘समस्त पद’ बनता है, समास-प्रक्रिया कही जाती है।

प्रधानाचार्य का समास विग्रह क्या होगा? 

प्रधानाचार्य का समास विग्रह है प्रधान (प्रमुख) है जो आचार्य (अध्यापक)। सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करने को समास – विग्रह कहते हैं। विग्रह के बाद सामासिक शब्द लुप्त हो जाते है।

बहुव्रीहि समास क्या होता है?

बहुव्रीहि समास में न तो पूर्वपद प्रधान होता है और न ही उत्तरपद। बल्कि इसके दोनों पद परस्पर मिलकर किसी तीसरे बाहरी पद के बारे में कुछ कहते हैं और यह तीसरा पद ही ‘प्रधान’ हाता है। उदाहरण के लिए, त्रिलोचन यह शब्द ‘त्रि’ तथा ‘लोचन’ दो पदों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है-तीन नेत्र। यदि इसका विग्रह किया जाए -तीन हैं नेत्र जिसके अर्थात महादेव तो यह उदाहरण बहुव्रीहि समास का होगा, क्योंकि इस विग्रह में ‘त्रि’ तथा ‘लोचन’ दोनों पद मिलकर तीसरे पद ‘महादेव’ की विशेषता बता रहे हैं। यहां हम कुछ उदाहरण जानेंगेः

समस्तपदविग्रहप्रधान पद
अंशुमालीअंशु (किरणें) हैं मालाएँ जिसकीसूर्य
चारपाईचार हैं पाए जिसकेपलंग
तिरंगातीन रंग हैं जिसकेभारतीय राष्ट्रध्वज
विषधरविष को धारण किया है जिसनेशिव
षडाननषट् (छह) हैं आनन (मुख) जिसकेकार्तिकेय
चक्रधरचक्र धारण किया है जिसनेविष्णु
गजाननगज के समान आनन है जिसकागणेश
घनश्यामघन के समान श्याम (काले) हैं जोकृष्ण
मेघनादमेघ के समान करता है नाद जोरावण-पुत्र इंद्रजीत
विषधरविष को धारण करता है जोसर्प
चतुराननविष को धारण करता है जोब्रह्मा
गिरिधरगिरि को धारण किया है जिसनेश्री कृष्ण
सुलोचनासुंदर लोचन हैं जिसकेविशेष स्त्री।

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उम्मीद है कि Pradhanacharya Mein Kaunsa Samas Hai आपको समझ आया होगा। यदि आप समास के अन्य प्रश्नों से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं तो Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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