वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला गर्ग का संक्षिप्त जीवन परिचय | Mridula Garg Ka Jivan Parichay

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मृदुला गर्ग

Mridula Garg Ka Jivan Parichay : हिंदी साहित्य जगत में मृदुला गर्ग वरिष्ठ और लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक मानी जाती हैं। साठोत्तरी महिला कथाकारों में भी मृदुला जी का नाम सबसे ऊँचा हैं। इन्होंने हिंदी साहित्य में अनेकों विधाओं में साहित्य का सृजन किया जिसमें कहानियां, उपन्यास, निबंध, व्यंग्य, यात्रा वृतांत और नाटक शामिल हैं। मृदुला जी के हिंदी साहित्य में विशेष योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान और पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका हैं। इसके साथ ही उनकी बहुत सी रचनाओं का अंग्रेजी, जर्मन, जापानी, चेक भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी की अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

आइए अब हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिका मृदुला गर्ग का जीवन परिचय (Mridula Garg Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम मृदुला गर्ग (Mridula Garg)
जन्म 25 अक्टूबर 1938 
जन्म स्थान कलकत्ता, पश्चिम बंगाल 
पिता का नाम श्री बिरेन्द्र प्रसाद जैन 
माता का नाम श्रीमती रविकांता 
पति का नाम आनंदप्रकाश गर्ग 
संतान शशांक विक्रम, आशीष विक्रम
पेशा लेखिका, अध्यापिका 
काल साठोत्तरी काल 
भाषा हिंदी, इंग्लिश 
लोकप्रिय कहानियां कितनी कैदें, टुकड़ा-टुकड़ा आदमी, समागम, अगर यों होता आदि।
बहुचर्चित उपन्यास चित्तकोबरा, कठगुलाब, उसके हिस्से की धूप आदि। 
नाटक एक और अजनबी, तीन कैदें, जादू का कालीन आदि। 
व्यंग्य खेद नहीं है, कर लेंगे सब हज़म 
यात्रा वृतांत कुछ अटके कुछ भटके 
सम्मान ‘साहित्य अकादमी’, ‘महाराजा वीरसिंह पुरस्कार’, ‘सेठ गोविन्ददास पुरस्कार।

मृदुला गर्ग का आरंभिक जीवन – Mridula Garg Ka Jivan Parichay

मृदुला गर्ग का जन्म 25 अक्टूबर 1938 को कलकत्ता, पश्चिम बंगाल के एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री ‘बी.पी. जैन’ और माता का नाम श्रीमती ‘रविकांता’ था। अल्प आयु में ही मृदुला गर्ग के पिता का दिल्ली में ट्रांसफर होने के कारण उनका पूरा परिवार दिल्ली में आकर बस गया। बचपन में उनका स्वास्थ्य ख़राब होने के कारण वह तीन वर्ष तक स्कूल नहीं जा पाई थी और घरपर रहकर ही उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। 

अल्प आयु से ही मृदुला गर्ग जी की साहित्य के अध्ययन में रूचि रही है, उन्होंने स्कूल के दिनों से ही हिंदी और इंग्लिश की मौलिक रचनाओं को पढ़ना शुरू कर दिया था। साहित्य में विशेष रूचि का श्रेय उनके माता-पिता को भी जाता हैं। बता दें कि साहित्य में विशेष रूचि होने के कारण मृदुला गर्ग ने स्कूल के दिनों से ही नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया था और कई पुरस्कार भी जीते थे। 

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मृदुला गर्ग की शिक्षा 

मृदुला जी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स’ से अर्थशास्त्र विषय में मास्टर्स डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने सन 1960 से 1963 तक दिल्ली विश्वविद्यालय से एफिलेटड ‘इंद्रप्रस्थ कॉलेज’ और ‘जानकीदेवी कॉलेज’ में प्रध्यापिका के रूप में अध्यापन कार्य किया।  

मृदुला गर्ग का वैवाहिक जीवन 

Mridula Garg Biography in Hindi में अब हम उनके वैवाहिक जीवन के बारे में जानते हैं। मृदुला जी का विवाह वर्ष 1963 में श्री ‘आनंदप्रकाश गर्ग’ के साथ हुआ था जो कि एक इंजीनियर है। नौकरी के दौरान ट्रांसफर होने के कारण मृदुला जी अपने विवाह के बाद कई राज्यों में रही। किंतु अभी तक उन्होंने अपना लेखन कार्य शुरू नहीं किया था।  

मृदुला गर्ग का साहित्य में पर्दापण 

क्या आप जानते हैं कि मृदुला गर्ग ने 32 वर्ष की आयु में साहित्य लेखन प्रारंभ एक अहिंदी प्रदेश के एक छोटे से कस्बे बागलकोट, कर्नाटक से शुरू किया था। इसके बाद वर्ष 1971 में उन्होंने अपनी पहली कहानी “रूकावट” से हिंदी साहित्य में पर्दापण किया। उनकी यह कहानी कमलेश्वर जी के संपादन में “सारिका पत्रिका” में छपी थी। इसके बाद उनकी कई कहानियां सारिका में प्रकाशित हुई इनमें ‘लिली ऑफ वैली’, ‘हरी बिंदी’ और ‘दूसरा चमत्कार’ आदि प्रमुख हैं। 

वर्ष 1972 में उनकी कहानी ‘कितनी कैदें’ को ‘कहानी’ पत्रिका द्वारा प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। फिर मृदुला जी का वर्ष 1974 में प्रथम उपन्यास ‘उसके हिस्से की धुप’ साहित्य की जगत के समक्ष आया। इसके बाद वह स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य में जुट गई। 

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मृदुला गर्ग की साहित्यिक रचनाएं 

मृदुला गर्ग जी ने अपने लेखन में मुख्य रूप से स्त्री विषयक और मध्यवर्गीय जीवन पर केंद्रित विषय पर साहित्य की रचना की। आइए अब हम Mridula Garg Biography in Hindi में उनकी साहित्यिक कृतियों के बारे में विस्तार से जानते हैं:-

उपन्यास 

उपन्यास का नाम प्रकाशन 
उसके हिस्से की धूप1975
वंशज1976
चित्तकोबरा1979
अनित्य1980
मैं और मैं1984
कठगुलाब1996
मिलजुल मन2009

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कहानी संग्रह 

कहानी संग्रह के नाम प्रकाशन 
कितनी कैंदें1975
टुकड़ा-टुकड़ा आदमी1977
डेफोडिल जल रहे हैं1978
ग्लेशियर से1980
उर्फ़ सैम1982
दुनिया का कायदा1983
शहर के नाम1990
समागम1996
मेरे देश की मिट्टी, अहा2001
संगति-विसंगति 2003 
जूते का जोड़ गोभी का तोड़2006
मीरा नाची (स्त्री मन की कहानियां)2010
वो दूसरी2014
हर हाल बेगाने2014
वसु का कुटुम 2016

नाटक 

नाटक का नाम प्रकाशन 
एक और अजनबी1978
जादू का कालीन1993
तीन कैदें1996
साम दाम दंड भेद2003

निबंध  

निबंध का नाम प्रकाशन 
रंग-ढंग1995
चुकते नहीं सवाल1999

यात्रा वृतांत 

यात्रा वृतांत का नाम प्रकाशन 
कुछ अटके- कुछ भटके2006 

संस्मरण – पत्रिकाओं में प्रकाशित 

संस्मरण का नाम प्रकाशन 
दीदी की याद में‘साहित्य अमृत’ सितम्बर 1998 में प्रकाशित
एक महा आख्यान जो लघु उपन्यास सा निबट गया‘हंस’ सितम्बर 1998 में प्रकाशित

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पुरस्कार व सम्मान

मृदुला गर्ग (Mridula Garg Ka Jivan Parichay) को हिंदी भाषा में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं :- 

  • वर्ष 1972 में मृदुला गर्ग (Mridula Garg) की कहानी ‘कितनी कैदें’ के लिए उन्हें ‘कहानी’ पत्रिका द्वारा प्रथम पुरस्कार मिला था। 
  • मृदुला जी के प्रथम उपन्यास ‘उसके हिस्से की धूप’ के लिए मध्यप्रदेश साहित्य परिषद् द्वारा उन्हें ‘महाराजा वीरसिंह पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 
  • मृदुला जी को उनके प्रथम नाटक ‘एक और अजनबी’ के लिए आकाशवाणी द्वारा 1978 में पुरस्कृत किया गया था। 
  • इसके बाद उन्हें बाल-नाटक ‘जादू का कालीन’ के लिए मध्यप्रदेश साहित्य परिषद् द्वारा 1993 में ‘सेठ गोविन्ददास पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। 
  • मृदुला जी को समग्र साहित्य के आधार पर सन 1988-89 का हिंदी अकादमी द्वारा ‘साहित्यकार सम्मान’ से नवाजा गया। 
  • मृदुला गर्ग जी को वर्ष 2009 में प्रकाशित ‘मिलजुल मन’ उपन्यास के लिए सन 2013 के ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। 

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FAQs

मृदुला गर्ग का जन्म कहाँ हुआ था?

मृदुला गर्ग का जन्म 25 अक्टूबर 1938 को कलकत्ता, पश्चिम बंगाल के एक संपन्न परिवार में हुआ था।

मृदुला गर्ग के माता-पिता का नाम क्या था?

मृदुला गर्ग की माता का नाम रविकांता जबकि पिता का नाम बिरेन्द्र प्रसाद जैन था। 

मृदुला गर्ग के प्रथम उपन्यास का नाम क्या है?

उसके हिस्से की धूप, मृदुला गर्ग का प्रथम उपन्यास है जिसका प्रकाशन वर्ष 1975 में हुआ था। 

मृदुला गर्ग को साहित्य अकादमी पुरस्कार कब मिला था?

उपन्यास ‘मिलजुल मन’ के लिए उन्हें वर्ष 2013 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

मृदुला गर्ग का पहला कहानी संग्रह कब प्रकाशित हुआ था?

कितनी कैंदें, मृदुला गर्ग का प्रथम कहानी संग्रह है जिसका प्रकाशन वर्ष 1975 में हुआ था। 

आशा है कि आपको हिंदी की वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला गर्ग का जीवन परिचय (Mridula Garg Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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