अंतरिक्ष एक ऐसा विषय है जो हर उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों को आकर्षित करता है। इसका रहस्यमय और अनंत विस्तार, चमकदार सितारे, और अद्भुत आकाशीय पिंड हमें हमेशा अपनी ओर खींचते हैं। अंतरिक्ष हमेशा से ही मानव की जिज्ञासा और कल्पनाओं का केन्द्र रहा है। जब लोग अंतरिक्ष मिशनों या अंतरिक्ष की गहराइयों की यात्रा के बारे में सुनते हैं, तो उनकी रुचि और भी अधिक बढ़ जाती है। अंतरिक्ष से संबंधित सवाल उनके मन में बार-बार उठते हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण और रहस्यमय विषय बनाता है। इसी कारण, अक्सर छात्रों को कक्षाओं में अंतरिक्ष पर निबंध (Essay On Space in Hindi) लिखने के लिए कहा जाता है। इसलिए, आपकी मदद के लिए इस ब्लॉग में अंतरिक्ष पर निबंध (Essay On Space in Hindi) के कुछ सैंपल दिए गए हैं।
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अंतरिक्ष पर 100 शब्दों में निबंध
हम अपनी इस विशाल और अद्भुत दुनिया को ‘अंतरिक्ष’ कहते हैं। सरल शब्दों में, अंतरिक्ष वह अनंत जगह है जिसका कोई अंत नहीं है। यह एक असीमित तीन-आयामी विस्तार है, जो हमारे ग्रह पृथ्वी के ऊपर और उसके चारों ओर फैला हुआ है। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल शून्य होता है और यहाँ सांस लेने के लिए पृथ्वी जैसा वातावरण नहीं होता। गुरुत्वाकर्षण के अभाव में, अंतरिक्ष में वस्तुएं हवा में तैरती रहती हैं। यह स्थान पदार्थ से रहित होता है और यहाँ ध्वनि भी यात्रा नहीं कर सकती। अंतरिक्ष से पृथ्वी एक नीली गेंद की तरह दिखाई देती है। पृथ्वी से अंतरिक्ष की ओर यात्रा की शुरुआत 1957 में सोवियत संघ द्वारा स्पूतनिक उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ हुई थी, जो पहला कृत्रिम उपग्रह था।
अंतरिक्ष पर 200 शब्दों में निबंध
पृथ्वी से बाहर फैला अनंत क्षेत्र ही अंतरिक्ष है, जो लगातार विस्तार कर रहा है। इस विशाल और रहस्यमई क्षेत्र में पृथ्वी की तरह वायुमंडल मौजूद नहीं होता। अंतरिक्ष सितारों, चंद्रमाओं, क्षुद्र ग्रहों और अनगिनत आकाशगंगाओं से भरा हुआ है। मानव सभ्यता के इतिहास में अंतरिक्ष ने हमेशा एक गहरा आकर्षण पैदा किया है और इसकी कई कहानियाँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। अंतरिक्ष का अध्ययन खगोल विज्ञान के तहत किया जाता है, जिसने हमारे ब्रह्मांड के बारे में समझ को गहरा किया है। खगोल विज्ञान ने दूरबीनों, उपग्रहों, और अन्य अंतरिक्ष जांच उपकरणों की सहायता से ब्लैक होल, एक्सोप्लैनेट और सुपरनोवा जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाओं को सामने लाया है।
खगोल विज्ञान की प्रमुख उपलब्धियों में 1969 में अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग द्वारा चंद्रमा पर पहला कदम रखना और हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा ब्रह्मांड की गहराई में की गई खोजें शामिल हैं। इन उपलब्धियों ने अंतरिक्ष की हमारी समझ को काफी बढ़ाया है। हाल के वर्षों में, मानव सभ्यता ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। 1969 में चंद्रमा पर मानव की पहली यात्रा के बाद, कई सफल मिशनों ने अंतरिक्ष के हमारे ज्ञान को बढ़ाया है। अंतरिक्ष में भेजे गए कृत्रिम उपग्रह हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे संचार, मौसम पूर्वानुमान और अन्य जानकारियों की प्राप्ति में। हालांकि अंतरिक्ष की खोज में कई चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन इसके रहस्यों को जानना कई लोगों का जीवन का उद्देश्य बन चुका है।
अंतरिक्ष पर 500 शब्दों में निबंध
अंतरिक्ष पर 500 शब्दों में निबंध (500 Words Essay On Space in Hindi) नीचे दिया गया है –
प्रस्तावना
अंतरिक्ष, एक अनंत और रहस्यमय दुनिया, मानवता की कल्पनाओं और खोजों का प्रमुख केंद्र रहा है। इसका निरंतर विस्तार और कम घनत्व, साथ ही पूर्ण निर्वात की उपस्थिति इसे अद्वितीय बनाते हैं। इसमें चंद्रमा, ग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, तारे और आकाशगंगाएँ विशाल मात्रा में पाई जाती हैं। जबकि मानव सभ्यताओं ने अंतरिक्ष के बारे में काफी जानकारी हासिल की है, फिर भी कई रहस्यों की खोज अभी भी जारी है।
खगोल विज्ञान ने ब्रह्मांड की हमारी समझ को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है। वैज्ञानिकों ने सौरमंडल की उत्पत्ति, सितारों का जन्म और अंत, और आकाशगंगाओं के कार्यप्रणाली जैसी बातों की खोज की है। अंतरिक्ष की खोज की चुनौतियों ने टेक्नोलॉजी के विकास को प्रेरित किया है, जिससे उपग्रह संचार, जीपीएस, और मौसम पूर्वानुमान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र विकसित हुए हैं। इन खोजों ने हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए, मानव सभ्यता के अस्तित्व और विकास के लिए अंतरिक्ष के बारे में जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अंतरिक्ष अन्वेषण का इतिहास
अंतरिक्ष अन्वेषण का इतिहास एक लंबी और दिलचस्प यात्रा है, जिसे हम निम्नलिखित प्रमुख चरणों में समझ सकते हैं –
प्राचीन सभ्यताओं का योगदान
अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास को समझने के लिए प्राचीन सभ्यताओं की भूमिका पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मेसोपोटामिया की सभ्यता ने ग्रहों की चाल, चंद्र कैलेंडर, और तारों की विस्तृत सूची तैयार की थी। उनके सिद्धांत ज्योतिष विद्या पर आधारित थे और वे खगोलीय घटनाओं को समझने में अग्रणी थे।
मिश्रा सभ्यता के लोग आकाश को एक दैवीय क्षेत्र मानते थे और पृथ्वी को ब्रह्मांड का केंद्र मानते थे। यूनानी सभ्यता ने भी पृथ्वी को केंद्र मानकर एक भू-केन्द्रित मॉडल विकसित किया था।
भारतीय सभ्यता ने भी आकाश और उसकी गति को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय वेदांग ज्योतिष में चंद्र और सूर्य के चक्र पर नजर रखने के नियम दिए गए हैं। खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने पृथ्वी की धुरी पर घूमने के सिद्धांत का उल्लेख किया था। भास्कर द्वितीय ने ग्रहों की स्थिति को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
आधुनिक अंतरिक्ष अन्वेषण की प्रमुख सफलताएँ
- 1957: स्पूतनिक 1 – सोवियत संघ द्वारा प्रक्षिप्त पहला कृत्रिम उपग्रह, स्पूतनिक 1, अंतरिक्ष युग की शुरुआत का प्रतीक था और पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला पहला उपग्रह था।
- 1961: यूरी गागरिन – सोवियत अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन ने अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक यात्रा की, और वह अंतरिक्ष में यात्रा करने वाला पहला मानव बने।
- 1969-1972: अपोलो कार्यक्रम – नासा ने अपोलो कार्यक्रम के तहत चंद्रमा पर मानव की पहली यात्रा की और अपोलो 11 मिशन में नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन ने चंद्रमा पर कदम रखा।
- 1977: वॉयजर मिशन – नासा के वॉयजर यान ने हमारे सौरमंडल से बाहर की ओर यात्रा की और बहुमूल्य जानकारी भेजी। वॉयजर आज भी अपनी यात्रा जारी रखे हुए हैं।
- हबल स्पेस टेलीस्कोप – हबल ने अंतरिक्ष के बारे में हमारी समझ को विस्तारित किया, दूर की आकाशगंगाओं और सितारों की उच्च रेजोल्यूशन वाली छवियाँ प्रदान कीं, और डार्क एनर्जी के बारे में जानकारी दी।
- मार्स रोवर्स मिशन – नासा ने 2004, 2012, और 2021 में मार्स रोवर्स मिशनों के माध्यम से मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक रोवर्स को उतारा और महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की।
- 1998: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन – कई अंतरिक्ष एजेंसियों के सहयोग से स्थापित इस अंतरिक्ष स्टेशन ने वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयोगशाला के रूप में कार्य किया।
भारत की प्रमुख सफलताएँ
- 1975: आर्यभट्ट – भारत ने अपना पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेजा, जिसे एस्ट्रो फिजिक्स और सोलर फिजिक्स के अध्ययन के लिए डिजाइन किया गया था।
- 1983: इनसैट श्रृंखला – भारत ने दूरसंचार, प्रसारण, और मौसम विज्ञान के लिए इनसैट श्रृंखला की शुरुआत की।
- 1993: पीएसएलवी कार्यक्रम – पीएसएलवी को कई पेलोड लॉन्च करने के लिए जाना जाता है और इसकी विश्वसनीयता और बहुमुखी प्रतिभा के लिए सराहा गया है।
- 2008: चंद्रयान-1 – चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की खोज की और भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बनने की उपलब्धि हासिल की।
- 2013: मंगलयान – मंगलयान मिशन ने मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक पहुंचने में भारत को पहला स्थान दिलाया, और मंगल तक पहुँचने वाला भारत चौथा देश बना।
- अन्य मिशन – भारत के अंतरिक्ष मिशनों में गगनयान, आदित्य एल वन, जीसैट और नाविक भी शामिल हैं, जो भविष्य में और भी महत्वपूर्ण उपलब्धियों की ओर इशारा करते हैं।
अंतरिक्ष अन्वेषण की यह यात्रा मानवता के लिए एक लगातार प्रेरणा का स्रोत रही है और इसके आगे भी नई उपलब्धियों की उम्मीदें बनी हुई हैं।
अंतरिक्ष अन्वेषण का महत्व
अंतरिक्ष अन्वेषण का महत्व अत्यंत व्यापक और बहुपरकारी है। अंतरिक्ष अन्वेषण केवल ब्रह्मांड की गहराई में जाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में सुधार और विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। इसके अनेक लाभ हमारे जीवन और विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं –
- ज्ञान और समझ में वृद्धि : अंतरिक्ष की खोज से हम ब्रह्मांड के बारे में अपनी समझ को विस्तारित करते हैं। इसमें हमारे ग्रह, तारे, आकाशगंगाएँ, और अन्य खगोलीय पिंडों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। यह ज्ञान हमारे वैज्ञानिक समझ को नई दिशा प्रदान करता है।
- तकनीकी प्रगति : अंतरिक्ष अन्वेषण की प्रक्रिया में नए-नए उपकरण और तकनीकें विकसित की जाती हैं। ये तकनीकें अंतरिक्ष की खोज में उपयोग की जाती हैं और विज्ञान व तकनीक के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार (इनोवेशन) को प्रेरित करती हैं। उदाहरण के लिए, उपग्रहों द्वारा विकसित तकनीकें जैसे संचार, मौसम पूर्वानुमान, जीपीएस, और नेविगेशन अब हमारे दैनिक जीवन में भी उपयोगी हैं।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग : अंतरिक्ष अन्वेषण विभिन्न देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। कई देशों के वैज्ञानिक और इंजीनियर मिलकर अंतरिक्ष मिशनों पर काम करते हैं, जो वैश्विक एकता और सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
- भविष्य की चुनौतियों का समाधान : अंतरिक्ष की खोज से हम भविष्य की संभावित चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, पृथ्वी पर घटते-बढ़ते तापमान और पर्यावरणीय बदलावों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करती है।
- स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार : अंतरिक्ष अन्वेषण से मिली तकनीकों का स्वास्थ्य सेवाओं में उपयोग भी बढ़ा है। जैसे, एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी इमेजिंग तकनीकें, जो मूलतः खगोलीय पिंडों की इमेजिंग के लिए विकसित की गई थीं, अब चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन्फ्रारेड थर्मामीटर, जो पहले आकाशीय पिंडों के तापमान को मापने के लिए उपयोग होता था, ने कोविड-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- जीवन की गुणवत्ता में सुधार : कई ऐसी तकनीकें हैं जो अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए विकसित की गई थीं लेकिन अब सामान्य जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। उदाहरण के लिए, खरोंच-प्रतिरोधी कोटिंग्स और एलईडी लाइट्स, जो अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि के प्रयोगों के लिए तैयार की गई थीं, अब हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोगी हैं।
अंतरिक्ष अन्वेषण के सामने चुनौतियां
अंतरिक्ष अन्वेषण की यात्रा में कई प्रमुख चुनौतियाँ हैं, जिनका सामना करना आवश्यक है:
- तकनीकी सीमाएं : अंतरिक्ष यान और उपकरणों की तकनीकी सीमाएं एक महत्वपूर्ण चुनौती हैं। वर्तमान तकनीकें सीमित संसाधनों के कारण अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं पहुंच पातीं। अंतरिक्ष यान को तीव्र विकिरण, माइक्रोमेटोरॉयड के प्रभाव, और -150 डिग्री सेल्सियस से लेकर 120 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का सामना करना पड़ता है। इन चरम परिस्थितियों में उपकरणों की कार्यक्षमता को बनाए रखना एक कठिन कार्य है।
- संचार में देरी : जैसे-जैसे अंतरिक्ष यान पृथ्वी से दूर जाते हैं, संचार में देरी होने लगती है। इससे तत्काल निर्णय लेना और किसी आपात स्थिति में नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है, जिससे मिशन की सफलता पर प्रभाव पड़ सकता है।
- लैंडिंग की कठिनाइयाँ : नई सतह पर लैंडिंग करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है, विशेष रूप से विभिन्न गुरुत्वाकर्षण स्थितियों के कारण। हर ग्रह या चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के लिए विशिष्ट तकनीकी उपायों की आवश्यकता होती है।
- रेडिएशन का खतरा : अंतरिक्ष में रेडिएशन का स्तर पृथ्वी की तुलना में बहुत अधिक होता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके लिए विशेष सुरक्षा उपायों और यंत्रों की आवश्यकता होती है।
- आर्थिक बाधाएँ : अंतरिक्ष मिशनों के लिए अरबों रुपये की आवश्यकता होती है, जो अक्सर बजट की सीमाओं के कारण एक बाधा बन जाती है। कई मिशन आर्थिक कारणों से या बजट कटौतियों के कारण सीमित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, राजनीतिक कारक या नीतियों में बदलाव भी सरकारी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बजट पर प्रभाव डाल सकते हैं।
अंतरिक्ष अन्वेषण का भविष्य
अंतरिक्ष अन्वेषण का भविष्य तेजी से विकसित हो रहा है, और अब सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ निजी कंपनियां भी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। कई निजी कंपनियां आने वाले वर्षों में अपने मिशनों में सफलता और उन्नति का दावा कर रही हैं।
वर्तमान में, चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रहों पर कॉलोनियों की स्थापना या माइनिंग गतिविधियों की योजनाएं बनाई जा रही हैं। नासा ने आर्टेमिस, मंगल ग्रह से सैंपल वापसी मिशन, एक्सोमार्स, लूनर गेटवे, जुपिटर आईसी मून एक्सप्लोरर, और ड्रैगन फ्लाई जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों की घोषणा की है। इन मिशनों का उद्देश्य विभिन्न ग्रहों और चंद्रमाओं की खोज करना और वहां संभावित मानव बस्तियों की स्थापना की दिशा में काम करना है।
भारत भी इस क्षेत्र में सक्रिय है और नासा की सहायता से अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही, भारत चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 जैसे आगामी मिशनों की योजनाओं को लेकर उत्सुक है।
स्पेस टूरिज्म के क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति हो रही है। कंपनियां जैसे ब्लू ओरिजिन, स्पेसएक्स, और वर्जिन गैलेक्टिक इस क्षेत्र में अग्रणी हैं और भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन को आम जनता के लिए उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही हैं।
आने वाले दशकों में मंगल ग्रह पर मानव कॉलोनी की स्थापना की योजनाएं भी बनाई जा रही हैं, जो अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। यह भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और खोजों को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उपसंहार
आने वाले समय में अंतरिक्ष अन्वेषण का भविष्य बहुत ही आशाजनक नजर आ रहा है। सरकारों के साथ-साथ निजी कंपनियां भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण तकनीकी उन्नति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। मंगल और चंद्रमा पर केंद्रित कई मिशन भविष्य में संभावनाओं से भरे हुए हैं और इनसे व्यापक रूप से प्रभावित लोग इसकी सफलता की आशा कर रहे हैं।
तकनीकी प्रगति, अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य में सुधार, और वित्तीय संसाधनों के बावजूद, इन मिशनों की सफलता वैश्विक मानव सभ्यता के अस्तित्व के नए मार्ग खोल सकती है। अंतरिक्ष खोज में अपार संभावनाएँ छुपी हुई हैं, जो न केवल हमारी ज्ञान की सीमाओं को विस्तारित करती हैं, बल्कि हमें असीम संभावनाओं की ओर भी ले जाती हैं। यह मानवता की अदम्य जिज्ञासा और खोज की प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
10 लाइन में अंतरिक्ष पर निबंध (10 Line Essay On Space in Hindi)
10 लाइन में अंतरिक्ष पर निबंध (10 Line Essay On Space in Hindi) नीचे दिया गया है –
- पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर स्थित विशाल अनंत क्षेत्र जिसकी कोई सीमा नहीं है उसे अंतरिक्ष कहा जाता है।
- अंतरिक्ष में जाने वाले प्रथम मानव का नाम यूरी गागरिन था।
- अंतरिक्ष की खोज ने विज्ञान चिकित्सा और तकनीक में बहुत प्रगति की है जिससे पृथ्वी पर मानव जीवन को भी लाभ हुआ है।
- अंतरिक्ष जिज्ञासा और रोमन से भरा हुआ है जो मानव को उसकी सीमाओं से परे जाने के भी अधिकार देता है।
- कई कंपनियों में अंतरिक्ष में जाने वाले रोकटो का पुनः उपयोग करना शुरू किया है जिससे अंतरिक्ष यात्रा में लागत की कमी आई है।
- आने वाले अंतरिक्ष मिशनों में सबसे महत्वपूर्ण मंगल और चंद्रमा की सतह पर मानव को भेजना है।
- अंतरिक्ष की खोज में सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियां में उच्च लागत मानव स्वास्थ्य और तकनीक का सीमित होना है।
- अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी के वायुमंडल के बाहरी स्थान में स्थित है जो की फुटबॉल के आकार का है।
- अंतरिक्ष अन्वेषण में मानव सभ्यता को पृथ्वी पर जीवन में भी कई लाभ हुए हैं।
- अंतरिक्ष की खोज करने से ब्रह्मांड में हमारे स्थान के बारे में ज्ञान और उत्तर पाने की हमारी इच्छा बढ़ती है।
FAQs
पृथ्वी के बाहर का क्षेत्र ही अंतरिक्ष है। इसमें ग्रह, उल्काएं, तारे और अन्य खगोलीय पिंड शामिल होते हैं। उल्काएं आकाश से ‘गिरती’ हैं और अंतरिक्ष की विशेषता यह है कि यह एक शांत और निर्वातपूर्ण जगह है।
अंतरिक्ष अन्वेषण और अनुसंधान ने पृथ्वी पर स्थायी प्रथाओं को प्रोत्साहित किया है। यह पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और दीर्घकालिक संसाधन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अभिनव उपाय प्रदान करता है।
अंतरिक्ष में हवा और प्राणवायु का अभाव होता है, जिससे सांस लेना असंभव हो जाता है। इसके अलावा, वहाँ का वातावरण अत्यधिक दबाव और तापमान से भरा होता है, जो जीवन के लिए अनुकूल नहीं है। इसलिए, अंतरिक्ष में मानव जीवन का अस्तित्व संभव नहीं है।
अंतरिक्ष से, पृथ्वी एक नीले संगमरमर की तरह नजर आती है, जिसमें सफेद घुमावदार रेखाएँ होती हैं। इसकी सतह पर भूरे, पीले, हरे और सफेद रंग के क्षेत्र भी दिखाई देते हैं। नीला भाग मुख्य रूप से पानी को दर्शाता है, और वास्तव में, पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर पानी ही फैला हुआ है।
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