Essay on Ahilyabai Holkar : रानी अहिल्याबाई पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध, यहाँ देखें सैम्पल्स

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Essay on Ahilyabai Holkar in Hindi

भारतीय इतिहास कई महान योद्धाओं, शूरवीरों और क्रांतिकारियों की उपलब्धियों से भरा हुआ है। इन्हीं शूरवीरों में पुरुषों के साथ-साथ कई महिलाओं के नाम भी शामिल हैं, जो एक कुशल योद्धा के रूप में अपना नाम इतिहास में दर्ज करवा चुकी हैं। अहिल्याबाई होल्कर उन्हीं योद्धाओं में से एक है। अहिल्याबाई होल्कर 18वीं शताब्दी की एक प्रेरणादायक महिला थीं जिनको न्याय की देवी के नाम से भी जाना जाता था। अहिल्याबाई होल्कर का पूरा जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में भी विद्यार्थियों को रानी अहिल्याबाई पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में रानी अहिल्याबाई पर निबंध (Essay on Ahilyabai Holkar in Hindi) के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं।

कौन थीं महारानी अहिल्याबाई होल्कर? 

महारानी अहिल्याबाई होल्कर उस दौर की शासक थी जब महिलाओं के लिए शिक्षा, राजनीति, और शासन में भाग लेना अत्यंत कठिन था। लेकिन उन्होंने समाज की रूढ़िवादी धारणाओं को पार करते हुए न केवल शक्तिशाली राज्य पर शासन किया बल्कि एक कुशल नेता दूरदर्शी विचारक और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में समाज में अपनी पहचान बनाई। ऐसी महान वीरांगना का जन्म 31 मई, 1975 को महाराष्ट्र के अहमदनगर शहर के छौंड़ी नामक एक गाँव में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता मंकोजी राव शिंदे, महाराष्ट्र के मालवा क्षेत्र के एक साधारण किसान थे। अहिल्याबाई उनकी एकमात्र पुत्री थीं। रानी अहिल्याबाई को न्याय की देवी के नाम से भी जाना जाता था। वहीं उन्होंने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने न केवल होल्कर साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि इसे एक शक्तिशाली साम्राज्य भी बनाया। 

रानी अहिल्याबाई होल्कर पर 100 शब्दों में निबंध 

छात्र 100 शब्दों में अहिल्याबाई होल्कर पर निबंध (Essay on Ahilyabai Holkar in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

रानी अहिल्याबाई होल्कर 18वीं शताब्दी की एक वीर योद्धा, कुशल शासक और दूरदर्शी नेता थी। उन्हें न केवल मालवा की रक्षा करने के लिए जाना जाता है, बल्कि सामाजिक कार्यों के लिए भी याद किया जाता है। ऐसी वीरांगना का जन्म वर्ष 31 मई 1725 को महाराष्ट्र राज्य के चौंढी नामक गांव में हुआ था। मालवा में इतिहासकार ई. मार्सडेन के अनुसार साधारण शिक्षित अहिल्याबाई का 10 वर्ष की अल्पायु में ही होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव से विवाह हो गया था। वहीं महज 19 वर्ष की उम्र में ही वे विधवा हो गई थी। बता दें कि होल्कर वंश के संस्थापक मल्हार राव होल्कर के बाद अहिल्याबाई मालवा राज्य की रानी बनी थी। अहिल्या को लोगों के द्वारा सम्मान से राजमाता भी कहकर पुकारा जाता था। 

यह भी पढ़ें : अहिल्याबाई होलकर के प्रेरणादाई प्रेरक विचार

रानी अहिल्याबाई होल्कर पर 200 शब्दों में निबंध

छात्र 200 शब्दों में अहिल्याबाई होल्कर पर निबंध (Essay on Ahilyabai Holkar in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

अहिल्याबाई होलकर, एक ऐसी वीरंगना थी जिन्होंने भारतीय संस्कृति और मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। एक साधारण से किसान परिवार में जन्मीं अहिल्याबाई होलकर छोटी उम्र से ही अपनी संस्कृति पर गर्व करती थी, साथ ही प्रजा में रह रहे लोगों के पीड़ाओं की अनुभूति भी करती थी। उनके इन्हीं गुणों ने उन्हें न्याय की देवी का दर्ज दिया गया। वहीं मात्र 10 या 12 वर्ष की आयु में ही उनका विवाह सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव से हो गया था। वहीं महज 19 वर्ष की उम्र में ही वे विधवा भी हो गई थीं। अहिल्याबाई होलकर का विवाह मालवा के प्रथम मराठा सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव से हुआ था। वहीं अपने पति की मृत्यु के बाद युवा अहिल्याबाई ने राज्य की बागडोर संभाली और एक कुसल शासक के रूप में अपनी पहचान बनाई। अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने राज्य का विस्तार किया, समाजिक बुराइयों को मिटाने का प्रयास किया, मंदिर, मठों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया। महारानी अहिल्याबाई ने इन सब कार्यों से वीरता और सहस का परिचय दिया। वहीं 13 अगस्त 1795 को अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु इंदौर राज्य में हुई थी। अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु जिस दिन हुई थी, उस दिन की तिथि भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी थी। 

रानी अहिल्याबाई होल्कर पर 500 शब्दों में निबंध

छात्र 500 शब्दों में अहिल्याबाई होल्कर पर निबंध (Essay on Ahilyabai Holkar in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्रस्तावना

भारत देश अपनी समृद्ध संस्कृति, इतिहास और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ अनेक ऐसे योद्धा, शासक और वीरांगनाओं ने जन्म लिया है जिनका नाम आज भी अमर है और हमेशा रहेगा। इनमें से अहिल्याबाई होल्कर का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। अहिल्याबाई होल्कर 18वीं शताब्दी की एक प्रेरणादायक महिला थीं जिनका पूरा जीवन आज के युवाओं और आने वाली पीड़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 

अहिल्याबाई होल्कर का जीवन परिचय 

31 मई सन् 1725 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के चौड़ी नामक गाँव में मनकोजी शिंदे के घर में एक बच्चे का जन्म हुआ जिसका नाम रखा गया अहिल्याबाई होल्कर। एक साधारण से किसान परिवार में जन्मीं अहिल्याबाई होलकर छोटी उम्र से ही अपनी संस्कृति पर गर्व करती थी, साथ ही प्रजा में रह रहे लोगों के पीड़ाओं की अनुभूति भी करती थी। इतिहासकारों के अनुसार महज 10 वर्ष की आयु में ही अहिल्याबाई का विवाह होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव के साथ हो गया।

शादी के बाद उनका एक पुत्र और एक पुत्री हुई। वहीं कुछ सालों बाद ही अहिल्याबाई के पति का देहांत हो गया। इसके कुछ समय बाद ही 1766 में उनके ससुर मल्हारराव होल्कर की भी मृत्यु हो गई। जिसके बाद उन्होंने सत्ता को संभालने का भार अपने ऊपर ले लिया। शासन संभालने के कुछ दिनों बाद ही साल 1767 में उनके जवान पुत्र मालेराव की भी मृत्यु हो गई। पति, जवान पुत्र और पिता समान ससुर को खोने के बाद भी उन्होंने जिस तरह साहस से काम किया, वो सराहनीय है। 13 अगस्त1795 ईसवी को इंदौर राज्य में अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु हो गयी। 

यह भी पढ़ें : अहिल्याबाई होलकर का इतिहास 

अहिल्याबाई ने किए कई सामाजिक कार्य

महारानी अहिल्याबाई एक विनम्र एवं उदार शासक जिनके अंदर जरूरमदों, गरीबों और असहाय व्यक्ति के लिए दया और परोपकार की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। अहिल्याबाई हमेशा अपनी प्रजा और गरीबों की भलाई के बारे में सोचती रहती थी। उन्होंने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति, महिलाओं की शिक्षा पर काम किया किया। अपने जीवन में तमाम परेशानियां झेलने के बाद जिस तरह अहिल्याबाई ने अपनी नारी शक्ति का इस्तेमाल किया था, वो काफी प्रशंसनीय है। आज भी और हमेशा अहिल्याबाई, महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहेंगी।

उपसंहार

अहिल्याबाई होलकर द्वारा किए गए महान कामों के लिए भारत सरकार ने 25 अगस्त साल 1996 में उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था। इसके अलवा अहिल्याबाई के नाम पर एक अवॉर्ड भी स्थापित किया गया है। अहिल्याबाई होलकर ने अपने जीवन और कार्यों से अनेक प्रेरणादायी शिक्षाएं प्रदान की है। रानी अहिल्याबाई सदैव भारतीय महिलाओं और सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहेंगी।

रानी अहिल्याबाई पर निबंध कैसे तैयार करें? 

रानी अहिल्याबाई पर निबंध कैसे लिखें, इसके बारे में नीचे बताया गया है-

  • निबंध लिखने के लिए सबसे पहले स्ट्रक्चर बनाएं। 
  • स्ट्रक्चर के अनुसार जानकारी इक्कठा करें। 
  • कोई भी जानकारी निबंध में लिखने से पहले उसकी अच्छी तरह से पुष्टि कर लें। 
  • निबंध लिखने से पहले ध्यान रखें कि भाषा सरल हों। 
  • निबंध का शीर्षक आकर्षक बनाएं। 
  • निबंध की शुरुआत प्रस्तावना से करें और निबंध का अंत निष्कर्ष से। 
  • निबंध में शब्द चिन्ह का खास ध्यान रखें। 
  • अलग-अलग अनुच्छेद को एक-दूसरे से जोड़े रखें। 

अहिल्याबाई होलकर के प्रेरक विचार 

अहिल्याबाई होलकर के प्रेरक विचार निम्नलिखित है : 

  • “न्याय वह नींव है जिस पर एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण होता है।”
  • “सच्चा धर्म केवल पूजा-पाठ और अनुष्ठानों में नहीं, बल्कि मानवता की सेवा में निहित है।”
  • “आध्यात्मिकता ही जीवन का सच्चा लक्ष्य है, और यह हमें भौतिक सुखों से परे आनंद प्रदान करती है।”
  • “स्त्रियां पुरुषों से कमजोर नहीं होतीं, बस उनमें शक्ति का उपयोग करने का तरीका अलग होता है।”
  • “ज्ञान ही शक्ति है, और ज्ञान का प्रसार ही समाज को प्रगति की ओर ले जाता है।”

FAQs

अहिल्याबाई होल्कर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र राज्य के चौंढी नामक गांव में हुआ था। 

अहिल्याबाई क्यों प्रसिद्ध है?

मालवा की रानी अहिल्या बाई होल्कर सबसे सफ़ल और प्रसिद्ध मराठों में से एक थी। वह एक नारीवादी शासक, दूरदर्शी नेता, बहादुर योद्धा थी जिन्होंने मल्हार राव और खंडेराव की मृत्यु के बाद 11 दिसंबर, 1767 से इंदौर का शासन संभाला। 

अहिल्याबाई किस राज्य की महारानी थी?

अहिल्याबाई होल्कर मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी थी इन्होंने माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया था। 

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