क्या आप सोच रहे हैं Devasur mein Kaun sa Samas Hai? तो आपको बता दें कि देवासुर में द्वंद्व समास है। यह जानने से पहले की द्वंद्व समास क्या होता है, यह जानते हैं कि समास किसे कहते हैं? अलग अर्थ रखने वाले दो शब्दों या पदों (पूर्वपद तथा उत्तरपद) के मेल से बना तीसरा नया शब्द या पद समास या समस्त पद कहलाता है तथा वह प्रक्रिया जिसके द्वारा ‘समस्त पद’ बनता है, समास-प्रक्रिया कही जाती है। Devasur mein Kaun sa Samas Hai यह तो आप जान गए हैं, आप इस ब्लॉग में आगे जानेंगें देवासुर का समास विग्रह, देवासुर में द्वंद्व समास क्यों हैं, द्वंद्व समास क्या होता है साथ ही द्वंद्व समास के कुछ अन्य उदाहरण।
Devasur mein Kaun sa Samas Hai?
देवासुर में द्वंद्व समास है।
देवासुर शब्द का समास विग्रह
देवासुर’ का सामासिक विग्रह करने पर ‘देव और असुर’ होगा। देवासुर’ शब्द में द्वंद्व समास है।
द्वंद्व समास क्या होता है?
द्वंद्व समास में कोई पद गौण नहीं होता बल्कि दोनों ही पद प्रधान होते हैं। समस्तपद बनाते समय दोनों पदों को जोड़ने वाले समुच्चयबोधक अव्ययों-‘और’, ‘तथा’, ‘या’ आदि को हटा दिया जाता है तथा विग्रह करते समय इनको पुनः दोनों पदों के बीच जोड़ दिया जाता है।
द्वंद्व समास के उदाहरण इस प्रकार हैं:
समास का वह रूप जिसमें पहला और दूसरा दोनों पद प्रधान होते हैं, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं।
- राम-श्याम. इसका विग्रह होगा- राम और श्याम।
- अन्न और जल = अन्न-जल, अपना और पराया = अपना-पराया।
अन्य उदाहरण
समस्तपद | विग्रह |
दाल-चावल | दाल और चावल |
जल-थल | जल और थल |
माता-पिता | माता और पिता |
नदी-नाले | नदी और नाले |
बाप-दादी | बाप और दादा |
छोटा-बड़ा | छोटा और बड़ा |
राधा-कृष्ण | राधा और कृष्ण |
पूर्व-पश्चिम | पूर्व और पश्चिम |
आगे-पीछे | आगे और पीछे |
गुण-दोष | गुण और दोष |
स्वर्ग-नर्क | स्वर्ग और नर्क |
अन्न-जल | अन्न और जल |
खट्टा-मीठा | खट्टा और मीठा |
रात-दिन | रात और दिन |
FAQs
देवासुर में द्वंद्व समास है।
अन्न और जल = अन्न-जल
जिस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है।
योजक चिन्ह का प्रयोग।
उम्मीद है, Devasur mein Kaun sa Samas Hai आपको समझ आया होगा। यदि आप समास के अन्य प्रश्नों से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं तो Leverage Edu के साथ बनें रहें।