भारत के कैबिनेट सचिव कैसे बनें: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

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कैबिनेट सचिव कैसे बनें

कैबिनेट सचिव भारत सरकार का सबसे वरिष्ठ और महत्वपूर्ण नौकरशाह होता है, जो केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य करता है। यह पद भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के ऐसे अधिकारी को सौंपा जाता है जिसने प्रशासनिक सेवा में लंबा अनुभव और उत्कृष्ट कार्य किया हो। कैबिनेट सचिव सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है और नीतियों के क्रियान्वयन, प्रशासनिक निर्णयों की निगरानी और उच्चस्तरीय बैठकें संचालित करने में अहम भूमिका निभाता है। उनका कार्यक्षेत्र पूरे देश की केंद्रीय प्रशासनिक प्रणाली को सुचारु रूप से चलाना होता है। यदि आप सोच रहे हैं कि भारत के कैबिनेट सचिव कैसे बने, तो ये लेख आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है।

भारत के कैबिनेट सचिव कैसे बनें: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

कैबिनेट सचिव बनना एक लंबी और कठिन प्रशासनिक यात्रा का परिणाम होता है, जो सीधे UPSC परीक्षा पास कर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी बनने से शुरू होती है। यह पद देश के सबसे वरिष्ठ और प्रतिष्ठित IAS अधिकारी को मिलता है, जो सीधे प्रधानमंत्री के अधीन काम करता है। देशभर के हजारों IAS अधिकारियों में से बहुत ही कम ऐसे होते हैं जो इस शीर्ष पद तक पहुंच पाते हैं। भारत के कैबिनेट सचिव बनने के लिए आप निम्नलिखित स्टेप-बाय-स्टेप गाइड को फॉलो कर सकते हैं –

स्टेप 1. शैक्षणिक योग्यता के साथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करें

भारत में कैबिनेट सचिव बनना प्रशासनिक सेवा का सबसे ऊंचा पद माना जाता है और इसके लिए मजबूत शैक्षणिक नींव के साथ सिविल सेवा परीक्षा की ठोस तैयारी जरूरी होती है। आधिकारिक मानकों के अनुसार, इस पद तक पहुंचने का आधार इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में लंबा और उत्कृष्ट करियर होता है। सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन डिग्री पाना अनिवार्य है। सिविल सर्विसेज परीक्षा के लिए आप किसी भी स्ट्रीम से अच्छे अंकों के साथ ग्रेजुएशन कर सकते हैं।

स्टेप 2. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करें

कैबिनेट सचिव बनने के लिए सबसे पहले आपको भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित होना होता है, जिसके लिए UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास करनी होती है। इस परीक्षा में बैठने के लिए अभ्यर्थी की आयु सीमा सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 21 से 32 वर्ष के बीच होती है, जबकि OBC, SC और ST वर्ग को नियमानुसार छूट मिलती है। बता दें कि परीक्षा में बैठने के प्रयासों की भी एक निश्चित सीमा होती है।

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज की परीक्षा मुख्य रूप से तीन चरणों (प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार) में आयोजित की जाती है। इन सभी चरणों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में नियुक्त किया जाता है। वहीं परीक्षा के पाठ्यक्रम में सामान्य अध्ययन, निबंध लेखन और एक वैकल्पिक विषय शामिल होता है जिसे उम्मीदवार अपनी रुचि के अनुसार चुनते हैं।

यह परीक्षा अत्यंत प्रतिस्पर्धी होती है, इसलिए सफलता के लिए मजबूत रणनीति, अनुशासन और निरंतर अभ्यास जरूरी होता है। कैबिनेट सचिव बनने के लिए आपको अच्छी रैंक के साथ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करनी होती है और प्रशासनिक सेवा में अपने करियर की शुरुआत करनी होती है।

स्टेप 3. भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित हों

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद आपको भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित होना होता है। चयन के बाद अधिकारी को विभिन्न जिलों, राज्यों और केंद्र सरकार में लंबा प्रशासनिक अनुभव हासिल करना पड़ता है। प्रदर्शन, वरिष्ठता और सेवा रिकॉर्ड के आधार पर अधिकारी सचिव, मुख्य सचिव जैसे उच्च पदों तक पहुंचता है। अंत में सबसे अनुभवी और योग्य IAS अधिकारी को भारत सरकार द्वारा कैबिनेट सचिव नियुक्त किया जाता है।

स्टेप 4. प्रारंभिक सेवा से प्रशासनिक करियर की शुरुआत करें

IAS बनने के बाद अधिकारी की वास्तविक यात्रा शुरू होती है। सबसे पहले उन्हें उत्तराखंड के मसूरी में स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके बाद उनकी पहली पोस्टिंग होती है जहां वे प्रशासनिक कामकाज सीखते हैं। इसके बाद वर्षों के सेवा अनुभव और उत्कृष्ट कार्य प्रदर्शन के आधार पर अधिकारी को वरिष्ठता मिलती है और अधिकारी के प्रमोशन होते हैं।

आईएएस अधिकारी धीरे-धीरे सचिव, फिर मुख्य सचिव जैसे उच्च पदों पर पहुंचते हैं। इसके बाद अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण पद होता है कैबिनेट सचिव, जो पूरे केंद्र सरकार का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है। यह पद केवल उन्हीं अधिकारियों को मिलता है जिन्होंने अपने कार्यकाल में ईमानदारी, नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक दक्षता का बेहतरीन प्रदर्शन किया हो।

हालांकि केंद्र में कैबिनेट सचिव जैसे शीर्ष पद पर नियुक्ति की राह काफी कठिन होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार का अपना कोई कैडर नहीं होता। सभी IAS अधिकारियों को किसी न किसी राज्य कैडर में नियुक्त किया जाता है और शुरुआत में उन्हें राज्य सरकार के अधीन काम करना होता है।

स्टेप 5. केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति और वरिष्ठता का अनुभव प्राप्त करें

भारत के कैबिनेट सचिव बनने के लिए केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति (Deputation) और वरिष्ठता अनुभव बेहद महत्वपूर्ण है। IAS अधिकारियों को आम तौर पर राज्य सेवा में 9 से 10 साल कार्य करने के बाद केंद्र में प्रतिनियुक्ति के लिए चयन का मौका मिलता है, और इसके लिए NOC समेत केंद्र की मंजूरी जरूरी होती है।

केंद्र सरकार में काम करने वाले सभी IAS अधिकारी राज्यों से प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर आते हैं। उनकी सेवा शर्तों के अनुसार, उन्हें केंद्र में काम करने का अनुभव होना आवश्यक होता है; विशेषकर उच्च पदों के लिए, जहाँ आमतौर पर कम से कम 2 से 5 वर्षों तक केंद्रीय मंत्रालयों में काम करना अनिवार्य माना जाता है, जो ACC द्वारा वरिष्ठ नियुक्तियों में देखी जाती है। इसीलिए इन्हें कैबिनेट सचिव बनने की प्रक्रिया में अहम माना जाता है।

स्टेप 6. कैबिनेट सचिव के पद पर नियुक्ति प्रक्रिया का हिस्सा बनें

भारत सरकार की सबसे ऊँची नियुक्तियों के लिए अपॉइंटमेंट्स कमिटी ऑफ़ द कैबिनेट (ACC) निर्णय लेती है, जिसमें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सदस्य होते हैं। ACC वरिष्ठ IAS अधिकारियों में से उम्मीदवार चुनती है और उसके नाम की मंज़ूरी जारी करती है। आमतौर पर यदि कोई उम्मीदवार 25 वर्ष की उम्र में IAS बनता है, तभी उसके पास रिटायरमेंट से पहले इस पद तक पहुंचने का पर्याप्त समय होता है। हालांकि यह कोई केबिनट सचिव बनने की ज़रूरी शर्त नहीं होती।

कैबिनेट सचिव बनना केवल वरिष्ठता पर नहीं, बल्कि कार्यशैली, ईमानदारी, नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक समझ जैसी योग्यताओं पर भी निर्भर करता है। कई अधिकारी इन योग्यताओं को पूरा करने से पहले ही रिटायर हो जाते हैं। अनुभव के आधार पर ही एक वरिष्ठ IAS अधिकारी कैबिनेट सचिव के पद पर नियुक्ति प्रक्रिया का हिस्सा बन सकता है।

कैबिनेट सचिव की जिम्मेदारियां

कैबिनेट सचिव के रूप में एक अधिकारी को निम्नलिखित जिम्मेदारियों का पालन करना पड़ सकते हैं –

  • मंत्रिपरिषद को सहायता प्रदान करना और मंत्रिमंडलीय मामलों का संचालन करना।
  • विभिन्न मंत्रियों और विभागों के सचिवों के साथ संपर्क बनाए रखना और समन्वय करना।
  • लोक सेवकों का नैतिक स्तर बनाए रखना और राजनीतिज्ञों तथा लोक सेवकों के बीच मध्यस्थता करना।
  • कैबिनेट की बैठकों का प्रारूप तैयार करना और प्रधानमंत्री की स्वीकृति के बाद निर्णयों को लागू करवाना।
  • प्रशासनिक मामलों पर बनी सचिवों की समिति और मुख्य सचिवों के सम्मेलन की अध्यक्षता करना।
  • प्रधानमंत्री के त्यागपत्र या मृत्यु की स्थिति में सरकार की स्थायित्व और निरंतरता सुनिश्चित करना।
  • केंद्र सरकार के कार्यों पर नजर रखना और प्रधानमंत्री को आवश्यक जानकारी एवं सलाह देना।

FAQs 

मुझे भारत का कैबिनेट सचिव बनने के लिए क्या करना होगा?

भारत का कैबिनेट सचिव बनने के लिए आपको सबसे पहले यूपीएससी परीक्षा को पास कर आईएएस अधिकारी बनना होगा। इसके बाद अनुभव और प्रदर्शन के आधार पर सरकार द्वारा आप कैबिनेट सचिव चुने जाते हैं।

कैबिनेट सचिव का कार्यकाल कितने समय का होता है?

वर्ष 2019 के नियमों में बदलाव के बाद कैबिनेट सचिव का कार्यकाल 4 साल के लिए बढ़ा दिया गया है, सरकार यदि चाहे तो उनके कार्यकाल को अधिकतम तीन महीने की अवधि के लिए बढ़ा सकती है।

कैबिनेट सचिव के हाथों में क्या-क्या पावर होता है?

कैबिनेट सचिव प्रधानमंत्री और कैबिनेट के शीर्ष प्रशासनिक सलाहकार होते हैं, जो मंत्रालयों के बीच समन्वय करवाते हैं, वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों और पोस्टिंग में अहम भूमिका निभाते हैं, PMO के साथ मिलकर महत्वपूर्ण फैसलों पर काम करते हैं और सरकारी कामकाज की वास्तविक स्थिति प्रधानमंत्री तक पहुँचाते हैं।

कैबिनेट सचिव की नियुक्ति कौन करता है?

कैबिनेट सचिव की नियुक्ति अपॉइंटमेंट्स कमिटी ऑफ़ द कैबिनेट (ACC) द्वारा की जाती है। इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और केंद्रीय गृह मंत्री इसके सदस्य होते हैं। यही समिति कैबिनेट सचिव सहित अन्य कई शीर्ष पदों पर नियुक्ति का अंतिम निर्णय लेती है।

भारत में कैबिनेट सचिव की सैलरी कितनी होती है?

भारत में कैबिनेट सचिव की सैलरी  ₹2,50,000 प्रति माह होती है। इसके अलावा उन्हें कई भत्ते और सुविधाएं भी मिलती हैं।

हमें उम्मीद है कि इस लेख में आपको कैबिनेट सचिव बनने की पूरी जानकारी मिली होगी। अन्य करियर से संबंधित लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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