अगर आप ग्रेज़ुएशन के बाद मैनेजमेंट या बिज़नेस के क्षेत्र में अपना करियर शुरू करना चाहते हैं, और आपके पास अभी MBA के लिए ज़रूरी अनुभव नहीं है, तो यूके का एमएमएस (मास्टर इन मैनेजमेंट स्टडीज) कोर्स आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह कोर्स उन छात्रों के लिए बनाया गया है जो बिना अनुभव के भी मैनेजमेंट की बेसिक समझ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। यूके की यूनिवर्सिटियाँ प्रैक्टिकल पढ़ाई, केस स्टडीज़, ग्रुप प्रोजेक्ट्स, इंडस्ट्री से जुड़ाव और अलग-अलग देशों के छात्रों के साथ सीखने के अवसर के लिए जानी जाती हैं। यहाँ पढ़ाई के दौरान आपकी कम्युनिकेशन, टीमवर्क, लीडरशिप और फैसले लेने की क्षमता धीरे-धीरे बेहतर होती जाती है, जिससे आगे नौकरी के कई रास्ते खुलते हैं। इस ब्लॉग में MMS से जुड़ी सभी ज़रूरी जानकारी दी गई है जैसे यह कोर्स क्या है, इसमें एडमिशन कैसे मिलता है, फीस और स्कॉलरशिप क्या हैं, कौन-सी यूनिवर्सिटियाँ इस कोर्स के लिए अच्छी हैं, और पढ़ाई के बाद कौन-कौन से करियर विकल्प उपलब्ध होते हैं ताकि आप अपने लिए सही दिशा तय कर सकें।
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भारतीय छात्र यूके में एमएमएस कोर्स क्यों चुनें?
भारतीय छात्रों के लिए यूके में पढ़ाई करना शिक्षा और करियर दोनों दृष्टि से उपयोगी है। इसके आलावा आपको –
- ग्लोबल एक्सपोज़र: यहां पढ़ाई करने से आपको अलग-अलग देशों के छात्रों के साथ सीखने का मौका मिलता है, जिससे इंटरनेशनल नेटवर्किंग होती है।
- क्वालिटी एजुकेशन: यूके की यूनिवर्सिटीज़ अपने वर्ल्ड-क्लास टीचिंग और रिसर्च के लिए मशहूर हैं।
- करियर ग्रोथ: एमएमएस कोर्स पूरा करने के बाद आप मल्टीनेशनल कंपनियों, बैंकिंग, कंसल्टिंग और स्टार्टअप्स में करियर बना सकते हैं।
- कम अवधि का कोर्स: ज्यादातर एमएमएस प्रोग्राम सिर्फ 1 साल के होते हैं, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है।
- वर्क ऑप्शन्स: पढ़ाई के दौरान पार्ट-टाइम काम और पढ़ाई के बाद पोस्ट-स्टडी वर्क वीज़ा का विकल्प भी मिलता है।
एडमिशन के लिए आवश्यक योग्यता
अगर आप यूके में MMS पढ़ना चाहते हैं, तो इसके लिए कुछ जरूरी शर्तें पूरी करनी पड़ती हैं जो हैं-
एमएमएस कोर्स में एडमिशन के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री होना आवश्यक है, आमतौर पर 50-60% अंक की न्यूनतम आवश्यकता होती है। कुछ यूनिवर्सिटीज़ वर्क एक्सपीरियंस भी मांग सकती हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में फ्रेशर्स को भी आसानी से प्रवेश मिल जाता है। इसके अलावा, इंग्लिश भाषा में दक्षता साबित करने के लिए IELTS या TOEFL जैसे अंग्रेज़ी भाषा परीक्षा पास करना जरूरी होता है।
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इंग्लिश लैंग्वेज प्रोफिशिएंसी (IELTS/TOEFL स्कोर)
- IELTS: अधिकांश यूनिवर्सिटीज़ 6.5 ओवरऑल बैंड स्कोर मांगती हैं, और किसी भी सेक्शन में 6.0 से कम नहीं होना चाहिए।
- TOEFL: 90 से 100 स्कोर तक स्वीकार किए जाते हैं।
- कुछ यूनिवर्सिटीज़ PTE Academic या Duolingo English Test भी मान लेती हैं।
कोर्स की अवधि और संरचना
यूके में एमएमएस कोर्स आमतौर पर 12 से 18 महीने का होता है। इसमें मुख्य रूप से ये विषय शामिल होते हैं:
- मैनेजमेंट थ्योरी और प्रैक्टिस
- मार्केटिंग और फाइनेंस
- ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट
- इंटरनेशनल बिज़नेस
- रिसर्च प्रोजेक्ट या डिसर्टेशन
कोर्स का फीस स्ट्रक्चर
यूके में MMS कोर्स की फीस यूनिवर्सिटी और शहर के आधार पर बदलती है।
- औसतन फीस: £18,000 से £30,000 प्रति वर्ष (लगभग 18-30 लाख रुपये)
- साथ ही, रहने का खर्च (एकॉमोडेशन, फ़ूड, ट्रेवल) लगभग £10,000 से £12,000 प्रति वर्ष हो सकता है।
यूके से MMS कोर्स के लिए आवेदन प्रक्रिया
यूके में एमएमएस के लिए आवेदन करना ज्यादा मुश्किल नहीं है, लेकिन कुछ स्टेप्स हैं जिन्हें ध्यान से फॉलो करना होता है:
- यूनिवर्सिटी और कोर्स का चुनाव: सबसे पहले तय करें कि कौन-सी यूनिवर्सिटी और कौन-सा MMS प्रोग्राम आपके लिए सही है।
- एडमिशन योग्यता चेक करें: यूनिवर्सिटी के लिए जरूरी बैचलर डिग्री, मार्क्स, और इंग्लिश लैंग्वेज स्कोर देखें।
- आवेदन फॉर्म भरें: यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर ऑनलाइन फॉर्म भरें।
- जरूरी डॉक्यूमेंट अपलोड करें: SOP, LOR, मार्कशीट, रिज़्यूमे, और पासपोर्ट जैसी डॉक्यूमेंट्स।
- एडमिशन टेस्ट/इंटरव्यू (यदि कोई हो): कुछ यूनिवर्सिटीज़ इंटरव्यू या अतिरिक्त टेस्ट भी ले सकती हैं।
- अडमिशन ऑफर और वीज़ा आवेदन: अगर आपको एडमिशन मिल जाता है, तो स्टडी वीज़ा के लिए आवेदन करें।
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आवश्यक दस्तावेज
एडमिशन के लिए आमतौर पर इन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है:
- पासपोर्ट की कॉपी
- बैचलर डिग्री और मार्कशीट
- इंग्लिश प्रोफिशिएंसी टेस्ट स्कोर (IELTS/TOEFL)
- स्टेटमेंट ऑफ पर्पज़ (SOP)
- लेटर ऑफ रिकमेंडेशन (LOR)
- अपडेटेड रिज़्यूमे (CV)
- पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
यूके में MMS कोर्स के लिए बेस्ट कॉलेज
यूके में MMS कोर्स के लिए कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ उपलब्ध हैं। नीचे कुछ टॉप कॉलेज और उनके विशेषताएँ दी गई हैं:
| यूनिवर्सिटी | विशेषता |
| यूनिवर्सिटी ऑफ़ वारविक | बिज़नेस और मैनेजमेंट में वर्ल्ड-क्लास रेटिंग |
| लंदन बिज़नेस स्कूल | ग्लोबल नेटवर्किंग और इंटरनेशनल एक्सपोज़र |
| यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैनचेस्टर | प्रैक्टिकल प्रोजेक्ट और इंटर्नशिप के लिए प्रसिद्ध |
| यूनिवर्सिटी ऑफ़ लीड्स | रिसर्च और इंडस्ट्री लिंक के लिए प्रसिद्ध |
| इम्पीरियल कॉलेज लंदन | टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट का बेहतरीन कॉम्बिनेशन |
करियर स्कोप
यूके से एमएमएस कोर्स पूरा करने के बाद भारतीय छात्रों के लिए कई करियर ऑप्शन खुल जाते हैं:
- बैंकिंग और फाइनेंस: बैंक, इन्वेस्टमेंट फर्म, फाइनेंशियल एडवाइजर।
- कंसल्टिंग: मैनेजमेंट कंसल्टेंसी और बिज़नेस स्ट्रेटेजी रोल।
- मार्केटिंग और सेल्स: डिजिटल मार्केटिंग, ब्रांड मैनेजर, सेल्स एनालिस्ट।
- एचआर और ऑपरेशंस: मानव संसाधन, ऑपरेशंस मैनेजर, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट।
- स्टार्टअप और इंटरनेशनल कंपनीज: ग्लोबल कंपनियों और स्टार्टअप में मैनेजमेंट रोल।
MMS और MBA के बीच अंतर
अक्सर छात्रों के मन में यह सवाल होता है कि MMS और MBA में क्या अंतर है और किस को चुनना चाहिए, इसीलिए नीचे दोनों को आसान भाषा में तुलना करके समझाया गया है।
| पैरामीटर | MMS / MiM | MBA |
| अनुभव की आवश्यकता | आवश्यक नहीं | अक्सर 1–3 वर्ष |
| कोर्स अवधि | 1 वर्ष | 1–2 वर्ष |
| किसके लिए | फ्रेश ग्रेजुएट्स | वर्किंग प्रोफेशनल्स |
| फोकस | मैनेजमेंट बेसिक्स, फंडामेंटल्स | लीडरशिप, स्ट्रेटेजी, सीनियर रोल्स |
FAQs
नहीं, MMS आमतौर पर फ्रेश ग्रेज़ुएट्स के लिए होता है। किसी भी तरह का अनुभव अनिवार्य नहीं है।
अधिकतर यूके के MMS कोर्स 12 से 18 महीने के होते हैं।
हाँ, MMS करने के बाद भी मैनेजमेंट में अच्छी नौकरी मिल सकती है। शुरुआत आमतौर पर एंट्री-लेवल या जूनियर मैनेजमेंट रोल से होती है, लेकिन अनुभव बढ़ने के साथ आप आसानी से टीम लीड, मैनेजर या मिड-लेवल मैनेजमेंट पदों तक पहुँच सकते हैं। कई कंपनियाँ MMS ग्रेजुएट्स को ट्रेनिंग और ग्रोथ के अच्छे अवसर भी देती हैं।
हाँ, MMS के बाद MBA करना फायदेमंद हो सकता है, खासकर तब जब आप करियर में आगे बढ़कर सीनियर या हाई-लेवल मैनेजमेंट रोल हासिल करना चाहते हों। MMS के बाद कुछ साल का अनुभव लेकर MBA करने से आपका प्रोफ़ाइल मजबूत होता है और बेहतर पदों व पैकेज के अवसर बढ़ जाते हैं।
आमतौर पर MMS की फीस MBA की तुलना में कम या कई बार बराबर होती है, क्योंकि दोनों के कोर्स की अवधि, संरचना और विश्वविद्यालयों का शुल्क मॉडल अलग-अलग होता है। सरकारी या अर्ध-सरकारी कॉलेजों में MMS की फीस काफी किफायती होती है, जबकि MBA खासकर प्राइवेट और इंटरनेशनल कॉलेजों में काफी महंगा पड़ सकता है।
हमें आशा है कि इस लेख में आपको यूके में एमएमएस कोर्स की आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही अन्य स्टडी अब्रॉड के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu से जुड़े रहें।
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