वासुदेव सिंह यानी ‘त्रिलोचन शास्त्री’ प्रगतिशील काव्य-धारा के प्रमुख कवि थे। क्या आप जानते हैं कि वे आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील ‘त्रयी’ के तीन स्तंभों में से एक थे। इस ‘त्रयी’ के अन्य दो स्तम्भ ‘नागार्जुन’ व ‘शमशेर बहादुर सिंह’ थे। वहीं, 90 वर्ष के अपने जीवन काल में उन्होंने साहित्य सृजन के साथ ‘प्रभाकर’, ‘वानर’, ‘हंस’ और ‘आज’ जैसी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया था। वे वर्ष 1995 से 2001 तक ‘जन संस्कृति मंच’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘शलाका सम्मान’ व ‘महात्मा गांधी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। इस लेख में कवि त्रिलोचन का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई है।
| मूल नाम | वासुदेव सिंह |
| उपनाम | त्रिलोचन शास्त्री |
| जन्म | 20 अगस्त, 1917 |
| जन्म स्थान | चिरानी पट्टी, सुल्तानपुर जिला, उत्तर प्रदेश |
| शिक्षा | एमए अंग्रेजी, संस्कृत में शास्त्री की उपाधि |
| पेशा | साहित्यकार, कवि, संपादक |
| विधाएँ | कविता, कहानी, लेख |
| साहित्य काल | आधुनिक काल |
| भाषा | हिंदी |
| पुरस्कार एवं सम्मान | साहित्य अकादमी पुरस्कार, शलाका सम्मान, महात्मा गांधी पुरस्कार |
| निधन | 09 दिसंबर, 2007 |
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उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ था जन्म
आधुनिक हिंदी कविता के प्रमुख कवि त्रिलोचन का जन्म 20 अगस्त, 1917 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में चिरानी पट्टी गांव में हुआ था। उनका मूल नाम ‘वासुदेव सिंह’ था लेकिन साहित्य जगत में वे त्रिलोचन शास्त्री के नाम से जाने गए। उनकी प्रारंभिक शिक्षा के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती। लेकिन बताया जाता है कि ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ से अंग्रेजी में एम.ए करने के बाद उन्होंने लाहौर से संस्कृत में ‘शास्त्री’ की डिग्री प्राप्त की थी।
साहित्य सृजन और संपादन
त्रिलोचन शास्त्री हिंदी के अतिरिक्त उर्दू, अरबी और फारसी भाषा के जानकार थे। माना जाता है कि उच्च शिक्षा के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। शुरुआत में वे कविताएं लिखते थे लेकिन बाद में साहित्य की अन्य विधाओं में भी लिखने लगे। ‘गुलाब और बुलबुल’, ‘घरती’, ‘ताप के ताये हुए दिन’ और ‘उस जनपद का कवि हूँ’ उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। साहित्य सृजन के साथ ही उन्होंने संपादन के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान दिया था। उन्होंने ‘हंस’, ‘आज’, ‘प्रभाकर’, ‘वानर’ और ‘समाज’ जैसी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और हिंदी के अनेक कोशों के निर्माण से जुड़े रहे।
त्रिलोचन की साहित्यिक रचनाएं
त्रिलोचन ने हिंदी साहित्य की गद्य और पद्य विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। अभी तक उनके 17 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। यहां उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं की सूची दी गई है:-
काव्य-संग्रह
- घरती
- गुलाब और बुलबुल
- ताप के ताये हुए दिन
- उस जनपद का कवि हूँ
- अरधान
- तुम्हें सौंपता हूँ
- दिगंत
- शब्द
- चैती
- अमोला
- मेरा घर
- जीने की कला
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गद्य रचनाएँ
- देशकाल
- रोचनामचा
- काव्य और अर्थबोध
- मुक्तिबोध की कविताएँ
पुरस्कार एवं सम्मान
त्रिलोचन को साहित्य के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- शलाका सम्मान
- महात्मा गांधी पुरस्कार
- मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान
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90 वर्ष की आयु में हुआ निधन
त्रिलोचन को हिंदी सॉनेट का साधक माना जाता है। उन्होंने दशकों तक साहित्य सृजन और कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। किंतु वृद्धावस्था में अस्वस्थ होने के कारण उनका 09 दिसंबर 2007 को नई दिल्ली में निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय कविताओं के लिए साहित्य जगत में विख्यात हैं।
FAQs
त्रिलोचन का मूल नाम ‘वासुदेव सिंह’ था।
वर्ष 1982 में ‘ताप के ताए हुए दिन’ काव्य संग्रह के लिए त्रिलोचन को ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
‘घरती’, ‘गुलाब और बुलबुल’, ‘ताप के ताये हुए दिन’, ‘उस जनपद का कवि हूँ’, ‘अरधान’ और ‘तुम्हें सौंपता हूँ’ त्रिलोचन के प्रमुख काव्य संग्रह हैं।
त्रिलोचन का पहला कविता संग्रह ‘धरती’ 1945 में प्रकाशित हुआ था।
09 दिसंबर, 2007 को 90 वर्ष की आयु में त्रिलोचन का निधन हुआ था।
आशा है कि आपको हिंदी कविता के प्रमुख कवि त्रिलोचन का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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