हिंदी कविता के प्रमुख कवि त्रिलोचन का जीवन परिचय – Trilochan Ka Jivan Parichay 

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Trilochan Ka Jivan Parichay

Trilochan Ka Jivan Parichay: ‘वासुदेव सिंह’ यानी ‘त्रिलोचन शास्त्री’ प्रगतिशील काव्य-धारा के प्रमुख कवि थे। क्या आप जानते हैं कि वे आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील ‘त्रयी’ के तीन स्तंभों में से एक थे। इस ‘त्रयी’ के अन्य दो स्तम्भनागार्जुन व ‘शमशेर बहादुर सिंह थे। वहीं, 90 वर्ष के अपने जीवन काल में उन्होंने साहित्य सृजन के साथ ‘प्रभाकर’, ‘वानर’, ‘हंस’ और ‘आज’ जैसी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया था। वे वर्ष 1995 से 2001 तक ‘जन संस्कृति मंच’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘शलाका सम्मान’ ‘महात्मा गांधी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। 

बता दें कि त्रिलोचन की लोकप्रिय कविता ‘चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती’ को विद्यालयों में पढ़ाया जाता है। इसके साथ ही उनकी अन्य काव्य रचनाओं को बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी त्रिलोचन का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब हम हिंदी कविता के प्रमुख कवि त्रिलोचन का जीवन परिचय (Trilochan Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मूल नाम वासुदेव सिंह
उपनाम त्रिलोचन शास्त्री (Trilochan Shastri)
जन्म 20 अगस्त, 1917
जन्म स्थान चिरानी पट्टी, सुल्तानपुर जिला, उत्तर प्रदेश 
शिक्षा एमए अंग्रेजी, संस्कृत में शास्त्री की उपाधि 
पेशा साहित्यकार, कवि, संपादक 
विधाएँ कविता, कहानी, लेख 
साहित्य काल आधुनिक काल 
भाषा हिंदी 
पुरस्कार एवं सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार, शलाका सम्मान, महात्मा गांधी पुरस्कार 
निधन 09 दिसंबर, 2007

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ था जन्म – Trilochan Ka Jivan Parichay 

आधुनिक हिंदी कविता के प्रमुख कवि त्रिलोचन का जन्म 20 अगस्त, 1917 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में चिरानी पट्टी गांव में हुआ था। उनका मूल नाम ‘वासुदेव सिंह’ था लेकिन साहित्य जगत में वे त्रिलोचन शास्त्री के नाम से जाने गए। उनकी प्रारंभिक शिक्षा के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती। लेकिन बताया जाता है कि ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ से अंग्रेजी में एम.ए करने के बाद उन्होंने लाहौर से संस्कृत में ‘शास्त्री’ की डिग्री प्राप्त की थी। 

साहित्य सृजन और संपादन 

त्रिलोचन शास्त्री हिंदी के अतिरिक्त उर्दू, अरबी और फारसी भाषा के जानकार थे। माना जाता है कि उच्च शिक्षा के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। शुरुआत में वे कविताएं लिखते थे लेकिन बाद में साहित्य की अन्य विधाओं में भी लिखने लगे। ‘गुलाब और बुलबुल’, ‘घरती’, ‘ताप के ताये हुए दिन’ और ‘उस जनपद का कवि हूँ’ उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। बता दें कि साहित्य सृजन के साथ ही उन्होंने संपादन के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान दिया था। उन्होंने ‘हंस’, ‘आज’, ‘प्रभाकर’, ‘वानर’ और ‘समाज’ जैसी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और हिंदी के अनेक कोशों के निर्माण से जुड़े रहे।  

त्रिलोचन की साहित्यिक रचनाएँ – Trilochan Ki Rachnaye

त्रिलोचन ने हिंदी साहित्य की गद्य और पद्य विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। अभी तक उनके 17 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। यहाँ त्रिलोचन का जीवन परिचय  (Trilochan Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:

काव्य-संग्रह 

  • घरती 
  • गुलाब और बुलबुल
  • ताप के ताये हुए दिन
  • उस जनपद का कवि हूँ
  • अरधान 
  • तुम्हें सौंपता हूँ
  • दिगंत 
  • शब्द 
  • चैती 
  • अमोला 
  • मेरा घर 
  • जीने की कला 

गद्य रचनाएँ 

  • देशकाल 
  • रोचनामचा
  • काव्य और अर्थबोध 
  • मुक्तिबोध की कविताएँ 

पुरस्कार एवं सम्मान 

त्रिलोचन (Trilochan Ka Jivan Parichay) को साहित्य के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार
  • शलाका सम्मान
  • महात्मा गांधी पुरस्कार
  • मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान

90 वर्ष की आयु में हुआ निधन 

त्रिलोचन को हिंदी सॉनेट का साधक माना जाता है। उन्होंने दशकों तक साहित्य सृजन और कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। किंतु वृद्धावस्था में अस्वस्थ होने के कारण उनका 09 दिसंबर 2007 को नई दिल्ली में निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय कविताओं के लिए साहित्य जगत में विख्यात हैं। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ हिंदी कविता के प्रमुख कवि त्रिलोचन का जीवन परिचय (Trilochan Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतपी सी महालनोबिसआर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs 

त्रिलोचन का मूल नाम क्या है?

उनका मूल नाम ‘वासुदेव सिंह’ था। 

त्रिलोचन को कौन सा पुरस्कार मिला?

वर्ष 1982 में ‘ताप के ताए हुए दिन’ काव्य संग्रह के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 

त्रिलोचन की प्रमुख रचनाएं कौनसी हैं?

‘घरती’, ‘गुलाब और बुलबुल’, ‘ताप के ताये हुए दिन’, ‘उस जनपद का कवि हूँ’, ‘अरधान’ और ‘तुम्हें सौंपता हूँ’ उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। 

त्रिलोचन का पहला काव्य संग्रह कौनसा है?

उनका पहला कविता संग्रह ‘धरती’ 1945 में प्रकाशित हुआ था। 

त्रिलोचन की मृत्यु कब हुई थी?

09 दिसंबर 2007 को 90 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था।

त्रिलोचन शास्त्री को हिंदी अकादमी का शलाका सम्मान कब प्रदान किया गया?

वर्ष 1989-90 में उन्हें हिंदी अकादमी के ‘शलाका सम्मान’ से पुरस्कृत किया गया था।

आशा है कि आपको हिंदी कविता के प्रमुख कवि त्रिलोचन का जीवन परिचय (Trilochan Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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