थाली का बैंगन मुहावरे का अर्थ (Thali Ka Baingan Hona Muhavare Ka Arth) जब कोई व्यक्ति कभी एक पक्ष में नहीं रहता है। तो ऐसे में उस वाक्य के लिए थाली का बैंगन मुहावरे का प्रयोग करते हैं, इस ब्लॉग में थाली का बैंगन मुहावरे का अर्थ का वाक्यों में प्रयोग और व्याख्या जानेगें।
मुहावरे किसे कहते हैं?
मुहावरे और उनके अर्थ – किसी विशेष शब्द के अर्थ को आम जन की भाषा में समझाने के लिए जिस वाक्यांश का प्रयोग किया जाता है उसे मुहावरा कहते हैं। इसमें वाक्यांश का सीधा सीधा अर्थ न लेकर बात को घुमा फिराकर कहा जाता है। इसमें भाषा को थोड़ा मजाकिया, प्रभावशाली और संक्षिप्त रूप में कहा जाता है।
थाली का बैंगन मुहावरे का अर्थ क्या है?
थाली का बैंगन मुहावरे का अर्थ (Thali Ka Baingan Hona Muhavare Ka Arth) होता है- अस्थिर विचार वाला, सिद्धांत हीन होना।
थाली का बैंगन मुहावरे पर व्याख्या
रमेश तो थाली का बैंगन है, कल तक सबसे कह रहा था कि मूवी देखने चलेंगे और अब जब जाने की बारी आई तो जाने से मुकर गया।
थाली का बैंगन मुहावरे का वाक्य प्रयोग
- सिमरन थाली की बैंगन है, वो किससे कब लड़ाई कर लें और कब मित्रता कर लें पता नहीं चलता है।
- मैं समीर का कैसे विश्वास करु वो तो थाली का बैंगन है, कभी सही कहता है तो कभी गलत।
- कुलदीप तो थाली का बैंगन है जहां फायदा देखता है वहीं पलट जाता है।
- ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए जो थाली का बैंगन हो, जो काम पड़ने पर अपनी बात से मुकर जाएं।
उम्मीद है, थाली का बैंगन मुहावरे का अर्थ (Thali Ka Baingan Hona Muhavare Ka Arth) आपको समझ आया होगा। हिंदी मुहावरे के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।