श्रीलाल शुक्ल आधुनिक हिंदी साहित्य के व्यंग्यकारों में अपना एक विशिष्ठ स्थान रखते है। हिंदी व्यंग्यात्मक उपन्यास परंपरा में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं। उन्होंने साहित्य की कई विधाओं में उत्कृष्ट साहित्य का सृजन किया और साहित्य जगत को कई अनुपम कृतियाँ दी। उनकी कई रचनाओं का भारतीय भाषाओं के साथ साथ विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका हैं। हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है, जिनमें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण सम्मान’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, ‘व्यास सम्मान’ व ‘लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान’ आदि शामिल हैं। इस लेख में UGC-NET अभ्यर्थियों के लिए श्रीलाल शुक्ल का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई है।
| नाम | श्रीलाल शुक्ल |
| जन्म | 31 दिसंबर, 1925 |
| जन्म स्थान | अतरौली गाँव, लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
| शिक्षा | बी.ए (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) |
| पेशा | लेखक, प्रशासनिक अधिकारी |
| विधाएँ | उपन्यास, कहानी, व्यंग्य, आलोचना, संस्मरण, बाल साहित्य |
| साहित्य काल | आधुनिक काल |
| उपन्यास | राग दरबारी, सीमाएँ टूटती हैं, अज्ञातवास, सूनी घाटी का सूरज आदि। |
| कहानी-संग्रह | यह घर मेरा नहीं, इस उम्र में, सुरक्षा तथा अन्य कहानियाँ। |
| व्यंग्य-संग्रह | अंगद का पाँव, यहाँ से वहाँ, उमरावनगर में कुछ दिन, कुछ ज़मीन पर कुछ हवा में आदि। |
| आलोचना | अज्ञेय : कुछ राग और कुछ रंग, अमृतलाल नागर, विनिबन्ध – भगवतीचरण वर्मा आदि। |
| बाल साहित्य | बब्बर सिंह और उसके साथी |
| पुरस्कार | ‘पद्मभूषण सम्मान’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, ‘व्यास सम्मान’ आदि। |
| निधन | 28 अक्टूबर, 2011 |
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श्रीलाल शुक्ल का प्रारंभिक जीवन
प्रख्यात साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल का जन्म 31 दिसंबर, 1925 को लखनऊ जनपद, उत्तर प्रदेश के अतरौली गांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके दादा हिंदी भाषा के साथ ही उर्दू और फारसी के भी ज्ञाता थे तथा अध्यापन कार्य करते थे। किंतु कुछ समय बाद उन्होंने अध्यापन कार्य छोड़कर किसानी को चुन लिया और गांव में खेती-बाड़ी करके परिवार का जीवन यापन करने लगे।
आर्थिक समस्याओं के कारण छोड़नी पड़ी पढ़ाई
श्रीलाल शुक्ल का जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। वहीं खेती-बाड़ी से बड़ी मुश्किल से घर की जीविका चलती थी। जब वह ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ से अपनी बी.ए की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया। किशोरावस्था में पिता का साया सर से उठने से परिवार की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी। इस कारण उन्हें जीवन में कई समझौते करने पड़े, वह लॉ की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों का वहन करने हेतु उन्हें लॉ की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। वहीं, बी.ए की पढ़ाई के दौरान ही उनका विवाह ‘गिरिजा देवी’ से हो गया था, जिससे उनकी चार संतान हुई।
मेहनत के दम पर मिली सरकारी नौकरी
संघर्षमय जीवन में कई चुनौतियों का सामना करते हुए श्रीलाल शुक्ल ने वर्ष 1949 में उत्तर प्रदेश राज्य की प्रतिष्ठित ‘प्रांतीय सिविल सेवा’ (PCS) की परीक्षा पास की। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए भी उनकी रचनाओं में व्यंग्यात्मक का भाव कम नहीं हुआ। वहीं अपनी कई रचनाओं के माध्यम से उन्होंने सरकारी व्यवस्था पर गुदगुदाती मगर करारी चोट की। जिसका एक उदहारण उनके बहुचर्चित उपन्यास ‘राग दरबारी’ में देखा जा सकता है। यह आधुनिक हिंदी साहित्य का एक ऐसा लोकप्रिय उपन्यास है जिसे शायद ही किसी हिंदी साहित्य में गोते लगाने वाले शख्स ने न पढ़ा हो।
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श्रीलाल शुक्ल की साहित्यिक रचनाएं
श्रीलाल शुक्ल ने आधुनिक हिंदी साहित्य की कई विधाओं में साहित्य का सृजन किया जिनमे मुख्य रूप से उपन्यास, कहानी, आलोचना, व्यंग्य और बाल साहित्य विधाएँ शामिल हैं। यहां उनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाओं की सूची दी गई है:-
उपन्यास
- सूनी घाटी का सूरज – वर्ष 1957
- अज्ञातवास
- राग दरबारी – वर्ष 1968
- आदमी का ज़हर
- सीमाएँ टूटती हैं
- मकान
- पहला पड़ाव
- बिस्रामपुर का संत
- राग विराग
कहानी-संग्रह
- यह घर मेरा नहीं
- सुरक्षा तथा अन्य कहानियाँ
- इस उम्र में
व्यंग्य-संग्रह
- अंगद का पाँव – वर्ष 1958
- यहाँ से वहाँ
- मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ
- उमरावनगर में कुछ दिन
- कुछ ज़मीन पर कुछ हवा में
- आओ बैठ लें कुछ देर
- अगली शताब्दी का शहर
- जहालत के पचास साल
- खबरों की जुगाली
आलोचना
- अज्ञेय : कुछ राग और कुछ रंग
- भगवतीचरण वर्मा
- अमृतलाल नागर
बाल साहित्य
- बब्बर सिंह और उसके साथी
- एक चोर की कहानी
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पुरस्कार एवं सम्मान
अपने साहित्यिक योगदान के लिए शुक्ल जी को कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं ने सम्मानित किया है। उनके प्रमुख सम्मान निम्नलिखित हैं:-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 1969
- पद्मभूषण सम्मान – वर्ष 2008
- ज्ञानपीठ पुरस्कार – वर्ष 2009
- व्यास सम्मान
- साहित्य भूषण सम्मान
- गोयल साहित्य पुरस्कार – (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित)
- लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान
- शरद जोशी सम्मान – (म.प्र. शासन द्वारा सम्मानित)
- मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
- यश भारती पुरस्कार
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लखनऊ में हुआ था निधन
शुक्ल जी ने हिंदी साहित्य जगत को कई अनुपम रचनाएं दी। वहीं प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी वह साहित्य का सृजन करते रहे। किंतु वृदावस्था के कारण लंबे समय तक बीमार रहने के कारण व अंतिम समय में फेफड़ों का संक्रमण होने से 85 वर्ष की आयु में 28 अक्टूबर, 2011 को उनका लखनऊ के एक अस्पताल में निधन हो गया। किंतु हिंदी साहित्य जगत में उनकी रचनाओं के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है और किया जाता रहेगा। भारतीय डाक ने वर्ष 2017 में उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था।

FAQs
श्रीलाल शुक्ल का जन्म 31 दिसंबर 1925 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के अतरौली गांव में हुआ था।
श्रीलाल शुक्ल का पहला उपन्यास ‘सूनी घाटी का सूरज’ है, जिसका प्रकाशन वर्ष 1957 में हुआ था।
यह श्रीलाल शुक्ल का बहुचर्चित उपन्यास है, जिसका प्रकाशन वर्ष 1968 में हुआ था।
श्रीलाल शुक्ल का निधन 85 वर्ष की आयु में 28 अक्टूबर, 2011 को हुआ था।
शुक्ल जी का उपन्यास ‘मकान’ डायरी शैली में लिखा गया है।
श्रीलाल शुक्ल को वर्ष 1969 में राग दरबारी (उपन्यास) के लिए प्रतिष्ठित ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
आशा है कि आपको प्रख्यात साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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