मैत्रेयी पुष्पा बीसवीं सदी के अंतिम दशक में उभरकर आईं प्रसिद्ध महिला लेखिकाओं में अग्रणी मानी जाती हैं। उन्होंने आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में लोक जीवन के विविध आयामों का बखूबी चित्रण किया है। उनके साहित्य में बुंदेलखंड और ब्रज प्रदेश की मिट्टी की सौंधी खुशबू भी झलकती है। वहीं, उनके संपूर्ण साहित्य में लोक जीवन, लोक संस्कृति, ग्रामीण बोलियां, रीति-रिवाज, लोक मान्यताएं, नारी संघर्ष, राजनीति और पर्व साकार होते नजर आते हैं। हिंदी कथा साहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें ‘प्रेमचंद सम्मान’, ‘हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान’ और ‘सार्क लिटरेरी पुरस्कार’ शामिल हैं। इस लेख में मैत्रेयी पुष्पा का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक कृतियों की जानकारी दी गई है।
| नाम | मैत्रेयी पुष्पा |
| जन्म | 30 नवंबर 1944 |
| जन्म स्थान | अलीगढ़, उत्तर प्रदेश |
| पिता का नाम | श्री हीरालाल |
| माता का नाम | श्रीमती कस्तूरी |
| पति का नाम | डॉ. रमेशचंद्र शर्मा |
| संतान | नम्रता, मोहिता और सुजाता (बेटियाँ) |
| शिक्षा | एम.ए. (हिंदी साहित्य) |
| भाषा | हिंदी |
| पेशा | लेखिका |
| विधाएँ | कहानी, उपन्यास, आत्मकथा |
| साहित्य काल | आधुनिक काल |
| उपन्यास | इदन्नमम, अल्मा कबूतरी, चाक, कस्तूरी कुंडली बसैं आदि। |
| कहानियां | गोमा हँसती है, चिन्हार, ललमनियां |
| सम्मान | प्रेमचंद सम्मान’, ‘हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान’, ‘सार्क लिटरेरी पुरस्कार’ व कथाक्रम सम्मान आदि। |
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मैत्रेयी पुष्पा का प्रारंभिक जीवन
मैत्रेयी पुष्पा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के सिकुर्रा गांव में 30 नवंबर 1944 को एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हीरालाल और माता का नाम कस्तूरी था। जब मैत्रेयी जी मात्र डेढ़ वर्ष की थीं, तभी उनके पिता का गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया, जिससे परिवार की सारी जिम्मेदारी उनकी माता और दादा मेवाराम जी पर आ गई। इस प्रकार उनका प्रारंभिक जीवन माता और दादा-दादी के संरक्षण में बीता।
हिंदी साहित्य में किया एम.ए.
मैत्रेयी पुष्पा जी की आरंभिक शिक्षा उनके गांव सिकुर्रा में ही हुई थी। उनकी माता उनकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान देती थीं। लेकिन शुरुआत में उनका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था, जिस कारण उन्हें अपनी माता और मास्टरजी से डांट भी पड़ती थी। 13 वर्ष की आयु में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने ‘डी.बी. इंटर कॉलेज’ से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने बुंदेलखंड कॉलेज से हिंदी साहित्य में बी.ए. और एम.ए. की डिग्री प्राप्त की।
वैवाहिक जीवन
आर्थिक समस्याओं के कारण मैत्रेयी पुष्पा जी का प्रारंभिक जीवन संघर्षमय बीता। वहीं लड़की होने के कारण उन्हें कई जगह उपेक्षित भी किया गया। जब वह बी.ए. की पढ़ाई कर रही थीं, तभी उन्होंने अपनी माँ से विवाह की इच्छा जाहिर की। लेकिन उनकी माता चाहती थीं कि वह पढ़ लिखकर नौकरी करें और सुखमय जीवन व्यतीत करें। लेकिन उन्होंने नौकरी करने से साफ इंकार कर दिया। इसके बाद उनका विवाह डॉ. रमेशचंद्र शर्मा से हुआ और उनकी तीन बेटियां हुईं, जिनके नाम नम्रता, मोहिता और सुजाता हैं।
मैत्रेयी पुष्पा का साहित्यिक परिचय
मैत्रेयी पुष्पा ने आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में वर्ष 1990 में प्रथम उपन्यास ‘स्मृति दंश’ के साथ प्रवेश किया। उन्होंने हिंदी गद्य साहित्य की विभिन्न विधाओं में रचनाएँ कीं, जिनमें कहानी, उपन्यास, आत्मकथा और वैचारिक साहित्य शामिल हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोक जीवन, लोक संस्कृति, राजनीति और नारी जीवन का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है। उन्हें ‘फणीश्वर नाथ रेणु’ और ‘रांगेय राघव’ जैसे आंचलिक साहित्यकारों के समकक्ष माना जाता है।
यह भी पढ़ें – उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का संपूर्ण जीवन परिचय
मैत्रेयी पुष्पा की साहित्यिक रचनाएँ
मैत्रेयी पुष्पा ने हिंदी गद्य साहित्य की कई विधाओं में रचनाएँ की हैं। उन्हें सबसे अधिक प्रसिद्धि उपन्यास और कहानियों में मिली है। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:-
उपन्यास
- स्मृति दंश
- बेतवा बहती है
- इदन्नमम
- चाक
- झूलानट
- अल्मा कबूतरी
- अगनपाखी
- विज़न
- कही इशुरी फाग
- खुली खिड़कियाँ
- गुनाह बेगुनाह
कहानी संग्रह
- चिन्हार
- ललमनियां
- गोमा हँसती है
- पियारी का सपना
- फाइटर की डायरी
आत्मकथा
- कस्तूरी कुंडल बसै
- गुड़िया भीतर गुड़िया
नाटक
- मन्दाक्रांता
टेलीफिल्म
- वसुमती की चिट्ठी – फैसला कहानी के आधार पर
स्त्री लेखन
- सुनो मालिक सुनो
- खुली खिड़कियां
- तब्दील निगाहें
- आवाज़
यह भी पढ़ें – समादृत साहित्यकार गुरदयाल सिंह का जीवन परिचय
पुरस्कार और सम्मान
आधुनिक हिंदी साहित्य को अपनी अनुपम रचनाओं से समृद्ध करने वाली मैत्रेयी पुष्पा अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित की जा चुकी हैं। इसके साथ ही उन्होंने सार्क देशों से कथा साहित्य में सम्मान प्राप्त किया है। यहां उन्हें मिले कुछ प्रमुख पुरस्कारों के बारे में बताया गया है, जो इस प्रकार हैं:-
- साहित्य कीर्ति सम्मान – 1991
- कथा पुरस्कार
- महात्मा गाॅधी सम्मान
- सरोजनी नायडू पुरस्कार
- प्रेमचंद सम्मान – उत्तर प्रदेश साहित्य संस्थान
- सार्क लिटरेरी सम्मान
- साहित्यकार सम्मान – हिंदी अकादमी, दिल्ली
- मंगला प्रसाद पारितोषिक – 2006
- सुधा स्मृति सम्मान – 2009
- वीरसिंह जूदेव पुरस्कार – मध्यप्रदेश साहित्य संस्थान
- वन माली सम्मान – 2011
- आगरा विश्वविद्यालय गौरव सम्मान – 2011
FAQs
मैत्रेयी पुष्पा का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के सिकुर्रा गांव में हुआ था।
उनकी माता का नाम ‘कस्तूरी’ और पिता का नाम ‘हीरालाल’ था।
उनके प्रथम उपन्यास का नाम ‘स्मृति दंश’ है जो वर्ष 1990 में प्रकाशित हुआ था।
मैत्रेयी पुष्पा के पति का नाम डॉ. रमेशचंद्र शर्मा है।
उनके प्रथम नाटक का नाम ‘मन्दाक्रांता’ है।
आशा है कि आपको आधुनिक कथा साहित्य की विख्यात लेखिका मैत्रेयी पुष्पा का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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2 comments
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