मैत्रेयी पुष्पा (Maitreyi Pushpa) बीसवीं सदी के अंतिम दशक में उभकर आयी प्रसिद्ध महिला लेखिकाओं में अग्रणी मानी जाती हैं। उन्होंने आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में लोक जीवन के विविध आयमों का बखूबी चित्रण किया है। वहीं उनके साहित्य में बुंदेलखंड और ब्रज प्रदेश की मिट्टी की सौंधी-सौंधी खुशबू आती है। इसके साथ ही मैत्रेयी पुष्पा जी के संपूर्ण साहित्य में लोक जीवन, लोक संस्कृति, ग्रामीण बोलियां, रीति रिवाज, लोक मान्यताएं, नारी संघर्ष, राजनीति व पर्व साकार होते नजर आते हैं।
मैत्रेयी पुष्पा जी को हिंदी कथा साहित्य में विशेष योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं, जिनमें ‘प्रेमचंद सम्मान’, ‘हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान’, ‘सार्क लिटरेरी पुरस्कार’ शामिल हैं। बता दें कि इस वर्ष मैत्रेयी पुष्पा जी का 79वां जन्मदिवस मनाया जाएगा। आइए अब हम ‘मैत्रेयी पुष्पा’ (Maitreyi Pushpa) जी के संपूर्ण जीवन और उनकी साहित्यिक कृतियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | मैत्रेयी पुष्पा (Maitreyi Pushpa) |
जन्म | 30 नवंबर 1944 |
जन्म स्थान | अलीगढ़, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | श्री हीरालाल |
माता का नाम | श्रीमती कस्तूरी |
पति का नाम | डॉ. रमेशचंद्र शर्मा |
संतान | नम्रता, मोहिता और सुजाता (बेटियाँ) |
शिक्षा | एम.ए (हिंदी साहित्य) |
भाषा | हिंदी |
पेशा | लेखिका |
विधाएँ | कहानी, उपन्यास, आत्मकथा |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
उपन्यास | इदन्नमम, अल्मा कबूतरी, चाक, कस्तूरी कुंडली बसैं आदि। |
कहानियां | गोमा हँसती है, चिन्हार, ललमनियां |
सम्मान | प्रेमचंद सम्मान’, ‘हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान’, ‘सार्क लिटरेरी पुरस्कार’ व कथाक्रम सम्मान आदि। |
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मैत्रेयी पुष्पा जी का प्रारंभिक जीवन
मैत्रेयी पुष्पा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में सिकुर्रा गाँव में 30 नवंबर 1944 को एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘हीरालाल’ व माता का नाम ‘कस्तूरी’ था। जब मैत्रेयी जी मात्र डेढ़ वर्ष की थी तभी उनके पिता का गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया था। जिससे परिवार की सारी जिम्मेदारी उनकी माता और दादा ‘मेवाराम’ जी पर आ गई थी। इस तरह मैत्रेयी पुष्पा जी का आरंभिक जीवन माता और दादा-दादी के संरक्षण में बीता।
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हिंदी साहित्य में किया एमए
मैत्रेयी पुष्पा जी की आरंभिक शिक्षा उनके गांव सिकुर्रा में ही हुई थी। उनकी माता उनकी पढ़ाई का विशेष ध्यान रखती थी। लेकिन शुरुआत में मैत्रेयी का पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था जिस वजह से उन्हें अपनी माता व मास्टरजी से डांट भी पड़ती थी। 13 वर्ष की आयु में मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने ‘डी.बी इंटर कॉलेज’ से 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद मैत्रेयी पुष्पा जी ने बुंदेलखंड कॉलेज से हिंदी साहित्य में बी.ए और एम.ए की डिग्री प्राप्त की।
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मैत्रेयी पुष्पा जी वैवाहिक जीवन
आर्थिक समस्या के कारण मैत्रेयी पुष्पा जी (Maitreyi Pushpa) का प्रारंभिक जीवन संघर्षमय बीता। वहीं लड़की होने के कारण उन्हें हर जगह उपेक्षित किया गया। जब वह बी.ए की पढ़ाई कर रही थी तभी उन्होंने अपनी माँ से विवाह की इच्छा जाहिर की। लेकिन उनकी माता चाहती थी कि वह पढ़ लिखकर नौकरी करे सुखमय जीवन व्यतीत करें। किंतु मैत्रेयी जी ने नौकरी करने से साफ इंकार कर दिया जिसके बाद उनका विवाह ‘डॉ. रमेशचंद्र शर्मा’ के साथ हुआ। जिससे इनकी तीन बेटियां हुई जिनके नाम नम्रता, मोहिता और सुजाता हैं।
मैत्रेयी पुष्पा जी साहित्यिक परिचय
मैत्रेयी पुष्पा का आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में वर्ष 1990 में प्रथम उपन्यास ‘स्मृति दंश’ के साथ आगमन हुआ। उन्होंने हिंदी गद्य साहित्य की सभी विधाओं में साहित्य का सृजन किया जिनमें कहानी, उपन्यास, आत्मकथा और वैचारिक साहित्य शामिल हैं। वहीं उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोक जीवन, लोक संस्कृति, राजनीति व नारी के जीवन का चित्रण किया। वहीं मैत्रेयी जी आंचलिक साहित्यकार ‘फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ व रांगेय राघव की श्रेणी की रचनाकार मानी जाती हैं।
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मैत्रेयी पुष्पा जी साहित्यिक रचनाएँ
मैत्रेयी पुष्पा जी (Maitreyi Pushpa) ने हिंदी गद्य साहित्य की कई विधाओं में रचनाएँ की हैं। वहीं उन्हें सबसे ज्यादा प्रसिद्धि उपन्यास और कहानियों में मिली है। यहाँ हम मैत्रेयी पुष्पा जी के सभी रचनाओं के बारे में बता रहे है, जो कि इस प्रकार हैं:-
उपन्यास
- स्मृति दंश
- बेतवा बहती है
- इदन्नमम
- चाक
- झूलानट
- अल्मा कबूतरी
- अगनपाखी
- विज़न
- कही इशुरी फाग
- खुली खिड़कियाँ
- गुनाह बेगुनाह
कहानी संग्रह
- चिन्हार
- ललमनियां
- गोमा हँसती है
- पियारी का सपना
- फाइटर की डायरी
आत्मकथा
- कस्तूरी कुंडल बसै
- गुड़िया भीतर गुड़िया
नाटक
- मन्दाक्रांता
टेलीफिल्म
- वसुमती की चिट्ठी – फैसला कहानी के आधार पर
स्त्री लेखन
- सुनो मालिक सुनो
- खुली खिड़कियां
- तब्दील निगाहें
- आवाज़
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पुरस्कार और सम्मान
आधुनिक हिंदी साहित्य को अपनी अनुपम रचनाओं से समृद्ध करने वाली मैत्रेयी पुष्पा जी (Maitreyi Pushpa) अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही वह सार्क देशों से कथा साहित्य में सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। यहाँ उन्हें मिले कुछ प्रमुख पुरस्कारों के बारे में बताया जा रहा है, जो कि इस प्रकार हैं:
- साहित्य कीर्ति सम्मान – 1991
- कथा पुरस्कार
- महात्मा गाॅधी सम्मान
- सरोजनी नायडू पुरस्कार
- प्रेमचंद सम्मान – उत्तर प्रदेश साहित्य संस्थान
- सार्क लिटरेरी सम्मान
- साहित्यकार सम्मान – हिंदी अकादमी, दिल्ली
- मंगला प्रसाद पारितोषिक – 2006
- सुधा स्मृति सम्मान – 2009
- वीरसिंह जूदेव पुरस्कार – मध्यप्रदेश साहित्य संस्थान
- वन माली सम्मान – 2011
- आगरा विश्वविद्यालय गौरव सम्मान – 2011
FAQs
मैत्रेयी पुष्पा का जन्म 30 नवंबर 1944 को सिकुर्रा गांव के अलीगढ़ जिला, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
बता दें कि उनकी माता का नाम ‘कस्तूरी’ और पिता का नाम ‘हीरालाल’ था।
मैत्रेयी जी के प्रथम उपन्यास का नाम ‘स्मृति दंश’ है जो वर्ष 1990 में प्रकाशित हुआ था।
मैत्रेयी जी के पति का नाम डॉ. रमेशचंद्र शर्मा है।
उनके प्रथम नाटक का नाम ‘मन्दाक्रांता’ है।
आशा है कि आपको आधुनिक कथा साहित्य की विख्यात लेखिका मैत्रेयी पुष्पा (Maitreyi Pushpa) का संपूर्ण जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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बहुत सुंदर लेकिन विज्ञापन से पढ़ाई में अवरोध पैदा हो रहा है ।
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ब्रजेश जी, आपके कमेंट के लिए आभार। हमने आपका फीडबैक अपनी इंटरनल टीम को फॉरवर्ड कर दिया है। हम अपनी वेबसाइट को आपकी सुविधा के लिए और बेहतर बनाने में जुटे हुए हैं। आप हमें [email protected] पर भी फीडबैक को लेकर मेल कर सकते हैं।
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