सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ हिंदी की समकालीन कविता के जाने-माने कवि थे। उनकी कविताएं उस समय के राजनीतिक माहौल और आम इंसान की जागरूक सोच को सटीक रूप में व्यक्त करती हैं। सन 1960 के बाद समाज में पैदा हुए मोहभंग को भी उन्होंने प्रभावशाली ढंग से अपनी रचनाओं में उकेरा है। धूमिल ने अपनी कविता के माध्यम से पूंजीवादी शोषण और राजनीति की सच्चाई को बेझिझक सामने रखा तथा जनता की वास्तविक स्थिति को उजागर किया।
धूमिल का रचनात्मक संसार बहुत बड़ा नहीं था। उनके जीवनकाल में केवल एक कविता-संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ प्रकाशित हो पाया, जबकि अन्य कृतियां उनके निधन के बाद प्रकाशित हुईं। आधुनिक हिंदी कविता में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। इस लेख में आप धूमिल का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में जानेंगे।
| मूल नाम | सुदामा पांडेय धूमिल |
| उपनाम | ‘धूमिल’ |
| जन्म | 09 नवंबर, 1936 |
| जन्म स्थान | खेवली गांव, वाराणसी |
| शिक्षा | विद्युत डिप्लोमा |
| पिता का नाम | पंडित शिवनायक पांडे |
| माता का नाम | राजवंती देवी |
| पेशा | अनुदेशक, कवि |
| विधाएँ | कविता |
| भाषा | हिंदी |
| साहित्य काल | आधुनिक काल (समकालीन कविता) |
| पुरस्कार एवं सम्मान | मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार |
| निधन | 10 फरवरी, 1975 लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
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उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था जन्म
हिंदी के संवेदनशील साहित्यकार सुदामा पांडेय धूमिल का जन्म 09 नवंबर 1936 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में ‘खेवली’ नामक गांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘पंडित शिवनायक पांडे’ था जो कि पेशे से मुनीम थे। उनकी माता का नाम ‘राजवंती देवी’ था जो एक गृहणी थीं।
आई.टी.आई से किया विद्युत डिप्लोमा
सुदामा पांडेय धूमिल की प्रारंभिक शिक्षा खेवली गांव में ही हुई थी। वर्ष 1953 में हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने ‘हरिश्चंद इंटर कॉलेज’, वाराणसी में विज्ञान शाखा में दाखिला लिया। बताया जाता है कि वे अपने गांव के पहले व्यक्ति थे जिसने मैट्रिक पास की थी। किंतु आर्थिक अभाव और पारिवारिक समस्याओं के कारण वे अपनी शिक्षा पूर्ण न कर सके। इसके पश्चात उन्होंने वाराणसी के ‘औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान’ (ITI) से विद्युत डिप्लोमा का कोर्स पूरा किया।
संघर्षमय रहा जीवन
जब धूमिल मात्र 12 वर्ष के थे उसी दौरान उनके पिता का आकस्मिक निधन हो गया। जिसके बाद संपूर्ण परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। जीविकोपार्जन के लिए पहले वे कलकत्ता चले गए और वहाँ लोहा ढोने का कार्य करने लगे। इसके बाद उन्हें अपने मित्र के सहयोग से पासिंग ऑफिसर की नौकरी मिल गई। लेकिन उच्च अधिकारियों से मतभेद होने के कारण उन्होंने ये नौकरी छोड़ दी और गांव वापस आ गए। वर्ष 1958 में वे विद्युत अनुदेशक के पद पर नियुक्त हुए व अंत में उनका स्थानांतरण ITI सीतापुर में किया गया।
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धूमिल की रचनाएँ
जीवनकाल में धूमिल का प्रकाशित काव्य संकलन सीमित था। उनकी अनेक कविताएं समकालीन पत्र-पत्रिकाओं में बिखरी पड़ी हैं व कुछ अभी तक अप्रकाशित हैं। यहां उनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाओं की सूची दी गई है:-
काव्य संग्रह
| क्रम संख्या | काव्य संग्रह | प्रकाशन |
| 1. | संसद से सड़क तक | वर्ष 1972 |
| 2. | कल सुनना मुझे | वर्ष 1977 |
| 3. | सुदामा पांडे का प्रजातंत्र | वर्ष 1984 |
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ब्रेन ट्यूमर के कारण हुआ निधन
सुदामा पांडेय धूमिल ने अपने 38 वर्ष के जीवनकाल में अनुपम काव्य कृतियों का सृजन किया था। किंतु ब्रेन ट्यूमर की घातक बीमारी के कारण उनका 10 फरवरी 1975 को निधन हो गया। साहित्य में विशेष योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1975 में मध्य प्रदेश शासन साहित्य परिषद द्वारा ‘मुक्तिबोध पुरस्कार’ और वर्ष 1979 में मरणोपरांत ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। वहीं आज भी वे अपनी श्रेष्ठ काव्य कृतियों के लिए जाने जाते हैं।
FAQs
धूमिल का मूल नाम सुदामा पांडेय था।
धूमिल का जन्म 9 नवंबर 1936 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के खेवली गांव में हुआ था।
धूमिल की अंतिम कविता ‘लोहे का स्वाद’ मानी जाती है।
यह सुदामा पांडेय धूमिल की लोकप्रिय कविता है।
‘संसद से सड़क तक’, ‘कल सुनना मुझे’ और ‘सुदामा पांडे का प्रजातंत्र उनके तीन प्रमुख काव्य-संग्रह हैं।
10 फरवरी 1975 को धूमिल का 38 साल की उम्र में ब्रेन ट्यूमर के कारण देहांत हो गया।
आशा है कि आपको हिंदी के प्रसिद्ध कवि धूमिल का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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