Sambandhbodhak Avyay: संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं?

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Sambandhbodhak Avyay

Sambandhbodhak Avyay: प्रिय विद्यार्थियों हिंदी व्याकरण में अव्यय के चार भेद होते हैं, जिनमें से एक भेद संबंधबोधक अव्यय (Sambandhbodhak Avyay) भी है। बताना चाहेंगे स्कूली परीक्षाओं के अलावा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अव्यय से संबंधित प्रश्न अकसर पूछे जाते हैं। इसलिए इस लेख में संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं और संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण को बहुत सरल और क्रमबद्ध तरीके से बताया गया है। 

अव्यय की परिभाषा 

जिन शब्दों के रूप सदा एक से बने रहते हैं, अर्थात् जिनमें लिंग, वचन, और कारक से कोई विकार नहीं होता, उन्हें अव्यय कहते हैं। वस्तुतः हर स्थिति में अव्यय का रूप वैसे का वैसे बना रहता है। 

संबंधबोधक अव्यय की परिभाषा उदारहण सहित – Sambandhbodhak Ki Paribhasha

वे अव्यय, जिससे संज्ञा अथवा सर्वनाम का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से जाना जाता है, संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। उदाहरण के लिए; अनुकूल, अनुसार, आसपास, आगे, ओर आदि। 

संबंधबोधक अव्यय के कार्य 

संबंधबोधक अव्यय के कार्य निम्नलिखित हैं;-

  1. संज्ञा के बाद आकर उसका संबंध उस वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ दिखाना; जैसे अंशुल रात भर जागता रहा। (संबंधबोधक ‘भर’ संज्ञा ‘रात’ का संबंध इस वाक्य के अन्य शब्दों से बताता है।)  
  2. संबंधबोधक द्वारा समय, स्थान तथा तुलना का बोध कराना; जैसे- 
  • राहुल प्रशांत के बाद घर पहुंचा। (समय का बोध)
  • मनोज सोहन की अपेक्षा बुद्धिमान है। (तुलना)

संबंधबोधक अव्यय के भेद 

संबंधबोधक अव्यय के भेद (Sambandhbodhak Ke Bhed) मुख्यत: तीन आधारों पर होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं;-

  1. प्रयोग के आधार पर। 
  2. अर्थ के आधार पर। 
  3. व्युत्पत्ति के आधार पर।   

प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के भेद 

प्रयोग की दृष्टि से संबंधबोधक अव्यय के दो भेद हैं;- संबद्ध संबंधबोधक अव्यय और अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यय। 

  • संबद्ध संबंधबोधक अव्यय – ये संज्ञाओं के परसर्गों के बाद आता है।  जैसे – ‘के’ विभक्ति के बाद; जैसे – व्यायाम से पहले। 

किताब के बिना (अव्यय ‘पहले’ और ‘बिना’)    

  • अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यय – ये संज्ञाओं के विकृत रूप के बाद आता है; जैसे- कई दिनों तक। पानी-भर। 

(‘तक’ अथवा ‘भर’ अव्यय। ‘दिन’ और ‘प्याला’ के विकृत रूप के बाद)   

अर्थ के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के भेद 

अर्थ की दृष्टि से संबंधबोधक अव्यय के तेरह भेद हैं। इन भेदों के नाम और उदाहरण नीचे दिए गए हैं;-  

  • कालवाचक – पूर्व, पहले, बाद, आगे, पीछे आदि।
  • स्थानवाचक – बाहर, भीतर, नीचे, पीछे, आदि।
  • विषयवाचक – लेखे, बाबत, भरोसे, निस्बत आदि।
  • व्यतिरेकवाचक – बिना, अलावा, सिवा, अतिरिक्त आदि।
  • दिशावाचक तरफ, पार, ओर, आसपास आदि।
  • साधनवाचक – सहारे, द्वारा, मार्फत आदि।
  • हेतुवाचक – निमित्त, वास्ते, लिए, हेतु आदि।
  • विनिमयवाचक – जगह, बदल, पलट, एवज़ आदि।
  • सादृश्यवाचक – समान, तरह, भाँति, योग्य, जैसा आदि।
  • तुलनावाचक – अपेक्षा, बनिस्बत, सामने आदि।
  • विरोधवाचक – विरुद्ध, विपरीत, उलटे, खिलाफ आदि ।
  • सहचरवाचक संग, सहित, साथ, समेत आदि।
  • संग्रहवाचक – मात्र, पर्यंत, भर, तक आदि।

व्युत्पत्ति के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के भेद 

व्युत्पत्ति की दृष्टि से संबंधबोधक अव्यय के दो भेद होते हैं;-

  1. मूल संबंधबोधक – बिना, पर्यंत, पूर्वक आदि। 
  2. यौगिक संबंधबोधक – 
  • संज्ञा से – अपेक्षा, लेखे, पलटे, मारफत आदि। 
  • क्रिया से – लिए, मारे, चलते, कर, जाने आदि। 
  • क्रिया से – लिए, मारे, चलते, कर, जाने आदि। 
  • क्रिया विशेषण से – पीछे, परे, पास आदि। 

संबंधबोधक अव्यय के 10 उदाहरण

संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण (Sambandhbodhak Avyay Ke Udaharan) इस प्रकार हैं;- 

  1. राम और श्याम स्कूल जा रहे हैं।
  2. उसने मेहनत की, किंतु उसे सफलता नहीं मिली।
  3. वह घर नहीं आया क्योंकि वह बीमार था।
  4. यदि तुम समय पर आओ, तो हम फिल्म देख सकते हैं।
  5. वह अच्छा गायक है, लेकिन उसे मंच पर डर लगता है।
  6. वह जल्दी घर लौटा, इसलिए कि बारिश हो रही थी।
  7. वह खेल रहा था, जबकि उसके दोस्त पढ़ाई कर रहे थे।
  8. राम तथा श्याम दोनों अच्छे छात्र हैं।
  9. तुम चाय पियोगे या कॉफी?
  10. उसने खूब अभ्यास किया, अतः वह प्रतियोगिता जीत गया।

FAQs

संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं?

संबंधबोधक अव्यय वे अव्यय होते हैं जो वाक्य में दो शब्दों या वाक्यांशों के बीच संबंध स्थापित करते हैं। इनका उद्देश्य विचारों, घटनाओं या चीजों के बीच संबंध बनाना होता है।

संबंधबोधक अव्यय का कार्य क्या होता है?

संबंधबोधक अव्यय का मुख्य कार्य दो शब्दों, वाक्यांशों, या वाक्यों के बीच संबंध स्थापित करना होता है ताकि विचारों का स्पष्ट रूप से आदान-प्रदान हो सके।

संबंधबोधक अव्यय और समुच्चयबोधक अव्यय में अंतर क्या है?

संबंधबोधक अव्यय दो शब्दों या वाक्यांशों के बीच संबंध स्थापित करते हैं। जबकि समुच्चयबोधक अव्यय दो विचारों या घटनाओं को जोड़ने के लिए उपयोग होते हैं।

क्या संबंधबोधक अव्यय का प्रयोग हर वाक्य में अनिवार्य होता है?

नहीं, संबंधबोधक अव्यय का प्रयोग हर वाक्य में अनिवार्य नहीं है। यह तब प्रयोग किए जाते हैं जब दो विचारों या घटनाओं के बीच संबंध स्थापित करने की आवश्यकता होती है।

आशा है कि आपको इस लेख में संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं और संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण (Sambandhbodhak Avyay) की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही हिंदी व्याकरण, इंग्लिश व्याकरण और सामान्य ज्ञान से संबंधित अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage के साथ बने रहें। 

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