अवतार सिंह संधू ‘पाश’ सत्तर के दशक में पंजाबी काव्य जगत के रौशन सितारों में से एक थे। अपनी छोटी सी जिंदगी में अल्पकाल में लिखने के बावजूद, उन्होंने भारतीय काव्य जगत में एक अलग और अमिट पहचान बनाई। क्या आप जानते हैं कि उनकी कविता ‘हम लड़ेंगे साथी’ और ‘सबसे खतरनाक’ को कालजयी रचना का दर्जा प्राप्त हैं। उन्होंने पंजाबी काव्य जगत में अपने विशेष योगदान के साथ-साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में भी लेखनी चलाई है। इस लेख में आप लोकप्रिय कवि पाश का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में जानेंगे।
| मूल नाम | अवतार सिंह संधू ‘पाश’ |
| उपनाम | ‘पाश’ |
| जन्म | 09 सितंबर 1950 |
| जन्म स्थान | तलवंडी सलेम, जालंधर जिला, पंजाब |
| शिक्षा | पंजाबी में ‘ज्ञानी’ की डिग्री |
| पेशा | कवि, लेखक, संपादक |
| भाषा | पंजाबी, हिंदी |
| पत्नी का नाम | राजविंदर कौर संधू |
| संतान | विंकल संधू |
| विधाएँ | काव्य, संपादन |
| पंजाबी-काव्य संग्रह | ‘हम लड़ेंगे साथी’, ‘बीच का रास्ता नहीं होता’, ‘समय ओ भाई समय’ |
| हिंदी-काव्य संग्रह | ‘खिल्लरे होए वर्के’, ‘लौहकथा’, ‘उड्ड्दे बाजाँ मगर’, ‘साडे समियाँ विच’ |
| संपादन | ‘सियाड़’, ‘हेम ज्योति’, ‘एंटी 47 फ्रंट’ पत्रिका |
| निधन | 23 मार्च 1988 |
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पंजाब के जालंधर जिले में हुआ था जन्म
पंजाबी काव्य के प्रसिद्ध कवि अवतार सिंह संधू उर्फ ‘पाश’ का जन्म 9 सितंबर 1950 को पंजाब के जालंधर जिले के तलवंडी सेलम में हुआ था। उन्होंने जैन हाई स्कूल में नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की और इसके बाद वर्ष 1976 में दसवीं की पढ़ाई पूरी की। बाद में उन्होंने पंजाबी में ‘ज्ञानी’ की डिग्री प्राप्त की।
शिक्षा के दौरान हुआ साहित्य में पर्दापण
महज 15 वर्ष की आयु से ही पाश ने कविता लिखनी शुरू कर दी थी। उनकी पहली कविता वर्ष 1967 में प्रकाशित हुई थी। पंजाबी में उनके कई काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए। ‘पाश’ की कविताओं में जहां गांव की मिट्टी की महक महसूस होती है, वहीं इंसानी भावनाओं और दुखों की अभिव्यक्ति भी साफ नजर आती हैं। पाश की काव्य प्रतिभा को देखते हुए ‘पंजाब साहित्य अकादमी’ ने उन्हें एक साल का फेलोशिप प्रदान किया था। उनका पहला काव्य-संग्रह वर्ष 1970 में ‘लौहकथा’ नाम से प्रकाशित हुआ, जिसने पंजाबी साहित्य जगत में उनकी पहचान दर्ज करा दी।
लोकप्रिय पत्रिकाओं का किया संपादन
पाश ने अनुपम काव्य सृजन करने के साथ ही कई पत्रिकाओं का भी संपादन किया है। उन्होंने सबसे पहले ‘सिआड’ नाम की साहित्यिक पत्रिका निकालनी शुरू की। इसके बाद उन्होंने ‘हेमज्योति’ पत्रिका का संपादन किया। इसी दौर में उन्होंने अपनी चर्चित कविता ‘युद्ध और शांति’ लिखी थी। क्या आप जानते हैं कि पाश ने अपने जीवन के कुछ वर्ष अमेरिका में भी बिताए थे। लेकिन यहां भी उन्होंने अपनी लेखनी को विराम नहीं दिया बल्कि ‘एंटी 47 पत्रिका’ का संपादन किया।
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39 वर्ष की आयु में हुआ निधन
पाश का जीवन काल अल्प रहा किंतु उन्होंने हमेशा अपने काव्य और पत्रिकाओं के माध्यम से शोषण और दमन के खिलाफ मुखर स्वर में आवाज उठाई। यहीं कारण था कि महज 39 वर्ष की आयु में 23 मार्च 1988 को आतंकवादियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। मृत्यु के बाद वर्ष 1988 में उनके चौथे काव्य-संग्रह ‘लड़ेगें साथी’ का प्रकाशन हुआ, जिसमें उनकी प्रकाशित और अप्रकाशित कविताएं संकलित हैं। यह संयोग हो सकता है कि भगत सिंह के शहीदी दिवस अर्थात 23 मार्च को ही पंजाब में पैदा हुए अवतार सिहं संधू ‘पाश’ भी शहीद होते हैं।
पाश की साहित्यिक रचनाएँ
पाश ने पंजाबी साहित्य जगत में कई अनुपम रचनाओं का सृजन किया है व कई लोकप्रिय पत्रिकाओं का संपादन किया है। यहां उनके काव्य-संग्रह और पत्रिकाओं की सूची दी गई है:-
काव्य-संग्रह
| काव्य-संग्रह | प्रकाशन |
| लौहकथा | वर्ष 1970 |
| उड्ड्दे बाजाँ मगर | वर्ष 1974 |
| साडे समियाँ विच | वर्ष 1978 |
| लड़ेगें साथी | वर्ष 1988 |
संपादन
- सियाड़
- हेम ज्योति
- एंटी 47 फ्रंट पत्रिका
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पाश की कुछ लोकप्रिय कविताएँ
पाश की चुनिंदा और प्रसिद्ध कविताएं इस प्रकार हैं:-
सबसे ख़तरनाक
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबससे ख़तरनाक नहीं होती बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है पर सबसे ख़तरनाक नहीं होता कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है किसी जुगनू की लौ में पढ़ना बुरा तो है मुट्ठियाँ भींचकर बस वक़्त निकाल लेना बुरा तो है सबसे ख़तरनाक नहीं होता सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना न होना तड़प का सब सहन कर जाना घर से निकलना काम पर और काम से लौटकर घर जाना सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना सबसे ख़तरनाक वह घड़ी होती है आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो आपकी निगाह में रुकी होती है सबसे ख़तरनाक वह आँख होती है जो सबकुछ देखती हुई भी जमी बर्फ़ होती है जिसकी नज़र दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है जो चीज़ों से उठती अँधेपन की भाप पर ढुलक जाती है जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है सबसे ख़तरनाक वह चाँद होता है जो हर हत्याकांड के बाद वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है सबसे ख़तरनाक वह गीत होता है आपके कानों तक पहुँचने के लिए जो मरसिए पढ़ता है आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर जो गुंडे की तरह अकड़ता है सबसे ख़तरनाक वह रात होती है जो ज़िंदा रूह के आसमानों पर ढलती है जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआं-हुआं करते गीदड़ हमेशा के अँधेरे बंद दरवाज़ों-चौगाठों पर चिपक जाते हैं सबसे ख़तरनाक वह दिशा होती है जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती।
– पाश
सपने
हर किसी को नहीं आते बेजान बारूद के कणों में सोई आग को सपने नहीं आते बदी के लिए उठी हुई हथेली के पसीने को सपने नहीं आते शेल्फ़ों में पड़े इतिहास-ग्रंथों को सपने नहीं आते सपनों के लिए लाज़िमी है झेलने वाले दिलों का होना सपनों के लिए नींद की नज़र होना लाज़िमी है सपने इसलिए हर किसी को नहीं आते
– पाश
FAQs
पंजाबी कवि पाश का जन्म 9 सितंबर 1950 को पंजाब के जालंधर जिले के तलवंडी सेलम में हुआ था।
पाश में पंजाबी में ‘ज्ञानी’ की डिग्री हासिल की थी।
इस पत्रिका का संपादन पाश ने अमेरिका में किया था।
यह पाश का प्रथम काव्य-संग्रह था जिसका प्रकाशन वर्ष 1970 में हुआ था।
23 मार्च, 1988 को मात्र 39 साल की उम्र में पाश की आतंकवादियों ने हत्या कर दी।
आशा है कि आपको पंजाब के सुप्रसिद्ध कवि पाश का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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