Matra in Hindi: हिंदी मात्रा के शब्द और प्रयोग 

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Matra in Hindi

Matra in Hindi: हिंदी भाषा की सुंदरता और समृद्धि को समझने के लिए, हमें इसकी मूलभूत इकाइयों को समझना होगा जो हैं – हिंदी मात्रा। मात्राएं हिंदी शब्दों की आत्मा हैं, जो उनके अर्थ और उच्चारण को परिभाषित करती हैं। जब हम हिंदी में कोई शब्द बोलते या लिखते हैं, तो उसमें कुछ छोटे-छोटे निशान (चिह्न) होते हैं, जिन्हें मात्रा कहते हैं। ये मात्राएँ अक्षरों के साथ मिलकर उनके उच्चारण (बोलने का तरीका) को बदल देती हैं। जैसे अगर हम क में “आ” की मात्रा जोड़ दें तो वह का बन जाता है। ऐसे ही अलग-अलग मात्राओं से नए शब्द बनते हैं। इस ब्लॉग में, आप हिंदी मात्रा (Matra in Hindi) के महत्व, उनके प्रकार, और उनके उपयोग के बारे विस्तार से जानेंगे। 

हिंदी मात्रा क्या होती है? (Matra in Hindi)

मात्रा वे छोटे-छोटे चिह्न होते हैं जो हिंदी वर्णमाला के अक्षरों के साथ जुड़े रहते हैं और उनके उच्चारण को प्रभावित करते हैं। हिंदी भाषा की विशेषता के रूप में, मात्राओं का उपयोग अक्षरों के सही उच्चारण को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। ये हिंदी भाषा को अधिक समृद्ध और विशिष्ट बनाती हैं।

हिंदी में कुल 14 प्रकार की मात्राएँ होती हैं, और प्रत्येक मात्रा का अपना विशिष्ट उच्चारण और अर्थ होता है। इनका प्रयोग हिंदी शब्दों के सही उच्चारण और अर्थ को समझने में सहायक होता है। मात्राएँ हिंदी व्याकरण को सुदृढ़ और स्पष्ट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

हिंदी भाषा को प्रभावी ढंग से पढ़ने और लिखने के लिए मात्राओं का ज्ञान आवश्यक है। हिंदी भाषा के छात्रों को मात्राओं का अभ्यास करना चाहिए ताकि वे भाषा को सही ढंग से समझ और प्रयोग कर सकें। मात्राएँ न केवल हिंदी भाषा की सुंदरता और विविधता को बढ़ाती हैं, बल्कि इसे सीखने की प्रक्रिया को भी आनंददायक बनाती हैं।

हिंदी मात्रा कितनी होती हैं?

हिंदी में कुल कितनी मात्राएँ होती हैं, इसे समझने से पहले हमें यह जानना होगा कि मात्रा किसे कहते हैं। हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण होती है। वर्णों के मेल से शब्दों का निर्माण होता है। वर्ण वह ध्वनि है जिसे और अधिक खंडित नहीं किया जा सकता। हिंदी में वर्ण दो प्रकार के होते हैं – स्वर और व्यंजन।

हिंदी व्याकरण में कुल 11 स्वर होते हैं: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ और औ। स्वर के उच्चारण के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें मात्रा कहा जाता है। ‘अ’ स्वर के लिए कोई मात्रा चिह्न नहीं होता, इसलिए हिंदी में कुल 10 मात्राएँ मानी जाती हैं।

स्वरमात्रा 
अ की मात्रा नहीं होती 
ि
अंां
अ:ाः 

उच्चारण के आधार पर हिंदी मात्राओं के भेद

उच्चारण के आधार पर मात्राओं को तीन भागों में बाँटा गया है – ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत।

  1. ह्रस्व मात्रा: ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है, उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। जैसे: अ, इ, उ, ए, ओ।
  2. दीर्घ मात्रा: ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में ह्रस्व से दुगुना समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे: आ, ई, ऊ, ऐ, औ।
  3. प्लुत मात्रा: ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में ह्रस्व से तीन गुना अधिक समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। प्लुत का प्रयोग मुख्यतः संस्कृत भाषा में मंत्रों के उच्चारण के लिए किया जाता है। प्लुत स्वर को दर्शाने के लिए उसके ऊपर (३) यह चिह्न लगाया जाता है।

हिंदी मात्राओं वाले शब्द

इस भाग में आपको हिंदी मात्राओं जैसे (आ, इ, ई, ऋ, ए, ऐ, उ , ऊ, ओ, औ और अं, अ:) की मात्राओं से बने शब्दों को टेबल में बताया है।

आ (ा) की मात्रा वाले शब्द ( AA Ki Matra Wale Shabd)

‘आ’ एक स्वर है, जो व्यंजन के साथ मिलकर मात्रा बनाता है। किसी भी व्यंजन के साथ ‘आ’ जोड़ने पर नया शब्द बनता है। उदाहरण:

  • ज + ा + त  = जात 
  • ख + ा + ट  = खाट 
जात नाक 
रात राम 
बात जाम 
साथ शाम 
खाट नाम 
ठाठ दाम 
पाठ धाम 
काम लात 
आम बाल 
घाट लाल 

छोटी इ (ि) की मात्रा वाले शब्द (Choti EE Ki Matra Wale Shabd)

‘इ’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का तीसरा अक्षर है। ‘इ’ की मात्रा (ि) हमेशा व्यंजन के बाईं ओर लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के बाईं ओर यह मात्रा जुड़ी हो, वहाँ छोटी इ (ि) स्वर होता है।

उदाहरण:

  • क् + ि = कि
  • ख् + ि = खि
  • ग् + ि = गि
पिया दिल 
दिया दिल्ली 
सितंबर बिल्ली 
दिसंबर किसान 
जिया गिन 
किया गिरावट 
सिया मिल 
चित्र फिर 
किरदार वितरण 
सिर विष 

बड़ी ई (ी) की मात्रा वाले शब्द (Badi EE Ki Matra Wale Shabd)

‘ई’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का चौथा अक्षर है। बड़ी ई (ी) की मात्रा हमेशा व्यंजन के दाईं ओर लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के दाईं ओर यह मात्रा जुड़ी हो, वहाँ बड़ी ई (ी) स्वर होता है।

उदाहरण:

  • क् + ी = की
  • ख् + ी = खी
  • ग् + ी = गी
नदीनीम
जीतगीत
कभीदही
भीमचाभी
लकीरजमीर
पीतलशीतल
धीरजनीरज
जनवरीतकलीफ
मनमीतसरकारी
भाभी दादी 

छोटे उ (ु) की मात्रा वाले शब्द (Chote U Ki Matra Wale Shabd)

‘उ’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का पाँचवाँ अक्षर है। ‘उ’ की मात्रा (ु) व्यंजन के नीचे लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के नीचे यह मात्रा लगी हो, वहाँ छोटा उ (ु) स्वर होता है।

उदाहरण:

  • क् + ु = कु
  • ख् + ु = खु
  • ग् + ु = गु
गुफागुप्त
चुन चुना 
कुंजमुंह
खुदबुआ
सुनधुन
बुनचुन
अनु      छुरा
खुलाधुरा
पुल कुल
सुधाखुश
चुपकुल 

बड़े ऊ (ू) की मात्रा वाले शब्द (Bade OO Ki Matra Wale Shabd)

‘ऊ’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का छठा अक्षर है। ‘ऊ’ की मात्रा (ू) व्यंजन के नीचे लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के नीचे यह मात्रा जुड़ी हो, वहाँ बड़ा ऊ (ू) स्वर होता है।

उदाहरण:

  • क् + ू = कू
  • ख् + ू = खू
  • ग् + ू = गू
कूदटूटा
कूलदूध
खूबनूर
गेहूंपूंछ
गुरूगूँज
घूंटघूम
चूकचाकू
चूड़ाचूना
चूड़ीचूर्ण
चूल्हाचालू

ऋ (ृ) की मात्रा वाले शब्द (Ri Ki Matra Wale Shabd)

जब किसी व्यंजन में कोई स्वर नहीं होता, तो उसके नीचे हलंत (्) का चिह्न लगा होता है। ‘ऋ’ की मात्रा (ृ) व्यंजन के नीचे लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के नीचे यह मात्रा जुड़ी हो, वहाँ ऋ (ृ) स्वर होता है।

उदाहरण:

  • क् + ृ + ष = कृष
  • ख् + ृ + त = खृत
  • ग् + ृ + ह = गृह
दृष्टिकृति
वृक्षकृपा
मृदाकृषि
भृतवृत्त
वृथानृप
मृद्गमृग
ऋचापृथा
कृशघ्रणि
दृशाभृत्य
नृत्यमृत्यु

ए (े) की मात्रा वाले शब्द (E Ki Matra Wale Shabd)

‘ए’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का सातवाँ अक्षर है। ‘ए’ की मात्रा (े) व्यंजन के ऊपर लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के ऊपर यह मात्रा जुड़ी हो, वहाँ ‘ए’ (े) स्वर होता है।

व्यंजनों में जब तक कोई स्वर नहीं जुड़ा होता, तब तक उनके नीचे हलंत (्) का चिह्न लगा रहता है।

उदाहरण:

  • क् + े = के
  • ख् + े = खे
  • ग् + े = गे
तेरामेल
तेल डेक 
जेलमेज
एकरेल
टेकटेन
मेराकेला
सेकसेल
हेडलेड
खेतजेट
भेड़रेव
फेकफेर

ऐ (ै) की मात्रा वाले शब्द (Ai Ki Matra Wale Shabd)

‘ऐ’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का आठवाँ अक्षर है। ‘ऐ’ की मात्रा (ै) व्यंजन के ऊपर लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के ऊपर यह मात्रा जुड़ी हो, वहाँ ‘ऐ’ (ै) स्वर होता है।

उदाहरण:

  • क् + ै = कै
  • ख् + ै = खै
  • ग् + ै = गै
गैपफैला
चैत्रथैला 
जैनबैला
जैसेमैला 
टैंकटैक्स
तैशथैंक्यू
दैयाधैर्य
नैयापैदा
पैसाफैल
बैंकबैठ
बैनबैर
भैंसभैंसा

ओ (ो) की मात्रा वाले शब्द (O Ki Matra Wale Shabd)

‘ओ’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का नौवाँ अक्षर है। ‘ओ’ की मात्रा (ो) व्यंजन के ऊपर लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के ऊपर यह मात्रा जुड़ी हो, वहाँ ‘ओ’ (ो) स्वर होता है।

उदाहरण:

  • क् + ो = को
  • ख् + ो = खो
  • ग् + ो = गो
गोराकोर
घोरक्रोध
चोकखोटा
चोरगाओ
ओसटोपी
मोटा छोटा
छोड़छोड़ा
जोररोता 
झोलाटोन
तोता ठोस

औ (ौ) की मात्रा वाले शब्द (AU Ki Matra Wale Shabd)

‘औ’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का दसवाँ अक्षर है। ‘औ’ की मात्रा (ौ) व्यंजन के ऊपर लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के ऊपर यह मात्रा जुड़ी हो, वहाँ ‘औ’ (ौ) स्वर होता है।

उदाहरण:

  • क् + ौ = कौ
  • ख् + ौ = खौ
  • ग् + ौ = गौ
मौजीभौर
औरकौआ
कौरकौवा
गौरगौरी
चौकाचौकी
छौंकठौर
दौरादौड़
पौधापौधे
फौजीबौद्ध
मौजमौत

अं () की मात्रा वाले शब्द (An Ki Matra Wale Shabd)

‘अं’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का ग्यारहवाँ अक्षर होता है। ‘अं’ की मात्रा (ं) व्यंजन के ऊपर लगती है। जिस भी व्यंजन अक्षर के ऊपर यह मात्रा जुड़ी हो, वहाँ ‘अं’ (ं) स्वर होता है।

उदाहरण:

  • क् + ं = कं
  • ख् + ं = खं
  • ग् + ं = गं
दंगा कंधा
ठंडागंगा
पंगा गांठ
दंगाघंटी
गांवगूंज
चंगाचंद
छंदजंक
झंडाटांका
डंकडंका
तंगतंत्र

अः ( ः) की मात्रा वाले शब्द (Ah Ki Matra Wale Shabd)

‘अः’ एक स्वर है, जो देवनागरी हिंदी वर्णमाला का बारहवाँ अक्षर होता है। ‘अः’ की मात्रा (ः) व्यंजन के दाईं ओर लगती है। यह उच्चारण में हल्की संघोष ध्वनि (Visarga) उत्पन्न करता है और संस्कृतनिष्ठ शब्दों में अधिक प्रयोग होता है।

उदाहरण:

  • क् + ः = कः
  • ख् + ः = खः
  • ग् + ः = गः
छात्रःपुनः
भुवःजलः
प्रियःथागः
चलःअतः
ततःहलः
पकःबकः
अत:अधः
मात:शनै:
दुःखनमः
प्रातःअंतः

उम्मीद है, इस ब्लॉग में दिए गए  हिंदी मात्रा के शब्द और प्रयोग (Matra in Hindi) आपकी हिंदी को और बेहतर बनाने में उपयोगी होंगें। ऐसे ही हिंदी वर्णमाला से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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