लोकप्रिय संत-कवियत्री ललद्यद का जीवन परिचय – Laldyad Ka Jivan Parichay

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ललद्यद का जीवन परिचय

Laldyad Ka Jivan Parichay : ललद्यद कश्मीर की आदि कवियत्री, एक शैव भक्त एवं साध्वी के रूप में जानी जाती हैं। उनकी काव्य शैली को ‘वाख’ कहा जाता है। उन्होंने कश्मीर शैव दर्शन का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने वाखों के माध्यम से कश्मीरी जन मानस को मानव बंधुत्व, सदाचार और आत्मशुद्धि का उपदेश दिया था। वहीं, कश्मीर में ललद्यद को वही स्थान प्राप्त है, जो हिंदी साहित्य जगत में संत कवियत्री मीराबाई को। 

बता दें कि संत-कवियत्री ललद्यद के ‘वाख’ को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी ललद्यद का जीवन परिचय और उनके वाखों का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब कश्मीरी भाषा की लोकप्रिय संत-कवियत्री ललद्यद का जीवन परिचय (Laldyad Ka Jivan Parichay) और उनके वाखों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम ललद्यद (Laldyad)
अन्य नाम लल्लेश्वरी, लला, ललयोगेश्वरी व ललारिफा   
जन्म सन 1320 
जन्म स्थान सिमपुरा गांव, पाम्पोर, कश्मीर 
काव्य शैली वाख 
दर्शन कश्मीरी शैव दर्शन  
देहांत सन 1391 

कश्मीर के सिमपुरा गांव में हुआ था जन्म –  Laldyad Ka Jivan Parichay

अन्य प्राचीन कवियों की भाँति संत-कवियत्री ललद्यद का कोई प्रमाणिक जीवन वृत्त अब तक सुलभ नहीं हो सका हैं। किंतु माना जाता है कि उनका जन्म सन 1320 के लगभग कश्मीर स्थित पाम्पोर के सिमपुरा गांव में हुआ था। ललद्यद को लल्लेश्वरी, लला, ललयोगेश्वरी व ललारिफा आदि नामों से भी जाना जाता है। वह एक शैव योगिनी होने के साथ साथ भक्त कवयित्री एवं साध्वी थीं।

ललद्यद की काव्य-शैली  

ललद्यद की काव्य-शैली को ‘वाख’ कहा जाता है। जिस प्रकार हिंदी में कबीर के दोहे, तुलसीदास की चौपाई, रसखान के सवैये और मीराबाई के पद प्रसिद्ध हैं, ठीक उसी तरह ललद्यद के वाख प्रसिद्ध हैं। अपने वाखों के माध्यम से उन्होंने जाति और धर्म की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर भक्ति के रास्ते पर चलने पर जोर दिया। उनके वाख तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों का सहज दर्शन हैं। वहीं कश्मीरी साहित्य में ललद्यद को हम उसी रूप में देख सकते हैं, जिस प्रकार हिंदी साहित्य जगत में मीराबाई को। 

ललद्यद की प्रमुख रचनाएँ – Laldyad Ki Rachnaye

बता दें कि ललद्यद की रचनाएँ मौखिक परंपरा से प्राप्त होती है तथा लोकगीतों की परंपरा के निकट मानी जाती हैं। उनके साहित्य का वैचारिक आधार शैव दर्शन है। उनपर वेदांत और सूफी दर्शन का भी प्रभाव दिखाई देता है। 

ललद्यद की भाषा शैली – Laldyad Ki Bhasha Shaili 

ललद्यद आधुनिक कश्मीरी भाषा का प्रमुख स्तंभ मानी जाती हैं। उन्होंने अपने वाखों में संस्कृत और फ़ारसी के स्थान पर जनता की सरल भाषा का प्रयोग किया है। यही कारण है कि उनके वाख सैकड़ों वर्षों से कश्मीरी जन मानस की स्मृति और वाणी में आज भी जीवित हैं। 

सन 1391 के आसपास हुआ देहांत 

ललद्यद के देहांत के बारे में आलोचकों और इतिहासकारों में मत-मतांतर है। किंतु माना जाता है कि उनका देहांत सन 1391 के आसपास हुआ था। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ लोकप्रिय संत-कवियत्री ललद्यद का जीवन परिचय (Laldyad Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs

ललद्यद का जन्म कब हुआ था?

ललद्यद का जन्म सन 1320 के लगभग कश्मीर स्थित पाम्पोर के सिमपुरा गांव में हुआ था।

ललद्यद की काव्य शैली क्या है?

ललद्यद की काव्य-शैली को ‘वाख’ कहा जाता है।

ललद्यद के माता-पिता का नाम क्या है?

ललद्यद के माता-पिता के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। 

ललद्यद का देहांत कब हुआ था?

ललद्यद का देहांत सन् 1391 के आसपास माना जाता है। 

कश्मीरी लोग भाषा की प्रसिद्ध भक्त कवयित्री कौन थी?

कश्मीरी भाषा की लोकप्रिय संत कवयित्री ललद्यद थीं।

आशा है कि आपको लोकप्रिय संत-कवियत्री ललद्यद का जीवन परिचय (Laldyad Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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