एसिड अटैक में नेत्रहीन कफी CBSE टॉपर लिस्ट की सूची में शामिल 

तीन साल की उम्र में तेजाब हमले में नेत्रहीन हुई कफी ने CBSE 10वीं में 95.20% अंकों के साथ स्कूल टॉप किया।

कफी का सपना एक IAS अधिकारी बनकर देश की सेवा करने का है, जिसके लिए वह दिनरात मेहनत भी कर रहीं हैं।

28 मार्च 2011 को होली खेल रही कफी पर तीन लोगों ने तेजाब फेंका, जिससे उनकी आंखों की रोशनी चली गई।

अगले छह साल एक कठिन परीक्षा थे क्योंकि उसके माता-पिता ने देश भर के अस्पतालों के चक्कर लगाए और उसका इलाज कराने की कोशिश में अपनी बचत को खत्म कर दिया।

इस हमले से पीड़ित कफी ने अपनी कमजोरी को ताक़त बनाकर चंडीगढ़ के दृष्टिहीन संस्थान में टॉप करके अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया।

कफी जब 8 साल की थीं, तब उन्हें हिसार के एक स्कूल में पहली कक्षा में भर्ती कराया गया था।

यह देखते हुए कि वह इसका सामना नहीं कर पा रही थी और पिछड़ रही थी, उसके माता-पिता ने चंडीगढ़ जाने का फैसला किया।

कफी कहती हैं, “मैं अपने परिवार के त्याग से वाकिफ हूँ, चूंकि चंडीगढ़ में नेत्रहीनों के लिए एक अच्छा शिक्षण संस्थान था। इसीलिए मेरा परिवार यहां आ गया।”

कफी ने अतीत को याद करते हुए कहा कि मेरे पिता अब परिवार को पालने के लिए सेक्टर 17 में चपरासी के रूप में काम करते हैं।