धनतेरस मनाने के पीछे की पौराणिक कथा!
टोरंटो यूनिवर्सिटी: रोटमैन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट
भगवान विष्णु के अवतार धन्वंतरि के अवतरण दिवस के रूप में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
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मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान हाथों में अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरि समुद्र से निकले थे।
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धनतेरस मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं उनमें से एक है-
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एक हीन नाम का राजा था जिसके बेटे को श्राप मिला था कि उसकी शादी के चौथे दिन ही वह मर जाएगा।
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जिस राजकुमारी से उसकी शादी होने वाली थी जब उसे यह पता चला तो उसने उसे पूरी रात जागने को कहा।
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उसने घर के दरवाजे पर सोना, चांदी व ढेरों आभूषण रख दिए और दीप जला दिए।
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पति को नींद ना आए इसलिए उसे कहानियां और गीत सुनाने लगी।
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जब सांप के रूप में यमराज हीन के बेटे की जान लेने पहुंचे तो इतनी चमक देखकर वे अंधे हो गए और सांप घर के अंदर प्रवेश नहीं कर सका।
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जब सांप के रूप में यमराज हीन के बेटे की जान लेने पहुंचे तो इतनी चमक देखकर वे अंधे हो गए और सांप आभूषणों पर बैठकर कहानियां सुनने लगा।
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इसलिए मान्यता है कि इस दिन सोना-चाँदी खरीदने से अशुभ समय और नकारात्मक शक्तियां घर के अंदर नहीं आ पाती हैं।
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आपके घर में हो धन की बरसात, प्रफुल्लित रहे मन और जगमग हो आकाश, नकारात्मक शक्तियां ना हो आपके आसपास, इस धनतेरस पूरी हो आपकी हर आस, हैप्पी धनतेरस