रंगोली एक आर्ट है जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी। घर में या दरवाज़े पर रंगोली बनने के लिए रंग बिरंगे रंगों उपयोग किया जाता है।
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रंगोली बनाने के पीछे एक पौराणिक इतिहास है। लोपामुद्रा ऋषि (ऋषि) अगस्त्य की पत्नी थीं। वह और उसका पति दूसरों से दूर, एक दूरस्थ स्थान पर रहते थे।
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लोग उन्हें साधु के रूप में वर्णित करते हैं। उन्होंने हिंदू धर्म के प्रसिद्ध पवित्र ग्रंथ ऋग्वेद के 2 भाग भी लिखे।
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कहानी इस प्रकार है, लोपामुद्रा देवताओं की पूजा करते समय अपने पति की मदद करना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने रंगोली बनाना शुरू किया।
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उसने यज्ञकुंड के चारों ओर एक रंगोली बनाई, जो कि पूजा का स्थान था।
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इस रंगोली को बनाने के लिए, लोपामुद्रा ने पंचतत्व (पंच तत्व - हवा, आकाश, जल, पृथ्वी, अग्नि) से उसे रंग देने के लिए कहा था जिससे वह अपने पति की मदद कर सके।
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वह आसमान से नीला, मिट्टी से काला, पानी से हरा, आग से लाल और हवा से सफेद इकट्ठा कर सकती थी।
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इस प्रकार, रंगोली में उपयोग किए जाने वाले रंग हमारे जीवन में शक्ति, स्थिरता, सकारात्मकता आदि जैसे विभिन्न तत्वों को लाने के लिए जाने जाते हैं।