Speech on Makar Sankranti in Hindi: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे हर साल 14 या 15 जनवरी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में विभिन्न नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है, जैसे कि उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति, दक्षिण भारत में पोंगल, और अन्य हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मकर संक्रांति का मुख्य आकर्षण तिल और गुड़ से बने स्वादिष्ट व्यंजन, पतंगबाजी और सामाजिक मेलजोल होते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, तिल-गुड़ खाते हैं और नए साल की शुरुआत का आनंद लेते हैं। छात्रों को मकर संक्रांति पर भाषण देने का अवसर भी दिया जाता है, ताकि वे इस त्योहार के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और मौसमी महत्व को समझ सकें। इस ब्लॉग में, मकर संक्रांति पर भाषण (Makar Sankranti Speech in Hindi) के कुछ सैंपल प्रस्तुत किए गए हैं, जो आपको इस त्योहार से जुड़ी परंपराओं और महत्व को सही तरीके से समझने में मदद करेंगे।
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मकर संक्रांति पर भाषण 100 शब्दों में
मकर संक्रांति पर भाषण (Speech on Makar Sankranti in Hindi) 100 शब्दों में इस प्रकार है:
आप सभी प्रियजनों को मेरा नमस्कार, आज, मैं मकर संक्रांति के बारे में बात करने के लिए यहाँ आया हूँ। यह एक ऐसा त्योहार है जो देश में ऋतु परिवर्तन और नई फसल के आगमन पर मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो लंबे दिन शुरू होते हैं और यह नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति हमारे पूरे भारत में विभिन्न तरीकों से हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाई जाती है। मकर संक्रांति को पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। गुजरात राज्य में इस दिन पर पतंग उड़ाने का रिवाज़ है। इस दिन पर घरों में तिल के लड्डू और गुड़ की पारंपरिक मिठाइयाँ बनाते हैं। यह रिश्तों में गर्मजोशी और मिठास का प्रतीक माना जाता है। आइए मकर संक्रांति मनाएं और अपने आस-पास खुशियाँ फैलाएँ।
धन्यवाद।
आप सभी को मकर संक्रांति की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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मकर संक्रांति पर भाषण 200 शब्दों में
मकर संक्रांति पर भाषण (Speech on Makar Sankranti in Hindi) 200 शब्दों में इस प्रकार है:
आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, समस्त शिक्षकगण, अतिथिगण और मेरे सभी साथियों को मेरा नमस्कार। आप सभी को मकर संक्रांति की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज हम यहां मकर संक्रांति मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं। आप सभी के सामने मकर संक्रांति पर अपने विचार प्रकट करने पर मुझे अत्यंत खुशी महसूस हो रही है। मकर संक्रांति का त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी के दिन आता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को उत्तरायण भी कहा जाता है। यह त्योहार प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। यह हर साल एक ही तिथि पर पड़ता है। यह त्योहार सौर चक्रों पर निर्भर करता है। भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है।
इस दिन की मान्यता है कि गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से भक्तों के जीवन में समृद्धि और खुशियाँ आती हैं। मकर संक्रांति पूरे देश में अलग-अलग नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाई जाती है लेकिन लगभग सभी का भाव एक ही रहता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल कहा जाता है। इसे असम में माघ बिहू के नाम से जाना जाता है। गुजरात में यह उत्तरायण, पंजाब और हरियाणा में माघी नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर चावल, गेहूं, मिठाई दान करने से व्यक्ति को समृद्धि मिलती है। और क्या आप जानते हैं कई स्थानों पर तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों के बिना मकर संक्रांति अधूरी है। लोग इनसे गजक, चिक्की, तिल के लड्डू आदि जैसी मिठाइयाँ बनाते हैं। इस दिन परिवार और दोस्तों के साथ मिठाइयाँ बांटी जाती है। मकर संक्रांति पर आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भी भर जाता है। मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जिसका सभी लोग आनंद लेते हैं। आइए हम सभी मिलकर मकर संक्रांति मनाएं।
धन्यवाद।
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मकर संक्रांति पर भाषण 500 शब्दों में
मकर संक्रांति पर भाषण (Speech on Makar Sankranti in Hindi) 500 शब्दों में इस प्रकार है:
आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, समस्त शिक्षकों, प्रिय मित्रों और यहाँ उपस्थित सभी लोगों को मेरा नमस्कार। आज, मुझे सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक मकर संक्रांति के बारे में बात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने वाला यह त्योहार एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि प्रकृति से हमारे जुड़ाव के महत्व और जीवन में बदलाव की भी याद दिलाता है। भारत में मकर संक्रांति हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाई जाती है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। यह शीतकालीन संक्रांति के अंत और लंबे और गर्म दिनों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति भारत के हर कोने में अनूठी परंपराओं के साथ मनाई जाती है। यह देश की अविश्वसनीय विविधता को भी दर्शाती है।
मकर संक्रांति शब्द दो शब्दों मकर और संक्रांति से मिलकर बना है। इसका अर्थ है मकर राशि और संक्रांति का मतलब होता है संक्रमण। मकर संक्रांति का मतलब है सूर्य का मकर राशि में संक्रमण से है। यह अवसर हिंदू धर्म के अनुसार बहुत पवित्र और शुभ अवसर माना जाता है। भारत में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना दैवीय महत्व रखता है। हम भारतीय मानते हैं मकर संक्रांति के समय पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने से आपके सभी पाप धुल जाते हैं। माना जाता है कि इससे आत्मा शुद्ध और धन्य हो जाती है। यह त्योहार हमारे आध्यात्मिक प्रकाश की वृद्धि का प्रतीक है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार मकर संक्रांति के दिन से दिन का समय अधिक हो जाता है और रातें छोटी हो जाती है। भारतीय संस्कृति में यह मान्यता है कि कुंभ मेले के दौरान मकर संक्रांति पर प्रयागराज में पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने का धर्म में बहुत महत्व है। त्रिवेणी संगम में तीन पवित्र नदियाँ गंगा, यमुना और ब्रह्मपुत्र मिलती हैं। कहते हैं कि यदि आप नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं तो आपके जीवन के सभी पाप और बाधाएँ नदी के प्रवाह के साथ बह जाती है।
धार्मिक और आध्यात्मिक होने के साथ यह त्योहार स्वादिष्ट व्यंजनों का भी त्योहार है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से व्यंजन बनाए जाते हैं। मकर संक्रांति पर पतंगबाजी भी की जाती है। दिन के समय लोग पतंगबाजी का आनंद लेते हैं। इस दिन आसमान रंग-बिरंगी और अलग-अलग डिजाइन वाली पतंगों से भर जाता है। मकर संक्रांति देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। इसे अलग अलग नामों से भी जाना जाता है। देश में हर क्षेत्र अपने-अपने रिवाज के साथ इसे मनाता है। लेकिन सबका भाव एक समान ही रहता है। भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य भी किया जाता है। इस दिन लोगों को गेहूं, चावल और मिठाई दान में दिए जाते हैं।
मकर संक्रांति केवल मौसमी परिवर्तन का उत्सव नहीं है, बल्कि नवीनीकरण का त्योहार है। यह हमें परिवर्तन को अपनाना और प्रकृति से जुड़े रहने के लिए आभारी होना सिखाता है। आइए हम खुशियाँ बाँटें और एक उज्जवल कल के लिए मिलकर काम करें।
आप सभी को मकर संक्रांति की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
धन्यवाद।
मकर संक्रांति पर भाषण कैसे दें?
मकर संक्रांति पर भाषण देने के लिए कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:
- भारत की शुरुआत में श्रोताओं का गर्मजोशी से स्वागत के साथ शुरुआत करें।
- अपना परिचय देकर श्रोताओं को अपने विषय के बारे में बताएं।
- श्रोताओं को मकर संक्रांति के धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में बताएं।
- देश में मकर संक्रांति की क्षेत्रीय विविधताओं का उल्लेख करें। विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति मनाने के तरीके पर संक्षेप में वर्णन करें।
- भाषण में मकर संक्रांति की सामान्य प्रथाओं का वर्णन करें।
- एक प्रेरक संदेश के साथ अपने भाषण का विनम्रता से समापन करें।
- श्रोताओं का धन्यवाद करें और उन्हें मकर संक्रांति की शुभकामनाएं दें।
- भाषण को तैयार करने के बाद अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उसका अभ्यास करें।
FAQs
मकर संक्रांति सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर यात्रा करने का उत्सव है, जिसे एक शुभ अवसर माना जाता है। ‘मकर’ का अर्थ है मकर राशि और ‘संक्रांति’ का अर्थ है परिवर्तन। इस दिन ज्योतिषीय विन्यास को ‘महा-स्नान-योग’ कहा जाता है, जो विशेष धार्मिक महत्व रखता है।
मकर संक्रांति ऋतुओं के परिवर्तन का प्रतीक है, यह सर्दियों का अंत और हल्के, गर्म दिनों की शुरुआत का संकेत देता है। इस दिन सूर्य की पूजा की जाती है, ताकि हम सौर ऊर्जा के लिए आभार व्यक्त कर सकें। संक्रांति के बाद दिन लंबे होते हैं और सूर्य की किरणें तेज़ होती हैं।
मकर संक्रांति का महत्व यह है कि यह हमें यह याद दिलाता है कि गति का जश्न तभी मुमकिन है जब हमारे भीतर स्थिरता और संतुलन हो। यह आत्म-चिंतन का समय है, जब हम अपने भीतर की ऊर्जा को समझने का प्रयास करते हैं।
यह त्योहार हमें नई शुरुआत का प्रतीक प्रदान करता है। मकर संक्रांति भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है और इसे फसल उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, जो समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।
मकर संक्रांति हिंदू भगवान विष्णु के अंतिम अवतार, कल्कि के आगमन से भी जुड़ी है। यह दिन आध्यात्मिक साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, और लोग इस दिन पवित्र नदियों, जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में स्नान करते हैं।
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा सूर्य की किरणों के संपर्क में आने के उद्देश्य से होती है। यह परंपरा मानती है कि सूर्य की किरणों से त्वचा संक्रमण और सर्दियों से जुड़ी बीमारियों से राहत मिलती है।
मकर संक्रांति पर लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं, क्योंकि पीला रंग सूर्य की किरणों और एक नई ऊर्जा का प्रतीक होता है। इस दिन पीला रंग शुभता और समृद्धि का संकेत माना जाता है।
मकर संक्रांति पर तिल के बीज, जिन्हें हिंदी में ‘तिल’ कहा जाता है, का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, तिल अमरता का प्रतीक माने जाते हैं। इस दिन तिल से बनी मिठाइयाँ परिजनों और दोस्तों को दी जाती हैं, जो प्रेम और समृद्धि का प्रतीक होती हैं।
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