Speech on Lala Lajpat Rai in Hindi: लाला लाजपत राय पर भाषण 

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Speech on Lala Lajpat Rai in Hindi

Speech on Lala Lajpat Rai in Hindi: लाला लाजपत राय को शेरे पंजाब और पंजाब केसरी के नाम से जाना जाता है। पंजाब के फिरोजपुर में जन्मे लाला लाजपत राय ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका जीवन हमें न केवल साहस बल्कि राष्ट्र के प्रति प्रेम भी दिखाता है। छात्रों को लाला लाजपत राय पर भाषण दिए जाते हैं ताकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और उनके मूल्यों के बारे में उन्हें शिक्षित किया जा सके। उनकी अटूट प्रतिबद्धता छात्रों को भारत की स्वतंत्रता के लिए दिए गए बलिदानों के बारे में सिखाती है। इस ब्लॉग में छात्रों की मदद के लिए लाला लाजपत राय पर भाषण (Lala Lajpat Rai Speech in Hindi) के कुछ सैंपल दिए गए हैं। 

लाला लाजपत राय पर 100 शब्दों में भाषण

लाला लाजपत राय पर 100 (Lala Lajpat Rai Speech in Hindi) शब्दों में भाषण इस प्रकार है:

मान्यवर प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों, सुप्रभात! 

आज मैं महान स्वतंत्रता सेनानी, पंजाब केसरी, लाला लाजपत राय के बारे में कुछ शब्द कहना चाहता हूं। लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब में हुआ था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नेता थे और लाल-बाल-पाल की तिकड़ी का हिस्सा थे। उन्होंने भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रेरित किया। 1928 में साइमन कमीशन का विरोध करते हुए उन्हें लाठीचार्ज का शिकार होना पड़ा, जिससे वे बुरी तरह घायल हो गए थे। उनका जीवन समर्पण, संघर्ष और साहस का प्रतीक है। आइए, हम उनके आदर्शों पर चलें।
धन्यवाद।

यह भी पढ़ें: ‘पंजाब केसरी’ लाला लाजपत राय का जीवन परिचय – Lala Lajpat Rai Biography in Hindi

लाला लाजपत राय पर 200 शब्दों में भाषण

लाला लाजपत राय पर 200 (Lala Lajpat Rai Speech in Hindi) शब्दों में भाषण इस प्रकार है:

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, समस्त शिक्षकगण, अतिथिगण और यहां उपस्थित सभी साथियों को मेरा सुप्रभात। आज मुझे भारतीय स्वतंत्रता संगामी लाला लाजपत राय के बारे में अपने विचार साझा करने का अवसर मिला है। लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मंसा जिले में हुआ था। उनका शिक्षा जीवन लाहौर के सरकारी कॉलेज से जुड़ा था, जहां उन्होंने देश और समाज के लिए काम करने का प्रण लिया। उनके जीवन में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष और बलिदान की भावना हमेशा मौजूद रही।

लाला लाजपत राय ने असहयोग आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन और कई अन्य स्वतंत्रता संग्रामों में सक्रिय भूमिका निभाई। 1928 में, साइमन कमीशन का विरोध करते हुए उन्हें लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। उनका जीवन देश के लिए समर्पित था, और उन्होंने हमेशा भारतीय समाज के उत्थान और जागरूकता के लिए काम किया।

लाला लाजपत राय का संघर्ष और बलिदान हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता के लिए एकजुटता और दृढ़ निश्चय की आवश्यकता होती है। उनकी नीतियों और विचारों से हमें सशक्त बनाने की प्रेरणा मिलती है। हमें उनके आदर्शों से प्रेरणा लेकर अपने देश की सेवा करनी चाहिए।

धन्यवाद।

यह भी पढ़ें: शेर ए पंजाब और पंजाब केसरी कहे जाने वाले लाला लाजपत राय पर निबंध 

लाला लाजपत राय पर 500 शब्दों में भाषण

लाला लाजपत राय पर 500 (Speech on Lala Lajpat Rai in Hindi) शब्दों में भाषण इस प्रकार है:

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण, माननीय अतिथिगण और मेरे प्यारे मित्रों आप सभी को सुप्रभात। 

आज मैं भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक लाला लाजपत राय के बारे में बात करने आया हूँ। वे साहस, देशभक्ति और बलिदान का पर्याय माने जाते हैं। लाला लाजपत राय ने अपना जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया था। उनका योगदान आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। वे 28 जनवरी 1865 को पंजाब के धुडीके गाँव में जन्मे थे। उनका जीवन समाज की बेहतरी के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने के बारे में भी सिखाता है।

लाला लाजपत राय के पिता श्री राधा कृष्ण उर्दू और फ़ारसी के अध्यापक और माता श्रीमती गुलाबी देवी बहुत ही घार्मिक प्रवृति की महिला थीं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने 1880 में लाहौर के सरकारी कॉलेज में प्रवेश लिया था। तब उन्होंने लॉ कॉलेज में भी दाखिला ले लिया था। वर्ष 1883 में उन्होंने मुख्तारी के लिए लाइसेंस लेकर लुधियाना के राजस्व न्यायलय में वकालत आरंभ कर दी थी। वकील बनने के बाद उन्होंने हिसार में अपनी वकालत की थी। 

आप सभी की जानकारी के लिए बता दूं कि वर्ष 1882 में 17 वर्ष की आयु वे उन्होंने आर्य समाज में शामिल हो गए थे। उन्होंने पंजाब के दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज की स्थापना में अपना अहम योगदान दिया था। उन्होंने 1897 और 1899 में देश में आए अकाल के समय और 1905 में कांगडा में आए भूकंप में पूरे तन, मन, घन से सेवा की थी। लाहौर अधिवेशन 1893 में लाला लाजपत राय का परिचय महान स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक से हुआ था। वे तीनों आगे चलकर घनिष्ठ मित्र बन गए थे। इसके बाद इन तीनों ने मिलकर गरम दल के नेताओं की तिकड़ी बनाई। उनकी तिकड़ी को ‘लाल-बाल-पाल’ के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1905 के बंगाल विभाजन के विरोध के कारण लाल-बाल-पाल का नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। लाला लाजपत राय ने 19 मई 1894 को लाहौर में देश के प्रथम ‘पंजाब नेशनल बैंक’ की नींव भी रखी थी। इस बैंक में पहला खाता लाला लाजपत राय ने खुलवाया था। ‘स्वदेशी’ के प्रचार ने उन्हें पंजाब में भी बहुत लोकप्रिय बना दिया था। उस समय उनके द्वारा किए गए विरोधों के चलते ब्रिटिश हुकूमत उन्हें अपना दुश्मन मानने लगी थी। उस समय लालाजी को 9 मई 1907 को गिरफ्तार कर लिया और मांडले, बर्मा भेज दिया गया। 

वर्ष 1927 में जब साइमन कमीशन का जबरदस्त विरोध हुआ तब पंजाब में इस आंदोलन की कमान लाला लाजपत राय ने संभाल रखी थी। इसी दौरान अंग्रेज पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज कर दी जिससे लाला लाजपत राय बुरी तरह घायल हो गए थे। तब उन्होंने कहा था “मुझ पर किया गया लाठी का एक एक प्रहार अंग्रेजी साम्राज्यवाद के ताबूत में एक एक कील ठोकने के बराबर है।” जख्मों की वजह 17 नवंबर 1928 को उन्होंने इस दुनिया से अलविदा कह दिया। 

आइए लाला लाजपत राय से प्रेरणा लेकर हम अपने देश की प्रगति और एकता की दिशा में काम करके उनका सम्मान करें।

धन्यवाद।

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लाला लाजपत राय पर भाषण कैसे दें?

लाला लाजपत राय पर भाषण देने के लिए आप इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं:

  • अपने भाषण को श्रोताओं के अभिवादन के साथ शुरू करें।
  • अभिवादन के बाद श्रोताओं को अपना परिचय दें और अपने भाषण के विषय के बारे में बताएं।
  • भाषण में लाला लाजपत राय के जीवन के मुख्य बिंदु शामिल करें। 
  • उनके जन्म, धुडीके, पंजाब, प्रारंभिक शिक्षा, साइमन कमीशन के विरोध सहित स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका, लाल-बाल-पाल तिकड़ी के साथ उनका जुड़ाव, शिक्षा और सामाजिक सुधारों में योगदान के बारे में बताएं। 
  • 17 नवंबर 1928 को लाठीचार्ज में घायल होने के बाद उनकी असामयिक मृत्यु और देश के लिए दिए उनके बलिदान की जानकारी प्रदान करें। 
  • अपने भाषण को तीन स्पष्ट भागों में विभाजित करें: प्रारंभिक भाग, मध्य भाग और अंतिम भाग।
  • उनकी ज़िंदगी से हम जो सबक सीख सकते हैं, उन पर ज़ोर दें: न्याय के लिए खड़े होना, देश की सेवा करना और शिक्षा को महत्व देना आदि।
  • लाला लाजपत राय पर भाषण तैयार करने के बाद अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए भाषण को अभ्यास करें। स्थिर गति और आत्मविश्वासपूर्ण लहज़ा बनाए रखें।

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FAQs

लाला लाजपत राय कौन थे?

लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, हिंदू सुधार आंदोलनों और आर्य समाज के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के एक दिग्गज नेता थे, जिन्होंने अपनी पीढ़ी के युवाओं को प्रेरित किया और पत्रकारीय लेखन और अग्रणी सक्रियता के साथ उनके दिलों में देशभक्ति की छिपी भावना को जगाया।

लाला लाजपत राय का उपनाम क्या है?

वह पंजाब केसरी के नाम से लोकप्रिय थे, और ‘पंजाब दा शेर’ के नाम से भी प्रसिद्ध थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘पंजाब का शेर’।

लाला लाजपत राय को पंजाब का शेर क्यों कहा जाता है?

लाला लाजपत राय को ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनके विरोध और राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए पंजाब केसरी या पंजाब के शेर के रूप में जाना जाता है। लाला लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और देश के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे।

लाला लाजपत राय का जन्म कब हुआ था?

लालाजी का जन्म 28 जनवरी 1865 को धुडीके (वर्तमान फिरोज़पुर जिला) पंजाब में हुआ था। 

लाला लाजपत की मृत्यु कैसे हुई थी?

साइमन कमीशन के विरोध प्रदर्शन में ‘जे.पी. सॉन्डर्स’ द्वारा किए गए लाठी चार्ज के दौरान घायल होने से उनकी मृत्यु हुई थी। 

लाला लाजपत राय के सहयोगी कौन थे?

बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल उनके सहयोगी थे। 

लाला लाजपत राय की पत्नी का नाम क्या था?

लाजपत राय की पत्नी का नाम राधा देवी अग्रवाल था।

लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज कब हुआ?

30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ एक विशाल प्रदर्शन चल रहा था। इसमें लाला लाजपत राय ने भी हिस्सा लिया था। इस दौरान अंग्रेज सिपाहियों ने उनपर लाठियां बरसाईं थीं, जिसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे।

लाला लाजपत राय की मृत्यु कब हुई?

लाला लाजपत राय की मृत्यु 17 नवंबर 1928 को हुई थी। 

लाला लाजपत राय का सामाजिक कार्य में क्या योगदान रहा?

लाला लाजपत राय ने शिक्षा, सामाजिक सुधार और स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, जाति प्रथा उन्मूलन और राष्ट्रीय जागरूकता को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों ने स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान की थी।

लाला लाजपत राय के गुरु कौन थे?

लाला लाजपत राय ने मैजिनी को अपना राजनीतिक गुरू माना था। मैजिनी इतालवी राष्ट्रवादी थे जो 1848 में इटली के तानाशाह बने। उन्होंने एक स्वतंत्र व एकीकृत इटली की वकालत की।

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