Similipal Rashtriya Udyan: सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा राज्य के मयूरभंज ज़िले में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान सुंदर और जैव विविधता से भरपूर संरक्षित क्षेत्र है। इस राष्ट्रीय उद्यान में प्रकृति अपने पूर्ण वैभव में दिखाई देती है। उद्यान के भीतर घने जंगल, बहती नदियाँ, ऊँचे पहाड़ और अनेक वन्यजीवों का आश्रय स्थल है। बाघ, हाथी और तेंदुए जैसे दुर्लभ जानवर इस राष्ट्रीय उद्यान की पहचान है। इस ब्लॉग में सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान (Similipal Rashtriya Udyan) के इतिहास, महत्व और आकर्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। कई बार यूपीएससी और राज्य संबंधित परीक्षाओं में इस राष्ट्रीय के बारे में पूछा जाता है। यदि आप भी इस उद्यान के बारे में जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
उद्यान का नाम | सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान |
स्थान | मयूरभंज ज़िला, ओडिशा, भारत |
स्थापना वर्ष | 1980 (राष्ट्रीय उद्यान के रूप में) |
टाइगर रिज़र्व घोषित | 1973 (प्रोजेक्ट टाइगर के तहत) |
क्षेत्रफल | लगभग 2750 वर्ग किमी |
प्रसिद्ध झरने | जोरंडा जलप्रपात, बरेहिपानी जलप्रपात |
उँची चोटियाँ | खैरीबुरु और मेघाशिनी (1515 मीटर ऊँचाई) |
प्रमुख नदियाँ | बुरहाबलंगा, पलपला, बंदन, सलांडी, काहैरी, देव |
वन्यजीव | बाघ, हाथी, तेंदुआ, गौर, हिरण, अजगर, पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ |
पर्यटन के लिए उपयुक्त समय | नवंबर से जून |
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सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के मयूरभंज जिले के उत्तरी हिस्से में स्थित है। सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान का नाम ‘सिमुल’ नामक वृक्ष से लिया गया है। सिमुल एक रेशमी कपास का पेड़ होता है। यह उद्यान बहुत सुंदर और जैव विविधता से भरपूर है। इस राष्ट्रीय उद्यान में बल्कि एक टाइगर रिज़र्व भी है जिसे सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है।
यह उद्यान लगभग 2750 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। जोरंडा और बरेहिपानी जैसे शानदार झरने इस उद्यान की प्राकृतिक सुंदरता को और भी खास बनाते हैं। इस क्षेत्र की भौगोलिक बनावट भी काफी आकर्षक है। उद्यान में चारों ओर ऊँचे पठार और पहाड़ियाँ हैं, जिनमें खैरीबुरु और मेघाशिनी नाम की जुड़वाँ चोटियाँ सबसे ऊँची हैं। ये समुद्र तल से करीब 1515 मीटर ऊपर स्थित हैं। सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान कई नदियों का उद्गम स्थल भी है।
उद्यान से कम से कम बारह नदियाँ निकलती हैं। ये नदियां मैदानी इलाकों को पार करती हुई अंततः बंगाल की खाड़ी में जा मिलती हैं। इन प्रमुख नदियों में बुरहाबलंगा, पलपला, बंदन, सलांडी, काहैरी और देव शामिल हैं।
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान की भौगोलिक स्थिति, जलवायु और क्षेत्र
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान (Similipal Rashtriya Udyan) ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले के उत्तरी भाग में स्थित है। उद्यान पूर्वी घाट की पर्वतमालाओं में स्थित है। इसका नाम सिमुल रेशमी कपास के पेड़ से लिया गया है, जो इस क्षेत्र में बहुतायत में पाया जाता है।
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल लगभग 2750 वर्ग किलोमीटर है। उद्यान से लगभग 845.70 वर्ग किलोमीटर कोर ज़ोन है। शेष क्षेत्र बफर ज़ोन के रूप में कार्य करता है। यह उद्यान सिमिलिपाल बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है।
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान में जलवायु उष्णकटिबंधीय प्रकार की है। जलवायु में गर्मी, सर्दी और मानसून तीनों ऋतुएँ स्पष्ट रूप से देखी जाती हैं। मार्च से जून में गर्मी में तापमान 35°C तक पहुँच सकता है। जुलाई से सितंबर के दौरान मानसून में अच्छी वर्षा होती है। यह समय वनस्पतियों और नदियों को जीवन प्रदान करती है। अक्टूबर से फरवरी में सर्दी के समय में तापमान 10°C से 20°C के बीच रहता है, जो घूमने के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है। उद्यान से 12 से अधिक प्रमुख नदियां बहती है। बुरहाबलंगा, पलपला, सलांडी, बंदन और काहैरी प्रमुख हैं। उद्यान में बरेहिपानी और जोरंडा जैसे सुंदर झरने भी स्थित हैं।
सिमिलिपाल ऊँचे पठारों और पहाड़ियों से घिरा हुआ क्षेत्र है। सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान की सबसे ऊंची छोटी मेघाशिनी है जोकि 1515 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास इस प्रकार है:
- सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान एक समय पर शाही परिवार के शिकार स्थल के रूप में जाना जाता था। समय के साथ इसकी पहचान बदलती गई।
- साल 1973 इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत आधिकारिक रूप से टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था।
- साल 1986 में इस क्षेत्र का क्षेत्रफल बढ़ाकर 845.70 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया था। बाद में यह एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित हो गया।
- भारत सरकार के द्वारा इसे 1994 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित कर दिया था।
- मई 2009 में यूनेस्को के द्वारा भी इसे अपनी बायोस्फीयर रिजर्व की सूची में शामिल कर लिया गया था।
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान (Similipal Rashtriya Udyan) के प्रमुख आकर्षण यहां दिए गए हैं:
- मेघाशिनी और खैरीबुरु ये दोनों पर्वत चोटियाँ ट्रेकिंग प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
- यह राष्ट्रीय उद्यान विशेष रूप से बाघों और एशियाई हाथियों के कारण लोगों को आकर्षित करता है।
- उद्यान में जोरंडा और बरेहिपानी झरने स्थित हैं। यह दो खूबसूरत और ऊँचे झरने पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं।
- उद्यान के पशु-पक्षी भी यहां का प्रमुख आकर्षण हैं। यहां तेंदुआ, जंगली कुत्ता, गौर, चीतल, सांभर, भालू, लंगूर, मोर और कई प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं।
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पति और जीव जंतु
सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता से भरपूर एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक क्षेत्र है। सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पति और जीव जंतु इस प्रकार है:
वनस्पति
- साल (Shorea robusta): प्रमुख वृक्ष प्रजाति
- सिमुल (Silk Cotton Tree): जिसके नाम पर यह उद्यान नामित है।
- अर्जुन, असन, पियाल, हल्दु, करंज, तेंदू आदि।
जीव-जंतु
- यह वन्य मेलेनिस्टिक बाघों का विश्व का एकमात्र उद्यान है। इसमें 40 रॉयल बंगाल टाइगर, ओडिशा के 25% हाथी और 104 आर्किड प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- स्तनधारी जानवरों में बंगाल टाइगर, भारतीय हाथी, तेंदुआ, भालू, गौर, हिरण, चिंकारा, बाघिन, जंगली सूअर आदि।
- पक्षियों में मोर, धनेश, जंगल मैना, वुडपेकर और ईगल आदि।
- मुख्य सरीसृपों में अजगर, कोबरा, मॉनिटर लिज़र्ड, विभिन्न प्रकार की छिपकलियाँ और कछुए शामिल है।
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के बारे में
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व, भारत के ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले में स्थित एक प्रमुख बाघ अभयारण्य है। सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व को विशेष रूप से बाघों के संरक्षण के लिए विकसित किया गया है। यह प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 1973 में आरक्षित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया गया था। 1973 से यह बाघों की प्राकृतिक आबादी को संरक्षित करने के लिए समर्पित है। सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व का मूल उद्देश्य बंगाल टाइगर की प्रजाति की रक्षा और उनका सुरक्षित आवास सुनिश्चित करना था। यह टाइगर रिजर्व लगभग 2750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें 845.70 वर्ग किमी का कोर एरिया राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संरक्षित है।
सिमिलिपाल बायोस्फीयर रिज़र्व से के बारे में
सिमिलिपाल के वन साल वृक्षों, नम पर्णपाती और अर्द्ध-सदाबहार वृक्षों का मिश्रण हैं। सिमिलिपाल बायोस्फीयर रिज़र्व का क्षेत्र न केवल वनस्पति और जीव-जंतुओं की विविधता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ के पारंपरिक जनजातीय जीवन, पर्वतीय भूगोल और जलवायु भी इसे विशेष बनाते हैं। सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान को भारत सरकार द्वारा 1994 में बायोस्फीयर रिज़र्व घोषित किया गया था। यूनेस्को ने इसे 2009 में विश्व बायोस्फीयर रिज़र्व नेटवर्क में शामिल किया था। सिमिलिपाल बायोस्फीयर रिज़र्व कुल क्षेत्रफल का लगभग 5569 वर्ग किमी है। सिमिलिपाल बायोस्फीयर रिज़र्व का क्षेत्र साल, टीक, सिमुल और अन्य वनस्पतियों से घिरा हुआ है। रिज़र्व में लगभग 1076 पौधों की प्रजातियाँ, 362 पक्षी, 55 स्तनपायी, 62 सरीसृप, और 21 उभयचर यहाँ पाये जाते हैं।
FAQs
सिमिलिपाल, जिसका नाम ‘सिमुल’ (रेशमी कपास) वृक्ष से लिया गया है, उड़ीसा के मयूरभंज जिले के उत्तरी भाग में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व है। टाइगर रिजर्व 2750 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसमें जोरंडा और बरेहिपानी जैसे कुछ खूबसूरत झरने हैं।
सिमलीपाल हाथी रिजर्व का मुख्य उद्देश्य जंगली एशियाई हाथियों को सुरक्षित रखना है, जिसके लिए भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 1992 में हाथी परियोजना निर्धारित की गई है। इसमें तीन हाथी रिजर्व भी शामिल हैं जो सिमलीपाल से कुलडीहा तक शुरू होते हैं और हदगढ़ हाथी पुनर्वास संरक्षित क्षेत्रों के साथ समाप्त होते हैं।
ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित सिमिलिपाल, जंगली मेलेनिस्टिक बाघों का विश्व का एकमात्र घर है, जिसमें 40 रॉयल बंगाल टाइगर, ओडिशा की 25% हाथी आबादी और 104 आर्किड प्रजातियां निवास करती हैं, जिनमें से कई इस क्षेत्र के लिए स्थानिक हैं।
भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान और सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के दो राष्ट्रीय उद्यान हैं।
सिमलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व भारत सरकार द्वारा 22 जून 1994 को अधिसूचित किया गया था और इसे 2009 में यूनेस्को टैग दिया गया था। रिजर्व में सिमिलिपल पर्वत श्रृंखला शामिल है, जिसमें 40 मीटर से लेकर 1168 मीटर तक की ऊंचाई वाली चोटियां हैं। घने उष्णकटिबंधीय जंगलों में कई झरने और कई छोटी बारहमासी धाराएँ हैं।
सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान का नाम इस क्षेत्र में उगने वाले लाल रेशमी कपास के पेड़ों की प्रचुरता से पड़ा है। यह पार्क बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, गौर और चौसिंघा का घर है। यह संरक्षित क्षेत्र 2009 से यूनेस्को विश्व नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है।
ज्वालामुखीय तलछटी चट्टानें तीन संकेंद्रित वलयों में संरेखित हैं और क्षेत्र की भूगर्भीय संरचनाओं को उभारती हैं। सिमिलिपाल पहाड़ी श्रृंखला की सबसे ऊँची चोटी खैरीबुरु (1,168 मीटर) है। कई झरने और बारहमासी धाराएँ प्रमुख नदियों में बहती हैं, जैसे कि बुधबलंग, बैतरणी और सुवर्णरेखा।
सिमिलिपाल पहाड़ी श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी खैरीबुरू (1,168 मीटर) है। कई झरने और बारहमासी नदियाँ प्रमुख नदियों में बहती हैं, जैसे बुधबलंग, बैतरणी और सुवर्णरेखा। बायोस्फीयर रिज़र्व में पूरे भारत में साल का सबसे बड़ा क्षेत्र है।
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