Satpura Rashtriya Udyan: सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में स्थित है। इसकी स्थापना साल 1981 में की गई थी। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान अपने समृद्ध घने जंगलों, शांत नदियों और दुर्लभ वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है। सतपुड़ा भारत के सबसे पुराने आरक्षित वनों में से एक हैं। सतपुड़ा का जंगल मध्य भारतीय परिदृश्य की सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के भीतर एक विशाल शांत संरक्षित क्षेत्र है। यह उद्यान सतपुड़ा पहाड़ियों की गोद में बसा है और इसका नाम भी इन्हीं पहाड़ियों से लिया गया है। सतपुड़ा संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ है सात तह या सात पहाड़ियाँ। यह उद्यान मध्य प्रदेश का पहले बायोस्फीयर रिजर्व भी है।
यह ब्लॉग सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान (Satpura Rashtriya Udyan) से जुड़ी जानकारी जैसे इतिहास, भौगोलिक विशेषताएँ, वन्यजीव, संरक्षण प्रयास और पर्यटन की सामान्य जानकारी प्रस्तुत करता है। यह जानकारी सामान्य ज्ञान बढ़ाने और विभिन्न शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उपयोगी हो सकती है।
उद्यान का नाम | सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान |
स्थान | होशंगाबाद ज़िला, मध्य प्रदेश, भारत |
स्थापना वर्ष | 1981 |
पर्वतीय क्षेत्र | सतपुड़ा पर्वतमाला |
क्षेत्रफल | लगभग 524 वर्ग किलोमीटर |
प्रमुख वन्यजीव | बाघ, तेंदुआ, भालू, जंगली कुत्ता, चीतल, सांभर |
पक्षी प्रजातियाँ | सींगवाला गिद्ध, जंगल मैना, हॉर्नबिल, उल्लू |
प्रमुख वनस्पति | साल, सागौन, बाँस, बेल, महुआ, टर्मिनेलिया |
घूमने का सर्वोत्तम समय | अक्टूबर से अप्रैल |
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सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान को सतपुड़ा टाईगर रिज़र्व के नाम से भी जाना जाता है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश राज्य के होशंगाबाद जिले में स्थित है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का कोर जोन क्षेत्र 1339.26 वर्ग किलोमीटर है। बफर जोन क्षेत्र 794.04 वर्ग किलोमीटर है। इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्र 2133.30 वर्ग किलोमीटर है। सतपुडा राष्ट्रीय उद्यान नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित सतपुडा पर्वतमाला क्षेत्र में जैव विविधता से समृद्ध एक वनक्षेत्र है। यह राष्ट्रीय उद्यान अनेकों लुप्त प्राय: प्रजातियों का घर है।
साल 1999 में सतपुडा टाईगर रिजर्व को मध्यप्रदेश के प्रथम बायोस्फियर रिजर्व के रूप में घोषित किया गया था। सतपुड़ा में पचमढी पठार पर साल के घने वन और इसके निचले समतल क्षेत्र में सागौन मिश्रित उच्च श्रेणी के वन पाए जाते हैं। इस उद्यान में हिमालयीन क्षेत्र की 26 एवं नीलगिरी क्षेत्र की 42 प्रजातियॉं पाई जाती हैं। यह उद्यान बाघों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।
भागों के साथ यह क्षेत्र 14 और लुप्त प्राय: प्रजातियों का घर है। इन लुप्त प्राय: प्रजातियों में उडनगिलहरी, जायंट स्क्वीरल, इंडियन स्कीमर, ब्लैक बेलीड टर्न, लिफ नोजड बैट शामिल है।
सतपुड़ा में लगभग 300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियॉं पायी जाती है। इन पक्षी प्रजातियों में मालाबार पाइड हार्नबिल, मालाबार व्हिसलिंग थ्रश एवं मध्यप्रदेश का राज्य पक्षी दूधराज शामिल है। बार हेडेड गीज, पिनटेल, स्पाट बिल, स्पून बिल, सुरखाब जैसे प्रवासी पक्षी भी ठंड के समय यहां बडे समूह में आते हैं। इस क्षेत्र में कभी कभार यूरेशियन ऑटर भी दिखाई देता है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान को पुरातात्विक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस उद्यान में 1500 से 10000 वर्ष पुराने 50 से अधिक शैलचित्र मिले हैं।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में वन के प्रकार
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र सागौन और साल पेड़ों के जंगलों के मिलने की एक जगह है। पचमढ़ी पठार का लगभग 140 वर्ग किलोमीटर हिस्सा साल के घने जंगलों से ढका हुआ है। यह चारों तरफ सागौन के पेड़ों से घिरे हुए जंगलों से घिरा है। यहाँ कुल मिलाकर सात तरह के जंगल पाए जाते हैं, जो इस जगह को जैव विविधता की दृष्टि से बहुत खास बनाते हैं। ये वन निम्न प्रकार से हैं:
- दक्षिण भारतीय आर्द्र सागौन वन – 3B/C1 (b)
- दक्षिण भारतीय अल्प आर्द्र सागौन वन – 3B/C1 (c)
- दक्षिण भारतीय आर्द्र मिश्रित सागौन वन – 3B/C2 (b)
- दक्षिण ऊष्ण कटिबंधीय शुष्क सागौन वन – 5A/C1 (b)
- दक्षिण ऊष्ण कटिबंधीय शुष्क मिश्रित पर्णपाती वन – 5A/C3
- शुष्क प्रायद्विपीय साल वन – 5B/C1 c(iv)
- केंद्रीय भारतीय उप ऊष्ण कटिबंधीय पहाडी वन – 8A/C3
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान किसके लिए प्रसिद्ध है?
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान निम्न कारणों से प्रसिद्ध है:
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान इसके जानवरों के लिए मुख्य रूप से प्रसिद्ध है। यह बाघ, तेंदुआ, भालू, जंगली कुत्ता, चीतल, सांभर आदि कई दुर्लभ वन्यजीवों का सुरक्षित आवास है।
- यह उद्यान एक घना व विविध वन क्षेत्र है। यहां साल, सागौन, बाँस और अन्य वृक्षों से युक्त मिश्रित वन पाया जाता है।
- यह बन भारत का इकलौता ट्रेकिंग-साफारी राष्ट्रीय उद्यान है। यहां आपको पैदल घूमने (ट्रेकिंग), नाव से भ्रमण (कैनोइंग), और नेचर वॉक की अनुमति है।
- इसकी प्रसिद्धि का कारण यहां के सात प्रकार के वन क्षेत्र भी हैं।
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है। यह यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त जैवमंडल क्षेत्र का हिस्सा है इसलिए भी यह लोगों के बीच प्रसिद्ध है।
- यह उद्यान प्राकृतिक सौंदर्य और शांति, झरनों, घाटियों और पहाड़ियों से घिरे शांत और सुंदर वातावरण के लिए भी प्रसिद्ध है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में कई पक्षी प्रजातियों को देखा जा सकता है इसलिए यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के बीच भी प्रसिद्ध है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र को साल 1862 में बंगाल लांसर्स के कैप्टन जेम्स फॉरसिथ ने खोजा था। इसके बाद उन्होंने जब संबंधित अधिकारियों को इस क्षेत्र के हर भरे जंगलों और पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में बताया तो उन्होंने सतपुड़ा को एक आरक्षित वन घोषित कर दिया था। लंबे समय तक आरक्षित वन रहने के बाद साल 1981 में मध्य प्रदेश राज्य ने इसे एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया था। 1999 में भारत सरकार ने इसे पंचमढ़ी अभ्यारणों के साथ मिलाकर इसे टाईगर रिज़र्व घोषित कर दिया था।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पति और जीव
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान (Satpura Rashtriya Udyan) में वनस्पति और जीव इस प्रकार है:
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान विविध प्रकार की वनस्पतियों से समृद्ध है। सतपुड़ा सागौन और साल जैसे महत्वपूर्ण वृक्षों का अद्भुत संगम स्थल है। यहाँ बाँस, महुआ, बेल, धावड़ा, आँवला, टर्मिनेलिया, टिनस्पोरा और अर्जुन जैसे औषधीय तथा उपयोगी पौधे भी पाए जाते हैं।
- वर्षा और ऊँचाई के कारण यहाँ सात प्रकार के वन क्षेत्र विकसित हुए हैं। इनमें नम पर्णपाती, शुष्क पर्णपाती, सदाबहार और अर्ध-सदाबहार वन शामिल हैं।
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान कई दुर्लभ व संकटग्रस्त प्रजातियों का घर है। प्रमुख स्तनधारियों में बाघ, तेंदुआ, स्लॉथ बियर (भालू), जंगली कुत्ता (ढोल), सांभर, चीतल, नीलगाय, चौसिंगा, काकड़ और बारहसिंगा शामिल हैं।
- भारतीय विशाल गिलहरी यहाँ की खास पहचान है। इस उद्यान में 300 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें हॉर्नबिल, सर्प ईगल, शिकरा, बार-हेडेड गूज़ और विभिन्न जलपक्षी शामिल हैं।
- इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक सरीसृप, उभयचर, तितलियाँ, मछलियाँ और कीट प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, जो इस उद्यान की जैव विविधता को और अधिक समृद्ध बनाती हैं।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान (Satpura Rashtriya Udyan) के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार है:
- यह भारत का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है जहाँ पर्यटकों को जंगल के भीतर गाइड के साथ पैदल भ्रमण की अनुमति है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
- सतपुड़ा की जल धाराओं में शांतिपूर्ण कश्ती सफारी का अनुभव अनोखा और रोमांचकारी होता है।
- यहां जीप सफारी के माध्यम से बाघ, तेंदुआ, भालू आदि वन्यजीवों का अवलोकन किया जा सकता है।
- यह दुर्लभ भारतीय विशाल गिलहरी, ढोल (जंगली कुत्ता), तेंदुआ, बाघ आदि का दीदार मुख्य आकर्षण है।
- झरने, घाटियाँ, नदियाँ और पहाड़ियों से घिरा सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान शांति और सौंदर्य का अद्भुत मेल है।
- यहां साल और सागौन के सुंदर वनों के बीच भ्रमण करना एक शुद्ध प्राकृतिक अनुभव प्रदान करता है जो इस वन को अधिक आकर्षक बनाता है।
FAQs
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। यहाँ के जल निकाय स्थानीय और प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करते हैं, और इस भरपूर परिदृश्य में पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सतपुड़ा में नवंबर से मार्च तक कई तरह के पक्षी आते हैं, जिनमें कई प्रवासी प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश में स्थित है। यह जिले के दक्षिणी भाग में पूर्व से पश्चिम तक फैला हुआ है, जो मध्य भारतीय उच्चभूमि के सतपुड़ा पर्वतमाला में स्थित है।
पचमढ़ी, जिसे ‘सतपुड़ा की रानी’ के नाम से भी जाना जाता है, सतपुड़ा पर्वतमाला के बीच प्रकृति, इतिहास और पौराणिक कथाओं से घिरा हुआ है। पचमढ़ी मध्य प्रदेश राज्य के होशंगाबाद जिले में एक हिल स्टेशन है।
यह मध्य प्रदेश का एक अनूठा पार्क है जहाँ साइकिल चलाना, कैनोइंग और ट्रैकिंग जैसी प्रदूषण मुक्त गतिविधियाँ की जा सकती हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है, सतपुड़ा पर्वतमाला के जंगल जैव विविधता से समृद्ध हैं और कई लुप्तप्राय प्रजातियों का निवास है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में जंगली भैंसा अब नहीं पाया जाता है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1999 में प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अंतर्गत शामिल किया गया था, ताकि यहाँ बाघों के संरक्षण और उनके आवास क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
यह नदी तवा नदी की एक सहायक नदी है और सतपुड़ा की घाटियों और जंगलों से होकर बहती है, जिससे यहाँ की जैव विविधता को जीवनदायिनी जल स्रोत प्राप्त होता है।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में साल, सागौन, तेंदू, फिलांथस एम्ब्लिका, महुआ, बेल, बांस और औषधीय पौधों सहित 1300 से अधिक प्रजातियों के पौधे हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 62 से अधिक पेड़ प्रजातियां, 30 छोटे पेड़ प्रजातियां, 58 झाड़ियों की प्रजातियां, 32 चढ़ने वाली प्रजातियां और लगभग 64 घास प्रजातियां हैं।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में शैलाश्रय मानव जीवन के प्रागैतिहासिक साक्ष्य प्रदान करते हैं । शैल चित्रों में जानवरों और मनुष्यों को शिकार करते, नृत्य करते, लड़ते और संगीत वाद्ययंत्र बजाते हुए चित्रित करके प्राचीन इतिहास को दर्शाया गया है।
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