Sarojini Naidu Speech in Hindi: छात्रों द्वारा सरोजिनी नायडू पर भाषण 

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Sarojini Naidu Speech in Hindi: सरोजिनी नायडू, जिन्हें ‘भारत की कोकिला’ के नाम से जाना जाता है, एक प्रख्यात कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्होंने भारतीय नारीवाद को नई दिशा दी और अपने साहित्यिक कार्यों के माध्यम से समाज में बदलाव की लहर चलाई। उनका जीवन केवल काव्य सौंदर्य का प्रतीक नहीं था, बल्कि वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रेरक शक्ति भी बनीं। सरोजिनी नायडू ने अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति, महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक समानता की प्रबल आवाज़ उठाई। उनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम में उतना ही महत्वपूर्ण था जितना उनके साहित्य में। वे न केवल भारतीय महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ीं, बल्कि सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती देकर एक नई सोच को जन्म दिया। इस ब्लॉग में छात्रों के लिए सरोजिनी नायडू पर तैयार किए गए कुछ सैंपल भाषण (Speech on Sarojini Naidu in Hindi) दिए गए हैं, जो उनकी महानता को उजागर करने के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय नारी सशक्तिकरण में उनके अभूतपूर्व योगदान को रेखांकित करेंगे।

सरोजिनी नायडू पर भाषण 100-150 शब्दों में 

सरोजिनी नायडू पर भाषण (Sarojini Naidu Speech in Hindi) 100-150 शब्दों में इस प्रकार है:

सुप्रभात सम्मानित अतिथिगण, अध्यापकगण और मेरे प्रिय साथियों।

आज मैं आप सभी के समक्ष महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रख्यात कवयित्री और भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू जी के बारे में बोलने का सौभाग्य प्राप्त कर रही हूँ। 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मी सरोजिनी नायडू एक प्रगतिशील बंगाली परिवार से थीं, जहाँ उन्हें उच्च शिक्षा और नैतिक मूल्यों की सीख मिली। बचपन से ही उनमें देशभक्ति की भावना जागृत थी। वे न केवल एक सशक्त कवयित्री थीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था। उनकी कविताएँ राष्ट्रप्रेम और जागरूकता का प्रतीक बनीं। महिलाओं के अधिकारों और समाज में समानता के लिए उनके संघर्ष ने उन्हें ‘भारत की कोकिला’ का सम्मान दिलाया। उनकी वाणी में ओज था, शब्दों में शक्ति थी, और विचारों में परिवर्तन की क्षमता थी। आइए, हम सब उनके आदर्शों से प्रेरणा लेकर देशहित में कार्य करने का संकल्प लें।

धन्यवाद!

यह भी पढ़ें: सरोजिनी नायडू पर निबंध

सरोजिनी नायडू पर भाषण 200 शब्दों में 

सरोजिनी नायडू पर भाषण (Sarojini Naidu Speech in Hindi) 200 शब्दों में इस प्रकार है:

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों, सुप्रभात!

आज मैं आप सभी के सामने भारत की कोकिला, स्वतंत्रता सेनानी और प्रेरणादायक व्यक्तित्व सरोजिनी नायडू जी के बारे में बोलने का सौभाग्य प्राप्त कर रहा/रही हूँ। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि शब्दों में भी क्रांति की ताकत होती है। 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मी सरोजिनी नायडू न केवल एक प्रतिभाशाली कवयित्री थीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की अमिट धरोहर भी थीं। उनकी शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और किंग्स कॉलेज, इंग्लैंड में हुई, लेकिन उन्होंने विदेशी आराम को छोड़कर देश की आज़ादी के लिए संघर्ष को चुना। उनके शब्दों में ऐसा जादू था कि उनकी कविताएँ स्वतंत्रता सेनानियों के लिए ऊर्जा का स्रोत बन गईं।

उन्होंने सिर्फ अंग्रेज़ों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि समाज की कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज़ उठाई। महिलाओं की स्वतंत्रता, समानता और शिक्षा के लिए वे आजीवन संघर्षरत रहीं। वे भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं, जिससे यह साबित हुआ कि सपने केवल देखे नहीं जाते, बल्कि पूरे भी किए जाते हैं। सरोजिनी नायडू का जीवन हमें सिखाता है कि यदि हमारे भीतर हिम्मत और संकल्प है, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। आइए, हम भी उनके आदर्शों से प्रेरणा लें और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें! धन्यवाद!

यह भी पढ़ें: सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय

सरोजिनी नायडू पर भाषण 400 शब्दों में

सरोजिनी नायडू पर भाषण (Sarojini Naidu Speech in Hindi) 400 शब्दों में इस प्रकार है:

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों, सुप्रभात!

आज मैं आप सभी के सामने एक ऐसी महिला की कहानी लेकर आया/आई हूँ, जिन्होंने अपने शब्दों से क्रांति की ज्वाला जलाई और अपने संघर्ष से भारत की आज़ादी की नींव मजबूत की। वे सिर्फ़ एक कवयित्री नहीं थीं, सिर्फ़ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थीं—वे सपनों को हकीकत में बदलने वाली नायिका थीं। सरोजिनी नायडू – एक ऐसा नाम, जो हिम्मत, कड़ी मेहनत और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मी यह बालिका आगे चलकर ‘भारत की कोकिला’ के नाम से जानी गई। वे एक साधारण परिवार में नहीं, बल्कि एक ऐसे माहौल में पली-बढ़ीं, जहाँ शिक्षा और स्वतंत्र सोच को सर्वोपरि माना जाता था। 12 साल की उम्र में ही उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास कर यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है, असली पहचान तो मेहनत से बनती है।

लेकिन क्या केवल शिक्षा और कविता लिखना ही उनके सपने थे? नहीं! उनके सपनों में एक आज़ाद भारत था, एक ऐसा भारत जहाँ हर महिला अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठा सके, जहाँ हर नागरिक को बराबरी का हक़ मिले। यही सोच उन्हें राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम की ओर खींच लाई। उन्होंने अपनी कविताओं को आंदोलन का हथियार बनाया। उनकी कलम ने क्रांति की ऐसी चिंगारी सुलगाई, जिसने पूरे देश को जागरूक कर दिया। उनकी कविताएँ केवल कागजों पर नहीं बसीं, वे लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाने लगीं।

लेकिन उनका योगदान सिर्फ़ शब्दों तक सीमित नहीं था। उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लिया, जेल गईं, अत्याचार सहे, लेकिन कभी झुकी नहीं। उन्होंने यह साबित किया कि महिलाएँ केवल कोमलता की मूरत नहीं होतीं, वे क्रांति की मशाल भी बन सकती हैं। उन्होंने सिर्फ़ समाज की रूढ़ियों को नहीं तोड़ा, बल्कि अपने निजी जीवन में भी बड़े फैसले लिए। 19 साल की उम्र में उन्होंने अंतरजातीय विवाह कर यह संदेश दिया कि सच्चा प्यार जात-पात से परे होता है और हमें समाज की बेड़ियों से डरना नहीं चाहिए।

आज़ादी के बाद, वे उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं और यह दिखाया कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। आज, हमें सरोजिनी नायडू से सीखना चाहिए कि कोई भी मुश्किल हमारी राह रोक नहीं सकती, जब तक हमारे अंदर उसे पार करने की हिम्मत हो। उन्होंने हमें सिखाया कि हर इंसान के अंदर एक शक्ति होती है, जो उसे असंभव को भी संभव बनाने का साहस देती है। तो आइए, हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें, अपने सपनों के लिए लड़ें, समाज में बदलाव लाएँ, और अपने देश को और बेहतर बनाएँ। क्योंकि सच्ची क्रांति बाहर से नहीं, हमारे अंदर से शुरू होती है!

धन्यवाद! 

यह भी पढ़ें : सरोजिनी नायडू की कविताएं

सरोजिनी नायडू पर भाषण कैसे दें?

सरोजिनी नायडू पर प्रभावित भाषण देने के लिए निम्न चरणों का पालन करें:

  • भाषण की शुरुआत अपने परिचय और श्रोताओं का अभिवादन से करें। सरोजिनी नायडू और उनके महत्व का संक्षिप्त परिचय दें।
  • सरोजिनी नायडू पर भाषण के लिए उनके जीवन, उपलब्धियों और विरासत के बारे में जानें।
  • एक कवि, स्वतंत्रता सेनानी और महिला अधिकारों की पैरोकार के रूप में उनकी भूमिकाओं पर ध्यान दें।
  • इस बात पर प्रकाश डालें कि उन्हें भारत की कोकिला क्यों कहा जाता है और भारत की स्वतंत्रता में उनका क्या योगदान है।
  • भाषण के शुरुआत में उनके जन्मस्थान, पारिवारिक पृष्ठभूमि, शिक्षा और बचपन की उपलब्धियाँ बताएं।
  • असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और नमक सत्याग्रह जैसे आंदोलनों में उनकी भागीदारी का वर्णन करें।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उनकी अध्यक्षता और उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल के रूप में उनकी भूमिका के बारे में बताएं। 
  • लोगों को इस बारे में एक प्रेरक संदेश के साथ समाप्त करें कि उनका जीवन आज हमें कैसे प्रेरित कर सकता है।
  • भाषण तैयार होने के बाद अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उसका अभ्यास करना ना भूलें। 

FAQs

सरोजिनी नायडू का उद्देश्य क्या था?

नायडू अपनी वक्तृता कला का प्रदर्शन करके स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बनीं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण की वकालत की। 1905 में जब बंगाल का विभाजन शुरू हुआ तो वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं से जुड़ीं।

सरोजिनी नायडू का प्रसिद्ध नारा क्या है?

“हम अपनी बीमारी से भारत को साफ करने से पहले, पुरुषों की एक नई नस्ल चाहते हैं।” “एक देश की महानता, बलिदान और प्रेम, उस देश के आदर्शों पर निहित करता है।” “ऊंचा उठती हूं मैं कि पहुंचू नियत झरने तक, टूटे ये पंख लिए मैं चढ़ती हूं ऊपर तारों तक।”

सरोजिनी नायडू को भारत कोकिला क्यों कहा जाता है?

कवि के रूप में उनके काम ने उन्हें महात्मा गांधी द्वारा ‘भारत की कोकिला’ या ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दिलाई, क्योंकि उनकी कविता में रंग, कल्पना और गीतात्मक गुणवत्ता थी। नायडू की कविताओं में बच्चों की कविताएँ और देशभक्ति, रोमांस और त्रासदी जैसे अधिक गंभीर विषयों पर लिखी गई अन्य कविताएँ शामिल हैं।

सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता में क्या योगदान था?

सरोजिनी नायडू एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थीं, जिन्हें उनकी गीतात्मक कविताओं के लिए “भारत की कोकिला” के रूप में जाना जाता था। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षता करने वाली पहली महिला बनीं।

सरोजिनी नायडू एक स्वतंत्रता सेनानी है?

सरोजिनी नायडू एक विलक्षण प्रतिभा की धनी, स्वतंत्रता सेनानी और कवि थीं , जिन्हें भारत की कोकिला (भारतीय कोकिला) के नाम से जाना जाता है। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं और भारत के चौथे सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल थीं।

सरोजिनी नायडू को उनके राजनीतिक करियर में सबसे ज्यादा किसने प्रभावित किया?

गोपाल कृष्ण गोखले ने ही 1902 में सरोजिनी नायडू से मातृभूमि की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने का आग्रह किया था। हालांकि, महात्मा गांधी ने, खास तौर पर चंपारण सत्याग्रह के माध्यम से, नायडू को गहराई से प्रेरित किया और उनके राजनीतिक गुरु और आदर्श बन गए।

सरोजिनी नायडू की प्रसिद्ध पंक्ति क्या थी?

“किसी देश की महानता उसके प्रेम और बलिदान के अमर आदर्शों में निहित होती है ।” “जब कहीं अत्याचार होता है, तो आत्म-सम्मान की एकमात्र बात यह है कि उठकर कह दिया जाए कि यह आज बंद हो जाएगा, क्योंकि मेरा अधिकार न्याय है।”

सरोजिनी नायडू क्यों प्रसिद्ध हैं?

सरोजिनी नायडू उस सदी की सबसे लोकप्रिय महिलाओं में से एक थीं। साहित्य में उनका अहम योगदान रहा है। 1905 में उनकी कविताओं का पहला संग्रह ‘गोल्डन थ्रेशोल्ड’ प्रकाशित हुआ। उनकी सबसे अच्छी लेखनी की वजह से महात्मा गांधी ने उन्हें ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दी थी।

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