Rashtriya Udyan in Maharashtra: महाराष्ट्र, भारत का एक प्रमुख पश्चिमी राज्य, अपनी समृद्ध जैव-विविधता, पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। राज्य में स्थित अनेक राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य न केवल पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जैविक विविधता के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाते हैं। यह ब्लॉग महाराष्ट्र में स्थित प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों (Rashtriya Udyan in Maharashtra) की विशेषताओं, उनके भौगोलिक और पारिस्थितिक महत्व तथा वहां पाई जाने वाली प्रमुख वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की जानकारी प्रदान करता है।
क्रमांक | राष्ट्रीय उद्यान का नाम | स्थान (जिला) | स्थापना वर्ष | क्षेत्रफल (वर्ग किमी) | प्रमुख वन्यजीव / विशेषताएँ |
1 | ताडोबा-अंधारी राष्ट्रीय उद्यान | चंद्रपुर | 1955 | 625 | बाघ, तेंदुआ, भालू, नीलगाय, मगरमच्छ; महाराष्ट्र का सबसे बड़ा और सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान। |
2 | गुगामल राष्ट्रीय उद्यान | अमरावती | 1975 | 361.28 | बाघ, तेंदुआ, गौर, भालू; मेलघाट टाइगर रिज़र्व का हिस्सा। |
3 | नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान | गोंदिया | 1975 | 133.88 | पक्षियों की विविध प्रजातियाँ; नवेगांव झील और सलीम अली पक्षी अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध। |
4 | पंडित जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय उद्यान (पेंच) | नागपुर | 1975 | 257.26 | बाघ, तेंदुआ, चार सींग वाला मृग; पेंच नदी के किनारे स्थित। |
5 | संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान | मुंबई (बोरीवली) | 1969 | 86.96 | तेंदुआ, चीतल, हनुमान लंगूर; कान्हेरी गुफाएँ और वन रानी टॉय ट्रेन के लिए प्रसिद्ध। |
6 | चांदोली राष्ट्रीय उद्यान | सांगली | 2004 | 317.67 | बाघ, तेंदुआ, भालू; सह्याद्री टाइगर रिज़र्व का हिस्सा। |
This Blog Includes:
- महाराष्ट्र में राष्ट्रीय उद्यान कितने हैं?
- ताडोबा-अंधारी बाघ अभयारण्य (Tadoba-Andhari Tiger Reserve)
- संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (Sanjay Gandhi National Park)
- गुगामल राष्ट्रीय उद्यान (Gugamal National Park)
- चांदोली राष्ट्रीय उद्यान (Chandoli National Park)
- नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान (Navegaon National Park)
- पेंच (जवाहरलाल नेहरू) राष्ट्रीय उद्यान (Pench (Jawaharlal Nehru) National Park)
- महाराष्ट्र के राष्ट्रीय उद्यानों के उद्देश्य
- FAQs
महाराष्ट्र में राष्ट्रीय उद्यान कितने हैं?
महाराष्ट्र के छह राष्ट्रीय उद्यान इस प्रकार हैं:
- ताडोबा-अंधारी बाघ अभयारण्य
- संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान
- गुगामल राष्ट्रीय उद्यान
- चांदोली राष्ट्रीय उद्यान
- नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान
- पेंच (जवाहरलाल नेहरू) राष्ट्रीय उद्यान
ताडोबा-अंधारी बाघ अभयारण्य (Tadoba-Andhari Tiger Reserve)
ताडोबा-अंधारी बाघ अभयारण्य महाराष्ट्र का सबसे पुराना और सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है, जो राज्य के चंद्रपुर जनपद में स्थित है। यह अभयारण्य ‘ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान’ (घोषित: 1955) और ‘अंधारी वन्यजीव अभयारण्य’ को मिलाकर बना है। वर्ष 1993 में इसे ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ (Project Tiger) के अंतर्गत एक बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
यह संरक्षित क्षेत्र बाघों की सघन आबादी, जैव विविधता और शुष्क पर्णपाती वनों के लिए जाना जाता है। इसके पारिस्थितिक तंत्र में साखू (साल), टीक, मोह और बाँस के वृक्ष प्रमुख हैं, जबकि प्रमुख जीवों में बाघ, तेंदुआ, भालू, नीलगाय, सांभर तथा विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं।
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (Sanjay Gandhi National Park)
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान महाराष्ट्र के मुंबई महानगर क्षेत्र की सीमा के भीतर स्थित एक महत्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र है, जो इसे वैश्विक स्तर पर अद्वितीय बनाता है। इसे प्रारंभ में ‘बोरीवली राष्ट्रीय उद्यान’ के रूप में जाना जाता था, जिसकी स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी। वर्ष 1996 में इसका नाम बदलकर ‘संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान’ रखा गया।
यह उद्यान लगभग 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और विविध प्रकार की वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं का आवास है। यहाँ तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, साप, पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ तथा जैव विविधता से युक्त पर्णपाती वन पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, यहाँ कन्हेरी गुफाएँ, प्राचीन बौद्ध स्थापत्य के रूप में सांस्कृतिक महत्व भी रखती हैं। यह शहरी जनसंख्या के लिए प्रकृति पर्यटन, जैव शिक्षा और पारिस्थितिक संरक्षण का महत्त्वपूर्ण केंद्र है।
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गुगामल राष्ट्रीय उद्यान (Gugamal National Park)
गुगामल राष्ट्रीय उद्यान महाराष्ट्र के अमरावती जिले में स्थित है और यह मेलघाट बाघ अभयारण्य का अभिन्न अंग है। इस उद्यान को वर्ष 1975 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ, जबकि मेलघाट क्षेत्र को 1973-74 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था — यह भारत के पहले नौ बाघ अभयारण्यों में से एक था।
गुगामल राष्ट्रीय उद्यान शुष्क पर्णपाती वनों, खासकर साखू (साल), टर्मिनेलिया और अन्य स्थानीय प्रजातियों से युक्त है। यहाँ बाघ, तेंदुआ, भालू, सांभर, चौसिंगा, गौर तथा विविध पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह क्षेत्र सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित होने के कारण पारिस्थितिकीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील और जैव विविधता से परिपूर्ण है।
चांदोली राष्ट्रीय उद्यान (Chandoli National Park)
चांदोली राष्ट्रीय उद्यान महाराष्ट्र के सांगली, सतारा और कोल्हापुर जिलों में फैला हुआ है। यह क्षेत्र पश्चिमी घाट के सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित होने के कारण पारिस्थितिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। वर्ष 1985 में इसे वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था, और मई 2004 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ।
यह उद्यान सह्याद्री टाइगर रिज़र्व का एक अभिन्न हिस्सा है, जो जैव विविधता, घने सदाबहार वनों, जलप्रपातों और दुर्लभ प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ बाघ, तेंदुआ, गौर, सांभर, भालू तथा अनेक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान (Navegaon National Park)
नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान महाराष्ट्र के पूर्वी हिस्से में, गोंदिया जिले में स्थित है। यह उद्यान अपनी सुरम्य नवेगांव झील, घने वनों और पक्षियों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। इसे वर्ष 2000 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यहाँ स्थित ‘डॉ. सलीम अली पक्षी अभयारण्य’ को राज्य का एक प्रमुख पक्षी अवलोकन स्थल माना जाता है, जहाँ महाराष्ट्र में पाई जाने वाली लगभग 60% पक्षी प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं। यह उद्यान प्रकृति प्रेमियों, पर्यावरण शोधकर्ताओं और पारिस्थितिकीविदों के लिए अत्यंत उपयोगी क्षेत्र है।
पेंच (जवाहरलाल नेहरू) राष्ट्रीय उद्यान (Pench (Jawaharlal Nehru) National Park)
पेंच राष्ट्रीय उद्यान महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश, दोनों राज्यों में फैला हुआ एक अंतर-राज्यीय संरक्षित क्षेत्र है। इसका महाराष्ट्र वाला भाग नागपुर जिले में स्थित है। इसे 1975 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था तथा वर्ष 1999 में इसे ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के अंतर्गत शामिल किया गया। यह उद्यान मध्य भारत के शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र में स्थित है और बाघों, तेंदुओं, जंगली कुत्तों, चीतलों और अन्य प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। यह वही क्षेत्र है जिसने रुडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध कृति The Jungle Book के लिए प्रेरणा प्रदान की थी।
महाराष्ट्र के राष्ट्रीय उद्यानों के उद्देश्य
महाराष्ट्र में स्थापित राष्ट्रीय उद्यानों का प्रमुख उद्देश्य राज्य की समृद्ध जैव-विविधता का संरक्षण एवं सतत विकास सुनिश्चित करना है। ये उद्यान पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा के साथ-साथ संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- वन्यजीव संरक्षण: विशेष रूप से बाघों जैसे संकटग्रस्त प्रजातियों की प्राकृतिक निवास स्थलों में सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करना, जिससे उनकी संख्या स्थिर और पुनः सुदृढ़ हो सके।
- वनस्पतियों का संरक्षण: जंगलों में पाई जाने वाली देशज और विलुप्तप्राय पौधों की प्रजातियों की रक्षा करना तथा पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना।
- प्राकृतिक आवास की रक्षा: जैव-विविधता युक्त पारिस्थितिक तंत्र को मानव हस्तक्षेप से बचाना तथा प्राकृतिक आवासों को अक्षुण्ण बनाए रखना।
- पर्यावरणीय शिक्षा एवं अनुसंधान: पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देना, जैव-विविधता पर अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहित करना तथा युवाओं में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना।
- सतत इको-पर्यटन का संवर्धन: पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को प्रोत्साहित करना जिससे स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ मिले और पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु महाराष्ट्र के राष्ट्रीय उद्यानों में वैज्ञानिक प्रबंधन, सख्त निगरानी, और समुदाय आधारित संरक्षण मॉडल को अपनाया गया है, जो दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
FAQs
महाराष्ट्र में 6 राष्ट्रीय उद्यान हैं।
महाराष्ट्र में ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान, नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान, पेंच राष्ट्रीय उद्यान, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान और चांदोली राष्ट्रीय उद्यान हैं।
महाराष्ट्र का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान ताड़ोबा अंधारी टाइगर रिजर्व है।
पुणे में पेंच राष्ट्रीय उद्यान है।
अभयारण्य इसलिए बनाए जाते हैं ताकि जीवों, विशेषकर जानवरों और पौधों, की रक्षा की जा सके।
महाराष्ट्र का पहला पक्षी अभयारण्य कर्नाला पक्षी अभयारण्य था।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान को मोगली लैण्ड कहा जाता है।
पेंच नेशनल पार्क सिवनी और छिंदवाड़ा में फैला हुआ है।
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