Prithvi Ki Aantrik Sanrachna: प्रिय विद्यार्थियों क्या आप पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो यह लेख आपके लिए है। बताना चाहेंगे पृथ्वी की त्रिज्या लगभग 6,378 किमी है। वहीं पृथ्वी की आंतरिक परिस्थितियों के कारण अभी तक यह संभव नहीं हो पाया कि कोई पृथ्वी के केंद्र तक पहुँचकर उसका निरीक्षण कर सके या वहाँ के पदार्थ का कुछ नमूना प्राप्त कर सके। वैज्ञानिकों के बीच भी पृथ्वी की आंतरिक संरचना के संबंध में मतभेद है। लेकिन पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में तापमान, दबाव, घनत्व और तरंगों पर आधारित प्रमाणों को एकत्रित करके पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Prithvi Ki Aantrik Sanrachna) के संबंध में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया है।
This Blog Includes:
पृथ्वी की आंतरिक संरचना
पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Prithvi Ki Aantrik Sanrachna) को मुख्यतः तीन भागो में विभाजित किया गया हैं:-
- भूपर्पटी (The Crust) – यह ठोस पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग होता है, जो कि बहुत भंगुर (Brittle) भाग होता है जिसमें जल्दी टूट जाने की प्रवृत्ति पाई जाती है। भूपर्पटी की मोटाई महाद्वीपों व महासागरों के नीचे अलग-अलग होती है। बता दें कि महासागरों में भूपर्पटी की मोटाई महाद्वीपों की तुलना में कम होती है। जबकि महासागरों के नीचे इसकी औसत मोटाई 5 किमी तक होती है। महाद्वीपों के नीचे यह 30 किमी तक होती है। वहीं मुख्य पर्वतीय श्रृंखलाओं के क्षेत्र में यह मोटाई और भी अधिक होती है। हिमालय पर्वत श्रेणियों के नीचे भूपर्पटी की मोटाई लगभग 70 किमी तक होती है।
- मैंटल (The Mantle) – भूगर्भ में पर्पटी के नीचे का भाग मैटल कहलाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह मोहो असांतत्य (Discontinuity) से आरंभ होकर 2,900 किमी की गहराई तक पाया जाता है। मैंटल का ऊपरी भाग दुर्बलतामंडल (Asthenosphere) कहा जाता है। ज्वालामुखी उद्गार के दौरान जो लावा धरातल पर पहुँचता है, उसका मुख्य स्रोत यही है। भूपर्पटी एवं मैंटल का ऊपरी भाग मिलकर स्थलमंडल (Lithosphere) कहलाते हैं। इसकी मोटाई 10 से 200 किमी के बीच पाई जाती है। निचले मैंटल का विस्तार दुर्बलतामंडल के समाप्त हो जाने के बाद तक होता है, जो कि ठोस अवस्था में होता है।
- क्रोड (The Core) – वैज्ञानिकों के अनुसार क्रोड व मैंटल की सीमा 2,900 किमी की गहराई तक होती है। बाहरी क्रोड तरल अवस्था में है जबकि आंतरिक क्रोड ठोस अवस्था में है। क्रोड की संरचना मुख्यतः निकिल तथा लोहे की है। इसे ‘निफे’ (Nife) परत के नाम से भी जाना जाता है।
यह भी पढ़ें – बायोम किसे कहते हैं?
पृथ्वी की परतें – Layers of the Earth in Hindi
पृथ्वी की परतें को मुख्य रूप से चार भागों में बाँटा गया है, जो गहराई के अनुसार एक के नीचे एक स्थित हैं:-
परत का नाम | मोटाई (लगभग) | अवस्था | मुख्य तत्व | विशेषताएँ |
भूपर्पटी (Crust) | 5 – 70 किमी | ठोस | सिलिका (Si), एल्युमिनियम (Al) | सबसे बाहरी परत; मानव जीवन और प्रकृति का निवास स्थान। |
मंडल (Mantle) | 2,900 किमी | अर्ध-ठोस | सिलिका (Si), मैग्नीशियम (Mg) | लावा और मैग्मा का स्रोत; प्लेट टेक्टॉनिक्स यहीं से संचालित होते हैं |
बाहरी कोर (Outer Core) | लगभग 2,200 किमी | तरल | लोहा (Fe), निकल (Ni) | पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र यहीं से उत्पन्न होता है |
भीतरी कोर (Inner Core) | लगभग 1,220 किमी | ठोस | लोहा (Fe), निकल (Ni) | अत्यधिक दबाव के कारण ठोस |
यह भी पढ़ें – वायुमंडलीय दाब किसे कहते हैं?
पृथ्वी की आंतरिक संरचना के स्त्रोत
पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Prithvi Ki Aantrik Sanrachna) के स्त्रोत निम्नलिखित हैं;-
प्रत्यक्ष स्रोत
- ज्वालामुखी उद्गार
- भूकंपीय तरंगे
अप्रत्यक्ष स्रोत
- तापमान
- घनत्व
- दबाव
FAQs
पृथ्वी की आंतरिक संरचना के तीन मुख्य अंग हैं- ऊपरी सतह भूपर्पटी (Crust), मध्य सतह मैंटल (The Mantle) और आंतरिक सतह क्रोड (The Core)।
भूपर्पटी को भूपृष्ठ या क्रस्ट भी कहा जाता है। यह पृथ्वी की सबसे बाहरी परत है, जो विभिन्न प्रकार की चट्टानों से मिलकर बनी है।
पृथ्वी की आंतरिक संरचना को मुख्यतः तीन भागो में विभाजित किया गया हैं।
पृथ्वी की त्रिज्या लगभग 6,378 किमी है।
भूपर्पटी (The Crust) पृथ्वी की सबसे ऊपरी और ठोस परत है।
मैंटल (The Mantle) पृथ्वी की सबसे मोटी परत है, जिसकी मोटाई लगभग 2,900 किमी होती है।
भूपर्पटी में भूकंप के झटके सबसे अधिक महसूस होते हैं, क्योंकि यह पृथ्वी की सतह के सबसे ऊपर होती है।
आशा है कि आपको इस लेख में पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Prithvi Ki Aantrik Sanrachna) की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही सामान्य ज्ञान और ट्रेंडिंग इवेंट्स से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।