Plate Tectonic Theory in Hindi: प्रिय विद्यार्थियों प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत भूविज्ञान का एक प्रमुख सिद्धांत है, जो पृथ्वी की सतह की संरचना और उसके गतिशील परिवर्तनों को समझाने में सहायक होता है। यह सिद्धांत बताता है कि पृथ्वी का स्थलमंडल कई विशाल चट्टानी टुकड़ों में विभाजित है, जिन्हें प्लेट कहते हैं। ये प्लेटें पृथ्वी के एस्थेनोस्फीयर पर लगातार गतिमान रहती हैं, जिससे विभिन्न प्रकार की भूवैज्ञानिक घटनाएँ उत्पन्न होती हैं। वहीं ग्लोब पर ये प्लेटें पृथ्वी के पूरे इतिहास काल में लगातार विचरण कर रही है।
बताना चाहेंगे स्कूली परीक्षाओं के अलावा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भूगोल विषय से संबधित प्रश्न अकसर पूछे जाते हैं। इसलिए इस लेख में भूगोल के एक महत्वपूर्ण विषय प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत क्या है, (Plate Tectonic Theory in Hindi) की विस्तृत जानकारी दी गई है।
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प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत किसने दिया?
क्या आप जानते हैं कि प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के प्रतिपादन का श्रेय किसी एक भूगोलवेत्ता को नहीं जाता बल्कि यह ‘महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory), ‘Paleomagnetism’ एवं ‘सागर नितल प्रसरण सिद्धांत’ (Sea floor spreading Theory) का सम्मिलित रूप है। बता दें कि वर्ष 1955 में सर्वप्रथम कनाडा के भू-वैज्ञानिक जे. टूजो विल्सन ने ‘प्लेट’ शब्द का प्रयोग किया। इसके बाद वर्ष 1967 में मैकेंजी, पारकर और मॉर्गन ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonic Theory) कहा गया।
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प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत क्या है?
प्लेट विवर्तनिकी एक वैज्ञानिक सिद्धांत है जो पृथ्वी के स्थलमंडल में बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। एक विवर्तनिक प्लेट, ठोस चट्टान का विशाल व अनियमित आकार का खंड है, जो महाद्वीपीय व महासागरीय स्थलमंडलों से मिलकर बना है। ये प्लेटें एस्थेनोस्फीयर पर एक दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान हैं। स्थलमंडल में पर्पटी एवं ऊपरी मैंटल को सम्मिलित किया जाता है, जिसकी मोटाई महासागरों में 5 से 100 किलोमीटर और महाद्वीपीय भागों में लगभग 200 किलोमीटर है। एक प्लेट को महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेट भी कहा जा सकता है; जो इस बात पर निर्भर है कि उस प्लेट का अधिकतर भाग महासागर अथवा महाद्वीप से संबद्ध है।
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प्लेट विवर्तनिकी के प्रकार
प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल सात मुख्य प्लेटों व कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त है;-
प्रमुख प्लेट
- अंटार्कटिक प्लेट
- उत्तर अमेरिकी प्लेट
- दक्षिण अमेरिकी प्लेट
- प्रशांत महासागरीय प्लेट
- इंडो-आस्ट्रेलियन-न्यूजीलैंड प्लेट
- यूरेशियाई प्लेट
छोटी प्लेट
- कोकोस प्लेट
- नज़का प्लेट
- अरेबियन प्लेट
- फिलिपीन प्लेट
- कैरोलिन प्लेट
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प्लेट संचरण का कारण
प्लेट संचरण के फलस्वरूप तीन प्रकार की प्लेट सीमाएं बनाती हैं;-
- अपसारी सीमा – जब दो प्लेट एक दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती हैं और नई पर्पटी का निर्माण होता है। उन्हें अपसारी प्लेट (Divergent boundaries) कहते हैं। वह स्थान जहां से प्लेट एक दूसरे से दूर हटती हैं, इन्हें प्रसारी स्थान (Spreading site) भी कहा जाता है।
- अभिसरण सीमा – जब एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धँसती है और जहाँ भूपर्पटी नष्ट होती है, वह अभिसरण सीमा (Convergent boundaries) है। वह स्थान जहाँ प्लेट धँसती हैं, इसे प्रविष्ठन क्षेत्र (Subduction zone) भी कहते हैं। बताना चाहेंगे अभिसरण तीन प्रकार से हो सकता है;-
(1) महासागरीय व महाद्वीपीय प्लेट के बीच
(2) दो महासागरीय प्लेटों के बीच
(3) दो महाद्वीपीय प्लेटों के बीच। - रूपांतर सीमा – जहाँ न तो नई पर्पटी का निर्माण होता है और न ही पर्पटी का विनाश होता है, उन्हें रूपांतर सीमा (Transform boundaries) कहते हैं। इसका कारण है कि इस सीमा पर प्लेटें एक दूसरे के साथ-साथ क्षैतिज दिशा में सरक जाती हैं। रूपांतर भ्रंश (Transform faults) दो प्लेट को अलग करने वाले तल हैं जो सामान्यतः मध्य-महासागरीय कटकों से लंबवत स्थिति में पाए जाते हैं।
FAQs
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत पृथ्वी की ऊपरी परत (स्थलमंडल) की बड़े पैमाने पर होने वाली गति को समझाने वाला एक वैज्ञानिक सिद्धांत है।
प्लेटों के संचलन के आधार पर प्लेट विवर्तनिकी मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: अपसारी, अभिसारी और रूपांतरित।
विवर्तनिकी (Tectonics) भूविज्ञान की वह शाखा है जो पृथ्वी की सतह पर होने वाली बड़े पैमाने की हलचलों, जैसे पर्वतों का निर्माण, भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियों का अध्ययन करती है।
वर्ष 1967 में मैकेंजी, पारकर और मॉर्गन ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonic Theory) कहा गया।
पृथ्वी पर लगभग 7 प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटें और कई छोटी प्लेटें हैं।
यह सिद्धांत 1960 के दशक में विकसित हुआ, लेकिन इसका आधार अल्फ्रेड वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत पर था।
प्लेट्स के टकराव और विभाजन वाले क्षेत्रों में अक्सर ज्वालामुखीय गतिविधियाँ होती हैं।
आशा है कि आपको इस लेख में प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत क्या है, (Plate Tectonic Theory in Hindi) की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही सामान्य ज्ञान और ट्रेंडिंग इवेंट्स से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।