Periyar Rashtriya Udyan: केरल में स्थित पेरियार राष्ट्रीय उद्यान भारत के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। यह उद्यान न केवल जीव-जंतुओं की सुरक्षा के लिए जाना जाता है, बल्कि यहाँ की जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। पेरियार झील के किनारे हाथी, बाघ, और विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध पारिस्थितिकी का परिचायक हैं। यह उद्यान न केवल वन्यजीवों के संरक्षण का स्थल है, बल्कि प्रकृति के विविध पहलुओं को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग में आप पेरियार राष्ट्रीय उद्यान (Periyar Rashtriya Udyan) की भौगोलिक स्थिति, वन्यजीव विविधता, संरक्षण प्रयास और पर्यटन महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
विवरण | जानकारी |
नाम | पेरियार राष्ट्रीय उद्यान (Periyar National Park) |
स्थान | इडुक्की और पथनमथिट्टा जिले, केरल, भारत |
स्थापना वर्ष | 1934 में नेल्लीकम्पेट्टी गेम रिजर्व के रूप में; 1950 में पेरियार वन्यजीव अभयारण्य घोषित |
राष्ट्रीय उद्यान घोषित | 1982 में कोर क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित |
क्षेत्रफल | लगभग 925 वर्ग किमी (पेरियार अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल) |
मुख्य विशेषताएँ | हाथी, बाघ, और अन्य वन्यजीवों का संरक्षण; पेरियार झील और मुल्लापेरियार बांध; जैव विविधता में समृद्ध |
जल स्रोत | पेरियार झील (मुल्लापेरियार बांध द्वारा निर्मित जलाशय) |
घूमने का सही समय | अक्टूबर से मई (विशेष रूप से अक्टूबर से फरवरी तक मौसम अनुकूल) |
संरक्षण पहल | 1978 में भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से हाथी संरक्षण परियोजना शुरू |
प्रमुख वन्यजीव प्रजातियाँ | हाथी, बाघ, गौर, नेवला, ज़ेब्रा और कई पक्षी व सरीसृप प्रजातियाँ |
पार्क की गतिविधियाँ | बोट सफारी, हाथी सफारी, जंगल ट्रैकिंग, पक्षी दर्शन |
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पेरियार राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान, केरल के पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में स्थित, भारत के प्रमुख वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों में से एक है। यह उद्यान अपनी जैव विविधता और विशेष रूप से हाथी और बाघों के संरक्षण के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहाँ पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, स्तनधारी, पक्षी और अन्य वन्यजीव इस क्षेत्र की समृद्ध पारिस्थितिकी व्यवस्था को दर्शाते हैं।
पेरियार की हरी-भरी घाटियाँ, शांत झीलें और घने जंगल एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र का उदाहरण हैं, जो प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहाँ की पेरियार झील, जो मुल्लापेरियार बांध के निर्माण से बनी है, वन्यजीवों के लिए आवश्यक जल स्रोत प्रदान करती है और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखती है।
उद्यान में हाथियों के झुंड झील के किनारे पानी पीते और खेलते हुए देखना एक आम दृश्य है, वहीं बाघ, गौर, नेवला जैसे वन्यजीव घने जंगलों में सुरक्षित जीवन व्यतीत करते हैं। इसके अलावा, विविध प्रकार के पक्षी और सरीसृप भी यहाँ की जैव विविधता को समृद्ध करते हैं।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान केवल एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण, पारिस्थितिक अध्ययन और प्राकृतिक सुंदरता का समन्वय स्थल है। यह उद्यान वन्यजीवों के जीवन और उनके प्राकृतिक आवास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण केन्द्र है, जो पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करता है।
- स्थान: पेरियार राष्ट्रीय उद्यान केरल के इडुक्की जिले में स्थित है, जो पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में फैला हुआ है।
- कुल क्षेत्रफल: उद्यान का कुल क्षेत्रफल लगभग 925 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे केरल का एक बड़ा वन्यजीव अभयारण्य बनाता है।
- प्रमुख नदियाँ: इस क्षेत्र की मुख्य नदियाँ पेरियार नदी और वैगई नदी हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र के जल स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- झील: पेरियार झील, जो कि एक कृत्रिम जलाशय है, लगभग 100 वर्ष पुरानी है और मुल्लापेरियार बांध के निर्माण से बनी है। यह झील वन्यजीवों के लिए जल उपलब्ध कराती है और क्षेत्र की जैव विविधता को बनाए रखने में मदद करती है।
- प्राकृतिक संरचना: उद्यान में विभिन्न प्रकार के वन पाए जाते हैं जिनमें सदाबहार (Evergreen), अर्ध-सदाबहार (Semi-evergreen), और नम पर्णपाती (Moist deciduous) वन प्रमुख हैं। ये वन विभिन्न जलवायु और स्थलाकृतिक परिस्थितियों के कारण जैव विविधता के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करते हैं।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान में प्रमुख आकर्षण
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए कई महत्वपूर्ण आकर्षण हैं, जो इसे वन्यजीव पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनाते हैं:
- हाथी और बाघ: यह उद्यान भारतीय हाथियों और बंगाल के शाही बाघों का प्रमुख निवास स्थल है। यहाँ इन प्रजातियों की अच्छी संख्या पाई जाती है, जो वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक बड़ी विशेषता है।
- पेरियार झील में नाव यात्रा: पेरियार झील में नाव से सैर करना एक अनूठा अनुभव है। इस दौरान पर्यटक झील के किनारे हाथियों को पानी पीते और खेलते देख सकते हैं, साथ ही आसपास के घने जंगलों और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।
- जंगल सफारी: जीप सफारी के माध्यम से घने जंगलों की सैर रोमांचकारी होती है। इसके अलावा, ट्रैकिंग, नाइट वॉक (रात्रि भ्रमण), और बांस राफ्टिंग जैसी गतिविधियाँ भी उपलब्ध हैं, जो वन्यजीव और प्राकृतिक वातावरण को करीब से अनुभव करने का अवसर प्रदान करती हैं।
- जैव विविधता: पेरियार राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता से समृद्ध है। यहाँ लगभग 246 स्तनधारी, 112 रंग-बिरंगी तितलियाँ, और 28 रेंगने वाले जीव पाए जाते हैं, जो इसे पारिस्थितिकी अध्ययन और संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाते हैं।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास वन संरक्षण और वन्यजीव सुरक्षा के प्रयासों की कहानी है। इस क्षेत्र को सबसे पहले 1899 में सरकारी जंगल (Forest Reserve) के रूप में घोषित किया गया, ताकि इसकी प्राकृतिक संपदा और वन्यजीव सुरक्षित रह सकें।
1934 में त्रावणकोर के महाराजा ने यहाँ एक संरक्षित शिकारगाह की स्थापना की, जिसे “नेल्लीकम्पेट्टी गेम रिजर्व” कहा गया। इसका उद्देश्य जानवरों की सुरक्षा करना और शिकार को रोकना था।
1950 में इस क्षेत्र को पेरियार वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuary) के रूप में विकसित किया गया, जिससे वन्यजीवों को कानूनी संरक्षण मिला और उनका आवास सुरक्षित हुआ।
1978 में भारत सरकार ने इसे ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ में शामिल किया, ताकि बाघों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा सके। इसके बाद, 1982 में पेरियार के कोर क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला, जिससे संरक्षण के उपाय और भी सख्त हुए।
1992 में पेरियार को ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ में भी शामिल किया गया, ताकि हाथियों के संरक्षण को भी मजबूती मिल सके।
आज पेरियार राष्ट्रीय उद्यान वन संरक्षण का एक सफल मॉडल है, जहाँ वन्यजीवों के संरक्षण के साथ-साथ पर्यटकों को भी प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करने का मौका मिलता है। यह उद्यान जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बना हुआ है।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान के जीव-जंतु
श्रेणी | कुल प्रजातियाँ | प्रमुख प्रजातियाँ / उदाहरण |
स्तनधारी | लगभग 62 | बंगाल टाइगर (35-40), एशियाई हाथी (900-1000), गौर, सांभर, चीतल, बार्किंग डियर, धोल, तेंदुआ, स्लॉथ बियर, नीलगिरि तहर, लायन-टेल्ड मकाक, नीलगिरि लंगूर, बोनट मकाक, जंगल कैट, ट्रावनकोर फ्लाइंग स्क्विरल, नीलगिरि मार्टन |
पक्षी | लगभग 320 | मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, नीलगिरि वुड पिजन, ब्लू-विंग्ड पैराकीट, क्रिमसन-बैक्ड सनबर्ड, व्हाइट-बेलिड रेडस्टार्ट, ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क |
सरीसृप | 45 (30 साँप, 13 छिपकली, 2 कछुए) | किंग कोबरा, मालाबार पिट वाइपर, स्ट्राइप्ड कोरल स्नेक |
मछली | लगभग 40 | पेरियार ट्राउट, पेरियार बार्ब, चन्ना बार्ब, ट्रावनकोर लोच |
कीड़े | लगभग 160 तितलियाँ और ड्रैगनफ्लाई | साउदर्न बर्डविंग, मालाबार ट्री निम्फ, ट्रावनकोर ईवनिंग ब्राउन, एशियन एमराल्ड ड्रैगनफ्लाई |
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान की विशेषताएं
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
1. भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रफल
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान केरल के इडुक्की जिले में पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 925 वर्ग किलोमीटर है। यह भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में से एक है।
2. जैव विविधता
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान में समृद्ध जैव विविधता पाई जाती है। यहाँ लगभग 62 स्तनधारी, 320 पक्षी, 45 सरीसृप, और 160 से अधिक कीट प्रजातियाँ पाई जाती हैं। संकटग्रस्त प्रजातियों में बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, नीलगिरि तहर, और मालाबार ग्रे हॉर्नबिल शामिल हैं। यह क्षेत्र वनों की तीन प्रमुख प्रकारों – सदाबहार, अर्ध-सदाबहार और नम पर्णपाती वन – का मिश्रण प्रस्तुत करता है।
3. संरक्षण प्रयास
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ (1978) और ‘प्रोजेक्ट एलीफैंट’ (1992) के तहत संरक्षण कार्यों में शामिल है। वन्यजीव संरक्षण, अवैध शिकार पर नियंत्रण और आवास संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास किए जाते हैं। इससे क्षेत्र में हाथी और बाघ की आबादी स्थिर हुई है।
4. पर्यावरणीय और सामाजिक महत्व
यह उद्यान पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय जनजातियों जैसे मानन और पलियान की सांस्कृतिक पहचान को भी संरक्षित करता है। ये समुदाय वन संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र की देखरेख में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
5. इको-पर्यटन
पेरियार में पर्यावरण के अनुकूल इको-पर्यटन विकसित किया गया है। पर्यटक यहाँ बोट सफारी, ट्रैकिंग, जंगल कैंपिंग और पक्षी-देखने जैसी गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से यह मॉडल अहम माना जाता है।
6. जल स्रोत: पेरियार झील
पेरियार झील, जो मुल्लापेरियार बांध के कारण बनी है, उद्यान की जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है। यहाँ की बोट सफारी से पर्यटक वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं, जो पर्यावरण शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
7. जलवायु और मौसम
उद्यान की ऊँचाई 900 से 1900 मीटर तक है, जहाँ मौसम सुहावना और ठंडा रहता है। यह विशेष रूप से अक्टूबर से फरवरी के बीच घूमने के लिए उपयुक्त है।
FAQs
पेरियार नेशनल पार्क बाघों और हाथियों के लिए संरक्षित क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान केरल के पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला में स्थित है।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान, केरल में स्थित एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान है।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान से केरल की सबसे लंबी नदी पेरियार नदी बहती है।
पेरियार नदी अरब सागर में गिरती है।
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