Panna Rashtriya Udyan: पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता, और सांस्कृतिक विरासत का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिलों में स्थित है, जिसकी स्थापना वर्ष 1981 में हुई थी। यह स्थान न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए, बल्कि इतिहास, संस्कृति, और प्रकृति में रुचि रखने वाले सभी लोगों के लिए एक आदर्श गंतव्य है। इसलिए इस लेख में आपके लिए पन्ना राष्ट्रीय उद्यान (Panna Rashtriya Udyan) की विस्तृत जानकारी दी गई है। पन्ना नेशनल पार्क के बारे में जानने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
उद्यान का नाम | पन्ना राष्ट्रीय उद्यान (पन्ना नेशनल पार्क) |
स्थान | मध्य प्रदेश, पन्ना और छतरपुर जिलों में |
स्थापना वर्ष | 1981 (राष्ट्रीय उद्यान घोषित) |
टाइगर रिज़र्व का दर्जा | 1994 (प्रोजेक्ट टाइगर के तहत) |
क्षेत्रफल | लगभग 542.67 वर्ग किलोमीटर |
प्रसिद्धि का कारण | बाघ पुनर्स्थापन (Tiger Reintroduction) |
प्रमुख वन्यजीव प्रजातियाँ | तेंदुआ, चीतल, सांभर, भालू, नीलगाय, मगरमच्छ, भेड़िया |
पक्षी प्रजातियाँ | गिद्ध, मोर, फ्लोरिकन, हेरॉन, ईगल आदि |
प्रमुख नदी | केन नदी (पार्क के मध्य से बहती है) |
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पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिलों में स्थित है। बताना चाहेंगे इसकी स्थापना वर्ष 1981 हुई थी, जिसे बाद में भारत के 22वें टाइगर रिजर्व का दर्जा प्राप्त हुआ। यह उद्यान 542.67 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और वर्ष 2020 में यूनेस्को के मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम के तहत पन्ना नेशनल पार्क को बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।
बता दें कि उद्यान की प्रमुख जलधारा केन नदी है, जो लगभग 55 किलोमीटर तक उद्यान के भीतर बहती है। यह नदी उद्यान की पारिस्थितिकी के लिए जीवनरेखा के समान है, जो यहां के वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण जल स्रोत प्रदान करती है। इसके साथ ही पन्ना बायोस्फीयर रिजर्व में लगभग 300 गांव आते हैं, जहां गोंड, खैरुआ, और यादव जैसे जनजातीय समुदाय रहते हैं। ये समुदाय वनों से औषधीय पौधे, गोंद, और अन्य उत्पाद एकत्रित करते हैं, जो उनकी आजीविका का प्रमुख हिस्सा हैं।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान किसके लिए प्रसिद्ध है?
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान न केवल अपने समृद्ध वन्यजीव और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह बाघों की संख्या में हुई वृद्धि के लिए भी जाना जाता है। बताना चाहेंगे यहाँ दिए गए निम्नलिखित कारणों के चलते पन्ना राष्ट्रीय उद्यान प्रसिद्ध है –
- बता दें कि वर्ष 2009 में, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या शून्य हो गई थी। इसके बाद, सरकार ने अन्य अभयारण्यों से बाघों को यहां स्थानांतरित किया।
- बाघों को यहां स्थानांतरित करने का यह प्रयास सफल रहा, और अब यहां बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे यह उद्यान बाघों के संरक्षण का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गया है।
- केन नदी इस उद्यान की जीवनरेखा है। यह नदी उद्यान के माध्यम से बहती है और यहां के वन्यजीवों के लिए जल का मुख्य स्रोत है।
- समृद्ध वनस्पति और जीव-जंतु की विभिन्न प्रजातियों के लिए यह उद्यान बेहद प्रसिद्ध है।
- केन नदी के किनारे स्थित यह अभयारण्य घड़ियालों के संरक्षण के लिए समर्पित है, जिसके कारण यह बेहद प्रसिद्ध है।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला हुआ है, जो भारत के 22वें और मध्य प्रदेश राज्य के 5वें टाइगर रिजर्व के रूप में जाना जाता है। बता दें कि इस उद्यान की स्थापना वर्ष 1981 में हुई थी, जिसके बाद वर्ष 1994 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
बताना चाहेंगे इस क्षेत्र का इतिहास प्राचीन है, जहाँ पहले यह पन्ना, छतरपुर और बिजावर के राजाओं का शिकारगाह था। वर्ष 1975 में गंगऊ वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना के साथ संरक्षण की दिशा में पहला कदम उठाया गया, जिसे बाद में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में शामिल किया गया। बता दें कि वर्ष 2009 में, पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या शून्य हो गई थी, जो एक गंभीर चिंता का विषय बना।
इसके बाद अन्य अभयारण्यों से बाघों को यहाँ स्थानांतरित किया गया, जिससे यहाँ की बाघ आबादी में पुनः वृद्धि हुई। इसके बाद वर्ष 2020 में, यूनेस्को ने पन्ना को बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में मान्यता दी, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बढ़ी।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति में मुख्य रूप से सूखे पर्णपाती जंगल शामिल हैं, जिनमें सागौन (टीक), महुआ, सालई, तेंदू और धावा जैसे वृक्ष प्रमुख प्रजातियां हैं। इसके साथ ही यहाँ केन नदी के किनारे पर अर्जुन, जामुन और बांस जैसे हरित वनस्पति भी पाई जाती हैं, जो इस क्षेत्र की पारिस्थितिक विविधता को और बढ़ाती हैं।
बताना चाहेंगे पन्ना नेशनल पार्क में 200 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें बार-हेडेड गूज, किंग वल्चर, हनी बज़र्ड, इंडियन वल्चर और प्लम-हेडेड पैराकीट शामिल हैं। इसके साथ ही यहां के जंगलों में सागौन, महुआ, साजा, बांस, आँवला और तेंदू जैसे पेड़ पाए जाते हैं। इसके अलावा, यह क्षेत्र कई औषधीय पौधों और झाड़ियों का घर है, जो स्थानीय जनजातियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में मौजद स्तनधारी प्रजातियों में बंगाल टाइगर, तेंदुआ, जंगली कुत्ता (धोल), भारतीय भेड़िया, चीतल, सांभर, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सूअर और भालू आदि प्रमुख तौर पर पाए जाते हैं। कुछ आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2009 में, शिकार के कारण उद्यान में बाघों की संख्या शून्य हो गई थी, लेकिन पुनःस्थापन प्रयासों के चलते अब यहां 54 से अधिक बाघ मौजूद हैं।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण केंद्र
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण केंद्र की जानकारी निम्नलिखित है –
- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में पांडव जलप्रपात एक प्रमुख आकर्षण है, जो 30 मीटर ऊँचाई से गिरता है और इसके पास प्राचीन गुफाएँ हैं। कहा जाता है कि महाभारत के पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहां समय बिताया था।
- यहाँ मौजूद विविध वन्यजीवों का आश्रय भी यहां के प्रमुख आकर्षण केंद्रों में से एक है, जो पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है।
- यह राष्ट्रीय उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं, क्योंकि यहाँ 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी हुई है।
- केन और खुड्डार नदियों के संगम पर स्थित यह जलप्रपात लगभग 30 मीटर गहरा और 5 किलोमीटर लंबा है। इसके साथ ही यहां के ग्रेनाइट चट्टानों के विभिन्न रंग इसे विशेष बनाते हैं।
- उद्यान में लगभग 2,000 वर्ष पुराने शैल चित्र पाए जाते हैं, जो गोंड जनजाति की जीवनशैली को दर्शाते हैं। ये चित्र इस क्षेत्र के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास की गवाही देते हैं, जो यहाँ के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित रोचक तथ्य
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक संरक्षित प्राकृतिक धरोहर है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल की तरह है। इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य निम्नलिखित हैं-
- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का पाँचवाँ और भारत का 22वाँ टाइगर रिज़र्व है।
- पन्ना टाइगर रिज़र्व में लगभग 2,000 वर्ष पुराने शैल चित्र पाए जाते हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाते हैं।
- यह रिज़र्व 50 से अधिक बाघों का घर है, जो वन्यजीव संरक्षण की एक अद्वितीय सफलता कहानी है।
FAQs
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश राज्य के पन्ना और छतरपुर जिलों में स्थित है। यह कान्हा और बांधवगढ़ के बाद मध्य प्रदेश का एक प्रमुख टाइगर रिजर्व भी है।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था और इसे 1994 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, नीलगाय, मगरमच्छ, भालू और कई प्रजातियों के पक्षी देखने को मिलते हैं।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान घूमने का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से जून के बीच होता है। मानसून में यह उद्यान बंद रहता है।
हां, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में जीप सफारी और बोट सफारी दोनों की सुविधा उपलब्ध है। इनका आनंद पर्यटक गाइड के साथ ले सकते हैं।
यह उद्यान बाघ पुनर्वास परियोजना के लिए प्रसिद्ध है। यहां विलुप्त हो चुके बाघों को दोबारा बसाया गया, जो एक बड़ी सफलता रही।
हां, पन्ना में स्थित केन नदी और रनेह झरना बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाने जाते हैं।
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