Orang National Park in Hindi: भारत के पूर्वोत्तर में स्थित असम राज्य का ओरांग नेशनल पार्क, जिसे ‘मिनी काजीरंगा’ भी कहा जाता है, वन्यजीव प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय स्थल है। इस उद्यान की भौगोलिक स्थिति इसे विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों और वनस्पतियों का घर बनाती है। यह उद्यान ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर में स्थित है, जो इसे प्राकृतिक जल स्रोतों से संपन्न बनाता है। इस लेख में आपके लिए ओरांग नेशनल पार्क (Orang National Park in Hindi) की विस्तृत जानकारी दी गई है।
उद्यान का नाम | ओरांग नेशनल पार्क (Orang National Park) |
स्थान | दरंग और सोनितपुर जिला, असम, भारत |
स्थापना वर्ष | 1985 में अभयारण्य के रूप में, 1999 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित |
लोकप्रिय उपनाम | ‘मिनी काजीरंगा’ |
प्रमुख वन्यजीव प्रजातियाँ | एक सींग वाला गैंडा, रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, बारहसिंगा, जंगली सूअर |
पक्षी प्रजातियाँ | 220 से अधिक (2025 तक के पर्यावरण रिपोर्ट के अनुसार) |
वनस्पति विविधता | आर्द्र सवाना जंगल, लंबी घासें, दलदली क्षेत्र |
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ओरांग नेशनल पार्क के बारे में
ओरांग राष्ट्रीय उद्यान, असम राज्य के दर्रांग और सोनितपुर जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है। इसे 1985 में एक अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था और 13 अप्रैल, 1999 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। इसे मिनी काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (IUCN साइट) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि दोनों उद्यानों में दलदल, नदियाँ और घास के मैदानों से बना एक समान परिदृश्य है और यहाँ ग्रेट इंडियन वन-हॉर्नेड गैंडे (One-Horned Rhinoceros) रहते हैं।
बता दें कि ओरांग राष्ट्रीय उद्यान न केवल असम की जैव विविधता का प्रतीक है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में राज्य की प्रतिबद्धता का भी उदाहरण है। यह उद्यान उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण में रुचि रखते हैं। बता दें कि उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 78.82 वर्ग किमी से बढ़ाकर 300 वर्ग किमी कर दिया है, जिससे यह काजीरंगा और बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्य से जुड़कर 180 किमी लंबा वन्यजीव गलियारा बन गया है।
ओरांग नेशनल पार्क क्यों प्रसिद्ध है?
ओरांग राष्ट्रीय उद्यान (Orang National Park in Hindi) न केवल अपने समृद्ध वन्यजीव और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह अफ्रीकी चीता पुनर्वास परियोजना का केंद्र भी बन चुका है। बताना चाहेंगे यहाँ दिए गए निम्नलिखित कारणों के चलते ओरांग राष्ट्रीय उद्यान प्रसिद्ध हैं;-
- ओरांग को ‘मिनी काजीरंगा’ कहा जाता है क्योंकि इसका परिदृश्य और वन्यजीव काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से मिलते-जुलते हैं।
- यह उद्यान ब्रह्मपुत्र के उत्तरी तट पर एकमात्र संरक्षित क्षेत्र है जहाँ एक-सींग वाले गैंडे पाए जाते हैं।
- यहाँ 222 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें संकटग्रस्त बंगाल फ्लोरिकन भी शामिल हैं। इनके कारण भी यह उद्यान लोकप्रिय है।
- उद्यान में मौजूद दलदली घास के मैदान, जलाशय, और आर्द्रभूमियाँ विभिन्न वनस्पतियों और जीवों के लिए आदर्श आवास प्रदान करते हैं, जो कि इस उद्यान की प्रसद्धि का एक बड़ा कारण है।
- इस उद्यान के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी होती है, जो मानव-वन्यजीव के संघर्ष को कम करने में सहायक भूमिका निभाते हैं। यह उद्यान स्थानीय समुदायों की भागीदारी के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।
ओरांग नेशनल पार्क का इतिहास
ओरांग राष्ट्रीय उद्यान के इतिहास पर नज़र डाली जाए, तो आप जानेंगे कि प्रारंभ में यह क्षेत्र स्थानीय जनजातियों जैसे ओरांग, हाजोंग और कोच द्वारा आबाद था। हालांकि, 1900 के दशक की शुरुआत में एक महामारी के कारण इन समुदायों ने यह क्षेत्र छोड़ दिया। इसके बाद, 31 मई 1915 को ब्रिटिश शासन ने इसे ‘ओरांग गेम रिजर्व’ के रूप में अधिसूचित किया, जिससे यह असम का सबसे पुराना संरक्षित क्षेत्र बन गया।
वर्ष 1985 में, असम सरकार ने इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया। फिर वर्ष 1999 में इसे ‘ओरांग राष्ट्रीय उद्यान’ के रूप में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। बता दें कि इस उद्यान का भौगोलिक क्षेत्रफल 78.81 वर्ग किलोमीटर था, जिसे 2024 में 300 वर्ग किलोमीटर तक विस्तारित किया गया।
ओरांग नेशनल पार्क की जैव विविधता
यह उद्यान जैव विविधता से भरपूर है। यहाँ भारतीय एक-सींग वाले गैंडे की आबादी 128 है, जो इसे असम के प्रमुख गैंडा संरक्षण स्थलों में से एक बनाती है। इसके अलावा, 28 रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, पिग्मी हॉग (जो अत्यंत संकटग्रस्त प्रजाति है), हॉग डियर, जंगली सूअर, गंगेटिक डॉल्फिन, भारतीय पैंगोलिन, और कई अन्य स्तनधारी प्रजातियाँ यहाँ पाई जाती हैं।
इसके साथ ही यहाँ 222 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं, जिनमें स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, ग्रेट व्हाइट पेलिकन, ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क, ग्रेटर और लेसर एडजुटेंट स्टॉर्क, ब्राह्मणी डक, पिंटेल डक, हॉर्नबिल्स, और संकटग्रस्त बंगाल फ्लोरिकन शामिल हैं। बताना चाहेंगे बंगाल फ्लोरिकन की वैश्विक आबादी की 1% से अधिक जनसंख्या यहाँ पाई जाती है।
इसके साथ ही उद्यान की वनस्पति में बम्बैक्स सीबा (रेड सिल्क कॉटन ट्री), डालबर्गिया सिस्सू (भारतीय शीशम), स्टर्कुलिया विलोसा, ट्रेविया न्यूडिफ्लोरा, और लिट्सिया पोलीएनथा जैसी प्रजातियाँ शामिल हैं। बता दें कि घास के मैदानों में फ्रैग्माइट्स कार्का, अरुंडो डोनैक्स, इम्पेराटा सिलिंड्रिका और सैक्चरम प्रजातियाँ प्रमुख हैं। जलाशयों में एंड्रॉपोगोन, इपोमोएआ एक्वाटिका, एनहाइड्रा फ्लक्टुआन्स, और जलकुंभी जैसी जलीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।
इसके साथ ही यहाँ सरीसृपों की विविधता भी उल्लेखनीय है, जिसमें भारतीय रॉक पाइथन, किंग कोबरा, ब्लैक क्रेट, और सात प्रकार के कछुए की प्रजातियां शामिल हैं। इसके अलावा, यहाँ ब्रह्मपुत्र नदी और इसकी सहायक नदियों में 50 से अधिक मछली प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो इस क्षेत्र की जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की समृद्धि को दर्शाती हैं।
ओरांग नेशनल पार्क के प्रमुख आकर्षण केंद्र
ओरांग राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण केंद्र की जानकारी निम्नलिखित हैं;-
- ओरांग नेशनल पार्क में सुंदर परिदृश्य, खुले घास के मैदान और अच्छी वन्यजीव आबादी है, जो प्राकृतिक फोटोग्राफी प्रेमियों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
- पर्यटक यहाँ जीप और हाथी सफारी का आनंद ले सकते हैं, जिससे उन्हें वन्यजीवों को निकट से देखने का अवसर मिलता है।
ओरांग नेशनल पार्क से संबंधित रोचक तथ्य
ओरांग राष्ट्रीय उद्यान (Orang National Park in Hindi) सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक संरक्षित प्राकृतिक धरोहर है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल की तरह है। इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य निम्नलिखित हैं;-
- एक-सींग वाले गैंडे की उपस्थिति और यहाँ के परिदृश्य और वन्यजीवों की प्रजातियों के कारण इसे ‘मनी काजीरंगा’ कहा जाता है।
- बता दें कि इस उद्यान में वर्ष 2022 की गणना के अनुसार लगभग 125 गैंडे पाए गए हैं।
- वर्ष 2011 से 2015 के बीच, अत्यंत संकटग्रस्त पिग्मी हॉग को यहाँ पुनः बसाया गया।
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FAQs
ओरांग राष्ट्रीय उद्यान, असम के दरांग और सोनितपुर जिलों में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित है।
ओरांग राष्ट्रीय उद्यान को ‘मिनी काजीरंगा’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां काजीरंगा जैसे कई वन्यजीव पाए जाते हैं।
ओरांग को वर्ष 1985 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और 1999 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला।
यहां एक सींग वाले गैंडे, रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, जंगली सुअर, बारहसिंगा और कई प्रकार के पक्षी और सरीसृप पाए जाते हैं।
ओरांग राष्ट्रीय उद्यान लगभग 78.81 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
अक्टूबर से अप्रैल तक का समय ओरांग राष्ट्रीय उद्यान में घूमने के लिए सबसे उपयुक्त होता है, जब मौसम सुहावना और वन्यजीव सक्रिय होते हैं।
यह राष्ट्रीय उद्यान भारत में एक सींग वाले गैंडे की दुर्लभ आबादी के लिए प्रसिद्ध है और यह जैव विविधता का एक समृद्ध उदाहरण है।
यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, जहां ग्रेट हॉर्नबिल, स्पॉटेड ईगल, स्टॉर्क्स, पेलिकन और कई अन्य प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं।
ओरांग उद्यान गुवाहाटी से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। नजदीकी रेलवे स्टेशन तेजपुर है और हवाई अड्डा गुवाहाटी में स्थित है, जहां से सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है।
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