Madhya Pradesh Rashtriya Udyan: मध्यप्रदेश, एक ऐसी जगह है जहाँ बहुत सारे जंगल और अलग-अलग तरह के जानवर पाए जाते हैं। यहाँ पूरे 11 बड़े जंगल हैं, जिन्हें राष्ट्रीय उद्यान कहते हैं। ग्यारह राष्ट्रीय उद्यान वाला मध्यप्रदेश एकलौता राज्य है। इन जंगलों में आपको बाघ, तेंदुए, हिरण और बहुत सारे रंग-बिरंगे पक्षी देखने को मिलेंगे। मध्यप्रदेश को “बाघों का राज्य” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ भारत के सबसे ज़्यादा बाघ रहते हैं। सबसे बड़ा जंगल यहाँ का कान्हा राष्ट्रीय उद्यान है। यहाँ पर दुनिया का पहला सफेद बाघ भी मिला था। और अब तो यहाँ अफ्रीका से चीते भी लाए गए हैं। इस ब्लॉग में हम मध्यप्रदेश राष्ट्रीय उद्यान (Madhya Pradesh Rashtriya Udyan) के बारे में विस्तार से जानेंगे।
This Blog Includes:
- मध्यप्रदेश राष्ट्रीय उद्यान (Madhya Pradesh Rashtriya Udyan)
- बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (Bandhavgarh National Park)
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (Kanha Tiger Reserve)
- डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान (Dinosaur Fossil National Park Bagh)
- घुघुवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान (National Fossil Park Ghughwa)
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno Wildlife Sanctuary)
- माधव राष्ट्रीय उद्यान (Madhav National Park)
- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान (Panna National Park)
- पेंच राष्ट्रीय उद्यान (Pench National Park)
- संजय राष्ट्रीय उद्यान (Sanjay National Park)
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान (Satpura National Park)
- वन विहार राष्ट्रीय उद्यान (Van Vihar National Park)
- FAQs
मध्यप्रदेश राष्ट्रीय उद्यान (Madhya Pradesh Rashtriya Udyan)
मध्य प्रदेश को “भारत का हृदय” कहा जाता है। यह राज्य न सिर्फ ऐतिहासिक इमारतों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए मशहूर है, बल्कि यहाँ की प्रकृति भी बहुत सुंदर और समृद्ध है। यहाँ घने जंगल, हरियाली से भरे मैदान, ऊँची-ऊँची घाटियाँ और बहती नदियाँ इसे वन्यजीवों के लिए एक स्वर्ग बनाती हैं।
इस राज्य में कुल 11 राष्ट्रीय उद्यान हैं, जो प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीवों को पसंद करने वालों के लिए किसी सपने जैसे हैं। ये उद्यान सिर्फ हरियाली वाले क्षेत्र नहीं हैं, बल्कि ये ऐसे खास इलाक़े हैं जहाँ पेड़-पौधे और जानवर मिलकर एक अनोखा प्राकृतिक संसार बनाते हैं। इन उद्यानों में आपको बंगाल टाइगर शान से घूमते हुए, तेंदुए पेड़ों पर फुर्ती से चलते हुए, और बारहसिंगा जैसे सुंदर हिरण झुंडों में चरते दिख सकते हैं। यहाँ पक्षियों की भी कई प्रजातियाँ हैं, जिनकी चहचहाहट से जंगल गूंज उठते हैं।
इन उद्यानों का महत्व सिर्फ सुंदरता तक नहीं है। ये संकट में पड़ी प्रजातियों को सुरक्षित घर देते हैं और उनके संरक्षण में मदद करते हैं। साथ ही ये पर्यटन को बढ़ावा देते हैं और स्थानीय लोगों को रोज़गार भी देते हैं। इस तरह, मध्य प्रदेश के ये राष्ट्रीय उद्यान न सिर्फ प्रकृति की सुंदरता को बचाकर रखते हैं, बल्कि पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करते हैं।
मध्य प्रदेश के इन 11 राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में जानते हैं:
- बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
- डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान
- घुघुवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान
- माधव राष्ट्रीय उद्यान
- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान
- पेंच राष्ट्रीय उद्यान
- संजय राष्ट्रीय उद्यान
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान
- वन विहार राष्ट्रीय उद्यान
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (Bandhavgarh National Park)
1968 में बांधवगढ़ को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। 1993 में इसे “प्रोजेक्ट टाइगर” में शामिल कर टाइगर रिज़र्व बनाया गया। यह क्षेत्र पहले रीवा के महाराजाओं का शिकार स्थल था। 1967 में महाराजा मार्तंड सिंह ने इस वन क्षेत्र को सरकार को सौंपा, जिससे इसका संरक्षण संभव हुआ।
‘बांधवगढ़’ का मतलब है “भाई का किला” ये मान्यता है कि भगवान राम ने यह किला लक्ष्मण को दिया था। यहाँ 2000 साल पुराने किले के अवशेष, मानव निर्मित गुफाएं, शिलालेख और शैल चित्र देखने को मिलते हैं। यहां भगवान विष्णु की 10वीं शताब्दी की विशाल मूर्ति यहाँ स्थित है और दुनिया का पहला सफेद बाघ ‘मोहन’ यहीं 1951 में देखा गया था।
ये उद्यान मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में विंध्य पर्वत श्रृंखला के बीच स्तिथ है, यहां मुख्य रूप से साल के वृक्ष और बांस होते हैं। पार्क में करीब 32 पहाड़ियाँ हैं, जो इसे सुरम्य बनाती हैं। चरणगंगा नदी पार्क का प्रमुख जलस्रोत है।
यहाँ दुनिया में बाघों का सबसे अधिक घनत्व है, यानी बाघों को देखना यहां ज़्यादा आसान है और अन्य जीव जैसे तेंदुआ, रीछ, सांभर, चीतल, ढोल (जंगली कुत्ता), गौर (बाइसन) और कई प्रकार के पक्षी (250+ प्रजातियाँ) भी यहाँ देखने को मिलते हैं। ताला ज़ोन, पार्क का मुख्य हिस्सा, जहाँ किला और ऐतिहासिक शेष शैय्या स्थित है। यह बाघों को देखने के लिए सबसे लोकप्रिय क्षेत्र है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (Kanha Tiger Reserve)
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के मंडला और बालाघाट जिलों में फैला है। यह लगभग 940 वर्ग किलोमीटर का एक बहुत बड़ा जंगल है। इसे 1955 में बनाया गया था और बाद में 1973 में इसे बाघों को बचाने के प्रोजेक्ट में शामिल किया गया। कान्हा अपनी हरियाली और अलग-अलग जानवरों के लिए मशहूर है। यहाँ आपको बाघ, तेंदुए, गौर (भारतीय जंगली भैंसा) और सबसे खास, बारहसिंगा (एक खास तरह का हिरण) देखने को मिलेंगे।
यहाँ बड़े-बड़े घास के मैदान, घने साल और बांस के जंगल हैं, साथ ही कई तालाब और नदियाँ भी हैं, जो जानवरों के रहने के लिए बेहतरीन जगह बनाते हैं। कान्हा का इतिहास भी बहुत पुराना है, यह पहले शिकार का इलाका था, लेकिन अब यह जानवरों के लिए एक सुरक्षित घर है। यह पार्क प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए बहुत अच्छी जगह है।
डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान (Dinosaur Fossil National Park Bagh)
डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान धार जिले में है, जो करीब 89.74 हेक्टेयर में फैला है। यह पार्क अपनी पुरानी चीजों के लिए खास है – यहाँ करोड़ों साल पुराने डायनासोर के अंडे और उनके बाकी बचे निशान मिले हैं। ये जीवाश्म बताते हैं कि आज से करीब 6.5 करोड़ साल पहले यहाँ डायनासोर रहते थे।
यह पार्क नर्मदा नदी घाटी के पास है, जहाँ शार्क मछली के 74 से 100 करोड़ साल पुराने और समुद्री जीवों के 86 मिलियन साल पुराने जीवाश्म भी मिले हैं। यह जगह वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें धरती के बहुत पुराने इतिहास को समझने में मदद करती है।
घुघुवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान (National Fossil Park Ghughwa)
घुघुवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान डिंडोरी जिले में लगभग 75 एकड़ में फैला है। यह पार्क उन लोगों के लिए कमाल का है जो पेड़-पौधों के इतिहास में रुचि रखते हैं। यहाँ 4 से 15 करोड़ साल पहले के पेड़ों की पत्तियों और तनों के जीवाश्म (पत्थर बन चुके अवशेष) मिलते हैं।
यहाँ अलग-अलग तरह के पेड़-पौधों के जीवाश्म मिले हैं, जो बताते हैं कि उस समय भारत में कैसे पेड़-पौधे होते थे। ये जीवाश्म हमें उस समय की जानकारी देते हैं जब धरती के बड़े-बड़े हिस्से अलग हो रहे थे। यह पार्क पुराने पेड़-पौधों को समझने और उन्हें बचाने में मदद करता है।
कुनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno Wildlife Sanctuary)
कुनो राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर और मुरैना जिलों में लगभग 344.68 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसे पहले 1981 में अभयारण्य बनाया गया और फिर 2018 में राष्ट्रीय उद्यान। यह पार्क कूनो नदी के नाम पर है, जो इसके बीच से गुजरती है। हाल ही में यह पार्क दुनिया भर में तब मशहूर हुआ जब यहाँ अफ्रीका से चीते लाकर बसाए गए। यह भारत में वन्यजीवों को बचाने का एक बहुत बड़ा कदम है।
कुनो राष्ट्रीय उद्यान विंध्याचल पहाड़ों के पास है, जहाँ घास के मैदान, सूखे जंगल और दलदली जगहें हैं, जो जानवरों के रहने के लिए अच्छी जगह बनाती हैं। यहाँ चीतों के अलावा तेंदुए, सांभर, चीतल (एक प्रकार का हिरण) और नीलगाय जैसे जानवर भी रहते हैं।
माधव राष्ट्रीय उद्यान (Madhav National Park)
माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी जिले में लगभग 355 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसे 1959 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था। यह भारत के पुराने उद्यानों में से एक है। पुराने समय में यह ग्वालियर के राजाओं और मुगल बादशाहों का शिकारगाह हुआ करता था।
अभी हाल ही में इसे भारत का 58वां और मध्य प्रदेश का 9वां टाइगर रिजर्व भी बनाया गया है। यह पार्क विंध्याचल पहाड़ों के बीच में है और यहाँ सूखे जंगल और घास के मैदान हैं। पार्क में सांख्य सागर नाम का एक बड़ा तालाब भी है, जिसे 2022 में ‘रामसर साइट’ (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड) घोषित किया गया था। यहाँ आपको तेंदुए, सांभर, चीतल, चिंकारा (एक प्रकार का हिरण), नीलगाय और कई तरह के पक्षी देखने को मिलेंगे।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान (Panna National Park)
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान पन्ना और छतरपुर जिलों में करीब 542.67 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसे 1981 में अभयारण्य बनाया गया और 1994 में यह बाघ अभयारण्य बन गया। 2011 में इसे बायोस्फीयर रिजर्व का दर्जा भी मिला। पन्ना अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और केन नदी के लिए जाना जाता है, जो इसके बीच से बहती है और कई खूबसूरत झरने बनाती है।
यह उद्यान विंध्य पहाड़ों का हिस्सा है और यहाँ सागौन, बांस जैसे पेड़ खूब मिलते हैं। पन्ना में बाघों के अलावा तेंदुए, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, सांभर और भालू जैसे जानवर भी रहते हैं। अपनी खास भौगोलिक जगह और अलग-अलग जानवरों की वजह से यह पार्क प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अच्छी जगह है।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान (Pench National Park)
पेंच राष्ट्रीय उद्यान सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों में फैला है, जिसका कुल क्षेत्रफल करीब 1179.63 वर्ग किलोमीटर है। इसे 1977 में अभयारण्य बनाया गया और 1983 में राष्ट्रीय उद्यान।
यह उद्यान रुड्यार्ड किपलिंग की मशहूर किताब “द जंगल बुक” की प्रेरणा माना जाता है। पेंच में शाकाहारी जानवरों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है। यहाँ बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ते, भालू और कई तरह के हिरण मिलते हैं। पार्क में खुले जंगल, घास के मैदान और अलग-अलग तरह के पेड़-पौधे हैं, जो जानवरों के लिए एक अच्छा माहौल बनाते हैं।
संजय राष्ट्रीय उद्यान (Sanjay National Park)
संजय राष्ट्रीय उद्यान सीधी जिले में है और यह छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का भी एक हिस्सा है। मध्य प्रदेश में इसका करीब 812.57 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा आता है। इसे 1981 में बनाया गया था। यह उद्यान अपनी हरियाली और अलग-अलग जानवरों के लिए जाना जाता है। यहाँ घने जंगल, घास के मैदान और पानी के कई स्रोत हैं।
इस उद्यान में बाघों की अच्छी संख्या है, साथ ही यहाँ तेंदुए, सांभर, नीलगाय, चीतल और कई तरह के पक्षी भी रहते हैं। यह क्षेत्र बाघों को बचाने और उनके प्राकृतिक घर को बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान (Satpura National Park)
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान होशंगाबाद जिले में है और यह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का हिस्सा है, जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 1,427 वर्ग किलोमीटर है। इसे 1981 में बनाया गया था। इस रिजर्व में सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के साथ बोरी अभयारण्य और पचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य भी शामिल हैं।
“सात पहाड़” के नाम पर रखा गया यह रिजर्व अपनी ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों, गहरी घाटियों, झरनों, पत्थरों की चोटियों और घने जंगलों के लिए मशहूर है। यहाँ कई तरह के जंगल मिलते हैं और यह बाघ, तेंदुआ, गौर, सांभर, चीतल और दुर्लभ भारतीय विशाल गिलहरी जैसे जानवरों का घर है।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान (Van Vihar National Park)
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल शहर में बड़ा तालाब के पास स्थित एक खास पार्क है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 4.45 वर्ग किलोमीटर है। इसे 1983 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला, लेकिन यह दूसरे उद्यानों से अलग है क्योंकि यह एक चिड़ियाघर और वन्यजीव बचाव केंद्र का मिला-जुला रूप है।
यहाँ जानवरों को ऐसे माहौल में रखा जाता है जहाँ वे काफी हद तक खुले में रह सकें, और पर्यटक उन्हें करीब से देख सकें। वन विहार को एक ऐसे जंगली इलाके से बनाया गया था, जिसका मकसद यहाँ के पेड़-पौधों और जानवरों को बचाना था। यह पार्क बीमार जानवरों की देखभाल के लिए एक बचाव केंद्र का काम भी करता है।
यहाँ बाघ, तेंदुआ, भालू, नीलगाय और कई तरह के पक्षी देखे जा सकते हैं। सर्दियों में यहाँ कई प्रवासी पक्षी भी आते हैं, जिससे इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है।
FAQs
मध्य प्रदेश में (Madhya Pradesh Rashtriya Udyan) 11 राष्ट्रीय उद्यान हैं।
मध्य प्रदेश में 7 टाइगर रिजर्व हैं।
फॉसिल राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है।
सतपुड़ा के जंगल भारत के सबसे पुराने आरक्षित वनों में से एक हैं।
पेंच टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश में कुल 1192 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
कान्हा टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश का पहला टाइगर रिजर्व है।
केंद्र सरकार ने 9 मार्च, 2025 को मध्य प्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान को देश का 58वाँ बाघ अभयारण्य घोषित किया है।
मध्य प्रदेश में 25 वन्यजीव अभ्यारण्य हैं।
मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान (Madhya Pradesh Rashtriya Udyan) “मंडला पादप जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान” है।
भारत का 107वाँ राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा में स्थित सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व है।
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