Essay on Mirabai in Hindi: मीराबाई हिंदी साहित्य में भक्तिकाल काव्यधारा की एक महान संत, भक्त और कवयित्री थीं। वे भक्ति आंदोलन की अग्रणी महिला संत थीं, जिन्होंने अपने आराध्य श्रीकृष्ण के प्रति गहरी श्रद्धा, प्रेम और समर्पण के भाव से भरे पदों की रचना की। मीराबाई का जीवन और उनकी रचनाएँ भारतीय साहित्य और अध्यात्म के लिए अत्यंत प्रेरणादायक हैं। मीराबाई के पदों की भाषा में राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मिश्रण पाया जाता है। वहीं पंजाबी, खड़ी बोली और पूर्वी बोली के प्रयोग भी मिल जाते हैं।
बताना चाहेंगे स्कूली परीक्षाओं के अलावा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में मीराबाई के जीवन और उनकी रचनाओं से संबंधित प्रश्न अकसर पूछे जाते है। वहीं कभी-कभी उनके जीवन पर निबंध लिखने के लिए भी दिया जाता है। इसलिए इस लेख में मीराबाई पर निबंध (Essay on Mirabai in Hindi) के कुछ सैंपल दिए गए हैं।
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100 शब्दों में मीराबाई पर निबंध
विद्यार्थियों के लिए 100 शब्दों में मीराबाई पर निबंध (Essay on Mirabai in Hindi) इस प्रकार हैं;-
मीराबाई भक्तिकाल में सगुण काव्यधारा की महत्वपूर्ण भक्त कवियत्री थीं। माना जाता है कि उनका जन्म राजस्थान में जोधपुर के चोकड़ी (कुड़की) गांव में सन 1503 में हुआ था। वहीं मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की आध्यात्मिक प्रेरणा ने जिन कवियों को जन्म दिया उनमें मीराबाई का विशिष्ट स्थान है। संत कवि रैदास उनके गुरु माने जाते हैं। वर्तमान में मीराबाई की कुल सात-आठ कृतियाँ ही उपलब्ध हैं इनमें ‘नरसीजी का माहरा’, ‘गीतगोविंद की टीका’, ‘राग गोविंद’ और ‘राग सोरठ’ प्रमुख हैं। मीराबाई के पद पूरे उत्तर भारत सहित बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और गुजरात तक प्रचलित हैं। मीराबाई हिंदी और गुजराती दोनों की कवियत्री मानी जाती हैं।
यह भी पढ़ें – मीराबाई का जीवन परिचय और प्रमुख रचनाएँ
200 शब्दों में मीराबाई पर निबंध
विद्यार्थियों के लिए 200 शब्दों में मीराबाई पर निबंध (Essay on Mirabai in Hindi) इस प्रकार हैं;-
मीराबाई भक्तिकाल की एक प्रसिद्ध संत और कवयित्री थीं। विद्वानों द्वारा मीराबाई का जन्म जोधपुर के चोकड़ी (कुड़की) गांव में सन 1503 के आसपास माना जाता है। मीराबाई जोधपुर के ‘राठौड़ रतनसिंह’ और ‘वीर कुमारी’ की एकलौती पुत्री थीं। 13 वर्ष की आयु में मेवाड़ के महाराणा सांगा के कुंवर भोजराज से उनका विवाह हुआ था। किंतु बाल्यावस्था में ही उनकी माता का देहांत हो गया। वहीं विवाह के कुछ ही वर्ष बाद पहले पति, फिर पिता और एक युद्ध के दौरान श्वसुर का भी देहांत हो गया। इसके बाद भौतिक जीवन से निराश मीराबाई ने घर-परिवार त्याग दिया और वृंदावन आकर गिरधर गोपाल श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित हो गईं। संत कवि रैदास उनके गुरु माने जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण की उपासिका होने के कारण मीराबाई के काव्य में सगुण भक्ति मुख्य रूप से मौजूद है लेकिन निर्गुण भक्ति का प्रभाव भी उनकी रचनाओं में मिलता है। बताया जाता है कि अल्पायु से ही उनके मन में कृष्ण भक्ति की भावना जन्म ले चुकी थी। इसलिए वे श्रीकृष्ण को ही अपना आराध्य और पति मानती रहीं। जीवन के अंतिम दिनों में वे द्वारका चली गईं थीं। ऐसा माना जाता है कि रणछोड़ दास जी के मंदिर की मूर्ति में वे समाहित हो गईं थीं। बताना चाहेंगे मीराबाई की कुल सात-आठ कृतियाँ ही उपलब्ध हैं, इनमें ‘नरसीजी का माहरा’, ‘गीतगोविंद की टीका’, ‘राग गोविंद’, ‘राग सोरठ’, ‘मीराबाई का मलार’ और ‘फुटकर पद’ आदि प्रमुख हैं।
मीराबाई पर निबंध कैसे लिखें?
मीराबाई पर निबंध लिखने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करें, जो इस प्रकार हैं;-
- मीराबाई का जीवन परिचय और उनके ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के बारे में जानें।
- मीराबाई पर निबंध की एक स्पष्ट रूपरेखा बनाएँ। इसमें परिचय, मुख्य भाग के विभिन्न पैराग्राफ और निष्कर्ष शामिल होने चाहिए।
- निबंध की शुरुआत एक सरल वाक्य से करें।
- निबंध की भाषा स्पष्ट, सरल और सटीक होनी चाहिए।
- अब पाठकों को मीराबाई का परिचय, जन्म और परिवार, कृष्ण भक्ति, विवाह और जीवन संघर्ष, कविता और रचनाएँ तथा मृत्यु व धार्मिक योगदान आदि के बारे में बताएं।
- अंत में एक अच्छे निष्कर्ष के साथ आप अपने निबंध का समापन कर सकते हैं।
- निबंध लिखने के बाद, उसे कम से कम एक बार ध्यान से पढ़ें। व्याकरण संबंधी त्रुटियाँ, वर्तनी की गलतियाँ और वाक्य संरचना की खामियाँ सुधारें।
FAQs
मीराबाई भक्तिकाल काव्यधारा की एक महान संत, भक्त और कवयित्री थीं।
मीराबाई का 13 वर्ष की आयु में मेवाड़ के महाराणा सांगा के कुंवर भोजराज से विवाह हुआ था।
संत कवि रैदास उनके गुरु माने जाते हैं।
मीराबाई की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की भाषा है जो राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मिश्रण है।
मीराबाई जोधपुर के ‘राठौड़ रतनसिंह’ और ‘वीर कुमारी’ की एकलौती पुत्री थीं।
मीराबाई का जन्म जोधपुर के चोकड़ी (कुड़की) गांव में सन 1503 के आसपास माना जाता है।
मीराबाई के प्रसिद्ध भजनों में “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो”, “मेरे तो गिरधर गोपाल” और “मैं तो सांवरे के रंग राची” प्रमुख हैं।
मीराबाई की प्रसिद्ध रचनाओं में ‘नरसीजी का माहरा’, ‘गीतगोविंद की टीका’, ‘राग गोविंद’, ‘राग सोरठ’, ‘मीराबाई का मलार’ और ‘फुटकर पद’ आदि प्रमुख हैं।
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उम्मीद है, इस ब्लॉग में दिए मीराबाई पर निबंध (Essay on Mirabai in Hindi) के सैंपल परीक्षा की दृष्टि से मददगार साबित होंगे। निबंध लेखन और स्पीच राइटिंग से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।